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नीमच। मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए 6 किसानों के परिवार से मिलने जा रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को गुरुवार को पुलिस ने नीमच के पास जीरण में हिरासत ले लिया। हालांकि पहले उन्होंने जमानत लेने से इनकार कर दिया था, लेकिन जब प्रशासन ने उन्हें पीडि़त परिवारों से मिलने की इजाजत दे दी तो उन्होंने जमानत लेना स्वीकार कर लिया। इसके बाद राहुल ने मध्यप्रदेश-राजस्थान की सीमा में पर एक ढाबे पर पीडि़त परिवारों से मुलाकात की।
इसके पहले गिरफ्तारी के बाद पुलिस राहुल को खोर स्थित विक्रम सीमेंट के गेस्ट हाउस लेकर गई। जहां वे करीब 4 घंटे तक रहे। नीमच के पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह ने बताया कि जिले में निषेधाज्ञा लागू होने के कारण शांति भंग की आशंका में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और 29 नेताओं को गिरफ्तार किया गया था, उसके बाद सब डिवीजन मजिस्टेट ने सभी को मुचलके पर रिहा कर दिया। उन्होंने कहा कि गांधी और अन्य नेताओं को राजस्थान सीमा की ओर रवाना कर दिया गया है। राहुल ने कहा- मैं सिर्फ किसानों से मिलना चाहता हूं। लेकिन बिना वजह बताए मुझे हिरासत में ले लिया गया है।
रिहाई के बाद राहुल गांधी राजस्थान की सीमा में रोडिया के एक ढाबे पर किसानों के परिवारों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यहां लोगों पर गोली चलाई गई, लेकिन सरकार ने कहा कि गोली नहीं चलाई गई। सरकार झूठ बोल रही है। यहां मैं पीडि़त से मिलने आया हूं तो इसमें क्या गलत है। मैं आरएसएस का आदमी नहीं हूं। मैं देश में कहीं भी जा सकता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और अन्य कई जगहों पर किसान परेशान हैं। भाजपा की सरकार के पास लाखों करोड़ रुपया पड़ा है, लेकिन वो उसे किसानों को न देकर सिर्फ 50 लोगों को देना चाहती है। राहुल ने कहा, इनकी मांग है कि मारे गए किसानों को शहीद का दर्जा मिलना चाहिए। कांग्रेस यह बात उठाएगी और पूरी मदद करेगी।
इससे पूर्व राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि मारे गए किसानों के परिवारों से फोन पर बात की और अपनी संवेदना प्रकट की। मैं यहां उनसे मिलने आया हूं और उनकी परेशानियों को लेकर आवाज़ उठाने से पीछे नहीं हटूंगा।
दरअसल, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को मंदसौर के किसानों से मुलाकात करने के लिए निकले थेे। वह राजस्थान-मध्य प्रदेश सीमा स्थित निमोड़ा से अपनी सिक्योरिटी को चकमा देकर बाइक पर सवार होकर निकल गए, लेकिन उन्हें मध्य प्रदेश पुलिस ने रोक लिया। इसके बाद वह पैदल आगे बढऩे की कोशिश कर रहे थे। फिर नयागांव में मध्य प्रदेश पुलिस ने उन्हें एहतियातन हिरासत में ले लिया और उन्हें अस्थायी जेल भेजा गया। हालांंकि इसके बाद उन्हें जमानत मिल गई।