ग्वालियर.
100 से अधिक डकैत व गुंडों का एनकाउंटर कर उन्हें मौत की नींद सुलाने वाला
ग्वालियर का पुलिस अफसर अशोक भदौरिया इन दिनों फर्जी एनकाउंटर की जांच व
न्यायालयीन कार्रवाई से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहा है। वह भी उस समय जब
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फिल्म सिंघम के इंस्पेक्टर की तरह पुलिस
को गुंडे-बदमाशों पर टूट पडऩे का हौसला दिया है लेकिन ऐसे समय में अंचल के
पुलिस अफसर खामोश हैं।
ग्वालियर में लंबे समय तक पदस्थ रहे इंस्पेक्टर अशोक भदौरिया (अब एसडीओपी श्योपुर) का कैरियर मुंबई के पुलिस इंस्पेक्टर दया नायक की तरह ही विवादों से घिरा रहा है। डकैत हजरत रावत गिरोह के एनकाउंटर की जल्दी में एक बेगुनाह नवाब सिंह गोली का शिकार हो गया, तो एक अन्य मामले में प्रहलाद सिंह हत्याकांड के आरोपी नरेश कमरिया के फर्जी एनकाउंटर का दाग भी लगा। वर्ष 2003 में विधानसभा में उन्हें इंस्पेक्टर से डीएसपी के पद पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का ऐलान हुआ, लेकिन भरसूला में फर्जी एनकाउंटर के आरोप में उन्हें निलंबित होना पड़ा। आउट ऑफ टर्न प्रमोशन उन्हें नसीब नहीं हुआ, लेकिन विभागीय सीनियारिटी के आधार पर रुटीन प्रमोशन में उन्हें हाल ही में डीएसपी के पद पर पदोन्नत किया गया।
14 बार राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित
अशोक भदौरिया ग्वालियर-चंबल अंचल के जिस भी थाने में रहे, वहां उन्होंने डकैत गिरोहों की कमर तोड़ दी। ग्वालियर के कई थानों सहित शिवपुरी, नरवर, डबरा, पिछोर आदि थानों में उन्होंने कुख्यात बदमाशों को पकड़ा। श्री भदौरिया को 14 बार राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चुना गया, लेकिन हजरत रावत गैंग व नरेश कमरिया एनकाउंटर के मामले की जांच के कारण उन्हें एक बार भी सम्मान नहीं नसीब हुआ।
योग्य अधिकारियों को दी जा रही है जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में गुंडा विरोधी अभियान चलाया जा रहा है। योग्य अफसरों को चिन्हित करके ऐसे थानों में भेजा जा रहा है, जहां क्राइम रेट ज्यादा है। अशोक भदौरिया अगर जांच में निर्दोष साबित हो गए जाएंगे, तो उनके साथ न्याय किया जाएगा। - नंदन दुबे, डीजीपी मप्र
ये हैं असफलता के दाग ग्वालियर में वर्ष 2002 में नरेश कमरिया एनकाउंटर के दाग अभी तक धुल नहीं पाए हैं। नरेश की ताई अवधबाई ने वर्ष 2006 में हाईकोर्ट में पिटीशन लगाई कि पुलिस दोषी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर रही है। हाईकोर्ट ने शिकायत दर्ज करने का आदेश दिया । 12 दिसबंर 2011 को हाईकोर्ट में रिव्यू फाइल किया गया। 15 दिसबंर 2011 को स्टे दे दिया गया। अवधबाई ने 22 अगस्त 2012 को फिर से अपील की है। इस पर हाईकोर्ट ने केस को री रजिस्टर्ड करने के साथ दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले का निराकरण करने के आदेश दिए।
मैं जवाब दे चुका हूं : अशोक भदौरिया, एसडीओपी श्योपुर
सवाल-आरोप है कि आउट ऑफ टर्न प्रमोशन व वाहवाही के लिए आपने फर्जी एनकाउंटर किए?
जवाब-जिन दो मामलों में शिकायत हुई है, उनमें सच्चाई कुछ और ही है। मैं माननीय न्यायालय व सीनियर अफसरों के समक्ष जवाब दे चुका हूं।
सवाल- आरोप है कि नवाब व नरेश को आपने फर्जी एनकाउंटर में मारा?
