Thursday, December 30, 2010

बैतूल: ग्राम पंचायत के सचिव से लेकर कलैक्टर तक को लगी मालामाल लाटरी

लोकायुक्त तक मैनेज, आखिर कब तक सोती रहेगी सीबीआई
बैतूल से रामकिशोर पंवार की विशेष रिर्पोट
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)

बैतूल। भारत सरकार के ग्रामिण रोजगार मंत्रालय द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत बैतूल जिले में विगत बीते वर्षो में हुये कार्यो की मुल्याकंन रिर्पोट में जो तस्वीर सामने आई है वह काफी चौकान्ने वाली है। बैतूल जिले की घोडाडोंगरी जनपद में दस पंचायतो के सरपंच एवं सचिवो के खिलाफ लगभग चालिस लाख रूपयें की रिक्वरी - वसूली के आदेश जारी हुये है। जिले में दस जनपद पंचायते है जहां पर हर दुसरी - तीसरी ग्राम पंचायत के सरपंच एवं सचिव के खिलाफ रिक्वरी - वसूली के आदेश जारी हुये है। आडिट रिर्पोट से पहले कार्यो के मुल्याकंन में पाई गई जांच में जिले की 558 ग्राम पंचायतो में से 116 के खिलाफ गडबडी एवं भ्रष्ट्राचार की गंभीर शिकायते प्राप्त हुई है।
भाजपा शासन काल में बहुचर्चित इस आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के तीन पूर्व कलैक्टरो एवं चार मुख्य कार्यपालन अधिकारी के खिलाफ लोकायुक्त की टीम चार बार बैतूल जिले मे अपनी गुपचुप छापामार कार्यवाही के बाद सचिव से लेकर कलैक्टर तक से मैनेज होकर वापस लौट गई। दरअसल में बैतूल जिले में पंचायतो में फर्जीवाडे की शुरूआत पूर्व कलैक्टर एवं मुख्यमंत्री कार्यालय में दस वर्षो तक पदस्थ रहे चन्द्रहास दुबे के समय से हुई है। उनके समय ही पोल फेंसिंग का कार्य शुरू हुआ जिसमें घटिया पोल की सप्लाई से लेकर फेंसिंग तक का उपयोग हुआ जो कि आज भी गांवो की ओर जाने वाले मार्गो से नदारत है। कुछ स्थानो पर सीमेंट के पोलो के अवशेष देखने को मिलेगें जो कि स्वंय इसमें हुये भ्रष्ट्राचार की कहानी बयां करते है। जिले में उसके बाद पूर्व जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी अरूण भटट् कलैक्टर बन कर आये।
अपने पूरे कार्यकाल में जिले की 558 ग्राम पंचायतो में इस कदर लूट मची कि जिले में फर्जीवाडे के बाद भी प्रदेश में सर्वप्रथम का तमगा लाने में अरूण भटट् ने कमाल दिखा दिया। ग्राम स्वराज में मची लूट - खसोअ का ही नतीजा था कि जिले में पंचायत चुनाव लोगो को कमाई का पांच साल का ऐसा टेण्डर मिला की उसे हर कोई पाने को टूट पडा। बैतूल जिले में किसी ने अपनी पत्नि को तो किसी ने अपने पुत्र को सरपंच का चुनाव जिताने में धनबल से लेकर बाहुबल तक का उयपोग करने में कोई कसर नही छोड़ी। तीन बार लोकायुक्त के गुपचुप छापे से डरे - सहमें पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबूसिंह जामोद ने इस साल के आखरी जिले से जाने में अपनी भलाई समझी। वर्तमान कलैक्टर अपनी पूर्व कलैक्टर पद की पदस्थापना के दौरान उन जिलो में भ्रष्टाचार के नये आयाम स्थापित करने के बाद अब सेवानिवृत होने के पहले इतना सब कुछ बटोरने में लगे है कि उनकी सात पीढ़ी आराम से बैठ कर खा सके। आज यही कारण है कि धारा 40 के तहत उन्ही सरपंचो को नोटिस दिया गया या फिर हटाया गया है जो किसी भी तरह से मैनेज नहीं हो सके है।
बेतूल जिले की आधी से ज्यादा पंचायतो के सरपंच या तो अशिक्षित है या फिर आदिवासी - दलित एवं पिछडे वर्ग के जो किसी न किी के मोहरे बन कर काम कर रहे है। ऐसे लोगो की आड़ में जबरदस्त मची लूट को नजर अंदाज कर सीबीआई बैतूल जिला मुख्यालय पर एक साल से पारधी कांड की जांच के बहाने अपना कैम्प लगाने के बाद भी कुंभकरणी निंद्रा में सोई हुई है जिसके चलते अब सीबीआई का डर भी भ्रष्ट्राचारियो के दिलो - दिमाग से दूर हो गया है। बैतूल जिले में भारत सरकार के पंचायती राज्य का जो बेडागर्क हुआ है वह काफी सनसनी पैदा करने वाला है। अरबो - खरबो के केन्द्र सरकार से मिले विभिन्न योजनाओं के अनुदान ने जिले के अधिकांश सचिवो की माली हालत में काफी सुधार ला दिया है। गांव की सड़के भले ही न सुधरी हो लेकिन सरपंच एवं सचिवो के बंगले जरूर बन गये है। जिले का हर दुसरा ग्राम पंचायत का दो हजार रूपये की नौकरी करने वाला अस्थायी सचिव आज की मौजूदा परिस्थति में लखपति से लेकर करोड़पति तक बन चुका है।
कपीलधार कूप योजना की बात हो या फिर वानिकी एवं फलोउद्यान योजना हर किसी में इस सीमा तक भ्रष्ट्राचार हुआ है कि गांवो में दस प्रतिशत भी पौधे - पेड नहीं बन सके है। गांवो तक पहुंच मार्गो के दो ओर की गई फेंसिग का प्रकरण हो या फिर मेड बंधान का सबके सब भ्रष्ट्राचार की भेट चढ़ गये है। बैतूल जिले का अधिकांश सरपंच एवं सचिव सत्ताधारी दल से जुडा होने के कारण न तो उनके खिलाफ पुलिस में एफ आई आर दर्ज हो सकी है और न वसूली ऐसी स्थिति में गांव के भ्रष्ट्राचार ने पूरी की पूरी व्यवस्था को दागदार बना दिया है। वैसे बैतूल जिले को भले प्रथम पुरूस्कार मिला हो लेकिन उसके भ्रष्ट्राचार में भी नम्बर वन के मुकाम को कोई नहीं छु सकता है। एक जानकारी के अनुसार 2 फरवरी 2006 से लेकर 15 दिसम्बर 2010 तक मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत 558 ग्राम पंचायतो में कुल 1 हजार 343 ग्रामों के 2 लाख 33 हजार 707 जाबकार्ड धारको को 5 करोड 73 लाख 95 हजार 67 की संख्या में बीते चार वर्षो में काम दिया गया। प्रत्येक जाबकार्ड परिवार के एक सदस्य को पूरे साल में प्रस्तावित सौ दिना का रोजगार दिया जाना है। गांवो में लोगो के जाबकार्ड भले ही कोरे हो लेकिन आन रिकार्ड में सभी को रोजगार दिया जा चुका है। गांवो में काम मांगते लोगो के सरपंच - सचिव - कलैक्टर के दरबारो में आकर गिडगिडाने का सिलसिला आज भी बरकरार है।
शासकीय रिकार्ड के अनुसार अभी तक इस योजना के कथित सफल क्रियाव्यन के लिए बैतूल जिले को देश - प्रदेश में पहला स्थान मिल चुका है। शासन ने 30 प्रतिशत महिला कामगारो को रोजगार देने का बैतूल जिले के लिए लक्ष्य रखा था लेकिन जिले ने 40 प्रतिशत महिलाओं को काम दिया गया है लेेकिन गांवो में आज भी काम मांगती महिलाओं की स्थिति किसी भिखारी से भी कई गुजरी हो चुकी है क्योकि उसे किसी न किसी घर से भीख जरूर मिल जायेगी लेकिन जाबकार्ड लेकर गांव की चौपाल से लेकर बैतूल तक आती महिलाओं की आपबीती शर्मसार कर देने वाली है। जिन सरकारी आकडो पर बैतूल जिले ने मध्यप्रदेश में अव्वल नम्बर का स्थान पाया उस आकडो में बताया गया कि राष्ट्रीय रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो के मे बसे 1 हजार 343 ग्रामों के 2 लाख 33 हजार 707 जाबकार्ड धारको को अभी तक 5 अरब 61 करोड 67 हजार 5 सौ रूपये की राशी का भुगतान किया जा चुका है। बैतूल जिले में इस योजना के तहत आज दिनांक कपीलधारा योजना के 65 हजार 495 कार्य पूर्ण होना तथा 12 हजार 85 कार्य प्रगति पर बताया गया।
मध्यप्रदेश के इस आदिवासी बाहुल्य जिले की कुल आबादी 13 लाख 95 हजार 175 है। इन आकडो की सच्चाई को जानने के लिए कपिलधारा योजना के तहत खुदवाये गये कुओ के कथित निमार्ण कार्य में बडे पैमाने पर भ्रष्ट्राचार एवं निमार्ण कार्य की गुणवत्ता के चलते बासपानी की एक युवती की जान तब चली गई जब एक बार धंस चुके कुये को पुनरू बनवाया जा रहा था। बासपुर ग्राम पंचायत द्वारा बीते वर्ष 2008 में ग्राम पंचायत के एक कपिलधारा योजना के लाभार्थी रमेश का कुआ पिछली बरसात के बाद पूरी तरह धस गया। उक्त कुये को बिना स्वीकृति के पुरानी तीथी में निमार्णधीन दर्शा कर उसका निमार्ण कार्य किया जा रहा था लेकिन ग्राम पंचायत के एक पंच तुलसीराम सहित 5 अन्य मजदुर गंभीर रूप से घायल हो गये तथा एक युवती सनिया की जान चली गई।
कुये में धंस कर जान गवा चुकी सनिया को उसके काम की मजदुरी भी पूरी नहीं मिल सकी और वह कपिलधारा योजना के तहत निमार्णधीन घटिया कार्यो की बेदी पर चढा दी गई। बैतूल जिले में जिला मुख्यालय पर जिले की किसी न किसी ग्राम पंचायत में कपिलधारा योजना के तहत निमार्णधीन कुओ के निमार्ण कार्य एवं मजदुरी का मामला लेकर दर्जनो ग्रामिणो का जमावडा आम बात रहने के बाद भी भाजपा शासनकाल में बैतूल जिला कलैक्टर को पदोन्नति के बाद भी बैतूल में अगंद के पाव की तरह जमे बैतूल कलैक्टर अरूण भटट ने आबकारी आयुक्त बनने के बाद ही बैतूल जिले से बिदाई ली। श्री भटट् को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के कथित एजेंट के रूप में देखा जा रहा था क्योकि उनके काय्रकाल में भाजपा एक नहीं बल्कि दो चुनाव जीत सकी है। स्वंय बैतूल के पूर्व कलैक्टर श्री भटट् अपने को मुख्यमंत्री के कथित सदस्य एवं मुख्यमंत्री की जीवन संगनी श्रीमति साधना सिंह के कथित भाई के रूप में प्रचारित करवा कर उनके लिए हर तरह के कार्य कर चुके है और यही कारण है कि उन्होने मुख्यमंत्री के प्रति अपने कथित विश्वास को उनकी पार्टी की लोकसभा उप चुनाव एवं विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के रूप में जीवित रखा है। बैतूल जैसे पिछडे जिले में जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में कार्य कर चुके अरूण भटट के समय के ताप्ती सरोवर आज पूरे जिले में सुखे पडे है तथा कई तो अपने मूल स्वरूप को खो चुके है।
इस जिले में रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत कम मजदुरी एवं अकुशल श्रमिको के शारीरिक - मानसिक - आर्थिक शोषण को लेकर श्रमिक आदिवासी संगठन एवं समाजवादी परिषद श्रमिक नेता मंगल सिंह के नेतृत्व में बीते वर्ष 2006 से लेकर 2 फरवरी 2010 तक हजारो धरना - प्रदर्शन कर चुके है। विधानसभा में काग्रेंस के विधायक सुखदेव पांसे भी उस योजना में व्यापत भ्रष्टाचार एवं मजदुरो के शोषण का मामला उठा चुके जिस योजना के लिए बैतूल जिले में पदस्थ रहने वाले सभी कलैक्टर राज्य एवं केन्द्र सरकार से अपनी पीठ को थपथपाने में महारथ हासील करने में कोई कसर नहीं छोड रहे है। बैतूल जिले के जिन कपिलधारा के कुओ को किसानो के लिए वरदान बताया जा रहा है उन कुओ के निमार्ण कार्य में जिन लोगो को लाभार्थी दर्शाया गया है उनमें से कई ऐसे हितग्राही है जिनके पुराने कुओ को नया बता कर कुओ के लिए स्वीकृत राशी को सरपंच - सचिव - इंजीनियर एवं सबंधित योजना के अधिकारी आपस में बाट कर खा गये। हितग्राही को सरकारी कागजो पर उसके कुये के बदले में कुल स्वीकृत राशी का दस प्रतिशत भी नहीं मिल पाया है।
बैतूल जिले के सैकडो हितग्राहियो के नाम ऊंगली पर गिनाये जा सकते है जिनके पुराने कुओ को सरकारी कागजो में नया बता कर फजी रोजगार उन जाबकार्डो में दर्शाया गया है जिन्हे साल में निर्धारित दिवस का रोजगार तक वास्तवीक रूप में नहीं मिल सका है।बैतूल जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतो के सरपंच एवं सचिव कल तक भले ही सड़क छाप थे लेकिन पंचायती राज की मालामाल लाटरी के हाथ लगते ही वे अब टाटा इंडिका में घुमने लगे है। भाजपा शासन काल में शुरू की गई कपिल धारा कूप निमार्ण योजना को हर साल बरसात में श्राप लगता है लेकिन अब तो गर्मी और कडाके ठंड में भी कूपो के धसंने की घटनाये सुनने को मिलने लगी है। केन्द्र सरकार द्वारा दिये गये रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत दिये गये अनुदान से मध्यप्रदेश में शुरू की गई कपिल कूप योजना के तहत बैतूल जिले की दस जनपदो एवं 558 ग्राम पंचायतो में बनने वाले कुओं में ंसे अधिकांश पहली ही बरसात में धंसक चुके है।
राज्य शासन द्घारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के ग्रामिण किसानो की 5 एकड़ भूमि पर 91 हजार रूपये की लागत से खुदवाये जाने वाले कुओं के लिए बैतूल जिला पंचायत एनआरजीपी योजना के तहत मोटे तौर पर देखा जाये तो 91 हजार रूपये के हिसाब से करोड़ो रूपयो का अनुदान केन्द्र सरकार से मिला। ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच एवं सचिव को कपिल धारा कूप निमार्ण की एजेंसी नियुक्त कर जिला पंचायत ने ग्राम के सरंपचो एवं सचिवो की बदहाली को दूर कर उन्हे मालामाल कर दिया है। एक - एक ग्राम पंचायत में 20 से 25 से कपिल धारा के कुओं का निमार्ण कार्य करवाया गया। 24 हजार 75 हजार रूपये जिस भी ग्राम पंचायत को मिले है उन ग्राम पंचायतो के सरपंचो एवं सचिवो ने एनआरजीपी योजना के तहत कार्य करवाने के बजाय कई कुओं का निमार्ण कार्य जेसीबी मशीनो से ही करवाया डाला। आनन - फानन कहीं सरकारी योजना की राशी लेप्स न हो जाये इसलिए सरपंचो ने बैतूल जिले में 545 ग्राम पंचायतो में इस वर्ष 2 हजार 477 कुओं का निमार्ण कार्य पूर्ण बता कर अपने खाते में आई राशी को निकाल कर उसे खर्च कर डाली।
