क्राइम रिपोर्टर // असलम खान (शहडोल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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शहडोल ।जिंदगी भर दूसरों का बोझ ढोने वाले रिक्शा चालक उस पति को क्या मालूम था कि सात जन्मों तक साथ निभाने वाली पत्नी जब बीच में ही इस दुनिया को अलविदा कह देगी तो उसे अपनी पत्नी के ही शव को उठाने के लिए लाचार होना पड़ जाएगा। ऐसा हुआ भी बेबस पति अपनी पत्नी के शव को वापस बुढ़ार ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से गुहार लगता रहा लेकिन लापरवाह व अन्य लोगों ने प्रबंधन ने उसकी एक न सुनी। अत में जब मीडिया को इसकी भनक लगी तो कलेक्टर श्री दुबे की अनुपस्थिति में मामले की जानकारी कमिश्रर प्रदीप खरे को दी गयी। उन्होने इसे गंभीरता से लिया और स्वास्थ्य महकमे को फटकार लगाई। जिसका परिणाम यह था कि रात दस बजे सिविल सर्जन डा. चतुर्वेदी को अन्य कर्मचारियों के साथ वापस अस्पताल आना पड़ा। रात लगभग 11 बजे सिविल सर्जन के प्रयास से शव को वाहन से बुढ़ार ले जाने का बंदोबस्त किया गया। बुढ़ार में रिक्शा चालक जीवनयापन करने वाले राजाराम गुप्ता ने अपनी 35 वर्षीय गर्भवती पत्नी को दो-तीन दिन पहले बुखार व अन्य रोग के कारण जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। गुरूवार की शाम उसकी पत्नी सुंदरिया बाई की हालत बिगड़ी और रात आठ बजे दम तोड़ दिया। चार वर्षीय पुत्री के साथ राजाराम के पास ऐसे कोई व्यवस्था नही थी, जिससे वह शव को बुढ़ार ले जा सके। अस्पताल प्रबंधन ने भी हाथ खड़े कर दिये थे।
एक हफ्ते से बिगड़ा शव वाहन
जिला अस्पताल प्रबंधन के अनुसार शव वाहन पिछले एक हफ्ते से बिगड़ा पड़ा है। जिस कारण यह परेशानी आ रही है। लोगों का कहना है कि वहां पर जननी व अन्य गाडिय़ां भी खड़ी थी, जिसका इस्तेमाल किया जा सकता था लेकिन ऐसा करने के बजाए अस्पताल के जबाबदारों ने जानकारी लगने के बाद अपने मोबाइल को बंद कर लेना ज्यादा उचित समझा। जिस कारण एक गरीब व्यक्ति को घंटो तक परेशान होना पड़ा।