210 करोड़ की राशि में हुई अनियमितताओं पर मुख्य तकनीकी परीक्षक द्वारा की गई जांच में आया सामने
पवन घुवारा
बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज : सितम्बर 2017 । हाइकोर्ट के आदेश पर बुंदेलखण्ड पैकेज की जांच मुख्य तकनीकी परीक्षक विभाग द्वारा की गई। जिसमें बुंदेलखण्ड के विकास हेतु दिये गये सैंतीस सौ करोड़ की राशि में भारी भष्टाचार हुआ था। जिसकी शिकायत पवन घुवारा ने हाईकोर्ट में की थी। उक्त राशि छः जिलों को दी गई थी एवं विभिन्न विभागों में कार्यो के लिये खर्च की गई। इसी श्रृंखला में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग द्वारा बुंदेलखण्ड पैकजे से छः जिलों में 350 स्टाम्प डेम बनाये गयें। जिसकी प्रशासकीय स्वीकृति राशि 135.13 करोड़ (एक सौ पैंतीस करोड़ तेरह लाख बाइस हजार) हुई। जो खर्च की गई, भारत सरकार द्वारा ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को दो सौ दस करोड़ की राशि स्वीकृत की थी। उक्त 350 स्टाम्प डेमों की मुख्य तकनीकी परीक्षक द्वारा रेण्डम के आधार पर जो जांच की गई । मुख्य तकनीकी परीक्षक जांच प्रतिवेदन में उल्लेख किया कि :- पायी गयी महत्वपूर्ण त्रुटियां- विशेष स्टाप डेमों की विस्तृत जांच पश्चात् बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज के अन्तर्गत योजना के क्रियान्वयन के दौरान समस्त 6 जिलों में निर्मित/निर्माणाधीन कार्यों के निरीक्षण में महत्वपूर्ण त्रुटियां एवं अनियमिततायें अवलोकित की गई, जिनका बिन्दुवार विवरण निम्नानुसार प्रस्तुत है-
1. कार्य का सम्पादन प्राक्कलन पर प्रदाय प्रथम स्तरीय स्वीकृति के आधार पर कुछ स्थानों पर किया जाना पाया गया। ठेकेदार को कार्य आदेश जारी करने के पूर्व कार्य की विस्तृत ड्राइंग व विस्तृत प्राक्कलन तैयार कर सक्षम अधिकारी से स्वीकृति प्राप्त किये बिना ही निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाना पाया गया। कन्सल्टेन्ट द्वारा बनाये गये डी.पी.आर. पर प्रदाय तकनीकी स्वीकृति के अनुसार अधिकांश कार्यस्थलों पर निर्माण कार्य नहीं किया जाना पाया गया। कार्य पूर्ण होने पर व्यय की गयी राशि व प्रशासकीय स्वीकृति/तकनीकी स्वीकृति की राशि में कॉफी अन्तर पाया गया तथा कुछ स्थानों पर तो प्रशासकीय स्वीकृति की राशि से आधी राशि में ही कार्य पूर्ण हो गया हैं। तो तीन स्थानों पर यह पाया गया है कि स्टाप डैम के निर्माण हेतु तकनीकी स्वीकृति जारी की गई परन्तु बाद में स्थल पर स्टाप डैम कम रपटा का निर्माण कर दिया गया। अतएव स्थल पर सम्पादित निर्माण के अनुसार संशोधित तकनीकी/कार्योत्तर तकनीकी व तदानुसार संशोधित प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त करने हेतु संभागीय स्तर पर उचित कार्यवाही का अभाव पाया गया।
2. स्वीकृति प्राक्कलन एवं डी.पी.आर.में प्रावधान के पश्चात् भी अपस्ट्रीम व डाउनस्ट्रीम साइड में डिजाइन के अनुसार गहराई में कट ऑफ वाल एवं की वाल का निर्माण नहीं किया जाना पाया गया। एप्रोन के साथ कट आफ वाल का निर्माण ना किये जाने से एप्रोन/फ्लोर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। डाउन स्ट्रीम साइड में कट ऑफ वाल के नीचे स्वीकृत प्रावधान अनुसार बोल्डर एप्रोन का निर्माण नहीं किया गया है। फलस्वरूप डाउनस्ट्रीम साइड में नाला तल में कटाव प्रारंभ हो गया है। प्रोटेक्शन कार्य अपूर्ण होने से किनारों के कटने की पूर्ण संभावना है।