हर रोज जिला मुख्यालय पर कोई न कोई ग्राम पंचायत से दर्जनो मजदुर अपनी कपिल धारा योजना के तहत कुओं के निमार्ण की मजदुरी का रोना लेकर आता जा रहा है। अभी तक जिला प्रशासन के पास सरकारी रिकार्ड में दर्ज के अनुसार 337 ग्राम पंचायतो की शिकायते उन्हे अलग - अगल माध्यमो से मिली है। इन शिकायतो में मुख्यमंत्री से लेकर जिला कलैक्टर का जनता तथा सासंद का दरबार भी शामिल है। आये दिन किसी न किसी ग्राम पंचायत की कपिल भ्रष्टड्ढ्राचार धारा के बहने से प्रभावित लोगो की त्रासदी की $खबरे पढऩें को मिल रही है। अभी तक 9 हजार 411 कुओं का निमार्ण कार्य हो रहा है जिसमें से 6 हजार 934 कुओं के मालिको का कहना है कि उनके खेतो में खुदवाये गये कुएं इस बरसात में पूरी तरह धंस जायेगें। मई 2008 तक की स्थिति में जिन कुओं का निमार्ण हो रहा है उनमें से अधिकांश के मालिको ने आकर अपनी मनोव्यथा जिला कलैक्टर को व्यक्त कर चुके है। सबसे ज्यादा चौकान्ने वाली जानकारी तो यह सामने आई है कि बैतूल जिले के अधिकांश सरपंचो ने अपने नाते -रिश्तेदारो के नामों पर कपिल धारा के कुओं का निमार्ण कार्य स्वीकृत करवाने के साथ - साथ पुराने कुओं को नया बता कर उसकी निमार्ण राशी हड़प डाली।
जिले के कई गांवो में तो इन पंक्तियो के लिखे जाने तक पहली बरसात के पहले चरण मेें ही कई कुओं के धसक जाने की सूचनायें ग्रामिणो द्घारा जिला पंचायत से लेकर कलैक्टर कार्यालय तक पहँुचाई जा रही है। हाथो में आवेदन लेकर कुओं के धसक जाने , कुओं के निमार्ण एवं स्वीकृति में पक्षपात पूर्ण तरीका बरतने तथा कुओं के निमार्ण कार्य लगे मजदुरो को समय पर मजदुरी नहीं मिलने की शिकायते लेकर रोज किसी न किसी गांव का समुह नेताओं और अधिकारियों के आगे पीछे घुमता दिखाई पड़ ही जाता है। ग्रामिण क्षेत्रो में खुदवाये गये कपिल धारा के कुओं को डबल रींग की जुड़ाई की जाना है लेकिन कुओं की बांधने के लिए आवश्क्य फाड़ी के पत्थरो के प्रभाव नदी नालो के बोल्डरो से ही काम करवा कर इति श्री कर ली जा रही है।
कुओं की बंधाई का काम करने वाले कारीगरो की कमी के चलते भी कई कुओं का निमार्ण तो हो गया लेकिन उसकी चौड़ाई और गहराई निर्धारीत मापदण्ड पर खरी न उतरने के बाद भी सरपंच एवं सचिवो ने सारी रकम का बैंको से आहरण कर सारा का सारा माल ह$जम कर लिया। जिले में एनआरजीपी योजना का सबसे बड़ा भ्रष्टड्ढ्राचार का केन्द्र बना है कपिल धारा का कुआं निमार्ण कार्य जिसमें सरपंच और सचिव से लेकर जिला पंचायत तक के अधिकारी - कर्मचारी जमकर माल सूतने में लगे हुये है। भीमपुर जनपद के ग्राम बोरकुण्ड के सुखा वल्द लाखा जी कामडवा वल्द हीरा जी तुलसी जौजे दयाराम , रमा जौजे सोमा , नवलू वल्द जीवन , तुलसीराम की मां श्रीमति बायलो बाई जौजे बाबूलाल , चम्पालाल वल्द मन्नू के कुओं का निमार्ण कार्य तो हुआ लेकिन सभी इस बरसात में धंसक गये। बैतूल जिला मुख्यालय से लगभग 120 किलो मीटर की दूरी पर स्थित दुरस्थ आदिवासी ग्राम पंचायत बोरकुण्ड के लगभग सौ सवा सौ ग्रामिणो ने बैतूल जिला मुख्यालय पर आकर में आकर दर्जनो आवेदन पत्र जहां - तहां देकर बताया कि ग्राम पंचायत में इस सत्र में बने सभी 24 कुओं के निमार्ण कार्य की उन्हे आज दिनांक तक मजदुरी नहीं मिली।
बैतूल जिले की साई खण्डारा ग्राम पंचायत निवासी रमेश कुमरे के परतापुर ग्राम पंचायत में बनने वाले कपिलधारा के कुओं का निमार्ण बीते वर्ष में किया गया। जिस कुये का निमार्ण वर्ष 2007 में पूर्ण बताया गया जिसकी लागत 44 हजार आंकी गई उस कुये का निमार्ण पूर्ण भी नहीं हो पाया और बीते वर्ष बरसात में धंस गया। दो साल से बन रहे इस कुये का इन पंक्तियो के लिखे जाने तक बंधाई का काम चल रहा है लेकिन न तो कुआं पूर्ण से बंध पाया है और न उसकी निर्धारित मापदण्ड अनुरूप खुदाई हो पाई है। इस बार भी बरसात में इस कुये के धसकने की संभावनायें दिखाई दे रही है। रमेश कुमरे को यह तक पता नहीं कि उसके कुआ निमार्ण के लिए ग्राम पंचायत को कितनी राशी स्वीकृत की गई है तथा पंचायत ने अभी तक कितने रूपयो का बैंक से आहरण किया है। ग्राम पंचायत के कपिलधारा के कुओ के निमार्ण कार्य में किसी भी प्रकार की ठेकेदारी वर्जित रहने के बाद भी कुओं की बंधाई का काम ठेके पर चल रहा है।
ग्राम पंचायत झीटापाटी के सरपंच जौहरी वाडिया के अनुसार ग्राम पंचायत झीटापाटी में 32 कुओ का निमार्ण कार्य स्वीकृत हुआ है लेकिन सरपंच ने कुओ के निमार्ण के आई राशी का उपयोग अन्य कार्यो में कर लिया। गांव के ग्रामिणो की बात माने तो पता चलता है कि इस ग्राम पंचायत में मात्र 16 ही कुओ का निमार्ण कार्य हुआ। सरपंच जौहरी वाडिया और सचिव गुलाब राव पण्डागरे ने इन 16 कुओ के निमार्ण कार्य में मात्र 6 लाख रूपये की राशी खर्च कर शेष राशी का आपसी बटवारा कर लिया। आर्दश ग्राम पंचायत कही जाने वाली आमला जनपद की इस ग्राम पंचायत में आज भी 16 कुओ का कोई अता - पता नहीं है। पहाड़ी क्षेत्र की पत्थरो की चटटड्ढनो की खदानो का यह क्षेत्र जहां पर 16 कुओ जिस मापदण्ड पर खुदने चाहिये थे नहीं खुदे और जनपद से लेकर सरपंच तक ने 16 कुओ की खुदाई सरकारी रिकार्ड में होना बता कर पूरे पैसे खर्च कर डाले।
सवाल यह उठता है कि जहाँ पर पत्थरो की चटटनो को तोडऩे के लिए बारूद और डिटोनेटर्स का उपयोग करना पड़ता है वहां पर कुओ का निमार्ण कार्य उसकी चौड़ाई - गहराई अनरूप कैसे संभव हो गया..? कई ग्रामवासियो का तो यहां तक कहना है कि सरपंच और सचिव ने उनके कुओ की बंधाई इसलिए नहीं करवाई क्योकि पहाड़ी पत्थरो की चटटनी क्षेत्र के है इसलिए इनके धसकने के कोई चांस नहीं है। भले ही इन सभी कुओ की बंधाई सीमेंट और लोहे से न हुई हो पर बिल तो सरकारी रिकार्ड में सभी के लगे हुये है। इस समय पूरे जिले में पहली ही रिमझीम बरसात से कुओं का धसकना जारी है साथ ही अपने कुओ पर उनके परिजनो द्घारा किये गये कार्य की मजदुरी तक उन्हे नहीं मिली। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार की अति महत्वाकांक्षी कपिलधारा कूप योजना का एक कडवा सच भी सामने आया है कि प्रत्येक कूपो में उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री का उपयोग अब सी बी आई के लिए अनुसंधान का केन्द्र बना हुआ है। जिले की 558 ग्र्राम पंचायतो में से आधे से अधिक ग्राम पंचायतो द्वारा कूपो के निमार्ण के लिए जिस विस्फोटक सामग्री उपयोगकत्र्ता एवं सप्लायर को भुगतान किया गया है वह राजस्थान का मूल निवासी है तथा वर्तमान समय में उसका बैतूल जिले के खोमई गांव में मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र की सीमा पर बारूद संग्रहण भंडार भी है।
जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायतो ने औसतन 20 कपिलधारा योजना के कूपो के लिए पांच हजार रूपये प्रति कूप के हिसाब से जिस शेखावत परिवार को भुगतान किया गया है उसने स्वंय को बचाने एवं राजनैतिक संरक्षण आने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। कभी वह अपने आप को भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत का तो कभी वर्तमान महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभादेवी सिंह शेखावत के करीबी बता कर बैतूल जिले में बडे पैमाने पर फर्जी एवं अवैध रूप से बारूद - जिलेटीन - डिटोनेटर्स - अन्य विस्फोटक सामग्री गोरखधंधा कर रहा है। बैतूल जिले के भैसदेही - आठनेर - भीमपुर - मुलताई - बैतूल के भाजपा नेताओं के संरक्षण में अभी तक सैकड़ो ट्रको की सप्लाई वह जिले की सैकड़ो ग्राम पंचायतो के हजारो कपिलधारा योजना के कूपो के लिए कर चुका यह सप्लायर को उतनी मात्रा में सपलाई हुई नहीं जितनी की वह खपत का ग्राम पंचायतो से भुगतान पा चुका है।
जबसे सागर से लापता हुये बारूद के ट्रको का मामला सामने आया तबसे बैतूल जिले का सबसे बड़ा विस्फोटक सप्लायर एवं उपयोगकत्र्ता खोमई का शेखावत परिवार भाजपा नेताओं के संरक्षण में है। भैसदेही क्षेत्र से जिला पंचायत के सदस्य एवं इंका नेता पंजाब राव कवड़कर एवं भैसदेही क्षेत्र के इंका विधायक धरमू सिंह ने प्रदेश की भाजपा सरकार से कपिलधारा कूपो के निमार्ण कार्य में उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री के मामले की सी बी आई से जाचं की मांग की लेकिन कुद दिनो के बाद दोनो नेताओ के सूर और ताल बदल गये। दोनो कांग्रेस के दिग्गज नेताओ ने इस संवेदनश्रील मामले को लेकर पहले तो जन आन्दोलन की भी धमकी दी थी लेकिन अब उसकी भी न जाने क्यों हवा निकल गई। बैतूल जिले में अभी तक उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री की खफत आवक से 70 गुण ज्यादा बताई जा रही है। बैतूल जिले में जिन लोगो के पास विस्फोटक सामग्री के संग्रहण एवं उपयोग के लायसेंस एवं पंजीयन प्रमाण पत्र है उनमें से मात्र दस प्रतिशत लोगो के लिए बिल ग्राम पंचायतो में लगे है शेष सभी 90 प्रतिशत से अधिक के बिल खोमई - गुदगांव के बब्बू शेखावत की कपंनी के लगे हुये है।
ग्रामिणो का सीधा आरोप है कि महिला अशिक्षित एवं आदिवासी होने के कारण उसका लड़का ही गांव की सरपंची करता रहता है। राष्टड्ढ्रपिता महात्मा गांधी का पंचायती राज का सपना इन गांवो में चकनाचूर होते न$जर आ रहा है क्योकि कहीं सरपंच अनपढ़ है तो कई पंच ऐसे में पूरा लेन - देन सचिवो के हाथो में रहता है। अकसर जिला मुख्यालय तक आने वाली अधिकांश शिकायतो और सरंपचो को मिलने वाले धारा 40 के नोटिसो के पीछे की कहानी पंचायती राज में फैले भ्रष्टड्ढ्राचार का वाजीब हिस्सा न मिलने के चलते ही सामने आती है। बैतूल जिले में 545 ग्राम पंचायतो के सरपंचो और सचिव के पास पहले तो साइकिले तक नहीं थी अब तो वे नई - नई फोर व्हीलर गाडिय़ो में घुमते न$जर आ रहे है। जिले में सरपंच संघ और सचिव संघ तक बन गये है जिनके अध्यक्षो की स्थिति किसी मंत्री से कम नहीं रहती है। अकसर समाचार पत्रो में सत्ताधारी दल के नेताओं और मंत्रियो के साथ इनके छपने वाले और शहरो में लगने वाले होर्डिंगो के पीछे का खर्च कहीं न कहीं पंचायती राज के काम - काज पर ऊंगली उठाता है। बैतूल जिले में अभी तक अरबो रूपयो का अनुदान कपिलधारा के कुओ के लिए आ चुका है लेकिन रिजल्ट हर साल की बरसात में बह जाता है।
अब राज्य सरकार केन्द्र सरकार से मिलने वाले अनुदानो का अगर इसी तरह हश्र होने देगी तो वह दिन दूर नहीं जब पंचायती राज न होकर पंचायती साम्राज्य बन जायेगा जिसके लिए बोली लगेगी या फिर गोली......जिले में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत 3 हजार 895 स्वसहायता समूहो के लिए वर्ष 2007 एवं 2008 में 770.72 लाख रूपये का ऋण स्वीकृत कर उन्हे रोजगार शुरू करने के लिए दिये जा चुके है लेकिन जिले में कई ऐसे फजी स्वसहायता समूह के नाम उजागर हुये जिनके नाम और काम की कथित आड लेकर सरकारी रूपयो की हेराफेरी की गई है। बैतूल जिले में 5182.739 लाख रूपये में 1हजार 481 ग्रामिण सडको का निमाण कार्य करवाया गया है उनमें से अधिकांश सडको का निमार्ण कार्य भाजपाई ठेकेदारो द्धारा करवाय जाने से अधिकंाश सडके अपने मूल स्वरूप को खो चुकी है। जिले में 3132.280 लाख रूपये से 5 हजार 590 जल संरक्षण के कार्य करवाये गये उसके बाद भी जिले का जल स्तर नहीं बढ सका है। बैतूल जिले को सुखा अभाव ग्रस्त जिला घोषित किया गया है। जिले में इन पंक्तियो के लिखे जाने तक 21 लाख पौधो का रोपण कार्य कागजा पर दिखा कर सरकारी राशी को खर्च तो कर डाला है पर जिले में इन पंक्तियो के लिखे जाने तक कथित हरियाली के दावो को जिले में बडे पैमाने पर होने वाली अवैध कटाई से न देख कर उन पौधो की ही बात की जाये तो एक कडवी सच्चाई यह सामने आ रही है कि जिले में बमुश्कील दस लाख पौधे भी जीवित स्थिति में नहीं है। जिले में नंदन फलोउद्यान योजना का यह हाल है कि जिले में इस योजना के तहत शाहपुर जनपद में बुलवाये गये हजारो पौधे रापित होने के पूर्व ही काल के गाल में समा गये। जिन 4 हजार 226 चिन्हीत हितग्राही में से मात्र 2 हजार 630 हितग्राहियो को कुल स्वीकृत 2243.620 हेक्टर भूमि में से मात्र 353.181 हेक्टर भूमि पर 58 हजार 883 पौधो को लगाने के लिए नंदन फलोउद्यान योजना को लंदन फलोउद्यान योजना समझ कर सरपंच एवं सचिवो ने अपने आला अफसरो के साथ मिल कर खुब लूट - खसोट की।
