उद्योगों को मिली शासन से अनुमति-लॉक डाऊन मे संचालन, शहर के हर छोटे और बड़े व्यापारियों को संचालन की शासन दे अनुमति |
ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा : 8305895567
एक बार फिर उद्योग जीत गया और छोटे व्यापार मुह ताकते रह गये
नागदा. औद्योगिक शहर नागदा मे स्थानीय उद्योगों को संचालन की अनुमति दिए जाने के मामले में असंगठित मजदूर कांग्रेस के प्रदेश संयोजक अभिषेक चौरसिया ने शासन से मांग की है कि अगर बड़े उद्योगों को कोरोंना महामारी के दौर में भी यह जानते हुए कि नागदा शहर भी इसकी चपेट में हैं और रेड जोन में शामिल हैं । बावजूद इसके उद्योगों को संचालन की अनुमति दी जा रही हैं तो फिर शहर के दूसरे प्रतिष्ठानों को भी संचालन की अनुमति दी जाए ।
हज़ारों की संख्या में श्रमिकों के कार्य पर आने से अगर सोशल डिस्टेंसिंग की अव्हेलना नहीं होंगी तो फिर प्रशासन को इस महामारी से सबसे ज्यादा आर्थिक रूप से प्रभावित छोटे व्यापारियों और प्रतिष्ठानों को अनुमति देकर उन्हें भी संचालन करने दिया जाए। इस मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर जिला दंडाधिकारी श्री आरपी तिवारी एवं एसडीएम श्री आरपी वर्मा को पत्र भेजकर की हैं।
चौरसिया ने राज्य शासन पर आरोप लगाया है कि क्या सिर्फ नाई की दुकान के संचालकों, छोटे छोटे किराना व्यापारियों, चाय व नाश्ते की गुमटी के संचालकों, मोबाइल रिचार्ज और रिपेयरिंग की दुकानों, रेस्टोरेंटों , टेलर का काम करने वालों और सब्जी मंडी में सब्जी की दुकान लगाकर जीवन यापन करने वाले लोगों के व्यापार शुरू करने से ही सोशल डिस्टेंसिंग की अव्हेलना होगी । क्या बड़े उद्योगों को ही घाटा हो रहा है जो इस महामारी के दौर में भी उनके अपने प्लांट के संचालन के लिए जल्द बाजी दिखाई जा रही है। क्या शहर के छोटे व्यापारियों और दिनभर मेहनत करके अपना और अपने परिवार को पालने वाले लोगो को कोई नुक्सान नहीं हो रहा हैं ।
अनुमति का अधिकार सिर्फ बड़े उद्योगों के लिए ही क्यों???
क्या सिर्फ उनको ही नुकसान हो रहा है जो इतनी जल्दबाजी में हजारों मजदूरों की जान को जोख़िम में डालकर चंद लोगों के सहयोग से उद्योग का संचालन कर रहे हैं । क्या उद्योग का हर एक मजदूर इस महामारी में काम करने के लिए तैयार हैं ?? हर एक मजदूर से समन्वय बनाए बिना दबाव में लेकर उद्योग के लोग शहर और मजदूरों के परिवारों का भविष्य दांव पर लगा रहे हैं । इस महामारी में किसी भी श्रमिक को या उसके परिवार को कुछ होता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ??? वर्ष 2010 से हर साल उद्योगों में श्रमिक मारे गए लेकिन क्या आजतक किसी कारखाना प्रबंधक को जेल हुई या कोई सजा हुई ??? मजदूरों को दबाव में लाकर काम पर बुलाया जा रहा हैं लेकिन जिन्हें उनके हक के लिए आवाज़ उठानी चाहिए वे सभी उद्योगों के दबाव में उद्योगों की पैरवी कर रहे हैं ।
अगर यह महामारी शहर में फ़ैल गई तो उसका जिम्मेदार कौन होगा
प्रशासन से मांग की है कि अगर बड़े उद्योगों को संचालित करने से कोरोंना महामारी नहीं फ़ैलेगी तो फिर नागदा शहर के हर मोहल्ले में स्थित छोटे छोटे किराना व्यापारियों, नाई की दुकानों, टेलर की दुकानों, चाय नाश्ता की गुमटियों, मोबाइल रिपेयरिंग दुकानों, छोटे सब्ज़ी विक्रेताओं, रेस्टोरेंट्स, कपड़े की दुकानों आदि को भी उनके प्रतिष्ठान शुरू करने की अनुमति दी जाए । क्योंकि न जाने कितने लोगो ने कर्ज लेकर अपने काम धंधे शुरू किए हैं और उन्हें भी इस महामारी से भारी नुक्सान उठाना पड़ रहा है वे कहां से अपनी दुकानों का किराया, बिजली बिल, मेंटेनेंस, दुकानों में पड़े स्टॉक माल का पैसा आदि की भरपाई कहा से करेंगे। अतः शासन या तो उद्योगों के संचालन को बंद करवाए या सबको समान संचालन की अनुमति देकर उन्हें भी अपने प्रतिष्ठानों को शुरू करने की अनुमति प्रदान करें।
अभिषेक चौरसिया ने प्रशासन से प्रश्न भी किया है कि अगर नागदा शहर में महामारी फैली तो आपातकालीन चिकित्सा और सुविधा के नाम पर शहर के पास क्या व्यवस्था हैं । हमें अगर इस महामारी से लड़ना है तो ऊसभी नागरिकों और अधिकारियों को मिलजुलकर नियमों का पालन करते हुए इससे लड़ना होगा वरना भविष्य में परिणाम अत्यंत गंभीर होंगे।
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