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भोपाल। नए पुलिस महानिदेशक के चयन को लेकर मप्र के पुलिस अधिकारी दो धडे मे बंट गए हैं। जिम्मेदारी मिलने के बाद कार्यकाल का लगभग 11 माह मिलने पर कुछ जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चहेते अफसरों में शामिल सरबजीत सिंह की वकालत कर रहे हैं। तो दूसरी ओर परंपरा व वरिष्ठता का हवाला देकर अफसर इस पद के लिए प्रमुख दावेदारों में शामिल पुलिस हाऊसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष ऋषि कुमार शुक्ला की पैरवी कर रहे है।
विभागीय सूत्रों की माने तो इसके मद्देनजर ही राज्य में डीजी स्तर के अधिकारी दिल्ली में पदस्थ अफसरों के माध्यम से लॉबिंग में जुटे हैं। इनका मानना है, कि पुलिस महानिदेशक जैसा महत्वपूर्ण पद अब तक कैडर के सबसे वरिष्ठ अफसर को ही मिलता आया है। यदि परंपरा को तोड़ते हुए वरिष्ठता की सूची में शामिल 10वें नंबर के अधिकारी को यह पद दिया गया, तो भविष्य में दूसरे काबिल व वरिष्ठ अफसरों के लिए रास्ते बंद हो जाएंगे। लिहाजा पुलिस मुख्यालय के अफसर पुलिस विभाग की खुफिया विंग के प्रमुख सरबजीत सिंह की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नजदीकियों को देखते हुए भी ऋषी कुमार शुक्ला को मप्र का नया डीजीपी बनाने रास्ते तलाशते नजर आ रहे हैं। 1983 बैच के अफसर श्री शुक्ला को गुप्तचर शाखा का विशेषज्ञ माना जाता है। वे अपनी अब तक की सेवा में केन्द्र में सीबीआई और सीआईएसएफ जैसी महत्तवपूर्ण संस्थाओं में भी काम कर चुके हैं। यह बात अलग है, कि सीएम हाऊस से सीधे मामला जुडऩे के बाद विरोधी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।
क्यों मचा घमासान
मौजूदा पुलिस महानिदेशक सुरेंद्र सिंह अगले माह 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वरिष्ठता क्रम में ऋषि कुमार शुक्ला पहले नंबर है। सेवानिवृत्ति के लिए भी इनके पास अगस्त 2020 तक का समय है। बावजूद इसके सरकार की मंशा पंसदीदा अफसरों में शामिल रहे सरबजीत सिंह को उपकृत करने की है। जबकि कार्यकाल का महज साल भर रहने यानी सेवानिवृत्ति के लिए 30 जून 2017 रहने के बाद भी वरिष्ठता सूची में उनका नाम काफी नीचे है। इसी तथ्य से अफसर लाम बंद हो गए हैं।
नहीं बने डीजीपी तो बनेंगे डीजी लोकायुक्त
अफसरों की लामबंदी को देखते हुए समझा जाता है, कि डीजीपी नहीं बनाए जाने की दशा में सरबजीत को डीजी लोकायुक्त बनाया जा सकता है। इसको लेकर प्रशासनिक स्तर पर विचार शुरू हो गया है। वहीं पद से हटने के बाद निर्वतमान डीजीपी सुरेंद्र सिंह का पुर्नवास करने संबंधी चर्चा है। फिलहाल यह तय नहीं हो पाया है, कि उन्हें किस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
भोपाल। नए पुलिस महानिदेशक के चयन को लेकर मप्र के पुलिस अधिकारी दो धडे मे बंट गए हैं। जिम्मेदारी मिलने के बाद कार्यकाल का लगभग 11 माह मिलने पर कुछ जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चहेते अफसरों में शामिल सरबजीत सिंह की वकालत कर रहे हैं। तो दूसरी ओर परंपरा व वरिष्ठता का हवाला देकर अफसर इस पद के लिए प्रमुख दावेदारों में शामिल पुलिस हाऊसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष ऋषि कुमार शुक्ला की पैरवी कर रहे है।
विभागीय सूत्रों की माने तो इसके मद्देनजर ही राज्य में डीजी स्तर के अधिकारी दिल्ली में पदस्थ अफसरों के माध्यम से लॉबिंग में जुटे हैं। इनका मानना है, कि पुलिस महानिदेशक जैसा महत्वपूर्ण पद अब तक कैडर के सबसे वरिष्ठ अफसर को ही मिलता आया है। यदि परंपरा को तोड़ते हुए वरिष्ठता की सूची में शामिल 10वें नंबर के अधिकारी को यह पद दिया गया, तो भविष्य में दूसरे काबिल व वरिष्ठ अफसरों के लिए रास्ते बंद हो जाएंगे। लिहाजा पुलिस मुख्यालय के अफसर पुलिस विभाग की खुफिया विंग के प्रमुख सरबजीत सिंह की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नजदीकियों को देखते हुए भी ऋषी कुमार शुक्ला को मप्र का नया डीजीपी बनाने रास्ते तलाशते नजर आ रहे हैं। 1983 बैच के अफसर श्री शुक्ला को गुप्तचर शाखा का विशेषज्ञ माना जाता है। वे अपनी अब तक की सेवा में केन्द्र में सीबीआई और सीआईएसएफ जैसी महत्तवपूर्ण संस्थाओं में भी काम कर चुके हैं। यह बात अलग है, कि सीएम हाऊस से सीधे मामला जुडऩे के बाद विरोधी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।
क्यों मचा घमासान
मौजूदा पुलिस महानिदेशक सुरेंद्र सिंह अगले माह 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वरिष्ठता क्रम में ऋषि कुमार शुक्ला पहले नंबर है। सेवानिवृत्ति के लिए भी इनके पास अगस्त 2020 तक का समय है। बावजूद इसके सरकार की मंशा पंसदीदा अफसरों में शामिल रहे सरबजीत सिंह को उपकृत करने की है। जबकि कार्यकाल का महज साल भर रहने यानी सेवानिवृत्ति के लिए 30 जून 2017 रहने के बाद भी वरिष्ठता सूची में उनका नाम काफी नीचे है। इसी तथ्य से अफसर लाम बंद हो गए हैं।
नहीं बने डीजीपी तो बनेंगे डीजी लोकायुक्त
अफसरों की लामबंदी को देखते हुए समझा जाता है, कि डीजीपी नहीं बनाए जाने की दशा में सरबजीत को डीजी लोकायुक्त बनाया जा सकता है। इसको लेकर प्रशासनिक स्तर पर विचार शुरू हो गया है। वहीं पद से हटने के बाद निर्वतमान डीजीपी सुरेंद्र सिंह का पुर्नवास करने संबंधी चर्चा है। फिलहाल यह तय नहीं हो पाया है, कि उन्हें किस विभाग की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।