जिले में स्वीकृत राशी 1380.427 लाख रूपये में से 107. 343 लाख रूपये कथित हरियाली में खुशीयाली सिद्धांत को प्रतिपादित करने के नाम खर्च कर डाली गई। आकडो की बाजीगरी पर जरा गौर फरमाये तो पता चलाता है कि ग्रामिण यांत्रिकी विभाग के पास 167 स्वीकृत है जिसमें से उसने मात्र 19 कार्य पूर्ण तथा 78 कार्यो को प्रगति पर बता कर स्वीकृत लागत राशी 3019.581 लाख रूपये में से अभी तक 996.574 लाख रूपये खर्च कर डाले। इसी कडी में जल संसाधन विभाग ने कुल स्वीकृत 113 कार्यो में से एक भी कार्य को पूर्ण नहीं किया और कुल स्वीकृत 563.658 लाख रूपये में से कथित 23 कार्यो को प्रगति पर बता कर 166.866 लाख रूपये खर्च कर डाले। लोक निमार्ण विभाग ने अपने 8 स्वीकृत कार्यो में से एक भी कार्य को पूर्ण नही किया और 8 कार्यो को प्रगति पर बता कर कुल स्वीकृत 156.89 लाख रूपये में से 38.81 लाख रूपये खर्च कर डाले।
सबसे अधिक वन विभाग ने अपनी पूरे जिले में फैली वन सुरक्षा समितियों की आड में 1027 कार्य स्वीकृत कर उनसे से मात्र 1 कार्य को पूर्ण बता कर 514 कार्यो की प्रगति के लिए स्वीकृत 2010.749 लाख रूपये में से 170.433 लाख रूपये का व्यय बता कर उक्त राशी का कथित कागजी गोलमाल करने मेें बाजीगरी दिखा डाली। सबसे आश्चर्य चकित करने वाली बात यह है कि फलोउद्यान विभाग ने मात्र एक कार्य को स्वीकृत करने में महारथ तो हासिल की पर उसे भी पूर्ण नहीं किया और उसकी प्रगति के लिए 8.33 लाख रूपये में से 6.85 लाख रूपये खर्च कर डाले। फलोउद्यान विभाग अपने इस कार्य को न तो दिखा सका है और न उसकी प्रगति को परिभाषित कर पाया है। कृषि विभाग ने भी अपने 4 स्वीकृत कार्यो को प्रगति पर बता कर एक कार्य को भी पूर्ण होना न बता कर उक्त कथित प्रगति के लिए 44.770 लाख रूपये में अभी तक 27.067 लाख रूपयो का बिल बाऊचर पेश कर सभी रूपयो को खातो से निकाल बाहर कर उसे रफा - दफा कर डाला। बैतूल जिले में 1 हजार 582 स्वीकृत कार्यो मेें मात्र 58 कार्य पूर्ण तथा 708 कार्य अपूर्ण है। जिले की विभागवार 7 निमार्ण एजेंसी कुल स्वीकृत राशी 5928.593 लाख रूपये में से 1406.60 लाख रूपये खर्च कर चुकी है। बैतूल जिले में किसानो को एक नारा देकर बहलाने एवं फुसलाने का काम किया गया कि हर खेत की मेड और हर मेड पर एक पेड लेकिन सच्चाई कुछ और ही बयंा करती है।
सतपुडा की पहाडियों से घिरे बैतूल जिले में पानी के कथित बहाव एवं बाढ के पानी से भूमि के कटाव को रोकने के लिए 893.184 हेक्टर के क्षेत्रफल की भूमि को चिन्हीत किया जिसमें से 3.38.891 मीटर की भूमि पर कथित कंटूर ट्रंच का निमार्ण कार्य किया गया तथा उबड - खाबड भूमि को समतल करने के लिए भूमि शिल्प उप योजना के तहत 1035215मीटी भूमि पर कथित मेड बंधान का कार्य पूर्ण होना बताया गया लेकिन खेतो की मेड दिखाई दे रही है और समतल भूमि जिस पर रोजगार ग्यारंटी योजना का करोडो रूपैया पानी की तरह बहा दिया गया। बैतूल जिले में दस जनपदो से अध्यक्ष एवं मुख्यकार्यपालन अधिकारियों एवं 558 ग्राम पंचायतो के सरपंचो तथा सचिवो से प्रत्येक स्वीकृत कार्य के लिए तथा पूर्ण होने के बाद कथित चौथ वसूली के कारण ही बाहर से आने वाली रोजगार ग्यारंटी योजना की सर्वेक्षण टीम को मोटी रकम एवं उनकी कथित सेवा चाकरी के बल पर चिचोली जनपद पंचायत में सडको के किनारे लगवाई गई फैसिंग के सीमेंट के पोलो में लोहे की राड के बदले बास की कमचियों के मिलने के दर्जनो मामलो को नजऱ अदंाज कर भारत सरकार के ग्रामिण रोजगार ग्यारंटी विभाग की टीम ने बैतूल जिले में बडे पैमाने पर हुये इस योजना में घोटले - भ्रष्ट्राचार - लूटखसोट - घटिया निमार्ण कार्य के मामलो को नजऱ अंदाज कर अपनी जेबो की जगह सूटकेस भर - भर माल ले जाकर बैतूल जिले को रोजगार ग्यारंटी योजना में प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में भी अव्वल नम्बर के जिलो की श्रेणी में ला खडा कर दिया।
आज बैतूल जैसे आदिवासी जिले में मुख्यमंत्री के कथित साले होने का फायदा उठाने में जिले के वर्तमान कलैक्टर ने कोई कसर नहीं छोडी। आज अपनी पदौन्नति के बाद बैतूल जिले में मुख्यमंत्री को लोकसभा के चुनावो में बैतूल जिले से जीत का सेहरा बंधवाने के बाद ही बैतूल जिले से उनकी बिदाई संभव है लेकिन राजनैतिक गलियारे में चर्चा जोरो पर है कि उन्हे नर्मदापूरम संभाग का कमीश्रर बनाया जा सकता है ताकि वे बैतूल से दोनो हाथो से लडडू खा सके। इस समय बैतूल जिले को चारागाह समझने वाले अफसरो में आरईएस के मेघवाल का नाम भी अव्वल दर्जे पर आता है। इस अधिकारी की बैतूल जिले में कमाई वाले विभाग में बरसो से अगंद के पांव की तरह जमें रहने के पीछे की सच्चाई के पीछे रोजगार ग्यारंटी योजना का पैसा ही दिखाई पडता है।
जिले में ग्रामिणी यांत्रिकी विभाग को सबसे बडा कमाई का माध्यम मानने वाले लोगो में नेता - अभिनेता - अफसर यहाँ तक की पत्रकार भी शामिल है। बैतूल जिले में वित्तीय वर्ष 2006 एवं 2007 में जल संवर्धन एवं संरक्षण के 1 हजार 107 कार्य पूर्ण बताये गये जबकि वर्ष वित्तीय वर्ष 2007 से अप्रेल 2008 में 1957 कार्य तथा वर्तमान में वित्तीय वर्ष 2008 एवं 2009 में 526 कार्य पूर्ण बताये गये। इसी कडी में सुखे की कथित रोकथाम एवं वनीकरण के लिए पहले चरण में 754 कार्य तथा दुसरे चरण में 555 तथा तीसरे चरण में एक भी कार्य पूर्ण नहीं हो सके है। अभी तक वैसे देखा जाये तो जिले में प्रथम चरण में 8 निमार्ण एजेंसियो द्धारा 6 हजार 519 कार्य एवं 6840 कार्य प्रगति पर बताये गये। दुसरे चरण में 7052 कार्य पूर्ण तथा 11333कार्य प्रगति पर बताये गये। तीसरे चरण में 1924 कार्य पूर्ण तथा 12085 कार्य प्रगति पर बताये गये है। अभी तक कुल तीनो चरणो में अरबो रूपये व्यय किये जा चुके है। ग्राम पंचायतो में भ्रष्ट्राचार की तस्वीर बयां करती एक घटना देखिये उस दिन जिला कलैक्टर की तथाकथित जन सुनवाई में उम्र लगभग 35 साल नाम चन्द्र किशोर वल्द हरिनंदन जाति विश्वकर्मा लोहार पिछड़ा वर्ग निवासी गुवाड़ी मोहल्ला ग्राम बिसलदेही ग्राम पंचायत सुखाढाना निवासी हाथ में एक कागज का टुकड़ा लेकर आता है और फरियाद करता है कि उसे ग्राम पंचायत ने उसके गरीबी रेखा के नीले कार्ड पर दर्ज पर दर्ज गरीबी रेखा सर्वे सूचि 2006 एवं बीपीएल सर्वेक्षण 2002 - 2003 पर पंजीयन क्रंमाक 51 के अनुसार उसे राज्य सरकार की कथित अपना घर योजना के लिए 35 हजार रूपये का अनुदान स्वीकृत किया जिसमें ग्राम पंचायत सुखाढाना ने उसके रोजगार ग्यारंटी के बगडोना स्थित बैंक में खाता क्रंमाक30531245626 में 17 हजार 5 सौ रूपये जमा करवा दिये एवं उसे एक चेक भी दिया कि वह उसके खाता क्रंमाक 30531245626 में जमा कर दे।
कुल 35 हजार रूपये में अपना घर का साकार करने वाले चन्द्रकिशोर से सरपंच श्रीमति शांता बाई के पति मांगीलाल एवं ग्राम पंचायत सुखाढाना के सचिव ने जबरन उसे अपने साथ ले जाकर स्वंय लिखित विडाल फार्म पर हस्ताक्षर करवा कर उसके खाते से 17 हजार 5 सौ रूपये निकाल लिये। अब चूँकि मामला कलैक्टर की जनसुनवाई के बहाने मीडिया तक पहँुचा तो सरपंच पति एवं सचिव उस पर दबाव डाल रहे है तथा लालच दे रहे है कि इस बार की योजना सिर्फ आदिवासी एवं दलित समाज के लोगो के लिए थी इसलिए चेक द्वारा जमा बाकी रूपये भी विडाल करके वापस कर दे। अगर वह ऐसा करता है तो ग्राम पंचायत की ओर से अगली बार उसे अपना घर के लिए 35 हजार रूपये का अर्थिक अनुदान मिल जायेगा। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो उसे वे किसी भी मामले में झुठा फंसा कर जेल भिजवा देगें। खबर लिखे जाने तक उस दबाव डालने की राजनीति हो रही थी। सरपंच सचिव का यह कहना है कि उनकी पार्टी के सासंद एवं विधायक है इसलिए कोई उनका बालबांका भी नहीं कर सकता। अब समस्या यह है कि इस खस्ता हाल मकान को देखने के बाद गांव के सरपंच एवं सचिव ने जब योजना पिछड़ा वर्ग के लोगो के लिए नहीं थी तो आखिर बिना किसी लोभ या लालच के उसके बैंक खाता क्रंमाक 30531245626 में 17 हजार 5 सौ रूपये कैसे डाल दिये.....? जब उसके खाते में रूपये डालने के साथ - साथ उसे 17 हजार 5 सौ रूपये का चेक भी क्यों जारी कर दिया.....? चलो एक पल के लिए मान भी लिया जायें कि ग्राम पंचायत सुखाढाना की तत्कालिन सरपंच श्रीमति शांताबाई पढ़ी - लिखी नहीं है लेकिन सचिव तो पढ़ा लिखा है। क्या उसे इतना भी पता नहीं कि कौन सी योजना किसके लिए बनी है.....? ऐसे में तो सचिव के खिलाफ यदि चन्द्रकिशोर किसी कारण वश दबाव में आ जाता है तब भी आर्थिक अपराध एवं जालसाजी का मुकदमा दर्ज करवाना जिला प्रशासन का नैतिक दायित्व है क्योकि दस्तावेजो में साफ दिखाई देता है कि उसके खाते में पैसे जमा होने के बाद उसके खाते से पैसे निकाले गये है तथा बाकी के पैसो के निकाले जाने के लिए उस पर दबाव डाला जा रहा है।
चन्द्रकिशोर से जब पत्रकार मिले और उसने अपनी पीड़ा बताई जिस पर चन्द्रकिशोर विश्वकर्मा की आपबीती पर जब ग्राम पंचायत के सरपंच एवं सचिव जो कि दोनो ही आदिवासी समाज को प्रतिनिधित्व करते है उनका साफ कहना था कि कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। सासंद से लेकर विधायक तथा भाजपा के छुटभैया नेता और सीईओ तक उनके खास है। यहाँ यह खबर छापने के पीछे एक सच्चाई को उजागर करना है कि बैतूल जिले में ग्राम पंचायती राज ठीक उसी प्रकार चल रहा है कि सरकार गर्भवति महिला को प्रसुति जननी योजना का चेक देती है लेकिन यदि गलती से किसी अविवाहित कन्या के नाम पर चेक जारी हो जायें और वह अपने खाता में पैसा जमा कर दे तो उससे यह कह कर पैसा वापस लिया जा सकता है कि जब तेरी डिलेवरी होगी तब तुझे भी पैसा दे देगें...? किसी भी गरीब का यह अपमान नहीं है कि उसे अपना घर के नाम पर रूपैया देने के बाद उसके जबरिया हस्ताक्षर से उसके खाते से रूपैया निकाल कर दुसरे के खाते में डाल दिया जाये। अब चुनावी माहौल में ऐसे कई मामले रोज उजागर होगें लेकिन सजग प्रशासन का दायित्व बनता है कि वह ऐसे मामलो पर भी गंभीरता दिखायें ताकि लोगो को लगे कि जिले का मुखिया आज भी सबका है ना कि किसी व्यक्ति या पार्टी विशेष का......? अब देखना बाकी है कि हमारी इस तीखी खबर का क्या असर होता भी है या फिर वही ढाक के तीन पात रह जायेगें....? वैसे तो बैतूल जिले में ग्राम पंचायतों में ऐसे सैकड़ो मामले मिल जायेगें लेकिन इन सारे मामलो को जब तक राजनैनिक एवं प्रशासनिक संरक्षण एवं सहयोग मिलता रहेगा तब तक चन्द्रकिशोर जैसे कई लोग यूँ ही ठगते रहेगें। बैतूल जिले में कमाई का जरीया बनी रोजगार ग्यारंटी योजना का सही ढंग से मूल्याकंन एवं सत्यापन हुआ तो जिले के कई अफसर और सरपंच एवं सचिव जेल के सखीचो के पीछे नजऱ आयेगें लेकिन रोजगार ग्यारंटी योजना में बडे पैमाने पर भ्रष्ट्रचार करने वाले सरपंच - सचिवो से लेकर अधिकारी तक सभी राजनैतिक दलो एवं विचारो से जुडे होने के कारण सभी राजनैतिक दलो द्वारा केवल दिखावे के लिए रोजगार ग्यारंटी योजना में धांधली एवं भ्रष्ट्राचार की बाते कहीं जाती रही है। अब देखना बाकी यह है कि आखिर कब तक फर्जी वाडे के बल पर बैतूल जिला नम्बर अव्वल में आता रहेगा।