3. स्वीकृत प्राक्कलन एवं डी.पी.आर. में प्रावधान के पश्चात भी अधिकांश स्टाप डैम में लोहे के गेट नहीं लगाये गये हैं। बहुत कम स्थानों पर लगाये गये लोहे के गेट अमानक होने के कारण क्षतिग्रस्त हो गये। लोहे के गेट के स्थान पर कांक्रीट की कड़ी शटर्स मानक स्तर की ना होने कारण अधिकांश स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गयी। कुछ स्थानों में पाया गया कि मुख्य बाडीवाल में गेट हेतु छोड़े गये स्थान पर लोहे के गेट के बदले आंधी ऊंचाई तक कांक्रीट कर दिया है। जिसके फलस्वरूप पानी भंडारण क्षमता कम होना निश्चित है।
4. निर्माण के दौरान मैदानी अधिकारियों द्वारा समुचित ढंग पर्यवेक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन का अभाव व ठेकेदार द्वारा मनमर्जी से कार्य किया जाना पाया गया। मध्यप्रदेश कार्य विभाग नियमावली की धारा 2 के पैरा 4.040 में दिये गये निर्देश के अनुरूप अपने अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा किये गये मापों का सत्यापन नहीं किया गया। जिसके कारण भी निर्माण कार्य की गुणवत्ता प्रभावित हुई है।
5. निर्माण के दौरान वरिष्ठ अभियंताओं एवं राज्य स्तरीय क्वालिटी मानीटर द्वारा जारी निरीक्षण प्रतिवेदनों में निर्देशों का मैदानी अधिकारियों द्वारा पालन नहीं किया गया।
6. अनुबंध निरस्त किये जाने व द्वितीय एजेन्सी निर्धारण किये जाने के बाद प्रथम ठेकेदार के विरूद्व अनुबंध की कण्डिका के अनुसार कार्यवाही नहीं किया जाना पाया गया। प्रथम ठेकेदार के विरूद्व अनुबंधानुसार कार्यवाही किये जाने के संबंध मे विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई रूचि नहीं ली गई। द्वितीय एजेन्सी (डेबिटेबिल एजेंसी) के निर्धारण के बाद भी प्रथम ठेकेदार का अंतिम देयक तैयार कर निरीक्षण दिनांक तक अंतिम रूप नहीं दिया गया। प्रथम अनुबंध निरस्त करने पर शेष कार्य की निविदा आमंत्रित ना की जाकर प्रत्येक स्टापडेम हेतु पृथक-पृथक अनुबंध सम्पादित किया जाना संभागीय कार्यालनय की त्रुटिपूर्ण कार्यवाही है। प्रथम ठेकेदार द्वारा छोड़े गये शेष कार्य पर निविदा आमंत्रित ना किये जाने से व इस कारण शेष कार्य की अतिरिक्त लागत की राशि संबंधित ठेकेदार से वसूल न होने पर संभागीय कार्यालय एवं निविदा स्वीकृतकर्ता अधिकारी की गंभीर त्रुटि है। जिसका उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जाना आवश्यक है।
7. अनुबंध की कण्डिका 19 के अनुसार स्टाप डैम निर्माण में कार्य पूर्ण होने के पश्चात् 2 वर्ष 45 दिन तक डिफेक्ट लायबिलिटी के तहत संबंधित ठेकेदार से निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात् कार्यपालन यंत्री द्वारा सुधार कार्य कराया जाना था। जांच दौरान पाया गया कि अधिकांश कार्यपालन यंत्री द्वारा इस अवधि में सुधार/मरम्मत कार्य हेतु कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई।
