भोपाल @ toc news
अवधेश पुरोहित । राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान के नाम पर हर घर में शौचालय बनाने का जो अभियान चल रहा है उसकी भी अन्य सरकारी योजनाओं की तरह यह स्थिति है कि इसमें भी आंकड़ेबाजी का खेल जारी है, राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान की बनी एक वेबसाइट पर फोटो डालकर भले ही गुजरात से आगे बढऩे का दावा किया जा रहा हो लेकिन स्थिति यह है कि इस मामले में प्रदेश सरकार अन्य राज्यों की तुलना में पांचवें स्थान पर है, इस मामले में पश्चिम बंगाल पहले नम्बर पर तो कर्नाटक दूसरे नम्बर पर वहीं राजस्थान तीसरे तो उत्तरप्रदेश चौथे तो मध्यप्रदेश पांचवें स्थान पर है,
इस योजना के तहत राज्य में १५ जिले ऐसे हैं जहां लक्ष्य अभी काफी पीछे है इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला सीहोर के अलावा भोपाल, विदिशा जो कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संसदीय क्षेत्र है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के संगठन के मुखिया नंदकुमार सिंह चौहान का गृह जिला खंडवा के साथ-साथ देवास भी शामिल है जिस राज्य में भाजपा सत्ता और संगठन के मुखिया के जिलों में स्वच्छता अभियान के अंतर्गत बनाये जा रहे.
शौचालयों के मामले में यह स्थिति हो तो इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी योजनाओं के क्या हाल होंगे, राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक जहां मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में ५३८६ शौचालय निर्धारित शौचालय के लक्ष्य से कम हैं, तो वहीं संगठन के मुखिया नंदकुमार सिंह चौहान के जिले में ११५३४ शौचालय लक्ष्य से कम बने हैं। स्वच्छता अभियान के अंतर्गत जो लक्ष्य इस प्रदेश के जिलों को दिया गया उसमें सबसे ज्यादा दुर्गति तो अलीराजपुर की है, जहां ७३७७३ शौचालय लक्ष्य के अनुसार नहीं बन पाए।
जिलों में शौचालय बनाने के नाम पर दिये गये लक्ष्य में यदि किसी जिले की स्थिति अच्छी है तो वह है राजगढ़ जहां लक्ष्य से १५६ शौचालय अभी बनना शेष है, उसके बाद दूसरा नम्बर आता है रतलाम का जहां अभी ६२६ शौचालय बनना बाकी हैं जिलों में शौचालय बनाने की स्थिति में राज्य में स्वच्छता अभियान के द्वारा दिये गये लक्ष्य के अनुसार शौचालय नहीं बनाये जाने के मामले में नम्बर एक पर सर्वाधिक लक्ष्य से पिछड़े जिले की श्रेणी में शिवपुरी का नम्बर है जहां १२०३४८ शौचालय बनना शेष हैं। रीवा में भी २५६६१ तो वहीं झाबुआ में २४०७३, छतरपुर में ४३३५, भोपाल में ४९६३, विदिशा में ३५१८, बड़वानी में ३०६३, नरसिंहपुर में २१६७, देवास में २०३६, बैतूल में १६८१३ लक्ष्य के अनुसार शौचालय का निर्माण नहीं हो सका। स्वच्छता अभियान के मामले में बनाये जा रहे शौचालय के संबंध में नियंत्रण महालेखापरीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में इन हालात पर प्रतिकूल टिप्पणी कर रहे हैं।
इसमें कहा गया है कि योजना शुरू होने के बाद वर्ष २०११-१२ और २०१३-१४ में खुले में शौच से मुक्त बनने के लिए तय लक्ष्य वर्ष २०२२ तक निर्मल भारत बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप ही था। कैग ने पाया कि ७६.१५ पंचायतों का लक्ष्य था लेकिन मात्र एक हजार पंचायतेंं यानि १३ प्रतिशत में ही यह हो पाया, मार्च २०१४ तक २३००००६ पंचायतों में से महज चार प्रतिशत पंचायतों में ही खुले में शौच बंद होने की स्थिति बन गई। कैग ने जांच में पाया कि पंचायत का ग्रामीण विकास विभाग ने मर्यादा अभियान में ठेकेदारों के जरिए काम कराया, जबकि इसकी अनुमति नहीं थी। नमूना जांच में शामिल २३१ पंचायतों में से २२१ में पाया गया कि व्यक्तिगत शौचालय पंचायत के जरिए बनवाए गए जबकि योजना ने हितग्राहियों को खुद सामग्री खरीदकर पसंद के मुताबिक शौचालय बनवाने थे।