Wednesday, December 29, 2010

swish bank blak money स्विश बैंक में जमा कराए 70 हजार करोड़ रुपए.

दिग्गज नेताओं ने स्विश बैंक में जमा कराए 70 हजार करोड़ रुपए

भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी तक शामिल

विनय जी. डेविड MOB 09893221036
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)

टाइम्स ऑफ क्राइम में प्रकाशित

भोपाल, गुरुवार, 30 दिसम्बर 2010 से 05 जनवरी 2011




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Tuesday, December 28, 2010

मध्यप्रदेश के शासकीय स्कूलों में 15 अप्रेल से 15 जून तक रहेगा

ग्रीष्मावकाशअच्छा कार्य करने वाले अतिथि शिक्षक पद पूर्ति होने तक बने रहेगें,
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने की स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा
भोपाल 28 दिसंबर 2010। मध्यप्रदेश के शासकीय स्कूलों में चालू शिक्षा सत्र के दौरान 15 अप्रेल से 15 जून तक ग्रीष्मावकाश रहेगा। सभी शासकीय स्कूल 16 जून से पुन: खुलेगें। यह जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस ने आज यहां दी। वे मंत्रालय में आयोजित बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा कर रही थी। बैठक में आयुक्त लोक शिक्षण श्री अशोक वर्णवाल, संचालक माध्यमिक शिक्षा अभियान श्रीमती सुनीता त्रिपाठी आदि उपस्थित थे।बैठक में श्रीमती अर्चना चिटनीस ने बताया कि 16 जून से 30 जून तक प्रदेशव्यापी ' स्कूल चले हम ' अभियान की तैयारियां की जायेगी , जिसके बाद एक जुलाई से स्कूल चले हम अभियान आयोजित होगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल एक अप्रेल से स्कूल खोले गये थे, लेकिन गर्मी को देखते हुए उन्हें माह के बीच में ही बंद करना पड़ा था। शासन ने अधिक गर्मी की संभावना को देखते हुए ही 15 अप्रेल से 15 जून तक ग्रीष्मावकाश रखने का फैसला लिया है। उन्होंने गत वर्षानुसार इस साल भी पांच 'प' परिवार, पराक्रम, पर्यावरण, परिवेश और परम्परा से छात्रों को अवगत कराने के निर्देश अधिकारियों को दिये हैं।श्रीमती अर्चना चिटनीस ने निर्देश दिये कि अब हर साल अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जाए बल्कि जो अतिथि शिक्षक बेहतर कार्य करें उन्हें ही रिक्त पद की पूर्ति होने तक कार्य करने दिया जाए। श्रीमती चिटनीस ने चालू वर्ष के दौरान शिक्षक प्रशिक्षण की धीमी रफ्तार पर असप्रन्नता व्यक्त करते हुए यह बताने को कहा कि वर्तमान शैक्षिक सत्र में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में कितने शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया तथा प्रशिक्षण के लिए क्या कार्रवाई हुई। श्रीमती अर्चना चिटनीस ने आगामी जनवरी में स्कूलों में आयोजित की जाने वाली देशभक्ति परक काव्य पाठ प्रतियोगिता के आयोजन की तैेयारियों की जानकारी अधिकारियों से ली। उन्होंने विद्यार्थियों को जाति प्रमाण पत्र सुगमता से मिले, इसकी व्यवस्था करने के निर्देश दिये।
श्रीमती अर्चना चिटनीस ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग का नया सेटअप शीघ्र स्वीकृत कराने के प्रयास होंगे। उन्होंने स्कूलों में शौचालयों, बाउंड्री वाल, अतिरिक्त कक्ष निर्माण आदि की जानकारी भी ली। जिलों से ऐसे हाई स्कूल जो 5 कि.मी. तथा हायर सेकेण्डरी स्कूल जो 8 कि.मी. के दायरे में है, की जानकारी भी उन्होंने अधिकारियों से प्राप्त की। उन्होंने बताया कि अगले शिक्षा सत्र के लिए 600 मिडिल स्कूलों के हाई स्कूल में उन्नयन तथा 160 हाई स्कूलों के हायर सेकेंडरी स्कूलों में उन्नयन का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। उन्होंने कहा जो अधिकारी स्कूलों के अकादमिक निरीक्षण के लिए जिलों में जाए वे अपना दौरा एक दिन में ही पूरा कर न लौटे बल्कि जिले में कम से कम तीन दिन रहकर निर्धारित मापदंडों के अनुरूप निरीक्षण करें। अधिकारियों के दौरे एक से 15 जनवरी तक पुन: आयोजित किए जाए। उन्होंने भोपाल के शिक्षक सदन के सदुपयोग और रखरखाव के संबंध में भी अधिकारियों को निर्देश दिये। श्रीमती चिटनीस ने संविदाशाला शिक्षक वर्ग एक, दो के रिक्त पदों की जानकारी लेकर उनकी पूर्ति शीघ्र कराने के निर्देश भी दिये। जिलों में उनके द्वारा ली जाने वाली बैठकों के पालन प्रतिवेदन आयुक्त के माध्यम से उन्हें निश्चित समयावधि में प्रस्तुत करने के निर्देश भी उन्होंने दिये। बैठक में श्री अशोक वर्णवाल ने विभागीय गतिविधियों तथा पूर्व में लिये गये निर्णयों तथा उन पर हुई कार्यवाही से स्कूल शिक्षा मंत्री को अवगत कराया। इस अवसर पर संचालक श्री ए.के.मिश्रा, संयुक्त संचालकगण व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

