गैर जिम्मेदार अधिकारियों से हो शासकीय राशी के अपव्यय की वसूली
Present by - toc news
भोपाल। जब यह पता था कि मध्यप्रदेश सरकार ने चुनाव आयोग से मात्र दस दिन का समय मांगा था तब जिला प्रशासन ने भीमपुर में अंत्योदय मेले के आयोजन को कैसे मंजूरी दी और मुख्यमंत्री कार्यालय ने उसे अपनी स्वीकृति प्रदान की! राज्य निर्वाचन आयोग एवं भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष बैतूल जिले के एक नामचीन एक्वीविस्ट ने चुनाव आचार संहिता के पूर्व शासकीय राशी का बड़े पैमाने पर अपव्यय के मामले जिला प्रशासन से उक्त राशी की भरपाई करने का निवेदन किया है।
आरटीआई कार्यकत्र्ता ने जिला प्रशासन से बकायदा कार्यक्रम में खर्च की गई राशी का पूरा हिसाब - किताब मांगा है। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर कहा जा रहा है कि खाया पीया कुछ नहीं और ग्लास तोड़ा बारह आने। 30 अप्रेल दिन शनिवार को मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में सीएम का दौरा होना था। जिसको लेकर प्रशासन ने पूरी तैयारियां भी कर ली थी,लेकिन उपचुनाव की घोषणा के बाद सीएम का दौरा निरस्त हो गया। जिसके बाद जिला प्रशासन होने के बाद प्रशासन तैयारियों में हुए खर्च को मैनेज करने में परेशान है। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल को सीएम शिवराज जिले के भीमपुर में शबरी माता महोत्सव अंतर्गत आयोजित वनाधिकार सम्मेलन एवं अंत्योदय मेला में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने वाले थे।
जिसको लेकर प्रशासन ने सारी तैयारियां भी कर ली थी। जिसमें दस जनपदो से लोगों को जमा करने के लिए प्रशासन को तीस लाख रुपये भी दिए गए थे। इसके साथ ग्राणीणों को लाने के लिए 200 वाहन भी अधिग्रहित किए गए थे। जानकारी के अनुसार कार्यक्रम को लेकर प्रशासन ने भीमपुर में भारी तैयारिया कर रखी थी। लोगों को लाने ले जाने के लिए 54 पंचायतो में 50 से ज्यादा बसें भेजी गयी थी, जिसमें 40 स्कूल बसें थी। वहीं 20 हजार पूड़ी के पैकेट तैयार करवाने इंदौर की एक फर्म को ठेका दे दिया गया था। 30 हजार पानी पाउच का ऑर्डर हो गया था। इसके साथ ही 7 टैंकर पानी भी तैयार था। टेंट तैयार हो रहा था, जिसका ठेका दस लाख रुपये में हुआ था।
लेकिन कांग्रेस ने चुनाव आयोग के समक्ष मध्यप्रदेश सरकार के आवेदन को ही आधार बना कर आयोग के सामने एक ऐसा सवाल रख दिया कि चुनाव आयोग को विवश होकर 29 अप्रेल को ही उपचुनाव की घोषणा करनी पड़ी। सबसे चौकान्ने वाली बात तो यह थी कि डीजल एवं पेट्रोल वाहनो में डलने वाला अधिकांश ईधन जिले के टापर अधिकारियों ने अपने नीजी वाहनो में डलवा लिया और जिन वाहनो में डीजल डाला जा चुका था उनके वाहन मालिको से उक्त डीजल का सीधे नगद भुगतान तक प्राप्त कर लिया। इस काम में बकायदा पटवारी, आरआई और कोटवार तथा पंचायत सचिवो को लगाया गया था। पानी के पाऊच बैतूल पहुंचने के बाद वापस चले गए और पूडिय़ा लोगो में बंटने के बजाय जानवरो के मुंह का निवाला बनी। सरकारी राशी का ऐसा अपव्यय पहले कभी देखने को नहीं मिला था।
मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग एवं भारत निर्वाचन आयोग ने घोड़ाडोंगरी उप चुनाव स्थगित नहीं किया था बल्कि उसे 10 दिनो का मात्र एक्सटेंशन दिया था। 10 दिनो बाद चुनाव आयोग को हरहाल में उक्त घोड़ाडोंगरी उप चुनाव के कार्यक्रम को पुन: घोषित करना था। ऐसी स्थिति में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा लगभग तय थी उसके बाद भी बिना भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्य निर्वाचन आयोग की अनुमति के जिला प्रशासन द्वारा मुख्यमंत्री का कार्यक्रम बनाया गया जिसमें सीएम हाऊस पूरी तरह से जिला प्रशासन को सहयोग प्रदान कर रहा था। अब मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में अपव्यय की गई भारी भरकम राशी के खर्चों को मैनेज करने में जिला प्रशासन लगा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि 30 अप्रेल को मुख्यमंत्री के भीमपुर में आयोजित अंत्योदय मेला कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग के समक्ष पहुंची लम्बी - चौड़ी शिकायतो के साथ लेकिन चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए एक दिन पूर्व ही चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया जिससे भाजपा और सरकार की उम्मीदो पर पानी फिर गया। अब नए कार्यक्रम के अनुसार 30 मई को मतदान तथा 2 जून को परिणाम सामने आ जाएगें। घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में जिले की शाहपुर, घोड़ाडोंगरी, बैतूल एवं चिचोली तहसीलों के मतदान केन्द्र शामिल हैं। 