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भोपाल। भारतीय प्रशासनिक सेवा की 1999 बैच की अधिकारी शशि कर्णावत की सेवाएँ समाप्त कर दी गई हैं। भारत सरकार के आदेश और संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श से सहमत होते हुए कर्णावत को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
यह था मामला- कर्णावत के विरूद्ध वर्ष 1999-2000 में प्रिंटिंग, स्टेशनरी घोटाले में शासन को लगभग 33 लाख रूपये की हानि पहुँचाने और अवैध लाभ अर्जित करने के संबंध में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा अपराध पंजीबद्ध किया गया था। विशेष न्यायालय मण्डला द्वारा सितंबर, 2013 में कर्णावत को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 40 लाख रूपये के अर्थदण्ड, धारा 420 एवं 34 भारतीय दण्ड विधान के अंतर्गत 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5 लाख रूपये के अर्थदण्ड और धारा 120 'बी' भारतीय दण्ड विधान के अंतर्गत 5 वर्ष का सश्रम कारावास और 5 लाख रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया था। ये सारी सजाएँ साथ-साथ चलनी थीं। मण्डला जेल जाने के बाद अक्टूबर 2013 में कर्णावत के निलंबन आदेश जारी किये गये थे।
अपराधिक प्रकरण में दंडित किये जाने के फलस्वरूप अखिल भारतीय सेवाएँ (अनुशासन तथा अपील) के तहत सेवा से पृथक करने के संबंध में कर्णावत को अक्टूबर 2014 में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद कर्णावत द्वारा नोटिस का अंतिम और पूर्ण उत्तर प्रस्तुत नहीं किया जा सका। इसलिये उन्हें नियमानुसार सेवा से बर्खास्त करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया, जिसमें संघ लोक सेवा आयोग ने सहमति व्यक्त की।
संघ के अभिमत को कर्णावत को उपलब्ध करवाकर उन्हें पुन: अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया। कर्णावत इस अवसर के बाद भी नवीन तथ्य नहीं रख पाई उन्होंने केवल अंतरिम उत्तर ही दिया इसके बाद उन्हें बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया। डीओपीटी का आदेश उन्हें तामील करा दिया गया है।
भोपाल। भारतीय प्रशासनिक सेवा की 1999 बैच की अधिकारी शशि कर्णावत की सेवाएँ समाप्त कर दी गई हैं। भारत सरकार के आदेश और संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श से सहमत होते हुए कर्णावत को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
यह था मामला- कर्णावत के विरूद्ध वर्ष 1999-2000 में प्रिंटिंग, स्टेशनरी घोटाले में शासन को लगभग 33 लाख रूपये की हानि पहुँचाने और अवैध लाभ अर्जित करने के संबंध में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा अपराध पंजीबद्ध किया गया था। विशेष न्यायालय मण्डला द्वारा सितंबर, 2013 में कर्णावत को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 40 लाख रूपये के अर्थदण्ड, धारा 420 एवं 34 भारतीय दण्ड विधान के अंतर्गत 5 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5 लाख रूपये के अर्थदण्ड और धारा 120 'बी' भारतीय दण्ड विधान के अंतर्गत 5 वर्ष का सश्रम कारावास और 5 लाख रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया था। ये सारी सजाएँ साथ-साथ चलनी थीं। मण्डला जेल जाने के बाद अक्टूबर 2013 में कर्णावत के निलंबन आदेश जारी किये गये थे।
अपराधिक प्रकरण में दंडित किये जाने के फलस्वरूप अखिल भारतीय सेवाएँ (अनुशासन तथा अपील) के तहत सेवा से पृथक करने के संबंध में कर्णावत को अक्टूबर 2014 में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद कर्णावत द्वारा नोटिस का अंतिम और पूर्ण उत्तर प्रस्तुत नहीं किया जा सका। इसलिये उन्हें नियमानुसार सेवा से बर्खास्त करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया, जिसमें संघ लोक सेवा आयोग ने सहमति व्यक्त की।
संघ के अभिमत को कर्णावत को उपलब्ध करवाकर उन्हें पुन: अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया। कर्णावत इस अवसर के बाद भी नवीन तथ्य नहीं रख पाई उन्होंने केवल अंतरिम उत्तर ही दिया इसके बाद उन्हें बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया। डीओपीटी का आदेश उन्हें तामील करा दिया गया है।