करोड़ों की ऋण राशि के बकायादारों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई होगी

दो विशेष न्यायालय गठित होंगे, रखूखदारों को राज्य का पैसा नहीं हड़पने देंगे,
मुख्यमंत्री चौहान ने की न्यायालयों के गठन की समीक्षा

भोपाल 27 दिसंबर 2010। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राज्य औद्योगिक विकास निगम द्वारा प्रदत्त करोड़ों रूपये के ऋण की वर्षों तक अदायगी न करने वाले उद्योग समूहों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बकायादारों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों के तेजी से निपटारे के लिये दो विशेष न्यायालय गठित करने की कार्रवाई शीघ्र की जाये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज मंत्रालय में विशेष न्यायालय के गठन संबंधी बैठक में अब तक हुई कार्रवाई की समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य शासन का पैसा रसूखदारों को हड़पने नहीं दिया जावेगा। उन्होंने कहा कि बकायादारों के विरूद्ध वैधानिक कार्रवाई के साथ ही उन्हें ब्लेक लिस्टेड करने की कार्रवाई में भी तेजी लायी जाये। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बकायादारों के विरूद्ध कार्रवाई में वे कोई हीला-हवाली बर्दाश्त नहीं करेंगे। श्री चौहान ने अपर मुख्य सचिव वाणिज्य एवं उद्योग और प्रमुख सचिव विधि से बकायादारों के विरूद्ध कार्रवाई में तेजी लाने को कहा। बैठक में जानकारी दी गयी कि दो विशेष न्यायालयों के गठन का प्रस्ताव जनवरी 2011 में ही मंत्रि-परिषद के सम्मुख लाने की तैयारी है।बैठक में मुख्य सचिव श्री अवनि वैश्य, अपर मुख्य सचिव वाणिज्य एवं उद्योग श्री सत्यप्रकाश, प्रमुख सचिव विधि श्री ए.के.मिश्रा, प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग और निगम के प्रबंध संचालक श्री पी.के.दास, मुख्यमंत्री के सचिव श्री एस.के.मिश्रा और आयुक्त जनसंपर्क श्री राकेश श्रीवास्तव उपस्थित थे।

महाकाल मंदिर समिति पर भारी चाँदी के सिक्के- काउंटर पर उपलब्ध नहीं, अब नए भाव से मिलेंगे

(डॉ. अरुण जैन)
उज्जैन । चांदी के बढ़ते भाव के कारण महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को रजत सिक्के जेब पर भारी पडऩे लगे हैं। परिणामस्वरूप मंदिर प्रशासन ने सिक्कों की बिक्री बंद कर नए भाव में बेचने का निर्णय लिया है। नई दर का निर्णय आजकल में प्रबंध समिति सदस्यों के साथ विचार-विमर्श के बाद हो जाएगा। फिलहाल दो दिनों से मंदिर परिसर स्थित प्रसाद काउंटरों पर रजत सिक्के उपलब्ध नहीं हैं।स्टॉक समाप्त, ऑर्डर दिया तो मुंॅह फाड़ा! - बताया गया है कि मंदिर के कोठार में सिक्कों का स्टॉक समाप्त हो गया है और जब सिक्के बनवाने की बात संबंधित व्यापारी से कही गई तो उसने भाव का हवाला देते हुए मुंॅह फाड़ा। फलस्वरूप मंदिर प्रशासन को नया ऑर्डर निरस्त करना पड़ा।लागत आ रही ज्यादा - मंदिर प्रशासन का कहना है कि चांॅदी के भाव अधिक होने से सिक्कों के निर्माण की लागत ज्यादा आ रही है और दर्शनार्थियों को कम मूल्य पर सिक्का उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन अब यह संभव नहीं है। इस संबंध में विचार किया जा रहा है। दर्शनार्थी महाकाल मंदिर से राजाधिराज के आशीर्वाद स्वरूप सिक्के खरीदकर ले जाते हैं, लेकिन ये मंदिर के काउंटरों पर बमुश्किल 16 नवंबर से ही उपलब्ध हुए थे और वह भी बढ़ी हुई कीमत पर। नागपंचमी के बाद से सिक्के नहीं थे और जब 16 नवंबर से सिक्के बेचे जाने लगे तो इनके भाव में 100 पए की वृद्घि कर दी गई। उल्लेखनीय है कि पूर्व में सिक्कों की कीमत 401 ?पए थी।701 का हो सकता है सिक्का - सोना-चांॅदी व्यापारी अशोक जडिय़ा के अनुसार बाजार में चांॅदी के वर्तमान भाव 44 हजार 700 रुपए प्रति किलो हैं जबकि दस ग्राम सिक्कों की दर 470 से 480 रुपए है। इस दृष्टि से महाकाल के 11 ग्राम सिक्कों की नई दर 701 रुपए तक हो सकती है। सोने-चांॅदी के भाव के साथ ही खाद्यान्न वस्तुओं के भाव भी लगातार बढ़ रहे हैं। इसलिए हो सकता है लड्डू और भस्मारती प्रसाद के भावों में भी मंदिर प्रशासन वृद्घि कर सकता है।

आठ दिन में 719 गैस पीड़ितों को 1.09 करोड़ के मुआवजा आदेश पारित

28 दिसंबर 2010।
भोपाल । गैस दावा अधिकरणों द्वारा पिछले आठ दिनों में सोमवर तक 719 हितग्राहियों के पक्ष में एक करोड़ 9 लाख रूपये से अधिक के मुआवजा आदेश पारित किये जा चुके हैं। उक्त जानकारी आज गैस दावा अदालतों के भ्रमण के दौरान गैस त्रासदी राहत एवं पुर्नवास मंत्री बाबूलाल गौर को गैस दावा अदालतों के रजिस्ट्रार भारत भूषण श्रीवास्तव ने दी।गैस राहत मंत्री श्री गौर ने आज भ्रमण के दौरान शाहजहांनाबाद क्षेत्र में कार्यरत दावा अधिकरण क्रमांक 1 से 3 तक का भ्रमण कर गैस दावेदारों से दावा अधिकरणों की व्यवस्था और कार्यपद्धति के बारे में उनके विचार जाने। वार्ड नंबर 5 के गैस दावेदार श्री जहीर उल्ला सहित अन्य दावेदारों ने गैस दावा अधिकरणों की कार्य प्रणाली को संतोषप्रद बताया। श्री गौर ने वहां मौजूद दावेदारों से कहा कि वे दलालों और बिचोलियों के झांसे में न आयें। यदि ऐसे लोग सक्रिय हो तो इसकी सूचना उन्हें या प्रशासन को तत्काल दें। श्री गौर ने नगर निगम अधिकारियों को दावा अधिकरणों में दावेदारों के लिये बैंचें और पेयजल व्यवस्था करने के भी निर्देश दिये।गैस दावा अधिकरण के प्रभारी रजिस्ट्रार श्री भारत भूषण श्रीवास्तव ने बताया कि 3 जनवरी से शांहजनाबाद स्थित दावा अभिकरण क्रमांक 1 में 04 वर्ग के मृत्यु संबंधी प्रकरणों की सुनवाई प्रारंभ होगी। जबकि दावा अधिकरण क्रमांक 1 एवं 2 में पहले की तरह 01 वर्ग के मामलों की सुनवाई चलती रहेगी। उन्होंने बताया कि 10 जनवरी से शांहजनाबाद कोर्ट परिसर में चौथा दावा अधिकरण काम करना शुरु करेगा। वर्तमान में उक्त तीनों दावा अधिकरणों में वार्ड नं.1 से वार्ड नं.6 तक के 01 वर्ग के दावों की सुनवाई कर उन्हें बढ़ा हुआ मुआवजा अवार्ड किया जा रहा है। इस बार दावेदारों को बढ़ी हुई मुआवजा राशि के चेक न देकर, उक्त राशि इलेक्ट्रानिक ट्रांसफर के जरिये बैंको के माध्यम से सीधे दावेदारों के खातों में जमा कराई जा रही है।दावा अधिकरणों के भ्रमण के दौरान श्री गौर ने दावा अदालतों की भुगतान प्रक्रिया अपनाई जा रही कार्यप्रणाली तथा तदावेदारों से मांगे जा रहे दस्तावेजों आदि की भी जानकारी ली। गैस राहत मंत्री के साथ प्रमुख सचिव गैस त्रासदी राहत एवं पुर्नवास श्री अनिरूद्व मुखर्जी, रजिस्ट्रार श्री भारत भूषण श्रीवास्तव, उप सचिव गैस राहत श्री के.के.दुबे मौजूद थे।

Monday, December 27, 2010

अश्लील गानों पर रोक की मांग क्यों?

