डॉ.चन्द्रकुमार जैन
सूचना क्रांति के वर्तमान युग में समाचारों की दुनिया भी बहुत तेजी से बदल रही है.बार-बार कलमगोई वाली पत्रकारिता के आदर्शों से विमुख होने के सवाल उठाये जाते हैं, वहीं आज इसके विपरीत तेजी से कदम बढ़ा रहीहै हिंदी वेब पत्रकारिता. हाँ जो संभव है वह अन्य पारंपरिक माध्यमों में कतई संभव नहीं है.न्यू मीडिया, सोशल नेटवर्किंग, ब्लॉग आदि आज के मीडिया के नए पर्यायबन गए हैं. आज की नेट उपयोगिता आज से दस वर्ष पूर्व से एकदम भिन्न है.
यह प्रति व्यक्ति संवाद की एक ऐसी भूमि तैयार करता है जो इससे पहले कभी संभवनही थी. यह हर एक व्यक्ति के लिए है और हर एक के बारे में है. यह सामाजिक विकास की वृद्धि में एक क्रांतिकारीकदम है. मानव इतना सामाजिक कभी न रहाहोगा जितना कि अब हो गया है. न्यू मीडिया किसी भी तरह के अभियान को सफलकरने में या उसे पलट कर रख देने में भी सक्षम है. आज घर से कभी बाहर कदम न रखने वाले भी इसके माध्यम से अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त करते हैं.
कितनी ही प्रतिभाएँ इस माध्यम से उजागर हुई हैं जिन्हें इससे पहले कोई स्थान या मौका तक नहीं मिला करता था.वास्तव में ‘न्यू मीडिया’ मीडिया के क्षेत्र में एक नई चीज है. यह चीज यूंतो अब बहुत नई नहीं रह गई है लेकिन यहक्षेत्र पूर्णतः तकनीक पर आधारित होने के कारण इस क्षेत्र में प्रतिदिन कुछ ना कुछ नया जुड़ता ही जा रहा है. शुरुआत में जब टेलीविजन और रेडियो नए-नए आए थे तब इनको न्यू मीडिया कहा जाता था. बहुत ज्यादा दिननहीं हुए हैं जब पत्रकारिता के विद्यार्थी न्यू मीडिया के रूप में टेलीविजन और रेडियो को पढ़ा और लिखा करते थे, तकनीक में धीरे-धीरे उन्नतिहुई और न्यू मीडिया का स्वरूप भी बदलता चला गया और आज हम न्यू मीडिया के रूप में वह सभी चीजें देखते हैं जो कि डिजिटल रूप में हमारे आस-पास मौजूद हैं.
न्यू मीडिया को समझाने कीबहुत से लोगों ने अपने-अपने तरीके सेकोशिश की है.न्यू मीडिया के क्षेत्र में जाने पहचाने नाम हैं बालेन्दु शर्मा दाधीच. वे कहते हैं कि- यूं तो दो-ढाई दशक की जीवनयात्रा के बाद शायद ‘न्यूमीडिया’ का नाम ‘न्यू मीडिया’ नहीं रह जाना चाहिए क्योंकि वह सुपरिचित, सुप्रचलित और परिपक्व सेक्टर का रूपले चुका है. लेकिन शायद वह हमेशा ‘न्यू मीडिया’ ही बना रहे क्योंकि पुरानापन उसकी प्रवृत्ति ही नहीं है.
वह जेट युग की रफ्तार के अनुरूप अचंभित कर देने वाली तेजी के साथ निरंतर विकसित भी हो रहा है और नए पहलुओं, नए स्वरूपों, नए माध्यमों, नए प्रयोगों और नई अभिव्यक्तियों सेसंपन्न भी होता जा रहा है. नवीनता और सृजनात्मकता नए जमाने के इस नए मीडिया की स्वाभाविक प्रवृत्तियां हैं. यह कल्पनाओं की गति से बढ़ने वाला मीडिया है जो संभवतः निरंतर बदलाव और नएपन से गुजरता रहेगा, और नया बना रहेगा. फिर भी न्यू मीडिया को लेकर भ्रम की स्थिति आज भी कायम है. अधिकांश लोग न्यू मीडिया का अर्थइंटरनेट के जरिए होने वाली पत्रकारिता से लगाते हैं. लेकिन न्यू मीडिया समाचारों, लेखों, सृजनात्मक लेखन या पत्रकारिता तक सीमित नहीं है.
