षडय़त्रकारियों के खिलाफ बैतूल में चुनौती
भोपाल// विनय जी. डेविड (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बहुचर्चित मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के करोड़ों की लागत के पत्रकार भवन समिति के चुनाव पर लगता है किसी की नजऱ लग गई है। कभी आई एफ डब्लयू जे की संपत्ति कहे जाने वाले इस पत्रकार भवन के चुनाव को लेकर बैतूल जिले की एक न्यायालय मे बकायदा परिवाद दायर कर पूरी चुनावी प्रक्रिया को निरस्त करने की तैयारी की जा रही है। भोपाल के पत्रकार सलभ भदौरिया द्वारा हाईकोर्ट में चुनाव को लेकर दायर की गई याचिका के बाद हाईकोर्ट जबलपुर के निर्देश पर भोपाल पत्रकार भवन समिति के वर्ष 1995 की मतदाता सूचि के आधार पर चुनाव होने थे। इस सूचि में शामिल सदस्यों में से एक बैतूल जिले के वरिष्ठ पत्रकार एवं आई एफ डब्लयू जेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे पत्रकार रामकिशोर पंवार द्वारा अपने वकील के माध्यम से श्री जीपी माली चुनाव अधिकारी पत्रकार भवन समिति एवं वर्तमान भोपाल तहसील हुजूर एसडीएम के विरूद्ध मामला पेश किया जा रहा है।
बैतूल के एक पत्रकार रामकिशोर पंवार द्वारा चुनाव अधिकारी द्वारा नाम निर्देशन पत्रो में चुनावी मैदान में खड़े प्रत्याशियों के नाम एवं सदस्यता क्रंमाक में गड़बडिय़ों एवं हाईकोर्ट जबलपुर की मंशा के अनुरूप चुनाव कार्य न करने एवं चुनाव कार्यक्रम में संशोधन को लेकर तथा चुनाव की निष्पक्षता को लेकर दायर किए जा रहे इस परिवाद में एक दर्जन से अधिक विसंगतियों की ओर माननीय न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया गया है। जिसमें अध्यक्ष पद के प्रत्याशी विनोद तिवारी के प्रस्तावक के रूप में शलभ भदौरिया का नाम उल्लेख किया गया है जबकि मतदाता सूचि पर उसी नम्बर किसी सलभ भदौरिया का नाम दर्ज है। इस मामले में यह तथ्य न्यायालय के समक्ष लाया जा रहा है कि वर्तमान चुनाव अधिकारी श्री जीपी माली द्वारा राजनैतिक एवं प्रशसानिक दबाव के चलते नाम वापसी की तीथी के बाद प्रत्याशी से जबरिया दुसरे दिन नामाकंन वापस लेकर चुनाव को र्निविरोध घोषित कर मतदाता को उसके मताधिकार से वंचित किया गया है। रामकिशोर पंवार आजाद नगर पाथाखेड़ा वर्तमान निवासी खंजनपुर बैतूल भोपाल पत्रकार भवन समिति के सदस्यों में से एक है जिसका यह आरोप है कि चुनाव कार्यक्रम में किसी भी प्रकार के बदलाव की जानकारी सदस्यों को नहीं दी गई तथा जब चुनाव नामकंन वापसी की दिनांक तक जब नामाकंन वापस नहीं लिए गए तब दोनों प्रत्याशी में से एक को र्निविरोध निर्वाचित किया जाना निष्पक्ष चुनाव की श्रेणी में नहीं आता है।