क्राइम रिपोर्टर // असलम खान (शहडोल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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शहडोल । विगत कुछ महीने पूर्व शहडोल जिला चिकित्सालय कुशाभाउ ठाकरे के सीएचएमओ पर आरोप लगाया गया था कि किसी भी कर्मचारी के भविष्यनिधि का पैसा जो उसके सेवा के दौरान वेतन से कटौती की जाती है वह कर्मचारी के ेरिटायरमेंट के बाद उसके बुढ़ापे व परिवार का सहारा होता है। शहडोल चिकित्सालय में पदस्थ सीएचएमओ उमेश नामदेव ने जो कारनामा कर दिखाया है वह शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र अमरहा की एनम कार्यकर्ता कमला बाई पनिका की मृत्यु के उपरांत अधिकारियों ने भविष्यनिधि के पैसे का ऐसा बंदरबाट किया कि किसी को खबर नही लगी। सूचना अधिकार के माध्यम से अधिकारियों के काले कारनामे जब उजागर हुये तो भ्रामक जानकारी देकर मामले से पल्ला झाडऩे का प्रयास किया जा रहा है। एनम कार्यकर्ता स्व. कमला बाई पनिका के भविष्यनिधि के पैसों के संबंध में जब सूचना अधिकार के तहत शहडोल निवासी डी वेंकटराव के द्वारा जानकारी मांगी गयी तो सीएचएमओ उमेश कुमार नामदेव द्वारा कमलाबाई के सेवा पुस्तिका से संबंधित दस्तावेजों की गलत व भ्रामक जानकारी दी गयी। जिसमें यह पाया गया कि कमलावाई पनिका अविवाहित रहकर कार्य के दौरान उनकी मृत्यु हुयी थी तथा सेवा पुस्तिका में लेख किया गया नाम कमलाबाई पनिका का नाम फर्जी दस्तावेजों में कमलादेवी कर दिया गया। सेवा पुस्तिका में कमलादेवी का विवाह होने का प्रमाण तथा पति का नाम अभी तक अंकित क्यों नही यह जांच का विषय बनता है। उपलब्ध कराये गये गलत जानकारी में कमलाबाई के पति का नाम उल्लेख न करते हुए स्व. कमलाबाई पनिका के 5 संतान यानि 4 पुत्रियां व एक पुत्र जिनका नाम शकुन सोनी, आरती सोनी, आशा सोनी, राजेश्वरी सोनी, अरूण सोनी दर्र्शाया गया। एक तरफ तो अविवाहित होने का उल्लेख सीएचएमओ द्वारा किया जा रहा वहीं दूसरी तरफ कमलाबाई के 5 संतान होने का भी उल्लेख किये जाने से यह स्पष्ट होता है कि इस मामले में सीएचएमओ ने बड़े पैमान पर हेराफेरी की है। सीएचएमओ द्वारा दी गयी जानकारी में कहा गया कि कमलाबाई पनिका की पुत्री शकुन सोनी को समस्त राशियों का भुगतान कर दिया गया है। भुगतान करने से पूर्व सक्षम न्यायालय से नो आब्जेक्शन प्रमाण पत्र क्यों नही लिया गया तथा जिला चिकित्सा अधिकारी शहडोल उमेश कुमार नामदेव दिनांक 20.02.1990 में सीएचएमओ कहकर अपनी सील व हस्ताक्षर कर शासन को धोखा देते हुए भुगतान कैसे कर दिये जबकि नामदेव वर्ष 2008 तक मात्र मेडिकल अधिकारी पद पर पदस्थ थे, बाद में इन्हे सीएचएमओ का पद मिला। यहां पर भी इनके द्वारा जालसाजी किया जाना प्रतीत होता है। इस पूरे मामले में सीएचएमओ द्वारा किये गये बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच कराये जाने की मांग की गयी है ताकि मामले में हुये हेराफेरी का राज उजागर हो सके।