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नरेंद्र धनोतिया की सटीक टिप्पणी।।
मन्दसौर- मन्दसौर जिले का इतिहास गौरवशाली रहा हे,सम्राट यशोधर्मन से लगाकर आज तक मन्दसौर में जितने भी शासक रहे हे, चाहे वो प्रशासनिक क्षेत्र से हो या राजनैतिक रूप से ,कुछ अपवादों को छोड़कर सब ने अपना बेहतर किया और करने का प्रयास किया हे। आजादी के लिए भी मन्दसौर के शूरवीरों ने अंग्रेजों से लोहा लिया हे।आजादी के बाद मन्दसौर जिले की राजनीति में कई ऐसे व्यक्ति आये जिन्होंने प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर अपने अपने क्षेत्र में मन्दसौर जिले का नाम रोशन किया हे।संक्षेप में इस गौरवशाली जिले की भूमिका से अवगत करवाते हुए मै सीधे आपको मन्दसौर जिले के वर्तमान राजनैतिक,प्रशासनिक,सामाजिक और क़ानून व्यवस्था को सामने रखने की कोशिश करता हूँ।
लंबे अरसे से मन्दसौर जिले में मुख्यतः कांग्रेस और भाजपा का सत्ता में अस्तित्व रहा हे,ज्यादातर समय कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही हे,पहले जनसंघ और अब भाजपा ने विपक्ष की भूमिका निभाई और 2003 से लगातार मध्यप्रदेश में भाजपा का शासन रहा हे।भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले मन्दसौर जिले में भी एक सुवासरा विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी सब जगह बीजेपी के विधायक हे,मोदी लहर में सांसद भी कांग्रेस को परास्त कर बीजेपी के बन गए।पंचायत से लगाकर सांसद तक सब जगह बीजेपी ही बीजेपी काबिज हो गई।कांग्रेस लगभग ख़त्म सी हो गई,कहीं दिखती तो सिर्फ कुछेक सक्रिय कांग्रेसियो की वजह से,जिसका फायदा सत्ता में बैठे लोगों को ज्यादा मिला,सरकार की नीतियों का विरोध करना और मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाना कांग्रेस की भूमिका में शामिल होते हुए भी कांग्रेस अपने ही घर को ठीक करने में लगी रही।लेकिन विपक्ष में रहने की लगातार आदत डाल चुके भाजपाईयो ने लगता हे कांग्रेस का ये हक़ भी छिन लिया, प्रशासनिक अव्यवस्था का हवाला देते हुए,प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था पर उंगली उठाते हुए युवा भाजपाईयों ने जिला न्यायिक दंडाधिकारी के पुतले फूंक दिए और सारी न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया।अपराधी अपराधी होता हे चाहे वो कोई भी जाति,धर्म,संप्रदाय या राजनीतिक दल का पदाधिकारी हो। बात सीतामऊ भाजयुमो के मंडल अध्यक्ष और अपराधिक रिकार्डधारी दिनेश धनगर की हे,जिसके ऊपर थाना सीतामऊ में सन् 2008 में अपराध क्रमांक 105/8 धारा 452,506,323 के तहत अपराधिक मामला दर्ज हे,अपराध क्रमांक 223/8 धारा 353,186,294,332 के तहत मामला दर्ज हे।इसी प्रकार 2013 में अपराध क्रमांक 155/13 और 494/13 धारा 341,294,323,435,506,34,427 भादवि,323,294,506 भादवि के अलावा रोजनामचा इस्तगासा में 76/13,1129/13,1196/13 में मामले पंजीबद्ध हे।