प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई थी। जिला छतरपुर में योजना के तहत 85 स्टाप डेमों के निर्माण हेतु राशि 2777.00 लाख जिसमें 2096.00 व्यय किया गया। जिला-टीकमगढ़ में 65 स्टाप डेमो के निर्माण हेतु राशि 2088.00 लाख स्वीकृति जारी की गई 1611.65 लाख व्यय किया गया। जिला दमोह में 53 स्टाप डेमों के निर्माण हेतु 1855.00 लाख, 1691.00 लाख व्यय किया गया। जिला दतिया में 28 स्टाप डेम 1198.22 लाख की राशि जिला पन्ना में 35 स्टाप डेमों के निर्माण हेतु 1578.00 लाख, जिला सागर में योजना के तहत 84 स्टाप डेमों के निर्माण हेतु 4017.00 लाख। उक्त कार्यो की जांच मुख्य तकनीकी परीक्षक द्वारा पवन घुवारा की शिकायत पर रेंण्डम बेस के आधार पर छः जिलों में की गई। जिसमें जिला छतरपुर ग्राम पतरा में श्यामरी नदी पर स्टाप डेम, कुटिया बेरी घाट स्टाप डेम का निर्माण विकासखण्ड राजनगर, बगमरिया घाट इमली चौक कुटी स्टाप डेम विकासखण्ड बिजावार, खजरी घाट दौरियां स्टाप डेम नौगांव विकासखण्ड, बिलरिया घाट पंचमनगर स्टाप डेम लवकुशनगर, गंगायच या विक्रमपुर स्टाम डेम राजनगर जिला टीकमगढ़ रामगढ़ में मुक्तिधाम के पास स्टाप डेम, हरपुरा में मंदिर के पास स्टाप डेम जतारा, नियत टौरा घाट पर कुंजन नाले पर स्टाप डेम बल्देवगढ़, सागौनी जंगल मजना स्टाप डेम, दमनिया बिल्ट पुलिया के ऊपर स्टाप डेम, बरूआ नाला बिल्ट स्टाप डेम निवाड़ी, जिला दमोह लखन पुर स्टाप डेम दमोह, स्टाप डेम कम काजवे मोहनपुर-पथरिया, स्टाप डेम कम रपटा पौड़ी घाट हटा, स्टाप डेम कुड़ई रेबझा पटेरा, कसाघाट तेदूखेड़ा स्टाप डेम, कनौरा रामनगर बिटियागढ़, हिनोता घाट स्टाप डेम, परासई पुल के पास गुरैया नदी पर स्टाप डेम जवेरा, झिरकेना, भार नालाद्ध तेन्दुखेरा,महुआ (बिधुआ धार) पटेरा, सांसा स्टाप डेम पथरिया, झागरी सह रपटा बटियागढ़, जिला दतिया गणेश खेड़ा स्टाम डेम कम रिपटा दतिया, घनोली स्टापडेम सेवढ़ा, कुड़ीला स्टाप डेम भाण्डेर, धीरपुरा स्टाप डेम सेवढ़ा, उड़ी स्टाप डेम भाण्डेर, खिरिया साहब स्टाप डेम, टोकनपुर स्टाप डेम दतिया, जिला पन्ना रूंज नदी शिखा घाट गुछारा-अजयगढ़, सुंदरा स्टाप डेम पन्ना, चकरा घाट महेबा स्टाप डेम शाहनगर, रबरहर घाट चांदनपुर खंडथबई, रूंजनदी भुजबई अजयगढ़, पहरूआ घाट खमतरा शाहनगर बाधिन नदी बृहस्पत कुंड धरमपुरा, केन नदी चकरा घाट पुरैना शाहनगर, सागर, कचरिया घाट मगरोन सागर, तजपुरा स्टाप डेम बीना, सहावन स्टाप डेम, महुआ खेड़ा केसली, सलैया स्टाप डेम राहतगढ़, रामघाट स्टाप डेम कम काजवे शाहगढ़, सिंगपुर स्टाप डेम खुरई , इंगुआ खुडा स्टाप डेम रेहली, उक्त कार्यों की जांच की गई जो आम जनता के सामने है। सरकार को चाहिये कि उक्त निर्माण कार्यों में जो जनहितार्थ थे । उन कार्यों में उसमें 90ः से ज्यादा राशि का खुला दुरूपयोग खुल कर जांच में सामने आया हैं। इतना भारी भ्रष्टाचार हो गया और शासन की जांच भी सामने आ गई । पवन घुवारा ने शासन से अनुरोध किया है कि हाईकोर्ट के निर्देशानुसार भ्रष्टाचार करने वाले आरोपित जनों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करना चाहिये ।