अवधेश पुरोहित । राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान के नाम पर हर घर में शौचालय बनाने का जो अभियान चल रहा है उसकी भी अन्य सरकारी योजनाओं की तरह यह स्थिति है कि इसमें भी आंकड़ेबाजी का खेल जारी है, राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान की बनी एक वेबसाइट पर फोटो डालकर भले ही गुजरात से आगे बढऩे का दावा किया जा रहा हो लेकिन स्थिति यह है कि इस मामले में प्रदेश सरकार अन्य राज्यों की तुलना में पांचवें स्थान पर है, इस मामले में पश्चिम बंगाल पहले नम्बर पर तो कर्नाटक दूसरे नम्बर पर वहीं राजस्थान तीसरे तो उत्तरप्रदेश चौथे तो मध्यप्रदेश पांचवें स्थान पर है,
इस योजना के तहत राज्य में १५ जिले ऐसे हैं जहां लक्ष्य अभी काफी पीछे है इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला सीहोर के अलावा भोपाल, विदिशा जो कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का संसदीय क्षेत्र है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी के संगठन के मुखिया नंदकुमार सिंह चौहान का गृह जिला खंडवा के साथ-साथ देवास भी शामिल है जिस राज्य में भाजपा सत्ता और संगठन के मुखिया के जिलों में स्वच्छता अभियान के अंतर्गत बनाये जा रहे.
शौचालयों के मामले में यह स्थिति हो तो इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी योजनाओं के क्या हाल होंगे, राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक जहां मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में ५३८६ शौचालय निर्धारित शौचालय के लक्ष्य से कम हैं, तो वहीं संगठन के मुखिया नंदकुमार सिंह चौहान के जिले में ११५३४ शौचालय लक्ष्य से कम बने हैं। स्वच्छता अभियान के अंतर्गत जो लक्ष्य इस प्रदेश के जिलों को दिया गया उसमें सबसे ज्यादा दुर्गति तो अलीराजपुर की है, जहां ७३७७३ शौचालय लक्ष्य के अनुसार नहीं बन पाए।
जिलों में शौचालय बनाने के नाम पर दिये गये लक्ष्य में यदि किसी जिले की स्थिति अच्छी है तो वह है राजगढ़ जहां लक्ष्य से १५६ शौचालय अभी बनना शेष है, उसके बाद दूसरा नम्बर आता है रतलाम का जहां अभी ६२६ शौचालय बनना बाकी हैं जिलों में शौचालय बनाने की स्थिति में राज्य में स्वच्छता अभियान के द्वारा दिये गये लक्ष्य के अनुसार शौचालय नहीं बनाये जाने के मामले में नम्बर एक पर सर्वाधिक लक्ष्य से पिछड़े जिले की श्रेणी में शिवपुरी का नम्बर है जहां १२०३४८ शौचालय बनना शेष हैं। रीवा में भी २५६६१ तो वहीं झाबुआ में २४०७३, छतरपुर में ४३३५, भोपाल में ४९६३, विदिशा में ३५१८, बड़वानी में ३०६३, नरसिंहपुर में २१६७, देवास में २०३६, बैतूल में १६८१३ लक्ष्य के अनुसार शौचालय का निर्माण नहीं हो सका। स्वच्छता अभियान के मामले में बनाये जा रहे शौचालय के संबंध में नियंत्रण महालेखापरीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में इन हालात पर प्रतिकूल टिप्पणी कर रहे हैं।
इसमें कहा गया है कि योजना शुरू होने के बाद वर्ष २०११-१२ और २०१३-१४ में खुले में शौच से मुक्त बनने के लिए तय लक्ष्य वर्ष २०२२ तक निर्मल भारत बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप ही था। कैग ने पाया कि ७६.१५ पंचायतों का लक्ष्य था लेकिन मात्र एक हजार पंचायतेंं यानि १३ प्रतिशत में ही यह हो पाया, मार्च २०१४ तक २३००००६ पंचायतों में से महज चार प्रतिशत पंचायतों में ही खुले में शौच बंद होने की स्थिति बन गई। कैग ने जांच में पाया कि पंचायत का ग्रामीण विकास विभाग ने मर्यादा अभियान में ठेकेदारों के जरिए काम कराया, जबकि इसकी अनुमति नहीं थी। नमूना जांच में शामिल २३१ पंचायतों में से २२१ में पाया गया कि व्यक्तिगत शौचालय पंचायत के जरिए बनवाए गए जबकि योजना ने हितग्राहियों को खुद सामग्री खरीदकर पसंद के मुताबिक शौचालय बनवाने थे।