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मंडला- जिले के मोतिनाला गाँव के समीप ग्राम खलोडिं के बालिका छात्रावास की 12 छात्राएं सड़ा गला और इल्ली लगा चावल खाने से बीमार पड़ी हुई हैं।नागरिक आपूर्ति निगम के मिलरों द्वारा प्रदाय किया जाने वाला चावल ही लोगों को राशन में मिलता है साथ छात्रावास आश्रमों में भी यही चावल मिलता है।ताज्जुब की बात ये है कि किसान का एक एक दाना जांच करके खरीदा जाता है लेकिन जब मिलर उस धान की मिलिंग करते हैं तो वो चावल छात्रावासों में पहुचकर सड़ कैसे जाता है।धान जब सुपर क्वालिटी की होती है तो फिर चावल कैसे घटिया हो जाता है।यह जांच का बहुत बड़ा विषय है।
ग्राम खलोडिं में भी आज ऐसा ही कुछ हुआ जब ग्राम सचिव और ग्राम के लोग व स्कूल प्राचार्य बालिका छात्रावास के निरीक्षण में पहुचे तो वहां 12 छात्राएं बीमार मिली।वहीँ जब खाने की सामग्री देखि गई तो इल्ली लगा सड़ा हुआ चावल पाया गया।जिसका पंचनामा बनाया गया है।उक्त पंचनामे में माध्यमिक शाला और हाइस्कूल के विद्यार्थियों के स्वास्थ्य ख़राब होने का जिक्र है जिनकी संख्या 51 के लगभग बताई जा रही है।जिन्हें न तो अब तक उपचार मिला है और न ही उनकी कोई जांच हुई है।
गरीब परिवारों के जो बच्चे छात्रवासों में रहकर पढ़ते हैं क्या उनकी जिंदगी की कोई कीमत नहीं है।क्यों इस तरह की अव्यवस्थाएं हो रही हैं कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हैं।पंचनामे के अनुसार 12 छात्राएं छात्रावास की हैं वहीं माध्यमिक शाला व हाइस्कूल के 42 बालक व 9 बालिकाएं भी बीमार हैं।कुल मिलाकर 63 बच्चे बीमार हैं और हैरानी की बात ये है कि कोई उपचार करने वाला तक नहीं है। इस निरीक्षण में नायब तहसीलदार मवई राजस्व निरीक्षक और पटवारी भी गए थे।
मंडला- जिले के मोतिनाला गाँव के समीप ग्राम खलोडिं के बालिका छात्रावास की 12 छात्राएं सड़ा गला और इल्ली लगा चावल खाने से बीमार पड़ी हुई हैं।नागरिक आपूर्ति निगम के मिलरों द्वारा प्रदाय किया जाने वाला चावल ही लोगों को राशन में मिलता है साथ छात्रावास आश्रमों में भी यही चावल मिलता है।ताज्जुब की बात ये है कि किसान का एक एक दाना जांच करके खरीदा जाता है लेकिन जब मिलर उस धान की मिलिंग करते हैं तो वो चावल छात्रावासों में पहुचकर सड़ कैसे जाता है।धान जब सुपर क्वालिटी की होती है तो फिर चावल कैसे घटिया हो जाता है।यह जांच का बहुत बड़ा विषय है।
ग्राम खलोडिं में भी आज ऐसा ही कुछ हुआ जब ग्राम सचिव और ग्राम के लोग व स्कूल प्राचार्य बालिका छात्रावास के निरीक्षण में पहुचे तो वहां 12 छात्राएं बीमार मिली।वहीँ जब खाने की सामग्री देखि गई तो इल्ली लगा सड़ा हुआ चावल पाया गया।जिसका पंचनामा बनाया गया है।उक्त पंचनामे में माध्यमिक शाला और हाइस्कूल के विद्यार्थियों के स्वास्थ्य ख़राब होने का जिक्र है जिनकी संख्या 51 के लगभग बताई जा रही है।जिन्हें न तो अब तक उपचार मिला है और न ही उनकी कोई जांच हुई है।
गरीब परिवारों के जो बच्चे छात्रवासों में रहकर पढ़ते हैं क्या उनकी जिंदगी की कोई कीमत नहीं है।क्यों इस तरह की अव्यवस्थाएं हो रही हैं कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हैं।पंचनामे के अनुसार 12 छात्राएं छात्रावास की हैं वहीं माध्यमिक शाला व हाइस्कूल के 42 बालक व 9 बालिकाएं भी बीमार हैं।कुल मिलाकर 63 बच्चे बीमार हैं और हैरानी की बात ये है कि कोई उपचार करने वाला तक नहीं है। इस निरीक्षण में नायब तहसीलदार मवई राजस्व निरीक्षक और पटवारी भी गए थे।