11 जनवरी 2016 को प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार विधानसभा क्षेत्र में एक लाख 11 हजार 637 पुरूष तथा एक लाख 6 हजार 408 महिला मतदाता एवं 8 तृतीय लिंग मतदाता हैं। इस प्रकार इस क्षेत्रांतर्गत कुल दो लाख 18 हजार 53 मतदाता हैं। बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट पर पिछलेे तीन चुनावो में भाजपा की जीत हुई है।
स्वर्गीस सज्जनसिंह उइके दो बार तथा श्रीमति गीता रामजीलाल उइके एक बार विधायक रह चुकी है। कांग्रेस से प्रतापसिंह उइके भी दो बार चुनाव लड़ चुके है तथा वे दिग्यविजय सिंह की कांग्रेस सरकार में केबिनेट मंत्री भी रह चुके है। इस बार कांग्रेस से उनकी दावेदारी लगभग पक्की मानी जा रही है वही दुसरी ओर भाजपा से श्रीमति गंगा सज्जन सिंह उइके को पार्टी अपना उम्मीदवार बना सकती है। यहां से बसपा एवं सपा तथा आप भी चुनावी मैदान में अपने - अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री के भीमपुर कार्यक्रम के निरस्त हो जाने के बाद जिला प्रशासन की पूरी तैयारी धरी की धरी रह गई। भाजपा इस कार्यक्रम में सालीवाड़ा में आयोजित अंत्योदय मेले में चुके आदिवासी समाज के घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के दस हजार से अधिक आदिवासी परिवारो को भूस्वामी के पटट्े देना चाहती थी। जहां एक ओर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के निरस्त हो जाने के बाद अब कांग्रेस उन आदिवासियों परिवारो की सहानुभूति बटोरने का काम करेगी। वही दुसरी ओर भाजपा कांग्रेस के द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष की गई शिकायत को आधार बना कर सहानुभूति पाने का प्रयास करेगी।
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भोपाल। जब यह पता था कि मध्यप्रदेश सरकार ने चुनाव आयोग से मात्र दस दिन का समय मांगा था तब जिला प्रशासन ने भीमपुर में अंत्योदय मेले के आयोजन को कैसे मंजूरी दी और मुख्यमंत्री कार्यालय ने उसे अपनी स्वीकृति प्रदान की! राज्य निर्वाचन आयोग एवं भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष बैतूल जिले के एक नामचीन एक्वीविस्ट ने चुनाव आचार संहिता के पूर्व शासकीय राशी का बड़े पैमाने पर अपव्यय के मामले जिला प्रशासन से उक्त राशी की भरपाई करने का निवेदन किया है।
आरटीआई कार्यकत्र्ता ने जिला प्रशासन से बकायदा कार्यक्रम में खर्च की गई राशी का पूरा हिसाब - किताब मांगा है। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर कहा जा रहा है कि खाया पीया कुछ नहीं और ग्लास तोड़ा बारह आने। 30 अप्रेल दिन शनिवार को मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में सीएम का दौरा होना था। जिसको लेकर प्रशासन ने पूरी तैयारियां भी कर ली थी,लेकिन उपचुनाव की घोषणा के बाद सीएम का दौरा निरस्त हो गया। जिसके बाद जिला प्रशासन होने के बाद प्रशासन तैयारियों में हुए खर्च को मैनेज करने में परेशान है। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल को सीएम शिवराज जिले के भीमपुर में शबरी माता महोत्सव अंतर्गत आयोजित वनाधिकार सम्मेलन एवं अंत्योदय मेला में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने वाले थे।
जिसको लेकर प्रशासन ने सारी तैयारियां भी कर ली थी। जिसमें दस जनपदो से लोगों को जमा करने के लिए प्रशासन को तीस लाख रुपये भी दिए गए थे। इसके साथ ग्राणीणों को लाने के लिए 200 वाहन भी अधिग्रहित किए गए थे। जानकारी के अनुसार कार्यक्रम को लेकर प्रशासन ने भीमपुर में भारी तैयारिया कर रखी थी। लोगों को लाने ले जाने के लिए 54 पंचायतो में 50 से ज्यादा बसें भेजी गयी थी, जिसमें 40 स्कूल बसें थी। वहीं 20 हजार पूड़ी के पैकेट तैयार करवाने इंदौर की एक फर्म को ठेका दे दिया गया था। 30 हजार पानी पाउच का ऑर्डर हो गया था। इसके साथ ही 7 टैंकर पानी भी तैयार था। टेंट तैयार हो रहा था, जिसका ठेका दस लाख रुपये में हुआ था।
