अधिवेशन में गूंजी पत्रकारों के हित की आवाज
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत विपक्ष में हंगामा
अखबार मालिकों को किया जाएगा मजबूर
Toc news
मुंबई. सालों से चल रहे मीडिया समूहों के पत्रकारों के अधिकार और उनके वेतन तथा भत्ते को लेकर आज महाराष्ट्र विधानसभा से जोर-शोर से आवाज बुलंद की गई। पत्रकारों को मजीठिया आयोग के तहत वेतन और भत्ते दिये जायें इसके लिए सभी दलों के नेताओं ने अपनी सहमति दर्ज कराई। करीब आधा घंटे चले विचार-विमर्श के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही एक बड़ी बैठक बुलाएंगे और उसमें पत्रकारों के हितों को लेकर उचित निर्णय लिया जाएगा। विदित हो कि विपक्ष नेता राधाकृष्ण पाटिल ने विस में पत्रकारों से संबंधित ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया, जिस पर विस्तार से चर्चा की गई। विदित हो कि सत्ता पक्ष के मंत्री प्रकाश मेहता ने बताया कि महाराष्ट्र शासन में ऐसा पहली बार हुआ है, जब पत्रकारों के हित और उन पर हो रहे शोषण का मुद्दा विधानसभा में उठाया गया।
इसके अलावा विधानसभा में भी यह भी माना गया कि बड़े मीडिया समूहों द्वारा पत्रकारों का मांसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। विस में सत्ता पक्ष समेत विपक्ष ने भी माना कि कोई भी मीडिया हाउस पत्रकारों को उचित वेतन नहीं दे रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री देवन्द्रफडनवीस ने कहा कि वे जल्द ही एक उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाएंगे, जिसमें मीडिया समूहों के मालिक और मंत्री व अधिकारीगण मौजूद रहेंगे और उस दौरान पत्रकारों से जुड़े वेतन आयोग पर निर्णय लिया जाएगा और अखबार मालिकों को पत्रकारों का अधिकार देने के लिए मजबूर किया जाएगा। साथ ही सरकार को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आज भी पत्रकारों को मजीठिया आयोग के तहत सेलरी वितरित नहीं की जा रही है। साथ ही इस मामले में श्रम विभाग भी गलत जानकारी उपलब्ध करा रहा है। पाटिल ने विस को बताया कि राज्य में करीब छोटे-बड़े 900 अखबार हैं, जिनमें से लगभग 44 समाचार पत्रों ने तो अपने यहां वेतन बोर्ड लागू किया, लेकिन पूरी तरह से लागू कर पाने में सक्षम नहीं रहे। इसके अलावा अन्य अखबारों ने तो मजीठिया आयोग की सिफारिश लागू तक नहीं किया। प्रकाश मेहता ने बताया क़ि ये बैठक एक सप्ताह के अंदर होगी।
इसके अलावा मुंबई स्थित बांद्रा में आईएनएस को दिए गए प्लॉट को लेकर बहस की गई तो पता चला कि उसकी ओसी रोक ली जाए। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने मान लिया है कि वे लोग पत्रकारों के साथ अन्याय करते हैं, इसलिए आईएनएस को एलॉट किए गए प्लॉट पर एक्शन लिया जाए।
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत विपक्ष में हंगामा
अखबार मालिकों को किया जाएगा मजबूर
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मुंबई. सालों से चल रहे मीडिया समूहों के पत्रकारों के अधिकार और उनके वेतन तथा भत्ते को लेकर आज महाराष्ट्र विधानसभा से जोर-शोर से आवाज बुलंद की गई। पत्रकारों को मजीठिया आयोग के तहत वेतन और भत्ते दिये जायें इसके लिए सभी दलों के नेताओं ने अपनी सहमति दर्ज कराई। करीब आधा घंटे चले विचार-विमर्श के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही एक बड़ी बैठक बुलाएंगे और उसमें पत्रकारों के हितों को लेकर उचित निर्णय लिया जाएगा। विदित हो कि विपक्ष नेता राधाकृष्ण पाटिल ने विस में पत्रकारों से संबंधित ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया, जिस पर विस्तार से चर्चा की गई। विदित हो कि सत्ता पक्ष के मंत्री प्रकाश मेहता ने बताया कि महाराष्ट्र शासन में ऐसा पहली बार हुआ है, जब पत्रकारों के हित और उन पर हो रहे शोषण का मुद्दा विधानसभा में उठाया गया।
इसके अलावा विधानसभा में भी यह भी माना गया कि बड़े मीडिया समूहों द्वारा पत्रकारों का मांसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। विस में सत्ता पक्ष समेत विपक्ष ने भी माना कि कोई भी मीडिया हाउस पत्रकारों को उचित वेतन नहीं दे रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री देवन्द्रफडनवीस ने कहा कि वे जल्द ही एक उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाएंगे, जिसमें मीडिया समूहों के मालिक और मंत्री व अधिकारीगण मौजूद रहेंगे और उस दौरान पत्रकारों से जुड़े वेतन आयोग पर निर्णय लिया जाएगा और अखबार मालिकों को पत्रकारों का अधिकार देने के लिए मजबूर किया जाएगा। साथ ही सरकार को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आज भी पत्रकारों को मजीठिया आयोग के तहत सेलरी वितरित नहीं की जा रही है। साथ ही इस मामले में श्रम विभाग भी गलत जानकारी उपलब्ध करा रहा है। पाटिल ने विस को बताया कि राज्य में करीब छोटे-बड़े 900 अखबार हैं, जिनमें से लगभग 44 समाचार पत्रों ने तो अपने यहां वेतन बोर्ड लागू किया, लेकिन पूरी तरह से लागू कर पाने में सक्षम नहीं रहे। इसके अलावा अन्य अखबारों ने तो मजीठिया आयोग की सिफारिश लागू तक नहीं किया। प्रकाश मेहता ने बताया क़ि ये बैठक एक सप्ताह के अंदर होगी।
इसके अलावा मुंबई स्थित बांद्रा में आईएनएस को दिए गए प्लॉट को लेकर बहस की गई तो पता चला कि उसकी ओसी रोक ली जाए। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने मान लिया है कि वे लोग पत्रकारों के साथ अन्याय करते हैं, इसलिए आईएनएस को एलॉट किए गए प्लॉट पर एक्शन लिया जाए।