वास्तव में न्यू मीडिया की परिभाषा पारंपरिक मीडिया की तर्ज पर दी ही नहीं जा सकती. न सिर्फ समाचार पत्रोंकी वेबसाइटें और पोर्टल न्यू मीडियाके दायरे में आते हैं बल्कि नौकरी ढूंढने वाली वेबसाइट, रिश्ते तलाशनेवाले पोर्टल, ब्लॉग, स्ट्रीमिंग ऑडियो-वीडियो, ईमेल, चैटिंग, इंटरनेट-फोन, इंटरनेट पर होने वाली खरीददारी, नीलामी, फिल्मों की सीडी-डीवीडी, डिजिटल कैमरे से लिए फोटोग्राफ, इंटरनेट सर्वेक्षण, इंटरनेट आधारित चर्चा के मंच, दोस्त बनाने वाली वेबसाइटें और सॉफ्टवेयर तक न्यू मीडिया का हिस्सा हैं.इस माध्यम की मौलिकता भी लाज़वाब है. यह एक अर्थ में व्यक्तिगत पत्रकारिता का नया रूप भी है. कोई भी सूचना उसके सही रूप में और तेजी सेसबके सामने आती है. इन वेबसाइटों ने पत्रकारिता को भी जैसे नई दिशा देदी है.
इनका प्रयोग करने वाला हर सदस्य पत्रकार बन गया है. मानो हर एक नेअपना एक अलग चैनल, अपनी एक अलग शैली बना ली है और अपने ही अंदाज में अपनेही सरोकार और दिलचस्पी से वह सूचनाओं का आदान प्रदान करता है. कहाजा सकता है कि परम्परिक पत्रकारिता से हट कर नागरिक पत्रकारिता का एक सीधा रूप सामने आया है.ये जरुर है कि हर इंसान की तरह, अभिव्यक्ति और उसको प्रदर्शित करने के तरीके भी अलग अलग होते हैं. इस सब में हमें ध्यान रखना होगा कि वेब पत्रकारिता निजी तौर पर किसी को आहत करने वाली नहीं होनी चाहिए. इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता कि अन्य माध्यमों की तरह इस माध्यम में भी कमियाँ हैं.
आज के युग में रफ़्तार का भी बहुत महत्व है, और वेब पत्रिकाएँ उस पैमाने पर खरी उतरती हैं. वो पाठकों तक हर जानकारी उस जगह और उस समय उपलब्ध कराती हैं जिस जगह और जिस समयवे चाहते हैं. वेब पत्रकारिता मानवीय सोच को भी एक क्लिक तक ही सीमित कर देने की भी क्षमता रखती हैं. पर याद रखना होगा कि इस क्षमता को सही अर्थ में समाजोपयोगी बनाने की जरूरत है.
सूचना क्रांति के वर्तमान युग में समाचारों की दुनिया भी बहुत तेजी से बदल रही है.बार-बार कलमगोई वाली पत्रकारिता के आदर्शों से विमुख होने के सवाल उठाये जाते हैं, वहीं आज इसके विपरीत तेजी से कदम बढ़ा रहीहै हिंदी वेब पत्रकारिता. हाँ जो संभव है वह अन्य पारंपरिक माध्यमों में कतई संभव नहीं है.न्यू मीडिया, सोशल नेटवर्किंग, ब्लॉग आदि आज के मीडिया के नए पर्यायबन गए हैं. आज की नेट उपयोगिता आज से दस वर्ष पूर्व से एकदम भिन्न है.
यह प्रति व्यक्ति संवाद की एक ऐसी भूमि तैयार करता है जो इससे पहले कभी संभवनही थी. यह हर एक व्यक्ति के लिए है और हर एक के बारे में है. यह सामाजिक विकास की वृद्धि में एक क्रांतिकारीकदम है. मानव इतना सामाजिक कभी न रहाहोगा जितना कि अब हो गया है. न्यू मीडिया किसी भी तरह के अभियान को सफलकरने में या उसे पलट कर रख देने में भी सक्षम है. आज घर से कभी बाहर कदम न रखने वाले भी इसके माध्यम से अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त करते हैं.
कितनी ही प्रतिभाएँ इस माध्यम से उजागर हुई हैं जिन्हें इससे पहले कोई स्थान या मौका तक नहीं मिला करता था.वास्तव में ‘न्यू मीडिया’ मीडिया के क्षेत्र में एक नई चीज है. यह चीज यूंतो अब बहुत नई नहीं रह गई है लेकिन यहक्षेत्र पूर्णतः तकनीक पर आधारित होने के कारण इस क्षेत्र में प्रतिदिन कुछ ना कुछ नया जुड़ता ही जा रहा है. शुरुआत में जब टेलीविजन और रेडियो नए-नए आए थे तब इनको न्यू मीडिया कहा जाता था. बहुत ज्यादा दिननहीं हुए हैं जब पत्रकारिता के विद्यार्थी न्यू मीडिया के रूप में टेलीविजन और रेडियो को पढ़ा और लिखा करते थे, तकनीक में धीरे-धीरे उन्नतिहुई और न्यू मीडिया का स्वरूप भी बदलता चला गया और आज हम न्यू मीडिया के रूप में वह सभी चीजें देखते हैं जो कि डिजिटल रूप में हमारे आस-पास मौजूद हैं.