इस प्रकार आधा दर्जन से भी ज्यादा अपराध दर्ज होने पर पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय जिला मजिस्ट्रेट ने प्रकरण क्रमांक 115/जिला बदर/2013 में पारित आदेश दिनांक 5/7/2014 के अनुसार युवा मोर्चा नेता दिनेश धनगर को 25000/रूपये का बंध पत्र भरवाकर एक वर्ष तक किसी भी अपराधिक गतिविधि में सम्मिलित नहीं होने पर पाबन्द किया गया। लेकिन दिनेश गायरी ने 17 दिसंबर 2014 को अंग्रेजी शराब दूकान पर तोड़फोड़ और मारपीट की,जिसका थाना सीतामऊ पर अपराध क्रमांक 829/14 धारा 452,427,323,294,506,34 भादवि के तहत अपराधिक मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने आरोपी दिनेश गायरी द्वारा न्यायालय के आदेशो का पालन नहीं करने और लगातार अपराधों में लिप्त रहने के कारण युवा मोर्चा नेता दिनेश गायरी को पुलिस अधीक्षक मनोज शर्मा की रिपोर्ट के आधार पर जिला मजिस्ट्रेट स्वतंत्र कुमार सिंह ने 10 मई को आरोपी दिनेश गायरी को छः माह के लिए जिला बदर कर दिया।
इसके बाद का जो घटनाक्रम हुआ वो बड़ा चोंकाने वाला हे,जिला दंडाधिकारी ने फैसला सुनाया 10 मई को और युवा मोर्चा ने जिला दंडाधिकारी के पुतले फूंके 20 दिन बाद,आखिर ऐसा क्या हुआ की युवा मोर्चा अपने एक अपराधिक छवि वाले मंडल अध्यक्ष के बचाव में सरेआम न्यायिक प्रक्रिया को बीच सड़कों पर तार तार करने में लग गया। इसके पिछे कौन लोग थे जो अपनी ही सरकार के होते हुए इस प्रकार का दुस्साहस कर बैठे? आजादी के बाद शायद ये पहला मौका हे जब सत्तारूढ़ दल के लोगों ने एक अपराधिक् छवि वाले नेता के लिए सड़कों पर आकर न्यायिक प्रक्रिया की धज्जियाँ उड़ाई हो।
युवा मोर्चा के इस कृत्य के लिए शायद ही कोई बुध्दिजीवी उनका समर्थन करे, क़ानून का मजाक उड़ाने वाले ऐसे कृत्य की जितनी निंदा की जाए कम हे। युवा मोर्चा के इस कृत्य के बाद जिले की राजनीति में भूचाल आ गया हे, सत्ता में बैठे लोग ही एक दूसरे को निपटाने में लगे हे, कभी एकजुट रहनी वाली बीजेपी गुटों में बंट गई हे, अंदर ही अंदर एक दूसरे को फूटी आँख से भी नहीं देखने वाले नेता बाहर मौन हे। बीजेपी की सीतामऊ बैठक में कलेक्टर से लेकर तहसीलदार और पटवारियों का मुद्दा हावी रहा तो, आरोप ये भी लगे की कलेक्टर सिर्फ एक ही विधायक की सुनते हे। बात बढ़ते बढ़ते अब बीजेपी में एक गुट दूसरे को निपटाने के लिए कांग्रेस की भूमिका में आ गए हे, यानि बीजेपी में ही अब समानांतर विपक्ष तैयार हो गया हे।
इस सम्बन्ध में जिले के कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक मनोज शर्मा का कहना हे की कानून से बढ़कर कोई नहीं हे, सारी प्रक्रिया कानून के दायरे में विधि सम्मत की गई हे।
इनका कहना-
आरोप-पुतला दहन के पिछे आपका हाथ था।
जवाब-युवा मोर्चा अपने निर्णय लेने में सक्षम हे,और भाजपा जिला अध्यक्ष अपने निर्णय लेने में सक्षम हे, जहाँ तक पुतला दहन को मेरे द्वारा हवा देने का मामला हे, ऐसा कोई पंखा हाथ में आ जाये तो बताओ जिससे मैंने हवा दी हो।
सुधीर गुप्ता सांसद मन्दसौर।।
2 पुतला दहन भाजपा ने नहीं किया था युवा मोर्चा ने किया था,युवा मोर्चा ने शैक्षणिक मुद्दों और राजस्व न्यायालय के निर्णयों को लेकर किया था,हमारे संज्ञान में बात आई थी संगठन स्तर और प्रशासनिक स्तर पर बात आगे पहुंचाई हे।
देवीलाल धाकड़ जिला अध्यक्ष भाजपा।।