पवन घुवारा
बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज : सितम्बर 2017 । हाइकोर्ट के आदेश पर बुंदेलखण्ड पैकेज की जांच मुख्य तकनीकी परीक्षक विभाग द्वारा की गई। जिसमें बुंदेलखण्ड के विकास हेतु दिये गये सैंतीस सौ करोड़ की राशि में भारी भष्टाचार हुआ था। जिसकी शिकायत पवन घुवारा ने हाईकोर्ट में की थी। उक्त राशि छः जिलों को दी गई थी एवं विभिन्न विभागों में कार्यो के लिये खर्च की गई। इसी श्रृंखला में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग द्वारा बुंदेलखण्ड पैकजे से छः जिलों में 350 स्टाम्प डेम बनाये गयें। जिसकी प्रशासकीय स्वीकृति राशि 135.13 करोड़ (एक सौ पैंतीस करोड़ तेरह लाख बाइस हजार) हुई। जो खर्च की गई, भारत सरकार द्वारा ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को दो सौ दस करोड़ की राशि स्वीकृत की थी। उक्त 350 स्टाम्प डेमों की मुख्य तकनीकी परीक्षक द्वारा रेण्डम के आधार पर जो जांच की गई । मुख्य तकनीकी परीक्षक जांच प्रतिवेदन में उल्लेख किया कि :- पायी गयी महत्वपूर्ण त्रुटियां- विशेष स्टाप डेमों की विस्तृत जांच पश्चात् बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज के अन्तर्गत योजना के क्रियान्वयन के दौरान समस्त 6 जिलों में निर्मित/निर्माणाधीन कार्यों के निरीक्षण में महत्वपूर्ण त्रुटियां एवं अनियमिततायें अवलोकित की गई, जिनका बिन्दुवार विवरण निम्नानुसार प्रस्तुत है-
1. कार्य का सम्पादन प्राक्कलन पर प्रदाय प्रथम स्तरीय स्वीकृति के आधार पर कुछ स्थानों पर किया जाना पाया गया। ठेकेदार को कार्य आदेश जारी करने के पूर्व कार्य की विस्तृत ड्राइंग व विस्तृत प्राक्कलन तैयार कर सक्षम अधिकारी से स्वीकृति प्राप्त किये बिना ही निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाना पाया गया। कन्सल्टेन्ट द्वारा बनाये गये डी.पी.आर. पर प्रदाय तकनीकी स्वीकृति के अनुसार अधिकांश कार्यस्थलों पर निर्माण कार्य नहीं किया जाना पाया गया। कार्य पूर्ण होने पर व्यय की गयी राशि व प्रशासकीय स्वीकृति/तकनीकी स्वीकृति की राशि में कॉफी अन्तर पाया गया तथा कुछ स्थानों पर तो प्रशासकीय स्वीकृति की राशि से आधी राशि में ही कार्य पूर्ण हो गया हैं। तो तीन स्थानों पर यह पाया गया है कि स्टाप डैम के निर्माण हेतु तकनीकी स्वीकृति जारी की गई परन्तु बाद में स्थल पर स्टाप डैम कम रपटा का निर्माण कर दिया गया। अतएव स्थल पर सम्पादित निर्माण के अनुसार संशोधित तकनीकी/कार्योत्तर तकनीकी व तदानुसार संशोधित प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त करने हेतु संभागीय स्तर पर उचित कार्यवाही का अभाव पाया गया।
2. स्वीकृति प्राक्कलन एवं डी.पी.आर.में प्रावधान के पश्चात् भी अपस्ट्रीम व डाउनस्ट्रीम साइड में डिजाइन के अनुसार गहराई में कट ऑफ वाल एवं की वाल का निर्माण नहीं किया जाना पाया गया। एप्रोन के साथ कट आफ वाल का निर्माण ना किये जाने से एप्रोन/फ्लोर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। डाउन स्ट्रीम साइड में कट ऑफ वाल के नीचे स्वीकृत प्रावधान अनुसार बोल्डर एप्रोन का निर्माण नहीं किया गया है। फलस्वरूप डाउनस्ट्रीम साइड में नाला तल में कटाव प्रारंभ हो गया है। प्रोटेक्शन कार्य अपूर्ण होने से किनारों के कटने की पूर्ण संभावना है।
