जनसंपर्क अफसर मीणा पर FIR, गैर जमानती को जमानती धाराएं कर बचाया पुलिस ने
मीणा के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गयी है। राजधानी के वरिष्ठ वकील रियाजुद्दीन के अनुसार धारा 354, स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करने पर लगाया जाती है। ये गैर जमानती धारा है और इसमें प्रावधान है कि एक साल की जेल को पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। पीड़िता ने अपनी लिखित शिकायत में और बाद में एएसपी दिलीप सिंह तोमर के सामने बयान में सैक्सुअल हरासमेंट के आरोप भी लगाये थे।
सीनियर एडवोकेट रियाजुद्दीन का कहना है कि पुलिस को सैक्सुअल हरासमेंट की शिकायत पर 354 ए की धारा लगानी चाहिए थी। धारा 354 ए गैरजमानती है और इस धारा में सजा का ज्यादा प्रावधान है। पुलिस ने धारा 354 ए के जगह धारा 354 लगाकर मीणा को अनड्यू बेनीफिट ऑफ डाउट का फायदा दिया है। ऐटवोकेट रियाजुद्दीन का मानना है कि महिला होने के नाते कानूनन ये फायदा शिकायतकर्ता को मिलना चाहिए था। पीड़ित महिला ने ये भी आरोप लगाया था कि मीणा ने उसकी लज्जा भंग करने के आशय से कमरे को बंद किया था। एडवोकेट रियाजुद्दीन ने इंडिया वन समाचार को बताया कि किसी महिला को चार दीवारी में कैद करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। पुलिस को मीणा के ऊपर आईपीसी की धारा 342 के तहत भी मुकदमा दर्ज करना चाहिए था।
ऐसा न करके पुलिस ने मीणा के खिलाफ गंभीर अपराध की गंभीरता खत्म करने का प्रयास किया है। विदित हो कि जनसंपर्क विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आरएस मीणा के खिलाफ भोपाल की एक एनजीओ संचालक महिला ने आरोप लगाया था कि मीणा ने उसके एनजीओ को सात प्रोजेक्ट दिलवाने के नाम पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाने के लिए 70 हजार रूपये हड़प लिये थे। बाद में प्रोजेक्ट ग्रांट के चेक देने के बहाने मीणा महिला को साक्षी ढाबे नीलबढ़ रोड के पास एक शासकीय कार्यालय में ले गया था। वहां मीणा ने महिला के साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी।
शिकायत की कापी
Present by - toc news
भोपाल। राजधानी की एक एनजीओ संचालिका के साथ बलात्कार के प्रयास के आरोपी मप्र जनसंपर्क विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आरएस मीणा के खिलाफ महिला थाने, भोपाल ने भारी जन आक्रोश के चलते एफआईआर दर्ज कर ली है। पहले जांच के नाम पर पुलिस आरएस मीणा को बचाती रही। मगर पब्लिक आउटक्राई और मीडिया के भारी दबाव के चलते पुलिस को मजबूरन मीणा के खिलाफ एफआई आर दर्ज करनी पड़ी है। महिला थाने से इंडिया वन समाचार को मिली जानकारी के अनुसार मीणा के खिलाफ ठोस सबूत होने के बावजूद भी गैर जमानती धाराओं की जगह पुलिस ने जमानती धाराएं लगाकर मीणा के अपराधों की गंभीरता खत्म कर उसे बचाने का प्रयास किया है।मीणा के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज की गयी है। राजधानी के वरिष्ठ वकील रियाजुद्दीन के अनुसार धारा 354, स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग करने पर लगाया जाती है। ये गैर जमानती धारा है और इसमें प्रावधान है कि एक साल की जेल को पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है। पीड़िता ने अपनी लिखित शिकायत में और बाद में एएसपी दिलीप सिंह तोमर के सामने बयान में सैक्सुअल हरासमेंट के आरोप भी लगाये थे।
सीनियर एडवोकेट रियाजुद्दीन का कहना है कि पुलिस को सैक्सुअल हरासमेंट की शिकायत पर 354 ए की धारा लगानी चाहिए थी। धारा 354 ए गैरजमानती है और इस धारा में सजा का ज्यादा प्रावधान है। पुलिस ने धारा 354 ए के जगह धारा 354 लगाकर मीणा को अनड्यू बेनीफिट ऑफ डाउट का फायदा दिया है। ऐटवोकेट रियाजुद्दीन का मानना है कि महिला होने के नाते कानूनन ये फायदा शिकायतकर्ता को मिलना चाहिए था। पीड़ित महिला ने ये भी आरोप लगाया था कि मीणा ने उसकी लज्जा भंग करने के आशय से कमरे को बंद किया था। एडवोकेट रियाजुद्दीन ने इंडिया वन समाचार को बताया कि किसी महिला को चार दीवारी में कैद करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। पुलिस को मीणा के ऊपर आईपीसी की धारा 342 के तहत भी मुकदमा दर्ज करना चाहिए था।
ऐसा न करके पुलिस ने मीणा के खिलाफ गंभीर अपराध की गंभीरता खत्म करने का प्रयास किया है। विदित हो कि जनसंपर्क विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आरएस मीणा के खिलाफ भोपाल की एक एनजीओ संचालक महिला ने आरोप लगाया था कि मीणा ने उसके एनजीओ को सात प्रोजेक्ट दिलवाने के नाम पर प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाने के लिए 70 हजार रूपये हड़प लिये थे। बाद में प्रोजेक्ट ग्रांट के चेक देने के बहाने मीणा महिला को साक्षी ढाबे नीलबढ़ रोड के पास एक शासकीय कार्यालय में ले गया था। वहां मीणा ने महिला के साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी।
शिकायत की कापी