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दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने कड़े फैसले में कहा है कि मां-बाप की प्रॉपर्टी में बेटा सिर्फ उनकी इच्छा से रह सकता है ये उसका जन्मसिद्द अधिकार नहीं है। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि ये जरूरी नहीं है कि वह शादीशुदा है तो उसको अपने अभिभावकों के साथ रहने का हक मिल जाए।
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मां-बाप ने कोर्ट में अपील की थी कि उनके बेटे और बहु ने उनका जीवन नर्क बना दिया है, जिसकी वजह से उन्हे 2007 और 2012 में पुलिस केस के साथ जायदाद से भी बेदखल करने की घोषणा कर चुके हैं। हालांकि कोर्ट से दोनों ने इस बात से इंकार किया और जायदाद में हिस्सेदार होने का दावा किया। लेकिन दोनों कोर्ट में इस बात को साबित नहीं कर सके।