3. स्वीकृत प्राक्कलन एवं डी.पी.आर. में प्रावधान के पश्चात भी अधिकांश स्टाप डैम में लोहे के गेट नहीं लगाये गये हैं। बहुत कम स्थानों पर लगाये गये लोहे के गेट अमानक होने के कारण क्षतिग्रस्त हो गये। लोहे के गेट के स्थान पर कांक्रीट की कड़ी शटर्स मानक स्तर की ना होने कारण अधिकांश स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गयी। कुछ स्थानों में पाया गया कि मुख्य बाडीवाल में गेट हेतु छोड़े गये स्थान पर लोहे के गेट के बदले आंधी ऊंचाई तक कांक्रीट कर दिया है। जिसके फलस्वरूप पानी भंडारण क्षमता कम होना निश्चित है।
4. निर्माण के दौरान मैदानी अधिकारियों द्वारा समुचित ढंग पर्यवेक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन का अभाव व ठेकेदार द्वारा मनमर्जी से कार्य किया जाना पाया गया। मध्यप्रदेश कार्य विभाग नियमावली की धारा 2 के पैरा 4.040 में दिये गये निर्देश के अनुरूप अपने अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा किये गये मापों का सत्यापन नहीं किया गया। जिसके कारण भी निर्माण कार्य की गुणवत्ता प्रभावित हुई है।
5. निर्माण के दौरान वरिष्ठ अभियंताओं एवं राज्य स्तरीय क्वालिटी मानीटर द्वारा जारी निरीक्षण प्रतिवेदनों में निर्देशों का मैदानी अधिकारियों द्वारा पालन नहीं किया गया।
6. अनुबंध निरस्त किये जाने व द्वितीय एजेन्सी निर्धारण किये जाने के बाद प्रथम ठेकेदार के विरूद्व अनुबंध की कण्डिका के अनुसार कार्यवाही नहीं किया जाना पाया गया। प्रथम ठेकेदार के विरूद्व अनुबंधानुसार कार्यवाही किये जाने के संबंध मे विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई रूचि नहीं ली गई। द्वितीय एजेन्सी (डेबिटेबिल एजेंसी) के निर्धारण के बाद भी प्रथम ठेकेदार का अंतिम देयक तैयार कर निरीक्षण दिनांक तक अंतिम रूप नहीं दिया गया। प्रथम अनुबंध निरस्त करने पर शेष कार्य की निविदा आमंत्रित ना की जाकर प्रत्येक स्टापडेम हेतु पृथक-पृथक अनुबंध सम्पादित किया जाना संभागीय कार्यालनय की त्रुटिपूर्ण कार्यवाही है। प्रथम ठेकेदार द्वारा छोड़े गये शेष कार्य पर निविदा आमंत्रित ना किये जाने से व इस कारण शेष कार्य की अतिरिक्त लागत की राशि संबंधित ठेकेदार से वसूल न होने पर संभागीय कार्यालय एवं निविदा स्वीकृतकर्ता अधिकारी की गंभीर त्रुटि है। जिसका उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जाना आवश्यक है।
7. अनुबंध की कण्डिका 19 के अनुसार स्टाप डैम निर्माण में कार्य पूर्ण होने के पश्चात् 2 वर्ष 45 दिन तक डिफेक्ट लायबिलिटी के तहत संबंधित ठेकेदार से निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात् कार्यपालन यंत्री द्वारा सुधार कार्य कराया जाना था। जांच दौरान पाया गया कि अधिकांश कार्यपालन यंत्री द्वारा इस अवधि में सुधार/मरम्मत कार्य हेतु कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई।
