जयपुर। उत्तर प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन यानि NRHM में घोटाले के आरोप लगे हैं। राजस्थान में 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रही कंपनी पर फर्जी बिलों के जरिए करोड़ों रुपए के घपले का आरोप लगा है। घेरे में जिगित्सा नाम की कंपनी है जिसे गृह मंत्री पी चिदंबरम और प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री वायलयार रवि के बेटे चला रहे हैं। राजस्थान विधानसभा में भी इस मुद्दे पर हंगामा हुआ। विपक्ष के बीजेपी नेताओं ने एंबुलेंस सेवा में अनियमित भुगतान पर सवाल उठाए।
सदन के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी ने आरोप लगाया कि ये घोटाला उत्तर प्रदेश के एनआरएचएम की तर्ज पर किया गया है और इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए। दरअसल, राजस्थान में मरीजों को एंबुलेंस की सेवा बमुश्किल ही मिल पाती है, इसके विपरीत मरीजों के नाम पर बिल का मीटर तेजी से दौड़ रहा है। एंबुलेंस की एक ही ट्रिप में चार-चार मरीजों के नाम पर पैसे उठा लिए, कभी मेले में खड़ी एंबुलेंस ने ही मरीजों को लाने का दोहरा भुगतान भी उठा लिया, तो कभी फर्जी कॉल की एंट्री से भुगतान कर दिया गया। राजस्थान ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के रिकॉर्ड के सरकारी दस्तावेज कुछ यही कहानी कह रहे हैं।
आरटीआई के जरिए हासिल दस्तावेजों में एनआरएचएम ने माना कि राजस्थान में एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रही कंपनी जिगित्सा हेल्थकेयर ने एंबुलेंस के फर्जी
बिल पेश कर पेमेंट लिया। सितंबर में ऐसी 50 एंबुलेंस का पैसा ले लिया गया
जो दरअसल काम ही नहीं कर रही हैं। जांच में पाया गया कि जिकित्सा हेल्थकेयर ने एनआरएचएम में सितंबर में 55326 ट्रिप दिखाए, जबकि हकीकत में 37458 ट्रिप ही थे।
जिगित्सा हेल्थ केयर कंपनी केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम और प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री वायलयार रवि के बेटों की ओर से चलाई जा रही है। इस कंपनी को काम सौंपने से पहले टेंडर में जो शर्तें निर्धारित थीं उनमें बदलाव किया गया। 108 एंबुलेंस सेवा के संचालन में नियम ये था कि तीस फीसदी एंबुलेंस एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम के साथ होंगी, लेकिन जिगित्सा को ठेके में एडवांस एंबुलेंस सेवा की शर्त हटा दी गई।
टेंडर में शर्त थी कि एक एंबुलेंस को 5 ट्रिप अनिवार्य रूप से करने
होंगे और ऐसा नहीं करने पर जुर्माना देना होगा, लेकिन जिगित्सा की मांग पर
05 ट्रिप प्रतिदिन की शर्त हटा दी गई। उसकी जगह प्रतिदिन 30 किलोमीटर को एक ट्रिप माना गया। 45 किमी पर डेढ़ और 60 किलोमीटर गाड़ी चलने पर उसे दो ट्रिप मान लिया गया।
आरोप है कि रसूखदारों की फर्म होने की वजह से ही जुलाई 2010 से नवम्बर 2011 तक हर महीने हर एंबुलेंस पर 94 हजार 899 रुपए रुपये दिए गए। इसके हिसाब से 34 करोड़ 48 लाख 55 हजार 350 रुपए का भुगतान किया गया। आरोप ये भी है कि फर्म के कॉल सेंटर पर डॉक्टर नहीं होने के बावजूद भी एंबुलेंस के नर्सिंग स्टाफ को एक करोड़ 58 लाख रुपए का भुगतान किया गया जबकि कानून ये कहता है कि बगैर डॉक्टर की सलाह के कोई भी नर्सिंग कर्मी मरीज को दवाएं नहीं दे सकता।
इस धांधली को सामने लाने वाले एनआरएचएम के कंसलटेंट ललित कुमार त्रिपाठी का कार्यकाल भी नहीं बढ़ाया गया। जिगित्सा हेल्थकेयर ने इनके खिलाफ स्वास्थ्य महकमे के प्रमुख सचिव से घूस मांगने की शिकायत कर दी, जिसके बाद सरकार ने त्रिपाठी के कॉन्ट्रैक्ट को रिन्यू नहीं किया। बिलों में गड़बड़ी को कंपनी भी मान रही है, लेकिन साथ ही सफाई दी कि एनआरएचएम की ओर से पेमेंट को लेकर परेशान किया जा रहा है।
जिगित्सा हेल्थकेयर के एमडी वी रवि के बेटे रवि कृष्णन हैं जबकि गृह मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कारि चिदंबरम कंपनी में निदेशक हैं। सवाल ये कि इन गड़बड़ियों की सजा क्या सिर्फ पेनाल्टी है? क्या अगर कद्दावर नेताओं के बेटों की जगह किसी और की कंपनी ये धांधली करती तो सरकार उसे ऐसे ही छोड़ देती? हालांकि जब गृह मंत्री पी चिदंबरम से इस संबंध में जवाब मांगा गया तो उन्होंने आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। वहीं, बीजेपी ने आरोप लगाया कि केंद्र ने जानते बूझते इस घपले को होने दिया।
sabhar - ibn khabar