माननीय प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी जी,
अखबारों और चैनलों से सुना कि जिस देश में जन्म लेने को देवता तरसते हैं, वहां पर जन्म लेकर आप बड़े शर्मिंदा थे. आपको अपनी जन्मभूमि पर गर्व न होता, अगर आप एक साल पहले प्रधानमंत्री न बनते. चीन, जो अबतक हिंदुस्तान का घोषित शत्रु है, वहां जाकर भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए आप कहते हैं कि “Earlier, you felt ashamed of being born Indian, Now you feel proud to represent the country. Indians abroad had all hoped for a change in government last year.”
क्या कमाल की बात है!
हम सब शर्मिंदा पैदा हुए और आपके प्रधानमंत्री बनते ही गर्व से भर गए.
यह पहली बार नहीं है. आप कोरिया, अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि देशों में घूमते हुए बताते फिर रहे हैं कि भारत में 65 सालों में गंदगी फैली थी. आप प्रधानमंत्री बने, सफाई अभियान चलाया. आपके मंत्रियों ने नगर निगम का कूड़ा मंगाकर सड़क पर उड़ेला, फोटो खिंचवाई और निगमकर्मी उसे दोबारा भर ले गए, इस तरह इंडिया चमकदार—महकदार हो गया. आप जिन नायाब नीतियों का ढिंढोरा पीट रहे हैं, उनकी चर्चा फिर कभी.
दुनिया भर में यह पहली नजीर है, जब किसी देश का प्रधानमंत्री अपने देश से बाहर जाकर अपना हीनताबोध इस तरह प्रकट कर रहा है.
मिस्टर प्रधानमंत्री, मैं गड़रियों और संपेरों के देश में पैदा हुआ. मैं गौतमबुद्ध और बाबासाहब अम्बेडकर के देश में पैदा हुआ.
मैं उसे देश में पैदा हुआ जहां 21वीं सदी में देश की 77 प्रतिशत जनता 20 रुपये पर जीवन गुजारती है. लेकिन मैं शर्मिंदा नहीं हूं.
मुझे अपनी माटी और इसकी फकीरी पर गर्व है. मुझे कांग्रेस के भ्रष्टाचार से घृणा है लेकिन देश की कीमत पर नहीं. कांग्रेस को गालियां देने के लिए देश की सड़कें और संसद पर्याप्त स्पेस मुहैया कराती हैं. यह बात आप यहां भी कह सकते थे और कहते रहे हैं. कांग्रेस के प्रति अपने बैरभाव को तुष्ट करने के लिए आप देश को शर्मिंदा मत कीजिए. आप अपने बड़बोलेपन को गौरव प्रदान करने के लिए शत्रु देशों में जाकर हमें शर्मिंदा मत कीजिए.
उद्योगपतियों को लुभाने के लिए इस हद तक जाना ठीक नहीं कि हमारा देश अब तक महा गलाज़त में था और मेरे प्रधानमंत्री बनते ही महान हो गया.
आपके संघ लोग तो वेदों से विमान निकाल ला रहे हैं. गोमूत्र से दुनिया की हर संभावित बीमारियां ठीक किए दे रहे हैं. कम से कम उस कूढ़मगज विज्ञान विद्या का ही लिहाज करते.
मेरी समझ है कि प्रतिस्पर्धी पार्टी की आलोचना बुरी बात नहीं. वह करनी ही चाहिए. लेकिन प्रतिस्पर्धी पार्टी का विरोध ही विदेश नीति हो जाए, उसकी आलोचना में आप देश को जहालत से भरा, सबसे पिछड़ा और भ्रष्टबताने लगें, यह देश के साथ साथ प्रधानमंत्री पद की गरिमा को भी खोटा करता है. आप किसी भी देश में ब्रम्हांड की सबसे बड़ी पार्टी के प्रतिनिधि बनकर नहीं जाते. आप किसी भी देश में हम भारतीयों के प्रतिनिधि बनकर जाते हैं.
कृपया हमें दुनिया भर में शर्मिंदा न कीजिए. हम आपके आभारी होंगे.वैसे जब चुनाव हो रहा था और भ्रष्ट कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार थी, तब हम पेट पालने के लिए 80 रुपये में दाल खरीद रहे थे. अब 120 में रुपये में खरीद रहे हैं. आपने उद्योगपतियों को भरोसा दिया है कि भारत बदल गया है, तो उनके लिए होगा. हमारे लिए जीना कठिन हो रहा है.
आशा है आप हमारी जेब काटते रहेंगे
लेकिन हमें दुनिया भर में सिर झुकाने को मजबूर नहीं करेंगे.