27 December 2010 डा। नूतन ठाकुर

मैंने दो-तीन दिन पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है, जिसमे दो फिल्मों- तीस मार खान और दबंग के निर्माता-निर्देशक, सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सेंसर बोर्ड) तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया है. इस याचिका में मैंने दो गानों दबंग का गाना ‘मुन्नी बदनाम हुई’ और तीस मार खान का गाना ‘शीला की जवानी’ को पब्लिक डीसेंसी, मोरालिटी, पब्लिक आर्डर के खिलाफ मानते हुए उन्हें सिनेमेटोग्राफी एक्ट के धारा 5(बी)(1) का उल्लंघन होने के आधार पर इन गानों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.
साथ ही यह भी कहा कि इन दोनों गानों के परिणामस्वरूप अपराध के कारित होने की भी संभावना रहती है. मैंने यह तथ्य उठाया है कि खास कर के नाम शीला, मुन्नी, मुनिया या ऐसे ही मिलते-जुलते नाम वाली स्कूलों तथा कॉलेजों में जाने वाली लडकियां, दफ्तरों के जाने वाली कामकाजी महिलाएं और यहाँ तक कि घरेलू महिलायें भी इस गाने के कारण गलत रूप से प्रभावित हो रही हैं.
मेरे इस कार्य पर मुझे बहुत सारी टिप्पणियां और प्रतिक्रियाएं मिली हैं जो कई तरह की हैं. कई लोगों ने खुल कर मेरी बात का समर्थन किया और इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए लक्ष्य तक ले जाने की हौसला-आफजाई की. लोगों ने कोटिशः धन्यवाद और आभार प्रकट किये. लोगों के दूर-दूर से फोन आये. उदाहरण के लिए मुंबई से एक सज्जन का फोन आया जिन्होंने मेरे इस कार्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की और इसमें हर तरह से योगदान देने का आश्वासन दिया. इसी तरह से पटना से एक फोन आया जिसमे मुझे शुक्रिया अदा किया गया था. एक महिला ने साफ़ शब्दों में बताया कि जब मैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करती हूँ तो कई लोग जान-बूझ कर यह गाना बजाते हैं और इसका उपयोग कर के लड़कियों के प्रति अश्लील आचरण करते हैं और उन्हें शर्मिंदगी की स्थिति में ला देते हैं. दूसरे व्यक्ति का कहना था कि हमारा समाज ऐसा हो गया है, जिसमे जो चाहे जैसा करे और हम लोग इतने शिथिल प्राणी हो चुके हैं कि हम इनमें किसी भी बात का प्रतिरोध नहीं करते.
इसके उलट मुझे कई ऐसी टिप्पणियां भी मिलीं, जिनमे मुझे बुरा-भला कहने और आलोचना करने से लेकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देते हुए इन गानों के प्रति उदार नजरिया अख्तियार करने जैसी बात कही गयी है. एक अच्छे मित्र ने कहा-“इस तरह की बातों में अदालतों का समय जाया करने से कोई लाभ नहीं है. ये गाने इसीलिए हैं क्योंकि इनकी जन-स्वीकार्यता है. एक दूसरे सज्जन हैं जो इससे पहले मेरे जस्टिस काटजू की इलाहाबाद हाई कोर्ट से सम्बंधित टिप्पणी के बारे में इलाहाबाद हाई कोर्ट में किये गए रिट के खारिज होने पर पहले ही कह चुके थे कि आपको जुर्माना नहीं हुआ इसकी खैर मनाएं. अबकी मेरे इस कदम के बारे में जानते ही कहा- “इस बार तो आप पर जुर्माना हो कर ही रहेगा, सभ्यता के ठेकेदार. आपको सिर्फ पब्लिसिटी चाहिए, और कुछ नहीं.”
मैं इस प्रकार के व्यक्तिगत आरोपों के बारे में कुछ अधिक नहीं कह सकती, इसके बात के अलावा कि अपनी पब्लिसिटी हर आदमी चाहता है, यह नैसर्गिक मानवीय स्वभाव है- चाहे आप हों या मैं. फिर यदि मैं इस भावना से प्रभावित हो कर ही सही, यदि कुछ अच्छा काम कर रही हूँ तो मेरी पब्लिसिटी पाने की दुर्भावना और कमजोरी माफ की जानी चाहिए.
रहा मुख्य मुद्दा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कितनी हो और इस सम्बन्ध में क़ानून की बंदिश कितनी हो, तो इस प्रश्न को समझने के लिए हमें किसी भी समाज को उसकी सम्पूर्णता में जानना-समझना होगा. जो मेरी खुद की स्थिति है या जो कई सारे पढ़े-लिखे उच्च-स्तरीय महिलाओं की स्थिति है वह अलग होती है. ये लोग समझदार लोग हैं, रसूखदार भी हैं. इनके सामने शायद कोई इस तरह के गाने बजा कर इनका अपमान नहीं करे, इन पर फब्तियां नहीं कसे, इन्हें नहीं छेड़े. पर उन तमाम गाँव, कस्बों, गली-मोहल्लों में रहने वाली मुन्नी और शीला के बारे में सोचिये जो उतनी पढ़ी-लिखी नहीं हैं, जो उतनी आज़ाद ख़याल नहीं हैं, जो साधारण सोच वाली हैं, जिनके समाज में अभी भी पुरातनपंथ हावी है. वहाँ की वे असहाय महिलायें, बच्चियां, लडकियां वास्तव में इस प्रकार के फूहड़ गानों से प्रभावित भी हो रही हैं और अन्याय का शिकार भी. इस रिट में तो मैंने पाकिस्तान के लाहौर की दो बच्चों की माँ के बारे में लिखा है, जिसे अपनी दुकानदारी का काम मात्र इसीलिए छोड़ देना पड़ा क्योंकि उसका नाम मुन्नी था और उसे पूरे मोहल्ले का हर शरीफ-बदमाश आदमी इसी गाने के बोल गा कर परेशान करता था.
रिट करने के बाद मुझे कई ऐसे दृष्टांत ज्ञात हुए हैं जिनमें इस गाने को ले कर हत्या, बलवा, छेड़खानी आदि तक हो चुके हैं. नोयडा के राजपुरकलां गांव में जमकर बवाल मचा. नामकरण संस्कार के दौरान शीला की जवानी गाने पर डांस कर रहे युवकों और उनके पड़ोसियों में भारी मारपीट हुई. बताया गया है कि पड़ोस में शीला नाम की एक महिला रहती है जिसके परिवार वालों को यह बुरा लग रहा था. कई बार मना किया पर नहीं माने और फिर झगड़ा शुरू हो गया, जिसमे आधा दर्ज़न लोग घायल हो गए. इसी तरह बलिया के बांसडीह रोड थाना क्षेत्र के शंकरपुर गांव में एक बारात में इस गीत पर नशे में धुत पार्टी का दूसरे पक्ष से विवाद हुआ, फायरिंग हुई और करीब दर्जनों राउंड फायरिंग में गोली लगने से दस लोग घायल हो गए. मुंबई के ठाणे की दो बहनों शीला गिरि और मुन्नी गिरि को इन गानों ने अपना नाम बदलने के लिए मजबूर कर दिया है, क्योंकि वे पड़ोसियों और लोगों के भद्दे कमेंट से परेशान हैं. दो बच्चों की मां मुन्नी ने बताया कि जैसे ही वह घर से बाहर निकलती हैं, उन पर इस गाने की आड़ में भद्दे कमेंट किए जाते हैं. अब शीला अपने बेटे को स्कूल छोड़ने तक नहीं जाती हैं. वह कहती हैं कि जब भी मैं स्कूल जाती हूं तो बच्चे 'शीला की जवानी' गाने लगते हैं जिससे वे और उनका बेटा शर्मसार होकर रह जाते हैं. उन्होंने गवर्नमेंट गैजेट ऑफिस में अपना नाम बदलने के लिए अप्लाई किया. ये तो मात्र वे मामले हैं जिनमे बातें छन के ऊपर आई हैं. अंदरखाने हर गली-कूचे में ना जाने ऐसी कितनी घटनाएं हो रही होंगी, कितनी बेचारी शीला और मुन्नी इसका मूक शिकार हो रही होंगी, इसके कारण परेशान होंगी, सताई जा रही होंगी.
यह किस सभ्यता का तकाजा है कि अपनी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के नाम पर आदमी इस हद तक अंधा हो जाए कि उसे दूसरे का कोई भी हित-अहित करने में तनिक भी शर्म नहीं आये. यह अभिव्यक्ति की स्वत्रंता है या व्यापक स्वार्थ-लिप्सा. यह सही है कि मलाइका अरोरा और कटरीना कैफ जैसी सशक्त महिलाओं को कोई कुछ नहीं कहेगा, चाहे वे अर्ध-नग्न घूमें या कुछ भी करें. परसों एक कार्यक्रम में मल्लिका शेरावत की बात सुन रही थी. कह रही थीं- “मेरे पास दिखाने को शरीर है तो दूसरों को क्या ऐतराज़ है,” सच है कि उनके पास शरीर है. शरीर शायद और भी कई उन साधारण घर की महिलाओं के पास भी हो, पर उनकी स्थिति दूसरी है, उनके हालत दूसरे हैं. मलाइका जाती हैं, सुरक्षा घेरे में ठुमका लगाती हैं, पांच करोड़ लिया और चल दीं. उन गरीब और साधारण महिलाओं की सोचिये जो इसका शिकार बनती हैं और चीख तक नहीं पाती. अपनी माँ, बहनों, बेटियों को सोचिये जिनके नाम शीला और मुन्नी हैं और जिन्हें इस गाने के नाम पर शोहदे और मक्कार किस्म के लोग छेड़ रहे हैं और अपनी वहशी निगाहों और गन्दी लिप्सा का शिकार बनाने की कोशिश करते रहते हैं.
इसीलिए यह जरूरी है कि इस तरह से स्वतंत्रता के नाम पर हम अंधे नहीं हो जाएँ और इस तरह के सभी प्रयासों का खुल कर विरोध करें और उन पर रोक लगवाएं। फिर यदि मुझ पर कोई कोर्ट इस काम में जुर्माना भी लगाए तब भी मुझे अफ़सोस नहीं होगा, क्योंकि यह मेरे अंदर की आवाज़ है.


डॉ नूतन ठाकुर
संपादक
पीपल’स फोरम, लखनऊ

भारत के दिग्गज नेताओं ने स्विश बैंक में जमा कराए 70 हजार करोड़ रुपए.

इन नेताओं में श्रीमती इंदिरा गांधी से लेकर भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी तक शामिल

विनय जी. डेविड MOB 09893221036

toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)

भोपाल. विकीलीक्स जैसी वेवसाईट ने अमेरिकी खुफिया तंत्र के दस्तावेज उजागर करके पूरी दुनिया में तहलका मचा रखा है. गोपनीय समझी जाने वाली अमेरिका की सूचनाएं उजागर होने से विश्व शक्ति के साथ साथ कई देशों को भी बचाव की मुद्रा अपनाना पड़ रही है. इसी तरह कहा जाता रहा है कि भारत के राजनेताओं ने स्विश बैंक में लगभग सत्तर हजार करोड़ रुपए जमा कराए हैं. यह धन किसका है इसकी जानकारी अब तक उजागर नहीं हुई है. लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी रही एक संस्था ने देश के 105 राजनेताओं के नामों की सूची उजागर की है जिसमें कांग्रेस और भाजपा के अलावा तमाम राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के नामों और उनके धन की जानकारी दी गई है.
गुजरात के अंकलेश्वर के रहने वाले श्री ए.के. बकानी के माध्यम से जारी इस सूची में तमाम नेताओं के धन का विवरण उपलब्ध कराया गया है. इस सूची को जारी करने वाली संस्था हिंदुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेना(इंडिया)का दावा है कि ये जानकारी पूरी तरह तथ्यात्मक है और स्विश सूत्रों के हवाले से दी गई है. इस संस्था का केन्द्रीय कार्यालय उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के बंकासिया गांव दिया गया है.
सूची में सबसे पहला नाम देश की विख्यात नेत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का है. जिसमें कहा गया है कि उन्होंने स्विटजर लैंड में करीबन दस क्विंटल सोना, सौ किलो चांदी, और भारत में भुगतान किए जाने वाले दो करोड़ रुपए जमा कराए थे. उनके खाते का कोड क्रमांक नहीं दिया गया है. जबकि उनके पुत्र संजय गांधी के खाते को एसजीएलएफ ओ स्विटजर लैंड नाम से दर्शाया गया है. इस खाते में एक हजार एक सौ ग्यारह किलो सोना, छह सो बावन किलो हीरे, और भारत में भुगतान किए जाने वाले पचास लाख रुपए जमा कराए गए थे. इसी तरह राजीव गांधी का खाता क्रमांक एलसीटीएस सात सौ किलो सोना, 125 किलो चांदी, 352 किलो हीरे और भारत में भुगतान किए जाने वाले 352 लाख रुपए रखकर संचालित किया जाता है.
संस्था के सूत्र बताते हैं कि इन खातों के संचालन के लिए स्विश बैंकों की ओर से विशेष घड़ियां और अंगूठियां जारी की जाती हैं. इन्हें लेकर जाने वाला व्यक्ति इन खातों को संचालित कर सकता है. यदि किसी खाता धारक का निधन भी हो जाता है तो उसके परिजन इस विशेष प्रतीक के माध्यम से उस खाते को संचालित कर सकते हैं. यदि कोई व्यक्ति इस प्रतीक को चुरा भी लेता है तो वह भी इस खाते का संचालन कर सकता है.
स्विश बैंकों में गुप्त धन रखने के लालची एसा नहीं कि सिर्फ कांग्रेसी हैं. इन नामों की सूची में भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी है. पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान श्री आडवाणी ने इस धन की वापिसी के लिए बाकायदा प्रचार अभियान छेड़ा था. लेकिन सूची के मुताबिक श्री आडवाणी का भी खाता स्विश बैंक में मौजूद है. एनएसओएल नाम से खोले गए इस खाते में 552 किलो सोना, 152 किलो हीरे, और भारत में भुगतान किए जाने वाले साठ लाख रुपए शामिल हैं.
भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने स्विश कोड क्रमांक ओपीओओपी के माध्यम से कथित तौर पर दो सौ दस किलो सोना, सत्तर किलो चांदी, सत्तर किलो हीरे, और भारत में घर पर दिए जाने वाले छिहत्तर लाख दस हजार रुपए जमा कराए हैं. इसी तरह नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर ने स्विश बैंक के कोड क्रमांक एसएनकेवी के माध्यम से 75 किलो 900 ग्राम सोना, और 119 करो़ड़ दस लाख रुपए भारत में भुगतान की जाने वाली मुद्रा जमा कराई है.
सूची में एक सौ पांच एसे नेताओं के नाम शामिल हैं जो भारत की राजनीति में अपनी विशेष पहचान के कारण जाने जाते हैं. फिलहाल उस सूची की छाया प्रति भी हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं.