लेकिन कांग्रेस ने चुनाव आयोग के समक्ष मध्यप्रदेश सरकार के आवेदन को ही आधार बना कर आयोग के सामने एक ऐसा सवाल रख दिया कि चुनाव आयोग को विवश होकर 29 अप्रेल को ही उपचुनाव की घोषणा करनी पड़ी। सबसे चौकान्ने वाली बात तो यह थी कि डीजल एवं पेट्रोल वाहनो में डलने वाला अधिकांश ईधन जिले के टापर अधिकारियों ने अपने नीजी वाहनो में डलवा लिया और जिन वाहनो में डीजल डाला जा चुका था उनके वाहन मालिको से उक्त डीजल का सीधे नगद भुगतान तक प्राप्त कर लिया। इस काम में बकायदा पटवारी, आरआई और कोटवार तथा पंचायत सचिवो को लगाया गया था। पानी के पाऊच बैतूल पहुंचने के बाद वापस चले गए और पूडिय़ा लोगो में बंटने के बजाय जानवरो के मुंह का निवाला बनी। सरकारी राशी का ऐसा अपव्यय पहले कभी देखने को नहीं मिला था।
मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग एवं भारत निर्वाचन आयोग ने घोड़ाडोंगरी उप चुनाव स्थगित नहीं किया था बल्कि उसे 10 दिनो का मात्र एक्सटेंशन दिया था। 10 दिनो बाद चुनाव आयोग को हरहाल में उक्त घोड़ाडोंगरी उप चुनाव के कार्यक्रम को पुन: घोषित करना था। ऐसी स्थिति में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा लगभग तय थी उसके बाद भी बिना भारत निर्वाचन आयोग एवं राज्य निर्वाचन आयोग की अनुमति के जिला प्रशासन द्वारा मुख्यमंत्री का कार्यक्रम बनाया गया जिसमें सीएम हाऊस पूरी तरह से जिला प्रशासन को सहयोग प्रदान कर रहा था। अब मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में अपव्यय की गई भारी भरकम राशी के खर्चों को मैनेज करने में जिला प्रशासन लगा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि 30 अप्रेल को मुख्यमंत्री के भीमपुर में आयोजित अंत्योदय मेला कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग के समक्ष पहुंची लम्बी - चौड़ी शिकायतो के साथ लेकिन चुनाव आयोग ने कांग्रेस की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए एक दिन पूर्व ही चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया जिससे भाजपा और सरकार की उम्मीदो पर पानी फिर गया। अब नए कार्यक्रम के अनुसार 30 मई को मतदान तथा 2 जून को परिणाम सामने आ जाएगें। घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र में जिले की शाहपुर, घोड़ाडोंगरी, बैतूल एवं चिचोली तहसीलों के मतदान केन्द्र शामिल हैं। 11 जनवरी 2016 को प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार विधानसभा क्षेत्र में एक लाख 11 हजार 637 पुरूष तथा एक लाख 6 हजार 408 महिला मतदाता एवं 8 तृतीय लिंग मतदाता हैं। इस प्रकार इस क्षेत्रांतर्गत कुल दो लाख 18 हजार 53 मतदाता हैं। बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी विधानसभा सीट पर पिछलेे तीन चुनावो में भाजपा की जीत हुई है।
स्वर्गीस सज्जनसिंह उइके दो बार तथा श्रीमति गीता रामजीलाल उइके एक बार विधायक रह चुकी है। कांग्रेस से प्रतापसिंह उइके भी दो बार चुनाव लड़ चुके है तथा वे दिग्यविजय सिंह की कांग्रेस सरकार में केबिनेट मंत्री भी रह चुके है। इस बार कांग्रेस से उनकी दावेदारी लगभग पक्की मानी जा रही है वही दुसरी ओर भाजपा से श्रीमति गंगा सज्जन सिंह उइके को पार्टी अपना उम्मीदवार बना सकती है। यहां से बसपा एवं सपा तथा आप भी चुनावी मैदान में अपने - अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री के भीमपुर कार्यक्रम के निरस्त हो जाने के बाद जिला प्रशासन की पूरी तैयारी धरी की धरी रह गई। भाजपा इस कार्यक्रम में सालीवाड़ा में आयोजित अंत्योदय मेले में चुके आदिवासी समाज के घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के दस हजार से अधिक आदिवासी परिवारो को भूस्वामी के पटट्े देना चाहती थी। जहां एक ओर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के निरस्त हो जाने के बाद अब कांग्रेस उन आदिवासियों परिवारो की सहानुभूति बटोरने का काम करेगी। वही दुसरी ओर भाजपा कांग्रेस के द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष की गई शिकायत को आधार बना कर सहानुभूति पाने का प्रयास करेगी।