प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई थी। जिला छतरपुर में योजना के तहत 85 स्टाप डेमों के निर्माण हेतु राशि 2777.00 लाख जिसमें 2096.00 व्यय किया गया। जिला-टीकमगढ़ में 65 स्टाप डेमो के निर्माण हेतु राशि 2088.00 लाख स्वीकृति जारी की गई 1611.65 लाख व्यय किया गया। जिला दमोह में 53 स्टाप डेमों के निर्माण हेतु 1855.00 लाख, 1691.00 लाख व्यय किया गया। जिला दतिया में 28 स्टाप डेम 1198.22 लाख की राशि जिला पन्ना में 35 स्टाप डेमों के निर्माण हेतु 1578.00 लाख, जिला सागर में योजना के तहत 84 स्टाप डेमों के निर्माण हेतु 4017.00 लाख। उक्त कार्यो की जांच मुख्य तकनीकी परीक्षक द्वारा पवन घुवारा की शिकायत पर रेंण्डम बेस के आधार पर छः जिलों में की गई। जिसमें जिला छतरपुर ग्राम पतरा में श्यामरी नदी पर स्टाप डेम, कुटिया बेरी घाट स्टाप डेम का निर्माण विकासखण्ड राजनगर, बगमरिया घाट इमली चौक कुटी स्टाप डेम विकासखण्ड बिजावार, खजरी घाट दौरियां स्टाप डेम नौगांव विकासखण्ड, बिलरिया घाट पंचमनगर स्टाप डेम लवकुशनगर, गंगायच या विक्रमपुर स्टाम डेम राजनगर जिला टीकमगढ़ रामगढ़ में मुक्तिधाम के पास स्टाप डेम, हरपुरा में मंदिर के पास स्टाप डेम जतारा, नियत टौरा घाट पर कुंजन नाले पर स्टाप डेम बल्देवगढ़, सागौनी जंगल मजना स्टाप डेम, दमनिया बिल्ट पुलिया के ऊपर स्टाप डेम, बरूआ नाला बिल्ट स्टाप डेम निवाड़ी, जिला दमोह लखन पुर स्टाप डेम दमोह, स्टाप डेम कम काजवे मोहनपुर-पथरिया, स्टाप डेम कम रपटा पौड़ी घाट हटा, स्टाप डेम कुड़ई रेबझा पटेरा, कसाघाट तेदूखेड़ा स्टाप डेम, कनौरा रामनगर बिटियागढ़, हिनोता घाट स्टाप डेम, परासई पुल के पास गुरैया नदी पर स्टाप डेम जवेरा, झिरकेना, भार नालाद्ध तेन्दुखेरा,महुआ (बिधुआ धार) पटेरा, सांसा स्टाप डेम पथरिया, झागरी सह रपटा बटियागढ़, जिला दतिया गणेश खेड़ा स्टाम डेम कम रिपटा दतिया, घनोली स्टापडेम सेवढ़ा, कुड़ीला स्टाप डेम भाण्डेर, धीरपुरा स्टाप डेम सेवढ़ा, उड़ी स्टाप डेम भाण्डेर, खिरिया साहब स्टाप डेम, टोकनपुर स्टाप डेम दतिया, जिला पन्ना रूंज नदी शिखा घाट गुछारा-अजयगढ़, सुंदरा स्टाप डेम पन्ना, चकरा घाट महेबा स्टाप डेम शाहनगर, रबरहर घाट चांदनपुर खंडथबई, रूंजनदी भुजबई अजयगढ़, पहरूआ घाट खमतरा शाहनगर बाधिन नदी बृहस्पत कुंड धरमपुरा, केन नदी चकरा घाट पुरैना शाहनगर, सागर, कचरिया घाट मगरोन सागर, तजपुरा स्टाप डेम बीना, सहावन स्टाप डेम, महुआ खेड़ा केसली, सलैया स्टाप डेम राहतगढ़, रामघाट स्टाप डेम कम काजवे शाहगढ़, सिंगपुर स्टाप डेम खुरई , इंगुआ खुडा स्टाप डेम रेहली, उक्त कार्यों की जांच की गई जो आम जनता के सामने है। सरकार को चाहिये कि उक्त निर्माण कार्यों में जो जनहितार्थ थे । उन कार्यों में उसमें 90ः से ज्यादा राशि का खुला दुरूपयोग खुल कर जांच में सामने आया हैं। इतना भारी भ्रष्टाचार हो गया और शासन की जांच भी सामने आ गई । पवन घुवारा ने शासन से अनुरोध किया है कि हाईकोर्ट के निर्देशानुसार भ्रष्टाचार करने वाले आरोपित जनों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करना चाहिये ।