आपका
एक नाचीज
भारतीय नागरिक
आपकी आवाज
नरेंद्र मोदी जी,
अखबारों और चैनलों से सुना कि जिस देश में जन्म लेने को देवता तरसते हैं, वहां पर जन्म लेकर आप बड़े शर्मिंदा थे. आपको अपनी जन्मभूमि पर गर्व न होता, अगर आप एक साल पहले प्रधानमंत्री न बनते. चीन, जो अबतक हिंदुस्तान का घोषित शत्रु है, वहां जाकर भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए आप कहते हैं कि “Earlier, you felt ashamed of being born Indian, Now you feel proud to represent the country. Indians abroad had all hoped for a change in government last year.”
क्या कमाल की बात है!
हम सब शर्मिंदा पैदा हुए और आपके प्रधानमंत्री बनते ही गर्व से भर गए.
यह पहली बार नहीं है. आप कोरिया, अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि देशों में घूमते हुए बताते फिर रहे हैं कि भारत में 65 सालों में गंदगी फैली थी. आप प्रधानमंत्री बने, सफाई अभियान चलाया. आपके मंत्रियों ने नगर निगम का कूड़ा मंगाकर सड़क पर उड़ेला, फोटो खिंचवाई और निगमकर्मी उसे दोबारा भर ले गए, इस तरह इंडिया चमकदार—महकदार हो गया. आप जिन नायाब नीतियों का ढिंढोरा पीट रहे हैं, उनकी चर्चा फिर कभी.
दुनिया भर में यह पहली नजीर है, जब किसी देश का प्रधानमंत्री अपने देश से बाहर जाकर अपना हीनताबोध इस तरह प्रकट कर रहा है.
मिस्टर प्रधानमंत्री, मैं गड़रियों और संपेरों के देश में पैदा हुआ. मैं गौतमबुद्ध और बाबासाहब अम्बेडकर के देश में पैदा हुआ.
मैं उसे देश में पैदा हुआ जहां 21वीं सदी में देश की 77 प्रतिशत जनता 20 रुपये पर जीवन गुजारती है. लेकिन मैं शर्मिंदा नहीं हूं.
मुझे अपनी माटी और इसकी फकीरी पर गर्व है. मुझे कांग्रेस के भ्रष्टाचार से घृणा है लेकिन देश की कीमत पर नहीं. कांग्रेस को गालियां देने के लिए देश की सड़कें और संसद पर्याप्त स्पेस मुहैया कराती हैं. यह बात आप यहां भी कह सकते थे और कहते रहे हैं. कांग्रेस के प्रति अपने बैरभाव को तुष्ट करने के लिए आप देश को शर्मिंदा मत कीजिए. आप अपने बड़बोलेपन को गौरव प्रदान करने के लिए शत्रु देशों में जाकर हमें शर्मिंदा मत कीजिए.
उद्योगपतियों को लुभाने के लिए इस हद तक जाना ठीक नहीं कि हमारा देश अब तक महा गलाज़त में था और मेरे प्रधानमंत्री बनते ही महान हो गया.
आपके संघ लोग तो वेदों से विमान निकाल ला रहे हैं. गोमूत्र से दुनिया की हर संभावित बीमारियां ठीक किए दे रहे हैं. कम से कम उस कूढ़मगज विज्ञान विद्या का ही लिहाज करते.
मेरी समझ है कि प्रतिस्पर्धी पार्टी की आलोचना बुरी बात नहीं. वह करनी ही चाहिए. लेकिन प्रतिस्पर्धी पार्टी का विरोध ही विदेश नीति हो जाए, उसकी आलोचना में आप देश को जहालत से भरा, सबसे पिछड़ा और भ्रष्टबताने लगें, यह देश के साथ साथ प्रधानमंत्री पद की गरिमा को भी खोटा करता है. आप किसी भी देश में ब्रम्हांड की सबसे बड़ी पार्टी के प्रतिनिधि बनकर नहीं जाते. आप किसी भी देश में हम भारतीयों के प्रतिनिधि बनकर जाते हैं.
कृपया हमें दुनिया भर में शर्मिंदा न कीजिए. हम आपके आभारी होंगे.वैसे जब चुनाव हो रहा था और भ्रष्ट कांग्रेस की भ्रष्ट सरकार थी, तब हम पेट पालने के लिए 80 रुपये में दाल खरीद रहे थे. अब 120 में रुपये में खरीद रहे हैं. आपने उद्योगपतियों को भरोसा दिया है कि भारत बदल गया है, तो उनके लिए होगा. हमारे लिए जीना कठिन हो रहा है.
आशा है आप हमारी जेब काटते रहेंगे
लेकिन हमें दुनिया भर में सिर झुकाने को मजबूर नहीं करेंगे.
आपका
एक नाचीज
भारतीय नागरिक
आपकी आवाज