भोपाल । मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा मुकुल कासलीवाल का नाम आपराधिक प्रकरणों से हटाने से इंकार किए जाने के बाद अब नर्मदा बचाओ आंदोलन ने राज्य औद्योगिक विकास निगम से एस कुमार्स कम्पनी पर बकाया राशि वसूलने की मांग की है। मुकुल एस कुमार्स कम्पनी के मालिक हैं और महेश्वर परियोजना इसी कम्पनी की परियोजना है।
आंदोलन की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि एस कुमार्स समूह द्वारा राज्य औद्योगिक विकास निगम से सन 1995 से 2000 के बीच 65.50 करोड़ रुपये महेश्वर परियोजना के लिए थे। सन 2004 में यह बकाया राशि लगभग 103 करोड़ रुपये हो गई। सन 2004 में राज्य सरकार द्वारा 25़95 करोड़ की छूट देते हुए 77 करोड़ रुपये वापस करने का समझौता किया गया था।
इस समझौते का भी पालन न करने पर 2005 में सरकार ने एक और समझौता किया जिसके तहत कम्पनी से 400 करोड़ रुपये की काउंटर गारंटी देते हुए बकाया राशि के पोस्ट डेटेड चेक ले लिए गए। बाद में 20 चेक डिसऑनर हो गए।
इस पर राज्य औद्योगिक विकास निगम द्वारा मुकुल कासलीवाल आदि के विरुद्ध 20 प्रकरण भोपाल न्यायालय में दायर किए गए।
आपराधिक कार्रवाई से अपना नाम हटाने के लिए मुकुल कासलीवाल ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में 19 याचिका दायर कर की थी। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आऱ सी़ मिश्रा ने याचिकाकर्ता मुकुल कासलीवाल द्वारा अवांनछनीय देरी करने की रणनीति अपनाने पर सभी याचिकाएं 2000-2000 रुपये के हर्जाने के साथ खारिज कर दी।
आन्दोलन ने इस निर्णय का स्वागत किया और मांग की है कि औद्योगिक विकास निगम महेश्वर परियोजनाकर्ता एस कुमार्स से करोड़ों की बकाया रकम की वसूली के लिए प्रयास करे।
वहीं महेश्वर परियोजनाकर्ता के कार्यालय से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई मगर कोई जवाब नहीं आया।