जवाब-ये गलत है, आप देखें मैंने जान की बाजी लगाकर 100 से अधिक कुख्यात अपराधियों व डकैतों को ढेर किया है। मैंने गोली खाई है और कई माह जिंदगी और मौत के बीच झूलता रहा हूं। सीनियर अफसर मुझ पर भरोसा करते हैं, इसलिए मुझे एसडीओपी श्योपुर पदस्थ किया है।
अशोक भदौरिया के प्रमुख एनकाउंटर
डकैत गिरोह- दयाराम गड़रिया गैंग, इनाम- 5 लाख, स्थान- मझेरा के जंगल, शिवपुरी।
डकैत गिरोह- रामबाबू गड़रिया गैंग, इनाम- 5 लाख, स्थान- खोड़ के जंगल, शिवपुरी।
डकैत गिरोह- बैजू गड़रिया गैंग (घायल), इनाम- 50 हजार, स्थान- घाटीगांव के जंगल।
डकैत गिरोह- सोबरन गड़रिया गैंग, इनाम- 50 हजार,स्थान- नरवर के जंगल।
डकैत गिरोह-रघुवर गड़रिया गैंग, इनाम- 1 लाख, स्थान- घाटीगांव के जंगल।
डकैत गिरोह-हरिबाबा गैंग,इनाम- 50 हजार,स्थान-रतनगढ़ के जंगल।
डकैत गिरोह- सुघर सिंह गैंग, इनाम- 25 हजार,स्थान-सिंध नदी के पास।
डकैत गिरोह- रमेश गैंग, इनाम- 25 हजार गिजौरा के जंगल।
डकैत गिरोह- पप्पू गुर्जर गैंग, इनाम- 1.5 लाख, स्थान- हस्तिनापुर के जंगल
डकैत गिरोह-कलीम गैंग, इनाम- 40 हजार, स्थान- पिछोर के जंगल।
डकैत गिरोह- डॉ. मायाराम, बारेलाल गैंग, इनाम- 30 हजार, स्थान- हरसी डैम के पास।
डकैत गिरोह-रामभान सिंह गैंग, इनाम- 30 हजार, स्थान-भदावना के जंगल।
डकैत गिरोह- रामविलास गैंग, इनाम- 40 हजार, स्थान- दबोह के जंगल।
डकैत गिरोह- हन्नी, हनुमंत गैंग, इनाम- 80 हजार, स्थान- सोनागिरि के पास।
डकैत गिरोह- हजरत रावत गैंग, इनाम- 50 हजार,स्थान- भितरवार के जंगल।
एनकाउंटर में घायल
वर्ष 2002 में हस्तिनापुर के जंगलों में पुलिस व पप्पू गुर्जर गैंग की मुठभेड़ हुई। दोनों ओर से फायरिंग हुई। इस दौरान अशोक भदौरिया को गोली लगी। गंभीर रूप से घायल श्री भदौरिया को दो महीने तक दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।
ग्वालियर में लंबे समय तक पदस्थ रहे इंस्पेक्टर अशोक भदौरिया (अब एसडीओपी श्योपुर) का कैरियर मुंबई के पुलिस इंस्पेक्टर दया नायक की तरह ही विवादों से घिरा रहा है। डकैत हजरत रावत गिरोह के एनकाउंटर की जल्दी में एक बेगुनाह नवाब सिंह गोली का शिकार हो गया, तो एक अन्य मामले में प्रहलाद सिंह हत्याकांड के आरोपी नरेश कमरिया के फर्जी एनकाउंटर का दाग भी लगा। वर्ष 2003 में विधानसभा में उन्हें इंस्पेक्टर से डीएसपी के पद पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन का ऐलान हुआ, लेकिन भरसूला में फर्जी एनकाउंटर के आरोप में उन्हें निलंबित होना पड़ा। आउट ऑफ टर्न प्रमोशन उन्हें नसीब नहीं हुआ, लेकिन विभागीय सीनियारिटी के आधार पर रुटीन प्रमोशन में उन्हें हाल ही में डीएसपी के पद पर पदोन्नत किया गया।
14 बार राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चयनित
अशोक भदौरिया ग्वालियर-चंबल अंचल के जिस भी थाने में रहे, वहां उन्होंने डकैत गिरोहों की कमर तोड़ दी। ग्वालियर के कई थानों सहित शिवपुरी, नरवर, डबरा, पिछोर आदि थानों में उन्होंने कुख्यात बदमाशों को पकड़ा। श्री भदौरिया को 14 बार राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चुना गया, लेकिन हजरत रावत गैंग व नरेश कमरिया एनकाउंटर के मामले की जांच के कारण उन्हें एक बार भी सम्मान नहीं नसीब हुआ।
योग्य अधिकारियों को दी जा रही है जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में गुंडा विरोधी अभियान चलाया जा रहा है। योग्य अफसरों को चिन्हित करके ऐसे थानों में भेजा जा रहा है, जहां क्राइम रेट ज्यादा है। अशोक भदौरिया अगर जांच में निर्दोष साबित हो गए जाएंगे, तो उनके साथ न्याय किया जाएगा। - नंदन दुबे, डीजीपी मप्र
ये हैं असफलता के दाग ग्वालियर में वर्ष 2002 में नरेश कमरिया एनकाउंटर के दाग अभी तक धुल नहीं पाए हैं। नरेश की ताई अवधबाई ने वर्ष 2006 में हाईकोर्ट में पिटीशन लगाई कि पुलिस दोषी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर रही है। हाईकोर्ट ने शिकायत दर्ज करने का आदेश दिया । 12 दिसबंर 2011 को हाईकोर्ट में रिव्यू फाइल किया गया। 15 दिसबंर 2011 को स्टे दे दिया गया। अवधबाई ने 22 अगस्त 2012 को फिर से अपील की है। इस पर हाईकोर्ट ने केस को री रजिस्टर्ड करने के साथ दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले का निराकरण करने के आदेश दिए।
मैं जवाब दे चुका हूं : अशोक भदौरिया, एसडीओपी श्योपुर
सवाल-आरोप है कि आउट ऑफ टर्न प्रमोशन व वाहवाही के लिए आपने फर्जी एनकाउंटर किए?
