भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी
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आप अतिथि हैं, होंगे, होते रहिए। अतिथि देवो भवः संस्कृति भारत की हो सकती है। हम तो इण्डियन हैं। आप कहिए कि- इण्डिया जो भारत है, हम क्यों कहें। कौन वह...? वही सिनेमा का एक्टर छोड़िए वह तो पैसों की एवज में ‘अतिथि देवो भवः’ का विज्ञापन करता है। वास्तविक जीवन में कुछ भी ऐसा नहीं जैसा कि रील लाइफ में। देयर इज ग्रेट डिफरेन्स विटवीन रियल एण्ड रील लाइफ। एक्टर भी पैसा कमाता है और हम भी पैसा। हमारी निगाहें विदेशी पर्यटकों की जेबों और उनके शरीर पर ही रहती है। हमने हर तरह से पैसा कमाने के लिए व्यवसाय किया है। टूरिस्ट के हरने खाने-पीने और सुख-सुविधा का विशेष ध्यान देना हमारा उद्देश्य होता है। हम अपने उद्देश्य में सफल भी हैं।
हमारी तरह के कइयों ने पर्यटन स्थलों पर होटल ढाबे एवं अन्य दुकानें खोलकर अच्छा खासा पैसा कमाना शुरू कर दिया। हमारा होटल का व्यवसाय है। हम अच्छे खासे किराए पर पर्यटकों को कमरे बुक करते हैं। देसी और विदेशी पर्यटकों के मन मुताबिक उनकी हर जरूरत का ख्याल रखना हमारा परम कर्तव्य है। हम अपने मेहमानों की हर तरह से सेवा करते हैं। उनकी मानसिक और शारीरिक थकान मिटाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। अभी बीते दिनों हमारे एक हम पेशा भाई ने (जो एक होटल संचालक है) विदेशी महिला पर्यटक का इतना ख्याल किया कि अल सुबह 4 बजे के पूर्व ही, उसके शरीर की मालिश करने पहुँच गया।
अब पता नहीं क्यों विदेशी महिला पर्यटक ने इस सेवा भाव को अन्यथा लिया और पहुँच गई थाना जहाँ होटल संचालक बन्धु पर कथित दुष्कर्म करने का प्रयास का आरोप लगाकर जेल भेजवा दिया। परिणाम यह हुआ कि हमारी पूरी बिरादरी में खौफ छा गया। भला बताइए ‘‘अतिथि देवो भवः’’ जैसी संस्कृति वाले देश के रहने वाले हम जैसे पर्यटक प्रेमियों को सेवा भाव के बदले जेल की सलाखें मिले यह कहाँ का न्याय है। वैसे एक बात बताऊँ ऐसा तो संभवतः प्रायः होता रहता है, यह घटना कोई नई नहीं है। मैं तो यह कहूँगा कि विदेशी पर्यटक महिला (दन्त चिकित्सक) को इस तरह का आरोप लगाने और होटल संचालक को जेल भिजवाने से बेहतर था कि वह अपने शरीर की मालिश करवा लेती। सुबह तरोताज हो जाती।
बहरहाल जो होना था वह तो हो गया। अब हमें सचेत रहना होगा और पर्यटन स्थलों पर व्यवसाय करने वाले हमपेशा बन्धुओं को इस तरह की बेस्ट होस्टिंग नहीं करनी होगी। कोई तमगा तो मिलने से रहा उलटे पुलिस के डण्डे और जेल की सलाखें ही मिलेंगी। इतना ही लिख पाया था तभी सुलेमान जी का पदार्पण हुआ। बोले डियर कलमघसीट क्या लिख रहे हो? तो उनकी तरफ कागज बढ़ा दिया। वह सरसरी तौर पर पढ़कर खूब हँसें, और बोले मियाँ कलमघसीट देख नहीं रहे हो आज कल दुष्कर्म और हत्या आदि की खबरें प्रमुखता से पढ़ने/सुनने को मिल रही है। ऐसे में विदेशी महिला पर्यटक वाली खबर कोई आश्चर्यजनक तो नहीं। ऐसा पहली बार हुआ हो तो बात दीगर है।
हत्या, दुष्कर्म और उसके प्रयास का माहौल चल रहा है। इसीलिए मीडिया में विदेशी महिला की खबर छपी है। और तुम हो कि उक्त खबर की प्रतिक्रिया में आलेख लिख रहे हो। छोड़ो यार यह सब मत लिखा करो। मुझे अच्छा नहीं लगता। मैंने लिखना बन्द कर दिया और हम दोनों मित्र राम भरोस चाय वाले की दुकान के लिए निकल पड़े।
(लेखक अकबरपुर अम्बेडकरनगर (उ.प्र.) के निवासी एवं पत्रकार हैं।)