सिवनी वन विभाग में खुलेआम षडय़ंत्र
सिवनी से नवीन जायसवाल की रिपोर्ट...
प्रमुख से संपर्क- 73899 98672
toc news internet channal
गुलाब नवानी ने 01 जून 2012 से 30 नवम्बर 2012 वनक्षेत्रापाल विद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त किया और बकायदा उसको सेवा पुस्तिका में भी दर्ज करवा दिया गया है। सेवा पुस्तिका में इन्द्राज इस प्रकार है ‘‘श्री गुलाब राव नवानी व.क्षे. दक्षिण सिवनी (सा.) वनमण्डल में वनक्षेत्रापाल महाविद्यालय बालाघाट (म.प्र.) से दिनांक 01.06.2012 से 30.11.2012 तक (कुल छ: माह ) आयोजित पदोन्नत वनक्षेत्रापाल प्रशिक्षण सफलता पूर्वक पूर्ण किया।’’ वनक्षेत्रापाल महाविद्यालय द्वारा प्रमाण पत्र भी 30.11.2012 को जारी किया गया है। प्रमाण पत्र वनसंरक्षक/अनुदेशक एवं मुख्य वनसंरक्षक प्राचार्य के हस्ताक्षर से जारी किया गया है। वहीं गुलाब राव ने इस प्रशिक्षण अवधि के दौरान में उडऩदस्ता प्रभारी होकर वाहन क्रमांक रू. M.P.02 AV1244 में भी कार्य किया। इसी अवधि मे लाकबुक पर भी नियमित हस्ताक्षर किये गये। विभिन्न प्रकरण एवं गाड़ी इंजिन कार्य, डीजल, आयल की खरीदी भी नियमित होती रही वहीं कार्यालय उडऩदस्ता सिवनी वृत सिवनी द्वारा क्रमांक 96 दिनांक 26.06.2012 को कत्र्तव्य उपस्थिति एवं वेतन देयक पत्र में भी 01 जून 2012 से 15 जून 2012 तक एवं पूर्ण माह जून उपस्थित बताकर उस दौरान लगातार वेतन प्राप्त किया गया है वहीं दूसरा (साक्ष्य) पत्र क्रमांक 107 दिनांक 23 जुलाई 2012 को कार्यालय उडऩदस्ता ने पुन: वनमण्डल अधिकारी दक्षिण सिवनी सामान्य वन प्रेषित में भी गुलाब राव नवानी वन क्षेत्रापाल पूर्ण माह कत्र्तव्य पर उपस्थित रहे बताया गया।
किस किस ने की धोखाधड़ी-
प्रश्र खड़ा होता है कि आखिर ये कैसे हो गया कि एक साथ दोनों स्थान पर नौकरी को अंजाम दिया और प्रशिक्षण महाविद्यालय में रहकर प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया। आखिर बड़ा प्रश्र यह हैं कि या तो कत्र्तव्य प्रमाणपत्रों में फर्जीवाड़ा किया गया है जिसके आधार पर वेतन प्राप्त किया गया। अगर यह सही है तो जरूर वनक्षेत्रापाल महविद्यालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र फर्जी है। उक्त मामले में कौन सही कौन गलत है जांच का विषय है...प्रकरण दर्ज कर जांच हो -
मामला गंभीर और फर्जीवाड़े का हैं जो अपराधिक श्रेणी में आता है क्योंकि इस मामलें में गुमराह कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाभ लिया गया है। इस मामले में विभाग द्वारा शीघ्र प्रकरण पंजीबद्ध करवा कर जांच होनी चाहिए ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो जाय।और भी खुलासे अगले अंक में...