दो दिन पहले खबर छपी की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सपरिवार चर्चित फिल्म पीकू देखी।
अगले दिन खबर छपी की राज्य शासन ने इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है। साथ मे यह भी छपा कि मुख्यमंत्री ने फिल्म देखने के बाद इसे टैक्स फ्री करने के आदेश दिये थे। इसी प्रकार कुछ दिनो पहले महिला पुलिस इंस्पेक्टर की जांबाजी पर आधारित मर्दानी नामक फिल्म बनी थी। तब भी यह खबर आने के बाद की मुख्यमंत्री ने सपरिवार इसे देखा, उसे भी टैक्स फ्री कर दिया गया था।
इसका सीधा मतलब है कि मध्यप्रदेश मे वही फिल्म टैक्स फ्री होती है जो शिवराजसिंह चौहान और उनके परिवार को पसंद आ जाती है। बेहतर होता की टैक्स फ्री करने का काम विशेषज्ञों की समिति के सुपुर्द कर दिया जाता जो गुणदोष के आधार पर सरकार से सिफ़ारिश करती और फिर केबिनेट का निर्णय होता। कुछ समय पहले जब दिग्विजयसिंह ने व्यापम घोटाले को लेकर सीधे मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था तब शिवराज जी ने कहा था की उनके जैसे साधारण आदमी का मुख्यमंत्री बनना राजे-महाराजे पचा नहीं पा रहे हैं।फिल्मों को टैक्स फ्री करने का फैसला अकेले करके वे खुद राजे-महाराजों जैसा व्यवहार कर रहे हैं। भोपाल मे अरबों की सरकारी जमीन पर करोड़ों का शौर्य स्मारक बनाने का फैसला भी उन्होने इसी प्रकार अकेले ही लिया था।
अब इन करमुक्त फिल्मों की गुणवत्ता पर दो शब्द। मैं करीब तेरह साल मध्यप्रदेश पुलिस का जनसम्पर्क अधिकारी रहा और मुझे एक भी ऐसी जाँबाज महिला इंस्पेक्टर के दर्शन नहीं हुए जैसी मर्दानी फिल्म मे दिखाई गई है।इसके बरक्स मैंने महिला इंस्पेक्टरों को थानो मे तैनाती से बचते ही पाया है। कुल मिलाकर मर्दानी वास्तविकता से कोसों दूर विशुद्ध व्यावसायिक फिल्म थी जिसे आदित्य चोपड़ा ने अपनी पत्नी रानी मुखर्जी के महिमामंडन के लिए बनाया था। फिल्म के प्रमोशन के लिए रानी मुखर्जी भोपाल आई थीं और शिवराजजी से मिली थीं।
जहां तक पीकू का सवाल है यह बड़े सितारों वाली हिट फिल्म है जो खूब पैसे बटोर रही है।यह मुख्य पात्र के खराब हाजमे संबंधी मीनिया पर आधारित है जिसमे कोई संदेश नहीं है।दोनों ही फिल्में इस लायक नहीं थीं जिन्हें टैक्स फ्री कर सरकारी खजाने को चूना लगाया जाता।
अगले दिन खबर छपी की राज्य शासन ने इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है। साथ मे यह भी छपा कि मुख्यमंत्री ने फिल्म देखने के बाद इसे टैक्स फ्री करने के आदेश दिये थे। इसी प्रकार कुछ दिनो पहले महिला पुलिस इंस्पेक्टर की जांबाजी पर आधारित मर्दानी नामक फिल्म बनी थी। तब भी यह खबर आने के बाद की मुख्यमंत्री ने सपरिवार इसे देखा, उसे भी टैक्स फ्री कर दिया गया था।
इसका सीधा मतलब है कि मध्यप्रदेश मे वही फिल्म टैक्स फ्री होती है जो शिवराजसिंह चौहान और उनके परिवार को पसंद आ जाती है। बेहतर होता की टैक्स फ्री करने का काम विशेषज्ञों की समिति के सुपुर्द कर दिया जाता जो गुणदोष के आधार पर सरकार से सिफ़ारिश करती और फिर केबिनेट का निर्णय होता। कुछ समय पहले जब दिग्विजयसिंह ने व्यापम घोटाले को लेकर सीधे मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था तब शिवराज जी ने कहा था की उनके जैसे साधारण आदमी का मुख्यमंत्री बनना राजे-महाराजे पचा नहीं पा रहे हैं।फिल्मों को टैक्स फ्री करने का फैसला अकेले करके वे खुद राजे-महाराजों जैसा व्यवहार कर रहे हैं। भोपाल मे अरबों की सरकारी जमीन पर करोड़ों का शौर्य स्मारक बनाने का फैसला भी उन्होने इसी प्रकार अकेले ही लिया था।
अब इन करमुक्त फिल्मों की गुणवत्ता पर दो शब्द। मैं करीब तेरह साल मध्यप्रदेश पुलिस का जनसम्पर्क अधिकारी रहा और मुझे एक भी ऐसी जाँबाज महिला इंस्पेक्टर के दर्शन नहीं हुए जैसी मर्दानी फिल्म मे दिखाई गई है।इसके बरक्स मैंने महिला इंस्पेक्टरों को थानो मे तैनाती से बचते ही पाया है। कुल मिलाकर मर्दानी वास्तविकता से कोसों दूर विशुद्ध व्यावसायिक फिल्म थी जिसे आदित्य चोपड़ा ने अपनी पत्नी रानी मुखर्जी के महिमामंडन के लिए बनाया था। फिल्म के प्रमोशन के लिए रानी मुखर्जी भोपाल आई थीं और शिवराजजी से मिली थीं।
जहां तक पीकू का सवाल है यह बड़े सितारों वाली हिट फिल्म है जो खूब पैसे बटोर रही है।यह मुख्य पात्र के खराब हाजमे संबंधी मीनिया पर आधारित है जिसमे कोई संदेश नहीं है।दोनों ही फिल्में इस लायक नहीं थीं जिन्हें टैक्स फ्री कर सरकारी खजाने को चूना लगाया जाता।