Friday, December 24, 2010

पत्रकार पर रसुका ठोकने की जुगत में प्रशासन

पत्रकारिता विषय को नही समझते अधिकारी न्यायालय में गवाही के दौरान अधिवक्ता के कथन
बैतूल प्रतिनिधि // विशेष संवाददाता
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल। मजिस्ट्रेट विजय आनन्द कुरील के आ भारत सेन ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारिता जैसे महत्वपूर्ण विषय को समझते ही नही हैं। अंगे्रजी शासन काल की मानसिकता अधिकारी रखते हैं और पत्रकारों पर फर्जी प्रकरण दर्ज करवाकर पत्रकारिता को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं। इससे लोक तंत्र का अहित होता हैं। आरोपी रामकिशोर पवाँर को क्रांतिवीर पत्रकार बताते हुए उनकी पत्रकारिता और माँ ताप्ती अभियान की प्रशंसा की गई। पत्रकारिता के हित में अधिवक्ता भारत सेन के ब्यानों से रासुका के तहत चल रहें मामले की वैधानिकता पर एक बार फिर से विचारणीय गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। राज्य सुरक्षा कानून के तहत चल रहें पत्रकार रामकिशोर पवाँर का मामला कई कारणों से जनचर्चा में बना हुआ हैं। पहला कारण तो यह हैं कि पीयूसीएल जैसे जनसंगठन द्वारा इस कानून को असंवैधानिक, मानवअधिकारों का हनन करने वाला और संविधान में प्रदत्त जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन करने वाला ठहराया जा चुका हैं। जिस तरह टाडा और पोटा जैसे कानून गलत हैं वैसे ही रासूका का दुरूपयोग होता हैं। दूसरा कारण तो यह है कि शासन और प्रशासन में बैठे हुए लोगों के इशारें पर इस कानून का दुरूपयोग किया जाता रहा हैं। जिला दण्डाधिकारी न्यायालय के फैसले माननीय उच्च न्यायालय में ठहर नहीं पाते हैं। इससे पता चलता हैं कि कुछ ताकतवर लोगों के इशारे पर कानून का दुरूपयोग करने के लिए जिले के सबसे बड़े अधिकारी किसी भी सीमा तक चले जाते हैं। प्रशासन कानून की आड़ लेकर पत्रकारों को जख्म देता रहता हैं। पत्रकारों के लिए सबसे बड़े दुख की बात यह हैं कि कानून की शक्ति का दुरूपयोग करने वाले अधिकारी के विरूद्ध उनको मालूम ही नही हैं कि करना क्या हैं? सदस्य संख्या और वार्षिक चंदे तक सीमित रहने वाले पत्रकार संघ के अध्यक्ष चाहें तो संगठन के माध्यम से पूरी की पूरी विचारण की प्रक्रिया को माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती हैं। कानून की शक्ति का दुरूपयोग करने वाले अधिकारीयों की वैधानिक जिम्मेदारी तय करवाई जा सकती हैं। रासुका के दायरे में जिले के वरिष्ठ पत्रकार रामकिशोर पँवार को कुछ छोटे मामलों के आधार पर उस समय लाया जा रहा हैं जबकि वह विकलांग हैं और भारत के किसी नागरिक के शरीर और संपत्ति को गंभीर नुक्सान पहँुचाने की स्थिति में बिलकुल ही नही हैं। जिला प्रशासन उसे आम आदमी के विरूद्ध गंभीर और घृणित अपराध को अंजाम देने वाला आदतन अपराधी की श्रेणी में बता कर रासुका के तहत कार्यवाही को अंजाम देता चला जा रहा हैं। अपराधी और पत्रकार एक ही सिक्के के दो पहलू नही बताए जा सकते। आखिर अपराध और पत्रकारिता का कैसा नाता? जिला प्रशासन की कार्यवाही अपने आप में पत्रकारिता के पवित्र पेशे पर गंदा कीचड़ उछालने के समान हैं। इससे इमानदार और जीवन को जोखिम में डालकर पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों की साख पर बट्टा लगता हैं और आम आदमी पत्रकार को किसी दूसरे तरह का अपराधी समझने लगते हैं। आखिर जिला प्रशासन रामकिशोर पवाँर पर मुकदमा चलाकर दूसरे पत्रकारों को भला क्या सबक देना चाहता हैं? जिला प्रशासन की पत्रकारिता को नियंत्रित करने वाली यह कार्यवाही लोकतंत्र के हित में सही नही ठहराई जा सकती? गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के टिकिट पर विधान सभा चुनाव लड़ चुके भारत सेन अधिवक्ता जिला प्रशासन को अपने ब्यानों के माध्यम से ठीक ही नसिहत दे रहें हैं। वाकई प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारिता जैसे विषय को समझते ही नही हैं। च

Thursday, December 23, 2010

सिहोरा के नायब तहसीलदार महेन्द्र पटेल की पोल खुली

विभागीय परीक्षा बड़ी चालाकी से सफलकर प्रशासनिक शक्तियाँ हासिल की आरोपी महेन्द्र पटेल ने
प्रतिनिधि// उदय सिंह पटेल (सिहोरा // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनधि से संपर्क:- 9329848072
मध्यप्रदेश शासन तथा प्रशासन के उच्च अधिकारियों को उपरोक्त संदर्भ में भेजी गई शिकायत से यह जानकारी उजागर हुई है। उल्लेखनीय है कि महेन्द्र पटेल जिला जबलपूर की सिहोरा तहसील के नायब तहसीलदार के पद पर पदस्थ हैं। शिकायत के अनुसार आरोपी महेन्द्र पटेल ने विगत 22 जनवरी, 25 अगस्त एवं 27 अगस्त सन् 2008 को विभागीय परीक्षा दी थी। अत: आरोपी श्री पटेल ने अपनी चालाकी से उक्त परीक्षा में सफलता अर्जित कर ली थी।नायब तहसीलदार महेन्द्र पटेल ने क्या चालाकी की:-मालुम हो कि परीक्षा के दौरान आरोपी श्री पटेल सर्किल पोंड़ा में पदस्थ थे और अपने सर्किल कार्यालय में किसी अन्य मोबाईल के माध्यम से किसी से संपर्क कर रहे थे, और विभागीय परीक्षा में पूछे गये प्रश्रों को उन्होंने बड़ी आसानी से हल कर दिये। इस प्रकार आरोपी ने अनुचित साधन के माध्यम से परीक्षा मे सफलता अर्जित कर ली और सरकार द्वारा प्रदत्त प्रशासनिक शक्तियाँ छल पूर्वक हासिल की। उल्लेखनीय है कि नायब तहसीलदार महेन्द्र पटेल किया गया उक्त कृत्य अपराध की श्रेणी में आता है। जिसकी जांच होना नितान्त आवश्यक है। अत: मध्यप्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सिहोरा में पदस्थ नायब तहसीलदार श्री महेन्द्र पटेल के खिलाफ उक्त कृत्यों की बारीकी से जांच कराने तथा दण्डित करने की मांग जनता ने शिकायत मे की है।

Wednesday, December 22, 2010

मुख्यमंत्री की निकटता और वफादारी से मिला सम्मान के लिए हुआ पूरे जिले भर में अनाप - शनाप चंदा