जवाब-जिन दो मामलों में शिकायत हुई है, उनमें सच्चाई कुछ और ही है। मैं माननीय न्यायालय व सीनियर अफसरों के समक्ष जवाब दे चुका हूं।
सवाल- आरोप है कि नवाब व नरेश को आपने फर्जी एनकाउंटर में मारा?
जवाब-ये गलत है, आप देखें मैंने जान की बाजी लगाकर 100 से अधिक कुख्यात अपराधियों व डकैतों को ढेर किया है। मैंने गोली खाई है और कई माह जिंदगी और मौत के बीच झूलता रहा हूं। सीनियर अफसर मुझ पर भरोसा करते हैं, इसलिए मुझे एसडीओपी श्योपुर पदस्थ किया है।
अशोक भदौरिया के प्रमुख एनकाउंटर
डकैत गिरोह- दयाराम गड़रिया गैंग, इनाम- 5 लाख, स्थान- मझेरा के जंगल, शिवपुरी।
डकैत गिरोह- रामबाबू गड़रिया गैंग, इनाम- 5 लाख, स्थान- खोड़ के जंगल, शिवपुरी।
डकैत गिरोह- बैजू गड़रिया गैंग (घायल), इनाम- 50 हजार, स्थान- घाटीगांव के जंगल।
डकैत गिरोह- सोबरन गड़रिया गैंग, इनाम- 50 हजार,स्थान- नरवर के जंगल।
डकैत गिरोह-रघुवर गड़रिया गैंग, इनाम- 1 लाख, स्थान- घाटीगांव के जंगल।
डकैत गिरोह-हरिबाबा गैंग,इनाम- 50 हजार,स्थान-रतनगढ़ के जंगल।
डकैत गिरोह- सुघर सिंह गैंग, इनाम- 25 हजार,स्थान-सिंध नदी के पास।
डकैत गिरोह- रमेश गैंग, इनाम- 25 हजार गिजौरा के जंगल।
डकैत गिरोह- पप्पू गुर्जर गैंग, इनाम- 1.5 लाख, स्थान- हस्तिनापुर के जंगल
डकैत गिरोह-कलीम गैंग, इनाम- 40 हजार, स्थान- पिछोर के जंगल।
डकैत गिरोह- डॉ. मायाराम, बारेलाल गैंग, इनाम- 30 हजार, स्थान- हरसी डैम के पास।
डकैत गिरोह-रामभान सिंह गैंग, इनाम- 30 हजार, स्थान-भदावना के जंगल।
डकैत गिरोह- रामविलास गैंग, इनाम- 40 हजार, स्थान- दबोह के जंगल।
डकैत गिरोह- हन्नी, हनुमंत गैंग, इनाम- 80 हजार, स्थान- सोनागिरि के पास।
डकैत गिरोह- हजरत रावत गैंग, इनाम- 50 हजार,स्थान- भितरवार के जंगल।
एनकाउंटर में घायल
वर्ष 2002 में हस्तिनापुर के जंगलों में पुलिस व पप्पू गुर्जर गैंग की मुठभेड़ हुई। दोनों ओर से फायरिंग हुई। इस दौरान अशोक भदौरिया को गोली लगी। गंभीर रूप से घायल श्री भदौरिया को दो महीने तक दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।