toc news internet channal
नरसिंहपुर।बारिश का मौसम मछलियों का प्रजननकाल माना जाता है इस लिये हर वर्ष १६ जून से १५ अगस्त तक की अवधि को शासन बंद तो घोषित कर देता है किंतु जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली से ऐसा लगता है मानो नागरिकों से किसी नियम का पालन कराने के लिए विज्ञप्ति जारी करके उनके कर्तव्य की इतिश्री हो जाती है। १६ जून से घोषित बंद में शासन ने मत्स्याखेट, मत्स्य परिवहन एवं मत्स्य विक्रय करना निषिद्ध किया है। उपरोक्त नियमों के उल्लंघन पर मध्य प्रदेश मत्स्योद्योग अधिनियम १९८१ की धारा ५ के तहत उल्लंघनकत्र्ता को एक वर्ष तक का कारावास या पांच हजार रूपये तक जुर्माना या दोनों से दंडित किये जाने के प्रावधान है, लेकिन विडंबना यह है कि ऐसे उल्लंघनकत्र्ता आज तक न तो मछली विभाग को मिले और न ही प्रशासन को। प्रशासन की शिथिलता के कारण जिला मुख्यालय में प्रतिदिन खुलेआम मछलियों का विक्रय किया जा रहा है, परंतु इन व्यवसायियों पर कार्रवाई करने में क्यों संकोच किया जा रहा है? इसका सीधा जबाव यह है कि संबंधित विभाग और प्रशासन के लालची अधिकारी नियम को तार-तार करवाकर संरक्षण दिये हुए है। नर्मदा सहित, शेढ़, शक्कर, सींगरी आदि में बेखौफ मत्स्याखेट किया जा रहा है। चिनकी, बरमान व मलाहपिपरिया क्षेत्र में सुअर मार बम छीलकर नदियों में फेंक दिया जाता है। बम से होने वाले विस्फोट में हजारों मछलियां मारी जाती है जिन्हें मछुआरे अपने जाल में समेट लेते है। मछली मारने के इस तरीके में कई छोटी मछली व मछलियों के अण्डे नष्ट होकर बेकार हो जाते है जिससे नदियां भी प्रदूषित हो रही है। वहीं नरसिंहपुर के नदी नालों में भी बड़ी तादाद में मछलियां मारी जा रही है किंतु प्रशासन को कभी भी निरीक्षण की फुर्सत नहीं मिलती। इसके अलावा जिले की यात्री बसे एवं मालवाहकों में प्रतिदिन मछलियों के टोकरे आते देखे जा रहे है परंतु निष्क्रिय प्रशासन से कार्यवाही की उम्मीद कैसे की जाये। सहायक संचालक मत्स्य एसएलएस तिवारी का स्थानांतरण हो जाने के बाद यह विभाग प्रभारी अधिकारी के भरोसे चल रहा है। २१ जून को आरबी सिंह ने कार्यालय का प्रभार ग्रहण किया, उनकी मूल पदस्थापना जबलपुर की है। देखना यह है प्रभारी अधिकारी को निरीक्षण का समय कब मिलता है।