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सपा के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में चल रहा देशद्रोह का परिवाद खारिज कर दिया गया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) अमरजीत सिंह की अदालत ने आजम के खिलाफ मामले को कल खारिज कर दियाह
उल्लेखनीय है कि आजम खान 21 दिसंबर 2010 को बदायूं स्थित विश्वविख्यात बड़े सरकार की दरगाह पर चल रहे धरना प्रदर्शन में पहुंचे थे। यहां उन पर कश्मीर को लेकर विवादित बयान देने का आरोप लगा था।
बजरंग दल के नेता उज्ज्वल गुप्ता ने अगले ही दिन 22 दिसंबर को पुलिस को खान पर मुकदमे के लिये तहरीर दी थी। अपेक्षित कार्रवाई नहीं होने पर गुप्ता की अर्जी पर तत्कालीन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पवन प्रताप सिंह ने 18 जनवरी 2011 को आजम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया था। पुलिस ने देशद्रोह की धाराओं में मुकदमा कायम किया और विवेचना के बाद मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी थी।
सीजेएम ने अंतिम रिपोर्ट को खारिज कर विवेचक को आदेश दिया था कि वह खान के बयान को प्रसारित करने वाले टेलीविजन चैनलों के मुख्यालयों से कैमरा फुटेज और बयान की सीडी लेकर उसके आधार पर विवेचना करें।
हालांकि, तब भी पुलिस ने आजम को यह कहते हुए क्लीन चिट दे दी कि वादी बयान की सीडी नहीं दे पा रहा है। बाद में इस मामले में परिवाद दायर किया गया जिसे सीजेएम ने कल खारिज कर दिया।
वादी की तरफ से अदालत में दाखिल दस्तावेजों के मुताबिक आजम ने कहा था कि कांग्रेस मुस्लिम प्रधानमंत्री बनाने की बात करती है, जबकि गुलाम नबी आजाद केंद्र में मंत्री हैं और वह ऐसे कश्मीर का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसके बारे में यह पता नहीं है कि वह भारत का हिस्सा है भी या नहीं। वादी उज्ज्वल गुप्ता ने सीजेएम के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देने को कहा है।