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मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन के लिये
बैंक ऑफ इंडिया से करारनामे पर हस्ताक्षर
भोपाल । मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन के जरिए लगभग 38 लाख आवासहीनों को अपना घर उपलब्ध करवाने के लिए राज्य शासन ने बैंक ऑफ इंडिया के साथ एक करारनामे (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा सामाजिक न्याय मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने कहा कि आने वाले वर्षो में हम प्रदेश के प्रत्येक आवासहीन को रहने के लिए छत उपलब्ध करायेंगे।बैंक ऑफ इंडिया से करारनामे पर हस्ताक्षर
करारनामे पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव श्रीमती अरूणा शर्मा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण श्री संजय दुबे एवं बैंक ऑफ इंडिया की ओर से आंचलिक प्रबंधक श्री ए.के. वर्मा ने हस्ताक्षर किए।
श्री भार्गव ने कहा कि भारत सरकार द्वारा निरन्तर आवासहीनों को आवास उपलब्ध करवाने के लिए दी जा रही मदद में कटौती की जा रही है। इंदिरा आवास में बनने वाले आवासों का आवंटन देश में सबसे कम मध्यप्रदेश का है । इसे मद्देनजर रखते हुए सरकार ने स्वयं के वित्तीय संसाधनों से प्रत्येक आवासहीन को आवास उपलब्ध करवाने के लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन की स्थापना की। उन्होंने बताया कि मिशन के जरिए राज्य सरकार बैंकों के सहयोग से सरल-सहज प्रक्रिया से प्रत्येक ग्रामीण आवासहीन को अगले तीन-चार साल में बेहतर गुणवत्तापूर्ण घर उपलब्ध करायेगी।
बी.पी.एल. सर्वे 2001-02 के अनुसार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में 37लाख 62हजार परिवारों के पास स्वयं के आवास नहीं है अथवा वे अर्द्ध पक्के या कच्चे आवासों में रह रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इंदिरा आवास योजना के अन्तर्गत प्रतिवर्ष लगभग सत्तर हजार आवास का आवंटन प्रदेश के लिये अपर्याप्त था। राज्य सरकार ने विधानसभा में पारित संकल्प 2010, संकल्प क्रमांक 61 के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में आवास की समस्या के समाधान के लिये मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन आरंभ करने का निर्णय लिया था।
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा होशंगाबाद जिले के ग्राम सूकलढाना मेंे 22 फरवरी 2011 को मिशन का शुभारंभ किया गया। मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन में वर्ष 2011-12 में सम्पूर्ण प्रदेश में एक लाख आवास का निर्माण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मिशन के अन्तर्गत हितग्राहियों को बैंकों से ऋण उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को सुस्पष्ट, सुलभ, पारदर्शी एंव लयबद्ध बनाने तथा बैंकों द्वारा बड़े पैमाने पर क्रियाशील सहभागिता के उद्देश्य से, उनके साथ एम.ओ.यू. (ग्दृछ) की महती आवश्यकता अनुभव की गई। पूर्व में सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के साथ एम.ओ.यू. किया गया था। योजना लागू होने के बाद से अब तक पंचायतों में लगभग दो लाख आवेदन प्राप्त हो चुके हैं।