3 जिले में फैली अराजकता,भ्रष्टाचार,मुआवजा में देरी,पशुपतिनाथ मंदिर के मुद्दे के साथ मंडल अध्यक्ष दिनेश धनगर का मुद्दा भी आ गया था,कार्यकर्ता परेशान था,प्लानिंग पहले से थी।
नानालाल अटोलिया जिला अध्यक्ष युवा मोर्चा।।
क्या कहते हे कानून के जानकार
निष्कर्ष-पूरे घटनाक्रम और वर्तमान राजनैतिक और प्रशासनिक परिदृश्य को देखते हुए ये बात साफ़ परिलक्षित होती हे की लंबे समय बाद जिले में कोई ऐसा स्वतंत्र कुमार सिंह के रूप में प्रशासनिक आईएएस आया हे जो केवल सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने और जिले को एक समृद्ध जिला बनाने की सोच और काबिलियत रखता हे और इस दिशा में कई बड़ी योजनाओं पर काम भी शुरू हो चूका हे,लेकिन स्वार्थगत और अपरिपक्व राजनीति के चलते ये जिला एक बार फिर पिछड़ता हुआ दिख रहा हे, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज में अगर मन्दसौर जिले में इस प्रकार की ओछी और निम्न स्तर की राजनीति होगी तो विकास कैसे संभव होगा। बेहतर होगा अपना राग छोड़कर सब बढे,सबका विकास हो और ये जिला समृद्ध बने,यहाँ के किसान खुशहाल हो। जहाँ तक राजस्व महकमे में फर्जी रजिस्ट्रियों और जमीन की हेराफेरी के मामले हुए हे तो ऐसे मामलों में पुलिस में अपराधिक मामले कर आरोपियों को गिरफ्तार भी किया हे। फर्जी रजिस्ट्री और जमीन हेराफेरी मामले में कोई भी कर्मचारी या अधिकारी शामिल हो सबके ऊपर सख्त कार्रवाई होना चाहिए।जिले का विकास और अपराधों पर नियंत्रण केवल प्रशासन, जनप्रतिनिधि या पुलिस की ही नहीं, हम सबकी भी जवाबदारी हे।।
नरेंद्र धनोतिया।।
नरेंद्र धनोतिया की सटीक टिप्पणी।।
मन्दसौर- मन्दसौर जिले का इतिहास गौरवशाली रहा हे,सम्राट यशोधर्मन से लगाकर आज तक मन्दसौर में जितने भी शासक रहे हे, चाहे वो प्रशासनिक क्षेत्र से हो या राजनैतिक रूप से ,कुछ अपवादों को छोड़कर सब ने अपना बेहतर किया और करने का प्रयास किया हे। आजादी के लिए भी मन्दसौर के शूरवीरों ने अंग्रेजों से लोहा लिया हे।आजादी के बाद मन्दसौर जिले की राजनीति में कई ऐसे व्यक्ति आये जिन्होंने प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर अपने अपने क्षेत्र में मन्दसौर जिले का नाम रोशन किया हे।संक्षेप में इस गौरवशाली जिले की भूमिका से अवगत करवाते हुए मै सीधे आपको मन्दसौर जिले के वर्तमान राजनैतिक,प्रशासनिक,सामाजिक और क़ानून व्यवस्था को सामने रखने की कोशिश करता हूँ।
लंबे अरसे से मन्दसौर जिले में मुख्यतः कांग्रेस और भाजपा का सत्ता में अस्तित्व रहा हे,ज्यादातर समय कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही हे,पहले जनसंघ और अब भाजपा ने विपक्ष की भूमिका निभाई और 2003 से लगातार मध्यप्रदेश में भाजपा का शासन रहा हे।भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले मन्दसौर जिले में भी एक सुवासरा विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर बाकी सब जगह बीजेपी के विधायक हे,मोदी लहर में सांसद भी कांग्रेस को परास्त कर बीजेपी के बन गए।पंचायत से लगाकर सांसद तक सब जगह बीजेपी ही बीजेपी काबिज हो गई।