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भोपाल। केंद्र से प्रदेश को मिलने वाली अतिरिक्त सहायता इस साल भी नहीं मिलेगी। माना जा रहा है कि इस तरह की सहायता अब बंद करने की तैयारी कर ली गई है। इसकी वजह है वार्षिक योजना को लेकर दिल्ली में होने वाली योजना आयोग की बैठक का होना बंद हो जाना है। केंद्र द्वारा योजना आयोग की जगह नीति आयोग बना दिए जाने के बाद से प्रदेश से भेजी जाने वाली वार्षिक योजना भेजना भी बंद कर दिया गया है। इस वित्तीय वर्ष के लिए योजना पुस्तिका राज्य योजना आयोग ने तैयार नहीं कराई है। योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग बनने के बाद वार्षिक योजना पर केंद्र सरकार के अधिकारियों और सलाहकारों के साथ बैठक का सिलसिला बंद हो गया है पहले दिल्ली में दो दिन की बैठक होती थी पहले दिन मुख्य सचिव सहित प्रमुख विभागों के आला अधिकारियों की योजना आयोग में बैठक होती थी एक-एक योजना के वित्तीय और भौतिक लक्ष्य के पहलुओं पर विचार होता था इस प्लेटफार्म पर राज्य सरकार केंद्रीय योजनाओं में आने वाली दिक्कतों को भी उठाती थी इसका समाधान आयोग के उपाध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री की बैठक में होता था राज्य सरकार की मांग और प्रदर्शन के आधार पर आयोग अतिरिक्त केंद्रीय सहायता स्वीकृत करते थे इसमें 70 से 80 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार का होता था राज्य को पिछले सालों में डेढ़ हजार से लेकर तीन हजार करोड़ रुपए तक अतिरिक्त केंद्रीय सहायता मिली पिछले साल से ये राशि मिलना बंद हो गई इस साल भी कोई उम्मीद नहीं है केंद्रीय आयोग से वार्षिक योजना को लेकर कोई पूछताछ न होने पर प्रदेश ने इस बार योजना पुस्तिका ही नहीं छपवाई आयोग के सदस्य सचिव दीपक खांडेकर का कहना है कि नीति आयोग बनने के बाद से उसका उद्देश्य बदल गया है, इसलिए वार्षिक योजना भेजने का मतलब ही नहीं रह गया।
भोपाल। केंद्र से प्रदेश को मिलने वाली अतिरिक्त सहायता इस साल भी नहीं मिलेगी। माना जा रहा है कि इस तरह की सहायता अब बंद करने की तैयारी कर ली गई है। इसकी वजह है वार्षिक योजना को लेकर दिल्ली में होने वाली योजना आयोग की बैठक का होना बंद हो जाना है। केंद्र द्वारा योजना आयोग की जगह नीति आयोग बना दिए जाने के बाद से प्रदेश से भेजी जाने वाली वार्षिक योजना भेजना भी बंद कर दिया गया है। इस वित्तीय वर्ष के लिए योजना पुस्तिका राज्य योजना आयोग ने तैयार नहीं कराई है। योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग बनने के बाद वार्षिक योजना पर केंद्र सरकार के अधिकारियों और सलाहकारों के साथ बैठक का सिलसिला बंद हो गया है पहले दिल्ली में दो दिन की बैठक होती थी पहले दिन मुख्य सचिव सहित प्रमुख विभागों के आला अधिकारियों की योजना आयोग में बैठक होती थी एक-एक योजना के वित्तीय और भौतिक लक्ष्य के पहलुओं पर विचार होता था इस प्लेटफार्म पर राज्य सरकार केंद्रीय योजनाओं में आने वाली दिक्कतों को भी उठाती थी इसका समाधान आयोग के उपाध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री की बैठक में होता था राज्य सरकार की मांग और प्रदर्शन के आधार पर आयोग अतिरिक्त केंद्रीय सहायता स्वीकृत करते थे इसमें 70 से 80 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार का होता था राज्य को पिछले सालों में डेढ़ हजार से लेकर तीन हजार करोड़ रुपए तक अतिरिक्त केंद्रीय सहायता मिली पिछले साल से ये राशि मिलना बंद हो गई इस साल भी कोई उम्मीद नहीं है केंद्रीय आयोग से वार्षिक योजना को लेकर कोई पूछताछ न होने पर प्रदेश ने इस बार योजना पुस्तिका ही नहीं छपवाई आयोग के सदस्य सचिव दीपक खांडेकर का कहना है कि नीति आयोग बनने के बाद से उसका उद्देश्य बदल गया है, इसलिए वार्षिक योजना भेजने का मतलब ही नहीं रह गया।