सिवनी वन विभाग में जंगलराज
संतोष डोंगरे वनरक्षक उडऩदस्ता दल
सिवनी की चार सौ बीसी
फर्जी अंकसूची व तीसरी संतान को शासन से छुपाकर हुई नियुक्ति
सिवनी से नवीन जायसवाल की रिपोर्ट
(टाइम्स ऑफ क्राइम)
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सिवनी. मामला सिवनी वनविभाग से जुड़ा हुआ है जिसमें सन् 2008 में दैनिक वेतन श्रमिक से वनरक्षक बनने का है जिसमें श्री अतुल खेड़ा (भा.व.से.) वनमंडलाधिकारी के आदेश क्रमांक 92 दिनांक 05.03.2010 के नियुक्ति आदेश के अनुसार संतोष डोंगरे पिता स्व. सुंदरलाल डोंगरे निवासी ज्यारत नाका के पास की नियुक्ति वनरक्षक के पद में हुई. किन्तु नियुक्ति आदेश की शर्त क्रमांक-6 व म.प्र. शासन के आदेशानुसार कोई भी उम्मीद्वार जिसकी दो से अधिक जीवित संतान का जन्म 26 जनवरी 2001 को या उसके पश्चात हुआ हो वह नियुक्ति का पात्र नहीं होगा। लेकिन संतोष डोंगरे द्वारा अपनी संतान के विषय में विभाग को किसी प्रकार की सूचना नहीं दी ना ही अपनी सेवा पुस्तिका में बच्चे का नाम दर्ज कराया।
लेकिन जब ''टाइम्स ऑफ क्राइम '' के संवाददाता द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जिला चिकित्सालय सिवनी के जन्म रजिस्ट्रार की पंजी. का निरीक्षण किया गया तब रिकार्ड रजिस्टर के अनुसार दिनांक 07.01.2009 को सुबह 1.40 मिनिट पर पुत्र आदित्य माता मालती पिता संतोष डोंगरे निवासी ज्यारत नाका के पास का जन्म हुआ जो कि रिकार्ड रजिस्टर में पृष्ठ क्रमांक 105 सरल क्रमांक 81, आवक क्रमांक 81/09.01.2009, जावक क्रमांक 83/20.01.2009 दर्ज है जिसमें संतोष डोंगरे द्वारा अपने पुत्र का जन्म प्रमाण पत्र 20.01.2009 को रिकार्ड रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर प्राप्त किया है जिसकी जांच की जानी चाहिए. किन्तु जब ''टाइम्स ऑफ क्राइम'' के संवाददाता द्वारा सिविल सर्जन को आवेदन देकर इस रिकार्ड की छायाप्रति मांगी गई तो उनके द्वारा दिनांक 11.10.2013 को पत्र द्वारा जानकारी देने से मना कर दिया गया जिसकी जांच की जानी चाहिए।
इस वनरक्षक द्वारा प्रज्ञा संस्कृति विद्यालय या प्रज्ञा संस्कृत विद्यालय नेहरू नगर, चौरई से हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद प्रथमा (मैट्रिक समकक्ष) परीक्षा की अंकसूची को लाया गया जिसमें माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल द्वारा इस विद्यालय को किसी भी प्रकार की मान्यता नहीं दी गई। प्रश्र यह उठता हैं कि बिना जांच पड़ताल के अंकसूची को वन विभाग सिवनी के द्वारा कैसे मान्य कर लिया गया इसमें प्रश्न चिन्ह नियुक्तिकत्र्ता अधिकारी व जांच समिति पर भी उठता है जिसकी भी जांच की जानी चाहिए एवं संतोष डोंगरे के फर्जी नियुक्ति में लिप्त अधिकारी, कर्मचारियों के विरूद्ध धोखाधड़ी, चारसौबीसी, राजस्व की चोरी इत्यादि अनेकों आरोपों के तहत आरोपियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाना चाहिए।