क्या 40 लाख के सूटकेस में बिक गया सीएनआई का मॉडरेटर
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लखनऊ। दिल्ली के सीएनआई भवन की कुछ दिनों पूर्व हुई एग्जीक्यूटिव समिति की बैठक में क्या लाखों का बंदरबाँट किया गया और मॉडरेटर विजय नायक ने इसके लिए स्वयं बोली लगाई।क्या विशप मोरिस दान की जमकर खिलाफत करते हुवे कई स्कूलों के प्रिंसपलो ने बैठक में रुपयों के बंडल भिजवाए ।जी हां कुछ ऐसा ही दावा किया है क्राइस्ट चेतना मंच ने ।
इनका साफ कहना है कि सीएनआई के मॉडरेटर बिजॉय नायक ने इस बैठक की बोली 40 लाख रुपये लगायी थी । साथ ही इस बात का भी दावा किया है कि, बिशप मोरिस दान को बहाल न करने के लिए सभी स्कूलों के प्रिन्सिपल्स द्वारा यहां पर नोटों से भरा सूटकेस पहुँचाया गया था। मंच के इस दावे के बाद एक बार फिर चर्च ऑफ नार्थ इंडिया की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लग चुका है।
वहीं मंच ने भी इसका पुरजोर विरोध करते हुवे प्रधानमंत्री से इसमें हस्तक्षेप की मांग की है की सीएनआई के भ्रष्टाचार और रसूखदारों के द्वारा इसका संचालन किया जाना इस बात का खुला इशारा करता है की कुछ नही यहां बहुत कुछ गडबड है।थी नही ये बात अब शीशे की तरह साफ़ है कि आज भी सीएनआई जैसी संस्था चंद रसूखदारों की मोहताज है ।
वहीं अगर सूत्रों की मानी जाय तो इन सब के बीच , बैठक से एक दिन पहले ही पूर्व बिशप पीटर बलदेव की पुत्री पारुल सोलोमन भी मॉडरेटर बिजॉय नायक तथा बिशप मनोज चरन से मिलने दिल्ली पहुँची, जहाँ उन्होंने अपने पिता पीटर बलदेव तथा अपनी कुर्सी की साख को बचाय रखने के लिए इन दोनों ही अधिकारियों को लंबी रकम भेंट की ।
हालांकि जन तपिस टीम इसकी पुष्टि नहीं करती है पर क्राइस्ट चेतना मंच के दावे बहुत कुछ कहते हुवे सीएनआई की पोल खोलने के लिए काफी है।क्योंकि जो भी लोग पीटर बलदेव और उनकी पुत्री पारुल सोलोमन के खिलाफ मोर्चा खोल कर खड़े थे वही अब इन्हें बचाने की कवायद में जुट गए हैं।
पीसीसिंह ,मनोज चारन के फिर से पावर में आने के बाद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भ्रष्टाचारियों की जमात फिर से सीएनआई में काबिज हो गई है।वही राकेश छत्री भी इनके सिकंजे में फंसकर खुलकर इन भ्रष्टाचारियों का सपोर्ट इस लिए कर रहे हैं कि इनको भी अपने पुत्र को प्रिंसपल बनवाना है।
ये घोटालेबाज आने वाले दिनों में क्या क्या गुल खिलाएंगे फिलहाल ये आने वाले वक्त बताएगा फिलहाल इसपूरे प्रकरण को देखने के बाद यह कहना ग़लत नहीं होगा कि जहां मोरिस दान की ताजपोशी में कांटे बिछाए जा चुके हैं वही, चर्च ऑफ नार्थ इंडिया आज भी रुपयों के दम पर चलती है ।
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