न्यू मीडिया को समझाने कीबहुत से लोगों ने अपने-अपने तरीके सेकोशिश की है.न्यू मीडिया के क्षेत्र में जाने पहचाने नाम हैं बालेन्दु शर्मा दाधीच. वे कहते हैं कि- यूं तो दो-ढाई दशक की जीवनयात्रा के बाद शायद ‘न्यूमीडिया’ का नाम ‘न्यू मीडिया’ नहीं रह जाना चाहिए क्योंकि वह सुपरिचित, सुप्रचलित और परिपक्व सेक्टर का रूपले चुका है. लेकिन शायद वह हमेशा ‘न्यू मीडिया’ ही बना रहे क्योंकि पुरानापन उसकी प्रवृत्ति ही नहीं है.
वह जेट युग की रफ्तार के अनुरूप अचंभित कर देने वाली तेजी के साथ निरंतर विकसित भी हो रहा है और नए पहलुओं, नए स्वरूपों, नए माध्यमों, नए प्रयोगों और नई अभिव्यक्तियों सेसंपन्न भी होता जा रहा है. नवीनता और सृजनात्मकता नए जमाने के इस नए मीडिया की स्वाभाविक प्रवृत्तियां हैं. यह कल्पनाओं की गति से बढ़ने वाला मीडिया है जो संभवतः निरंतर बदलाव और नएपन से गुजरता रहेगा, और नया बना रहेगा. फिर भी न्यू मीडिया को लेकर भ्रम की स्थिति आज भी कायम है. अधिकांश लोग न्यू मीडिया का अर्थइंटरनेट के जरिए होने वाली पत्रकारिता से लगाते हैं. लेकिन न्यू मीडिया समाचारों, लेखों, सृजनात्मक लेखन या पत्रकारिता तक सीमित नहीं है.
वास्तव में न्यू मीडिया की परिभाषा पारंपरिक मीडिया की तर्ज पर दी ही नहीं जा सकती. न सिर्फ समाचार पत्रोंकी वेबसाइटें और पोर्टल न्यू मीडियाके दायरे में आते हैं बल्कि नौकरी ढूंढने वाली वेबसाइट, रिश्ते तलाशनेवाले पोर्टल, ब्लॉग, स्ट्रीमिंग ऑडियो-वीडियो, ईमेल, चैटिंग, इंटरनेट-फोन, इंटरनेट पर होने वाली खरीददारी, नीलामी, फिल्मों की सीडी-डीवीडी, डिजिटल कैमरे से लिए फोटोग्राफ, इंटरनेट सर्वेक्षण, इंटरनेट आधारित चर्चा के मंच, दोस्त बनाने वाली वेबसाइटें और सॉफ्टवेयर तक न्यू मीडिया का हिस्सा हैं.इस माध्यम की मौलिकता भी लाज़वाब है. यह एक अर्थ में व्यक्तिगत पत्रकारिता का नया रूप भी है. कोई भी सूचना उसके सही रूप में और तेजी सेसबके सामने आती है. इन वेबसाइटों ने पत्रकारिता को भी जैसे नई दिशा देदी है.
इनका प्रयोग करने वाला हर सदस्य पत्रकार बन गया है. मानो हर एक नेअपना एक अलग चैनल, अपनी एक अलग शैली बना ली है और अपने ही अंदाज में अपनेही सरोकार और दिलचस्पी से वह सूचनाओं का आदान प्रदान करता है. कहाजा सकता है कि परम्परिक पत्रकारिता से हट कर नागरिक पत्रकारिता का एक सीधा रूप सामने आया है.ये जरुर है कि हर इंसान की तरह, अभिव्यक्ति और उसको प्रदर्शित करने के तरीके भी अलग अलग होते हैं. इस सब में हमें ध्यान रखना होगा कि वेब पत्रकारिता निजी तौर पर किसी को आहत करने वाली नहीं होनी चाहिए. इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता कि अन्य माध्यमों की तरह इस माध्यम में भी कमियाँ हैं.
आज के युग में रफ़्तार का भी बहुत महत्व है, और वेब पत्रिकाएँ उस पैमाने पर खरी उतरती हैं. वो पाठकों तक हर जानकारी उस जगह और उस समय उपलब्ध कराती हैं जिस जगह और जिस समयवे चाहते हैं. वेब पत्रकारिता मानवीय सोच को भी एक क्लिक तक ही सीमित कर देने की भी क्षमता रखती हैं. पर याद रखना होगा कि इस क्षमता को सही अर्थ में समाजोपयोगी बनाने की जरूरत है.