कांग्रेस लगभग ख़त्म सी हो गई,कहीं दिखती तो सिर्फ कुछेक सक्रिय कांग्रेसियो की वजह से,जिसका फायदा सत्ता में बैठे लोगों को ज्यादा मिला,सरकार की नीतियों का विरोध करना और मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाना कांग्रेस की भूमिका में शामिल होते हुए भी कांग्रेस अपने ही घर को ठीक करने में लगी रही।लेकिन विपक्ष में रहने की लगातार आदत डाल चुके भाजपाईयो ने लगता हे कांग्रेस का ये हक़ भी छिन लिया, प्रशासनिक अव्यवस्था का हवाला देते हुए,प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था पर उंगली उठाते हुए युवा भाजपाईयों ने जिला न्यायिक दंडाधिकारी के पुतले फूंक दिए और सारी न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया।अपराधी अपराधी होता हे चाहे वो कोई भी जाति,धर्म,संप्रदाय या राजनीतिक दल का पदाधिकारी हो। बात सीतामऊ भाजयुमो के मंडल अध्यक्ष और अपराधिक रिकार्डधारी दिनेश धनगर की हे,जिसके ऊपर थाना सीतामऊ में सन् 2008 में अपराध क्रमांक 105/8 धारा 452,506,323 के तहत अपराधिक मामला दर्ज हे,अपराध क्रमांक 223/8 धारा 353,186,294,332 के तहत मामला दर्ज हे।इसी प्रकार 2013 में अपराध क्रमांक 155/13 और 494/13 धारा 341,294,323,435,506,34,427 भादवि,323,294,506 भादवि के अलावा रोजनामचा इस्तगासा में 76/13,1129/13,1196/13 में मामले पंजीबद्ध हे।इस प्रकार आधा दर्जन से भी ज्यादा अपराध दर्ज होने पर पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय जिला मजिस्ट्रेट ने प्रकरण क्रमांक 115/जिला बदर/2013 में पारित आदेश दिनांक 5/7/2014 के अनुसार युवा मोर्चा नेता दिनेश धनगर को 25000/रूपये का बंध पत्र भरवाकर एक वर्ष तक किसी भी अपराधिक गतिविधि में सम्मिलित नहीं होने पर पाबन्द किया गया। लेकिन दिनेश गायरी ने 17 दिसंबर 2014 को अंग्रेजी शराब दूकान पर तोड़फोड़ और मारपीट की,जिसका थाना सीतामऊ पर अपराध क्रमांक 829/14 धारा 452,427,323,294,506,34 भादवि के तहत अपराधिक मामला दर्ज हुआ। पुलिस ने आरोपी दिनेश गायरी द्वारा न्यायालय के आदेशो का पालन नहीं करने और लगातार अपराधों में लिप्त रहने के कारण युवा मोर्चा नेता दिनेश गायरी को पुलिस अधीक्षक मनोज शर्मा की रिपोर्ट के आधार पर जिला मजिस्ट्रेट स्वतंत्र कुमार सिंह ने 10 मई को आरोपी दिनेश गायरी को छः माह के लिए जिला बदर कर दिया।
इसके बाद का जो घटनाक्रम हुआ वो बड़ा चोंकाने वाला हे,जिला दंडाधिकारी ने फैसला सुनाया 10 मई को और युवा मोर्चा ने जिला दंडाधिकारी के पुतले फूंके 20 दिन बाद,आखिर ऐसा क्या हुआ की युवा मोर्चा अपने एक अपराधिक छवि वाले मंडल अध्यक्ष के बचाव में सरेआम न्यायिक प्रक्रिया को बीच सड़कों पर तार तार करने में लग गया। इसके पिछे कौन लोग थे जो अपनी ही सरकार के होते हुए इस प्रकार का दुस्साहस कर बैठे? आजादी के बाद शायद ये पहला मौका हे जब सत्तारूढ़ दल के लोगों ने एक अपराधिक् छवि वाले नेता के लिए सड़कों पर आकर न्यायिक प्रक्रिया की धज्जियाँ उड़ाई हो।
