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भोपाल-> मध्यप्रदेश सरकार द्वारा यूं तो हर काम समय एक समयसीमा में होने के तमाम दावे किये जाते हैं मगर ऐसा आज तक कोई कहते नजर नहीं दिखाई दिया कि उसका चाहे गरीबी रेखा की सूची में नाम जोडऩे का मामला हो या फिर कृषकों को खेती किसानी से संबंधित खसरा खतौनी मिलने का दावा हो लेकिन जब बात कलेक्टर के साले की हो तो सारे नियम और कायदे एक साथ लागू हो जाते हैं और वह काम दिनों में नहीं बल्कि मिनटों में हो जाता है,
ऐसा ही एक मामला होशंगाबाद के कलेक्टर संकेत भोंडवे के साले का मामला हो तो फिर अधिकारी की क्या मजाल जो वह उनके काम में हीला हवाली करे और कलेक्टर के साले के काम को सम्पन्न कराने का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भांजी रितू चौहान जो कि होशंगाबाद में अनुविभागीय अधिकारी के पास हो तो फिर बात ही कुछ और है, हाल ही में इस तरह के तुरत फुरत में बने होशंगाबाद के नजदीकी रिश्तेदार (साले) जो कि महाराष्ट्र के मूल निवासी हैं और वर्तमान में अपने जीजा होशंगाबाद कलेक्टर होने के नाते मध्यप्रदेश के निवासी बन गये उनके द्वारा गरीबी रेखा में नाम जोड़े जाने का आवेदन मुख्यमंत्री की भांजी रितू चौहान जो कि अनुविभाीय अधिकारी हैं उनके समक्ष सात फरवरी २०१५ को प्रस्तुत किया गया।
मजे की बात यह है कि सात फरवरी को कलेक्टर होशंगाबाद के साले के इस आवेदन पर अनुविभागीय अधिकारी सुश्री रितू चौहान द्वारा नौ फरवरी को उनका नाम जोड़े जाने की उन्हें सूचना दे दी और नगर पालिका होशंगाबाद में दिनंाक ११ फरवरी २०१५ को कलेक्टर होशंगााद के साले विक्रम विनायक कोवे का नाम दर्ज किये जाने के आदेश कर दिये, मध्यप्रदेश की इस भाजपा सरकार के इतिहास में शायद ही यह पहला अवसर होगा जब किसी गरीब व्यक्ति का नाम इतनी जल्दी से गरीबी रेखा की सूची में जोड़े जाने की प्रक्रिया सम्पन्न हुई हो।
फिर क्यों न हो जब वह गरीब होशंगाबाद के कलेक्टर का साला हो, मजे की बात यह है कि कलेक्टर द्वारा अपने साले को महाराष्ट्र से लाकर होशंगाबाद में बीपीएल धारक तो बना दिया गया तो वहीं इसी दौरान अपने साले को मप्र आदिवासी वित्त विकास निगम के माध्यम से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत वाहन क्रय किये जाने के संबंध में भी प्रकरण स्वीकृत कर वाहन भी उपलब्ध करवा दिया गया। यूं तो राज्य में इस तरह का खेल शासकीय अधिकारियों और भाजपा के नेताओं द्वारा अपनों को उपकृत कराने का दौर चल ही रहा है, अगर ऐसे में होशंगाबाद कलेक्टर ने अपने साले को मध्यप्रदेश शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पहुंचाने का कार्य किया तो लोग इसे गलत नहीं मान रहे हैं, हालांकि इस संबंध में कलेक्टर संकेत भोंडवे से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए उनके मोबाइल पर कई बार सम्पर्क किया गया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।
भोपाल-> मध्यप्रदेश सरकार द्वारा यूं तो हर काम समय एक समयसीमा में होने के तमाम दावे किये जाते हैं मगर ऐसा आज तक कोई कहते नजर नहीं दिखाई दिया कि उसका चाहे गरीबी रेखा की सूची में नाम जोडऩे का मामला हो या फिर कृषकों को खेती किसानी से संबंधित खसरा खतौनी मिलने का दावा हो लेकिन जब बात कलेक्टर के साले की हो तो सारे नियम और कायदे एक साथ लागू हो जाते हैं और वह काम दिनों में नहीं बल्कि मिनटों में हो जाता है,
ऐसा ही एक मामला होशंगाबाद के कलेक्टर संकेत भोंडवे के साले का मामला हो तो फिर अधिकारी की क्या मजाल जो वह उनके काम में हीला हवाली करे और कलेक्टर के साले के काम को सम्पन्न कराने का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भांजी रितू चौहान जो कि होशंगाबाद में अनुविभागीय अधिकारी के पास हो तो फिर बात ही कुछ और है, हाल ही में इस तरह के तुरत फुरत में बने होशंगाबाद के नजदीकी रिश्तेदार (साले) जो कि महाराष्ट्र के मूल निवासी हैं और वर्तमान में अपने जीजा होशंगाबाद कलेक्टर होने के नाते मध्यप्रदेश के निवासी बन गये उनके द्वारा गरीबी रेखा में नाम जोड़े जाने का आवेदन मुख्यमंत्री की भांजी रितू चौहान जो कि अनुविभाीय अधिकारी हैं उनके समक्ष सात फरवरी २०१५ को प्रस्तुत किया गया।
मजे की बात यह है कि सात फरवरी को कलेक्टर होशंगाबाद के साले के इस आवेदन पर अनुविभागीय अधिकारी सुश्री रितू चौहान द्वारा नौ फरवरी को उनका नाम जोड़े जाने की उन्हें सूचना दे दी और नगर पालिका होशंगाबाद में दिनंाक ११ फरवरी २०१५ को कलेक्टर होशंगााद के साले विक्रम विनायक कोवे का नाम दर्ज किये जाने के आदेश कर दिये, मध्यप्रदेश की इस भाजपा सरकार के इतिहास में शायद ही यह पहला अवसर होगा जब किसी गरीब व्यक्ति का नाम इतनी जल्दी से गरीबी रेखा की सूची में जोड़े जाने की प्रक्रिया सम्पन्न हुई हो।
फिर क्यों न हो जब वह गरीब होशंगाबाद के कलेक्टर का साला हो, मजे की बात यह है कि कलेक्टर द्वारा अपने साले को महाराष्ट्र से लाकर होशंगाबाद में बीपीएल धारक तो बना दिया गया तो वहीं इसी दौरान अपने साले को मप्र आदिवासी वित्त विकास निगम के माध्यम से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत वाहन क्रय किये जाने के संबंध में भी प्रकरण स्वीकृत कर वाहन भी उपलब्ध करवा दिया गया। यूं तो राज्य में इस तरह का खेल शासकीय अधिकारियों और भाजपा के नेताओं द्वारा अपनों को उपकृत कराने का दौर चल ही रहा है, अगर ऐसे में होशंगाबाद कलेक्टर ने अपने साले को मध्यप्रदेश शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पहुंचाने का कार्य किया तो लोग इसे गलत नहीं मान रहे हैं, हालांकि इस संबंध में कलेक्टर संकेत भोंडवे से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए उनके मोबाइल पर कई बार सम्पर्क किया गया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।