ब्यूरो प्रमुख // संतोष प्रजापति (बैतूल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल. खनिज का अवैध कारोबार इस कदर बढता जा रहा है, वहीं आला अधिकारियों का हाल यह है कि शासन की खाली तिजोरियों को भरने के बजाए अपनी झोली भरने पर आमादा है। खनिज विभाग का काम यहां यदा कदा अनुविभागीय अधिकारियों को करते जरूर देखा जा सकता है। इस अवैध कारोबार करने वालों की खासी चांदी कट रही है। सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी में माहिर प्रशासन के आला अधिकारी अवैध कारोबारियों से सांठ गांठ कर इस धंधे से मुंह फेर कर खुली छूट देतें नजर आ रहें हैं। इस अवैध कारोबार को राजनैतिक संरक्षण होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। रेत का अवैध कारोबार यहां खनिज माफियाओं के लिए वरदान बना हुआ है। जाली पास के सहारे चलने वाले ट्रक यहां रोज ही देखे जा सकते हैं। राजस्व विभाग एवं खनिज विभाग की कुम्भकर्णी नींद के चलते प्रशासन ही सरकार को लाखों रूपये का चूना लगाने पर आमादा है। यहां से 3 जिले के कई इलाकों से अनेक ट्रक मुहरम भर कर जातें देख्ेा जा सकतें हैं।
बैतूल के सापना सोनाघाटी क्षेत्रों से मुहरम का कारोबार ज्यादा किया जा रहा है। ठेकेदारों द्वारा जगह जगह मुहरम और रेत का स्टाक किया जा रहा है। बैतूल आमला मुलतााई आठनेर सारनी ऐसे अनेक इलाके अवैध कारोबार करने वालों के गढ़ बन चुकें हैं। मुहरम पत्थर रेत का अवैध कारोबार यहां के माफियाओं के लिए कमाई का खासा जरिया बन चुके है। अब तक खनिज विभाग के अफसर उदासीनता बरत रहें हैं, या विभाग में काली कमाई को बढ़ावा दिया जा रहा है। खनिज विभाग द्वारा कागजी खानापूर्ति की जाती रही है। वाहनों की चैकिंग के नाम पर सरकारी डीजल फूकने के अलावा और कोई कामयाबी नजर नहीं आ रही है। सडक़ों पर दौडऩे वाले अधिकाशं डंफर मुरम रेत के अवैध कारोबार में लिप्त होने के बाद भी खनिज अधिकारियों की पकड़ से बाहर है। रेत का अवैध परिवहन करने वाले खनिज माफिया यहां से आमला आठनेर सारनी भीमपुर मार्गो पर अपना कारोबार करते नजर आ रहें है।
रायल्टी चोरी कर यह खनिज माफिया शासन को अब तक करोड़ों रूपये का चूना लगाते आ रहें हैं। यहां से गुजरने वाले सैकड़ों ट्रकों में ओवर लोडिंग होना आम बात है। तो वहीं बिना पिट पास के मुहरम ले जाना भी आम बात हो गई है। जिले की भौरा आमढ़ाना माचना नदियां कुदरत ने वरदान के रूप में दी है। जिनका भारी मात्रा में खनिज माफियाओं द्वारा प्रशासन की मिली भगत से दोहन किया जाता रहा है। प्रशासन के ढुलमुल रवैये पर अंकुश लगाने के बजाए जिले के जनप्रतिनिधी विभाग के आला अधिकारियों द्वारा तवज्जों न दिये जाने के कारण यहां के खनिज माफियाओं के हौसले बुलंद बने हुए है। मजे की बात तो यह है कि भाजपा की सरकार के रहते ही यहां भाजपा नेताओं की भी नहीं सुनी जा रही है।
खनिज के अवैध उत्खन्न को रोकने के लिये प्रदेश सरकार का ध्यान यहां के भाजपा नेताओं ने भी आरोपित किया है। किन्तु न तो शासन द्वारा इस ओर ठोस कदम उठाये गयें हैं और न ही प्रशासन की नींद टूटी है। खनिज विभाग के आला अधिकारी को अवैध कारोबार करने वाले रेत ठेकेदारों को साथ आप मोटर गाड़ी में बराबरी से ठेकेदारों के साथ घूमते नजर दिख जायेगें मानो ऐसा लगता है कि कहीं खनिज विभाग के अधिकारी भी ठेकेदार के साथ पाटनरशीप तो नहीं कर रहें है। अधिकारी और ठेकेदार का चोली दामन का साथ है। इसलिये ठेकेदारा अपनी मर्जी से गुंडागर्दी दादागीरी से धंधे को अंजाम देता है। कुछ ठेकेदार तो सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद भी अपनी ड्युटी पर न जाकर रेत मुहरम का अवैध कारोबार कर अपनी जेब गरम कर रहें है। बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं का हाथ सर पर होन के कारण इनकार धंधा कुकरमुत्ते की तरह फल फूल रहा है। कारण यही है कि इनका कौन क्या बिगाड़ सकता है। क्योंकि इनके ऊपर नेता (भगवान) का साया इनके उपर बना हुआ है। मनमर्जी से चाहे इनका इलाका हो अथवा न ही ये रायल्टी दादागीरी से काटना इनका हक है। क्योंकि ये ठेकेदार खनिज विभाग के भगवान यमराज है।