युवा मोर्चा के इस कृत्य के लिए शायद ही कोई बुध्दिजीवी उनका समर्थन करे, क़ानून का मजाक उड़ाने वाले ऐसे कृत्य की जितनी निंदा की जाए कम हे। युवा मोर्चा के इस कृत्य के बाद जिले की राजनीति में भूचाल आ गया हे, सत्ता में बैठे लोग ही एक दूसरे को निपटाने में लगे हे, कभी एकजुट रहनी वाली बीजेपी गुटों में बंट गई हे, अंदर ही अंदर एक दूसरे को फूटी आँख से भी नहीं देखने वाले नेता बाहर मौन हे। बीजेपी की सीतामऊ बैठक में कलेक्टर से लेकर तहसीलदार और पटवारियों का मुद्दा हावी रहा तो, आरोप ये भी लगे की कलेक्टर सिर्फ एक ही विधायक की सुनते हे। बात बढ़ते बढ़ते अब बीजेपी में एक गुट दूसरे को निपटाने के लिए कांग्रेस की भूमिका में आ गए हे, यानि बीजेपी में ही अब समानांतर विपक्ष तैयार हो गया हे।
इस सम्बन्ध में जिले के कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह और पुलिस अधीक्षक मनोज शर्मा का कहना हे की कानून से बढ़कर कोई नहीं हे, सारी प्रक्रिया कानून के दायरे में विधि सम्मत की गई हे।
इनका कहना-
आरोप-पुतला दहन के पिछे आपका हाथ था।
जवाब-युवा मोर्चा अपने निर्णय लेने में सक्षम हे,और भाजपा जिला अध्यक्ष अपने निर्णय लेने में सक्षम हे, जहाँ तक पुतला दहन को मेरे द्वारा हवा देने का मामला हे, ऐसा कोई पंखा हाथ में आ जाये तो बताओ जिससे मैंने हवा दी हो।
सुधीर गुप्ता सांसद मन्दसौर।।
2 पुतला दहन भाजपा ने नहीं किया था युवा मोर्चा ने किया था,युवा मोर्चा ने शैक्षणिक मुद्दों और राजस्व न्यायालय के निर्णयों को लेकर किया था,हमारे संज्ञान में बात आई थी संगठन स्तर और प्रशासनिक स्तर पर बात आगे पहुंचाई हे।
देवीलाल धाकड़ जिला अध्यक्ष भाजपा।।
3 जिले में फैली अराजकता,भ्रष्टाचार,मुआवजा में देरी,पशुपतिनाथ मंदिर के मुद्दे के साथ मंडल अध्यक्ष दिनेश धनगर का मुद्दा भी आ गया था,कार्यकर्ता परेशान था,प्लानिंग पहले से थी।
नानालाल अटोलिया जिला अध्यक्ष युवा मोर्चा।।
क्या कहते हे कानून के जानकार
निष्कर्ष-पूरे घटनाक्रम और वर्तमान राजनैतिक और प्रशासनिक परिदृश्य को देखते हुए ये बात साफ़ परिलक्षित होती हे की लंबे समय बाद जिले में कोई ऐसा स्वतंत्र कुमार सिंह के रूप में प्रशासनिक आईएएस आया हे जो केवल सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने और जिले को एक समृद्ध जिला बनाने की सोच और काबिलियत रखता हे और इस दिशा में कई बड़ी योजनाओं पर काम भी शुरू हो चूका हे,लेकिन स्वार्थगत और अपरिपक्व राजनीति के चलते ये जिला एक बार फिर पिछड़ता हुआ दिख रहा हे, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के राज में अगर मन्दसौर जिले में इस प्रकार की ओछी और निम्न स्तर की राजनीति होगी तो विकास कैसे संभव होगा। बेहतर होगा अपना राग छोड़कर सब बढे,सबका विकास हो और ये जिला समृद्ध बने,यहाँ के किसान खुशहाल हो। जहाँ तक राजस्व महकमे में फर्जी रजिस्ट्रियों और जमीन की हेराफेरी के मामले हुए हे तो ऐसे मामलों में पुलिस में अपराधिक मामले कर आरोपियों को गिरफ्तार भी किया हे। फर्जी रजिस्ट्री और जमीन हेराफेरी मामले में कोई भी कर्मचारी या अधिकारी शामिल हो सबके ऊपर सख्त कार्रवाई होना चाहिए।जिले का विकास और अपराधों पर नियंत्रण केवल प्रशासन, जनप्रतिनिधि या पुलिस की ही नहीं, हम सबकी भी जवाबदारी हे।।
नरेंद्र धनोतिया।।