-डॉ. कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
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एक आई.ए.एस. अधिकारी द्वारा ट्रेन में लड़की के साथ दुराचार की कोशिश वाकई अतिचिन्तनीय विषय है. इसे मात्र एक घटना के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए बल्कि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सख्त से सख्त कदमों के साथ-साथ सामाजिकता के विकास के लिए भी प्रयास करने चाहिए. उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के लिए, जो पूरे देश की राजनीतिक दशा का निर्धारण करता हो, जहाँ की वर्तमान सरकार 2014 को अपना लक्ष्य बनाकर प्रचार-प्रसार में व्यस्त हो, वहाँ इस तरह की घटना वाकई शर्मसार करने के अलावा और किस तरह का भाव पैदा करेगी?
प्रदेश में लगभग प्रत्येक दिन इस तरह की घटनायें सामने आ रही हैं और शासन-प्रशासन की ओर से किसी भी तरह के सख्त कदमों को नहीं उठाया जा रहा है. यह घटना इसलिए और भी भयावह प्रतीत होती है कि माननीय अदालत के सख्त निर्देश के लगभग 48 घंटे के भीतर ही इस तरह की घटना एक उच्चाधिकारी द्वारा हुई. विद्रूपता इस बात के लिए कि लखनऊ स्टेशन पर उस दुराचारी अधिकारी के खिलाफ बोलने वालों से ज्यादा उसके पक्ष में खड़े अधिकारी दिखाई दिये. किसी तरह से पूरी आई0ए0एस0 लॉबी अपना प्रभाव इस बात पर जमाना चाह रही थी कि उस अधिकारी को छोड़ दिया जाये. अन्ततः अपनी कोशिश में कामयाब न हो पाने के बाद सम्बन्धित रेलवे पुलिस अधिकारी को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा.
प्रदेश सरकार वर्तमान में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता संचालन कर रही है और ऐसे में उसके पास सिर्फ और सिर्फ जन-कल्याणकारी कार्यों को सम्पन्न करवाने का काम होना चाहिए. गठबंधन की मजबूरियों का रोना वह किसी भी रूप में नहीं रो सकती है. इसके बाद भी यदि उसी के अधिकारी इस तरह का वहशियानापूर्ण हरकत करेंगे तो केन्द्र की सत्ता का ख्वाब देख रहे इस दल को रसातल में ले जाने से कोई नहीं रोक सकता. बहरहाल, चिन्ता इस सरकार की अथवा सत्तासीन दल के रसातल में जाने की नहीं है वरन् चिन्ता प्रदेश के लगातार बद से बदतर होते जा रहे हालातों के प्रति है. यदि जल्द ही इस तरह की हरकतों पर, घटनाओं पर, अपराधों पर अंकुश न लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जबकि इस तरह की छिछोरी मानसिकता वाले, कुत्सित मानसिकता वाले अपराधी घरों में घुस कर हमारी बहिन-बेटियों को अपनी हवस का शिकार बना रहे होंगे.
कल की इस भयावहता से बचने के लिए हमें आज ही, अभी के अभी जागना होगा.