रोजगार ग्यारंटी योजना के फर्जीवाडे के बाद भी बैतूल जिला प्रदेश एवं केन्द्र सरकार से पुरूस्कृत............!
बैतूल // रामकिशोर पंवार
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल. भारत सरकार के ग्रामिण रोजगार मंत्रालय द्धारा रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत बीते वर्ष की 2 फरवरी 2006 को मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में इस योजना के प्रथम चरण का श्रीगणेश किया गया। इस योजना के तहत 3 लाख 85 हजार 37 अकुशल कामगारो को रोजगार दिया गया। इस योजना के कथित सफल क्रियाव्यन के लिए बैतूल जिले को मध्यप्रदेश में पहला स्थान मिला। शासन ने 30 प्रतिशत महिला कामगारो को रोजगार देने का बैतूल जिले के लिए लक्ष्य रखा था लेकिन जिले ने 40 प्रतिशत महिलाओं को काम दिया गया। जिन सरकारी आकडो पर बैतूल जिले ने मध्यप्रदेश में अव्वल नम्बर का स्थान पाया उस आकडो में बताया गया कि राष्ट्रीय रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो के मे बसे 1हजार 343 ग्रामों के 2 लाख 33 हजार 707 जाबकार्ड धारको को 16771. 495 लाख रूपये की राशी का भुगतान किया गया। बैतूल जिले में इस योजना के तहत आज दिनांक 15 हजार 495 कार्य पूर्ण होना तथा 12 हजार 85 कार्य प्रगति पर बताया गया। मध्यप्रदेश के इस आदिवासी बाहुल्य जिले की कुल आबादी 13 लाख 95 हजार 175 है। केन्द्र सरकार के द्धारा मध्यप्रदेश के बालाघाट एवं बैतूल जिले को राष्ट्रीय ग्रामिण रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत कपिलधारा के योजना के तहत 14 हजार 893 में से कथित 5 हजार 797 कुओ के पूर्ण निमार्ण कार्य के लिए एवं शेष के निमार्ण कार्य की प्रगति के लिए शाबासी मिली। इन आकडो की सच्चाई को जानने के लिए कपिलधारा योजना के तहत खुदवाये गये कुओ के कथित निमार्ण कार्य में बडे पैमाने पर भ्रष्ट्राचार एवं निमार्ण कार्य की गुणवत्ता के चलते बासपानी की एक युवती की जान तब चली गई जब एक बार धंस चुके कुये को पुन: बनवाया जा रहा था। बासपुर ग्राम पंचायत द्धारा बीते वर्ष 2008 में ग्राम पंचायत के एक कपिलधारा योजना के लाभार्थी रमेश का कुआ पिछली बरसात के बाद पूरी तरह धस गया
उक्त कुये को बिना स्वीकृति के पुरानी तीथी में निमार्णधीन दर्शा कर उसका निमार्ण कार्य किया जा रहा था लेकिन ग्राम पंचायत के एक पंच तुलसीराम सहित 5 अन्य मजदुर गंभीर रूप से घायल हो गये तथा एक युवती सनिया की जान चली गई। कुये में धंस कर जान गवा चुकी सनिया को उसके काम की मजदुरी भी पूरी नहीं मिल सकी और वह कपिलधारा योजना के तहत निमार्णधीन घटिया कार्यो की बेदी पर चढा दी गई। बैतूल जिले में जिला मुख्यालय पर जिले की किसी न किसी ग्राम पंचायत में कपिलधारा योजना के तहत निमार्णधीन कुओ के निमार्ण कार्य एवं मजदुरी का मामला लेकर दर्जनो ग्रामिणो का जमावडा आम बात रहने के बाद भी भाजपा शासनकाल में बैतूल जिला कलैक्टर को पदोन्नति के बाद भी बैतूल में अगंद के पाव की तरह जमे बैतूल कलैक्टर अरूण भटट को राजनैतिक एवं प्रशासनिक क्षेत्र में प्रदेश के मुख्यमंत्री के कथित एजेंट के रूप में देखा जा रहा है। स्वंय बैतूल कलैक्टर मुख्यमंत्री के कथित सदस्य एवं मुख्यमंत्री की जीवन संगनी श्रीमति साधना सिंह के कथित भाई के रूप में प्रचारित करवा कर उनके लिए हर तरह के कार्य कर रहे है और यही कारण है कि उन्होने मुख्यमंत्री के प्रति अपने कथित विश्वास को उनकी पार्टी की लोकसभा उप चुनाव एवं विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के रूप में जीवित रखा है।
बैतूल जैसे पिछडे जिले में जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में कार्य कर चुके अरूण भटट के समय के ताप्ती सरोवर आज पूरे जिले में सुखे पडे है तथा कई तो अपने मूल स्वरूप को खो चुके है। इस जिले में रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत कम मजदुरी एवं अकुशल श्रमिको के शारीरिक - मानसिक - आर्थिक शोषण को लेकर श्रमिक आदिवासी संगठन एवं समाजवादी परिषद श्रमिक नेता मंगल सिंह के नेतृत्व में बीते वर्ष 2006 से लेकर 2 फरवरी 2009 तक सैकडो धरना - प्रदर्शन कर चुके है। विधानसभा में काग्रेंस के विधायक सुखदेव पांसे भी उस योजना में व्यापत भ्रष्टाचार एवं मजदुरो के शोषण का मामला उठा चुके जिस योजना के लिए बैतूल कलैक्टर राज्य एवं केन्द्र सरकार से अपनी पीठ को थपथपा चुके है।
बैतूल जिले के जिन कपिलधारा के कुओ को वरदान बताया जा रहा है उन कुओ के निमार्ण कार्य में जिन लोगो को लाभार्थी दर्शाया गया है उनमें से कई ऐसे हितग्राही है जिनके पुराने कुओ को नया बता कर कुओ के लिए स्वीकृत राशी को सरपंच - सचिव - इंजीनियर एवं सबंधित योजना के अधिकारी आपस में बाट कर खा गये। हितग्राही को सरकारी कागजो पर उसके कुये के बदले में कुल स्वीकृत राशी का दस प्रतिशत भी नहीं मिल पाया है। बैतूल जिले के दर्जनो हितग्राहियो के नाम ऊंगली पर गिनाये जा सकते है जिनके पुराने कुओ को सरकारी कागजो में नया बता कर फजी रोजगार उन जाबकार्डो में दर्शाया गया है जिन्हे साल में निर्धारित दिवस का रोजगार तक वास्तवीक रूप में नहीं मिल सका है।
बैतूल जिले में कपिलधारा उपयोजना के तहत 17 हजार 147 ऐसे हितग्राही चिन्हीत किये गये है जिन्हे कपिल धारा योजना का लाभ दिया जाना है। जिले में 14 हजार 893 कपिलधारा कुओ के निमार्ण कार्यो के लिए 12634 . 38 लाख रूपये स्वीकृत किये गये है। जिले में 5 हजार 797 कपिलधारा के कुओ के लिए 5114 . 34 लाख रूपये खर्च कर डाले गये। इन पंक्तियो के लिखे जाने तक कपिलधारा उप योजना के 8 हजार 16 कुओ के 7520 . 04 रूपये खर्च होना बाकी है इन सभी कार्यो की गुण्वत्ता की बात करे तो पता चलता है कि जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतो के सरपंच एवं सचिव रोजगार ग्यारंटी योजना के बाद से सडकछाप के बदले अब टाटा इंडिका में घुमने लगे है। भाजपा शासन काल में शुरू की गई कपिल धारा कूप निमार्ण योजना को इस बरसात में श्राप लगने वाला है। केन्द्र सरकार द्घारा दिये गये रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत दिये गये अनुदान से मध्यप्रदेश में शुरू की गई कपिल कूप योजना के तहत बैतूल जिले की दस जनपदो एवं 545 ग्राम पंचायतो में बनने वाले 14 हजार 893 कुओं में से लगभग आधे 6 हजार 934 कुओ में से अधिकांश पहली ही बरसात में धंसक चुके है। इन पंक्तियो के लिखे जाने तक मात्र 2 हजार 477 कुओं का ही पूर्ण निमार्ण कार्य पूरा हो चुका है। राज्य शासन द्घारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के ग्रामिण किसानो की 5 एकड़ भूमि पर 91 हजार रूपये की लागत से खुदवाये जाने वाले कुओं के लिए बैतूल जिला पंचायत एनआरजीपी योजना के तहत मोटे तौर पर देखा जाये तो 91 हजार रूपये के हिसाब से करोड़ो रूपयो का अनुदान केन्द्र सरकार से मिला।
ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच एवं सचिव को कपिल धारा कूप निमार्ण की एजेंसी नियुक्त कर जिला पंचायत ने ग्राम के सरंपचो एवं सचिवो की बदहाली को दूर कर उन्हे मालामाल कर दिया है। एक - एक ग्राम पंचायत में 20 से 25 से कपिल धारा के कुओं का निमार्ण कार्य करवाया गया। 24 हजार 75 हजार रूपये जिस भी ग्राम पंचायत को मिले है उन ग्राम पंचायतो के सरपंचो एवं सचिवो ने एनआरजीपी योजना के तहत कार्य करवाने के बजाय कई कुओं का निमार्ण कार्य जेसीबी मशीनो से ही करवाया डाला। आनन - फानन कहीं सरकारी योजना की राशी लेप्स न हो जाये इसलिए सरपंचो ने बैतूल जिले में 545 ग्राम पंचायतो में इस वर्ष 2 हजार 477 कुओं का निमार्ण कार्य पूर्ण बता कर अपने खाते में आई राशी को निकाल कर उसे खर्च कर डाली। हर रोज जिला मुख्यालय पर कोई न कोई ग्राम पंचायत से दर्जनो मजदुर अपनी कपिल धारा योजना के तहत कुओं के निमार्ण की मजदुरी का रोना लेकर आता जा रहा है।
अभी तक जिला प्रशासन के पास सरकारी रिकार्ड में दर्ज के अनुसार 337 ग्राम पंचायतो की शिकायते उन्हे अलग - अगल माध्यमो से मिली है। इन शिकायतो में मुख्यमंत्री से लेकर जिला कलैक्टर का जनता तथा सासंद का दरबार भी शामिल है। आये दिन किसी न किसी ग्राम पंचायत की कपिल भ्रष्टï्राचार धारा के बहने से प्रभावित लोगो की त्रासदी की $खबरे पढऩें को मिल रही है। अभी तक 9 हजार 411 कुओं का निमार्ण कार्य हो रहा है जिसमें से 6 हजार 934 कुओं के मालिको का कहना है कि उनके खेतो में खुदवाये गये कुएं इस बरसात में पूरी तरह धंस जायेगें। मई 2008 तक की स्थिति में जिन कुओं का निमार्ण हो रहा है उनमें से अधिकांश के मालिको ने आकर अपनी मनोव्यथा जिला कलैक्टर को व्यक्त कर चुके है। सबसे ज्यादा चौकान्ने वाली जानकारी तो यह सामने आई है कि बैतूल जिले के अधिकांश सरपंचो ने अपने नाते -रिश्तेदारो के नामों पर कपिल धारा के कुओं का निमार्ण कार्य स्वीकृत करवाने के साथ - साथ पुराने कुओं को नया बता कर उसकी निमार्ण राशी हड़प डाली। जिले के कई गांवो में तो इन पंक्तियो के लिखे जाने तक पहली बरसात के पहले चरण मेें ही कई कुओं के धसक जाने की सूचनायें ग्रामिणो द्घारा जिला पंचायत से लेकर कलैक्टर कार्यालय तक पहँुचाई जा रही है। हाथो में आवेदन लेकर कुओं के धसक जाने , कुओं के निमार्ण एवं स्वीकृति में पक्षपात पूर्ण तरीका बरतने तथा कुओं के निमार्ण कार्य लगे मजदुरो को समय पर मजदुरी नहीं मिलने की शिकायते लेकर रोज किसी न किसी गांव का समुह नेताओं और अधिकारियों के आगे पीछे घुमता दिखाई पड़ ही जाता है। ग्रामिण क्षेत्रो में खुदवाये गये कपिल धारा के कुओं को डबल रींग की जुड़ाई की जाना है लेकिन कुओं की बांधने के लिए आवश्क्य फाड़ी के पत्थरो के प्रभाव नदी नालो के बोल्डरो से ही काम करवा कर इति श्री कर ली जा रही है।
कुओं की बंधाई का काम करने वाले कारीगरो की कमी के चलते भी कई कुओं का निमार्ण तो हो गया लेकिन उसकी चौड़ाई और गहराई निर्धारीत मापदण्ड पर खरी न उतरने के बाद भी सरपंच एवं सचिवो ने सारी रकम का बैंको से आहरण कर सारा का सारा माल ह$जम कर लिया। जिले में एनआरजीपी योजना का सबसे बड़ा भ्रष्टï्राचार का केन्द्र बना है कपिल धारा का कुआं निमार्ण कार्य जिसमें सरपंच और सचिव से लेकर जिला पंचायत तक के अधिकारी - कर्मचारी जमकर माल सूतने में लगे हुये है। भीमपुर जनपद के ग्राम बोरकुण्ड के सुखा वल्द लाखा जी कामडवा वल्द हीरा जी तुलसी जौजे दयाराम , रमा जौजे सोमा , नवलू वल्द जीवन , तुलसीराम की मां श्रीमति बायलो बाई जौजे बाबूलाल , चम्पालाल वल्द मन्नू के कुओं का निमार्ण कार्य तो हुआ लेकिन सभी इस बरसात में धंसक गये। बैतूल जिला मुख्यालय से लगभग 120 किलो मीटर की दूरी पर स्थित दुरस्थ आदिवासी ग्राम पंचायत बोरकुण्ड के लगभग सौ सवा सौ ग्रामिणो ने बैतूल जिला मुख्यालय पर आकर में आकर दर्जनो आवेदन पत्र जहां - तहां देकर बताया कि ग्राम पंचायत में इस सत्र में बने सभी 24 कुओं के निमार्ण कार्य की उन्हे आज दिनांक तक मजदुरी नहीं मिली।
बैतूल जिले की साई खण्डारा ग्राम पंचायत निवासी रमेश कुमरे के परतापुर ग्राम पंचायत में बनने वाले कपिलधारा के कुओं का निमार्ण बीते वर्ष में किया गया। जिस कुये का निमार्ण वर्ष 2007 में पूर्ण बताया गया जिसकी लागत 44 हजार आंकी गई उस कुये का निमार्ण पूर्ण भी नहीं हो पाया और बीते वर्ष बरसात में धंस गया। दो साल से बन रहे इस कुये का इन पंक्तियो के लिखे जाने तक बंधाई का काम चल रहा है लेकिन न तो कुआं पूर्ण से बंध पाया है और न उसकी निर्धारित मापदण्ड अनुरूप खुदाई हो पाई है। इस बार भी बरसात में इस कुये के धसकने की संभावनायें दिखाई दे रही है। रमेश कुमरे को यह तक पता नहीं कि उसके कुआ निमार्ण के लिए ग्राम पंचायत को कितनी राशी स्वीकृत की गई है तथा पंचायत ने अभी तक कितने रूपयो का बैंक से आहरण किया है। ग्राम पंचायत के कपिलधारा के कुओ के निमार्ण कार्य में किसी भी प्रकार की ठेकेदारी वर्जित रहने के बाद भी कुओं की बंधाई का काम ठेके पर चल रहा है। ग्राम पंचायत झीटापाटी के सरपंच जौहरी वाडिया के अनुसार ग्राम पंचायत झीटापाटी में 32 कुओ का निमार्ण कार्य स्वीकृत हुआ है लेकिन सरपंच ने कुओ के निमार्ण के आई राशी का उपयोग अन्य कार्यो में कर लिया।
गांव के ग्रामिणो की बात माने तो पता चलता है कि इस ग्राम पंचायत में मात्र 16 ही कुओ का निमार्ण कार्य हुआ। सरपंच जौहरी वाडिया और सचिव गुलाब राव पण्डागरे ने इन 16 कुओ के निमार्ण कार्य में मात्र 6 लाख रूपये की राशी खर्च कर शेष राशी का आपसी बटवारा कर लिया। आर्दश ग्राम पंचायत कही जाने वाली आमला जनपद की इस ग्राम पंचायत में आज भी 16 कुओ का कोई अता - पता नहीं है। पहाड़ी क्षेत्र की पत्थरो की चटटïनो की खदानो का यह क्षेत्र जहां पर 16 कुओ जिस मापदण्ड पर खुदने चाहिये थे नहीं खुदे और जनपद से लेकर सरपंच तक ने 16 कुओ की खुदाई सरकारी रिकार्ड में होना बता कर पूरे पैसे खर्च कर डाले। सवाल यह उठता है कि जहाँ पर पत्थरो की चटटनो को तोडऩे के लिए बारूद और डिटोनेटर्स का उपयोग करना पड़ता है वहां पर कुओ का निमार्ण कार्य उसकी चौड़ाई - गहराई अनरूप कैसे संभव हो गया..?
कई ग्रामवासियो का तो यहां तक कहना है कि सरपंच और सचिव ने उनके कुओ की बंधाई इसलिए नहीं करवाई क्योकि पहाड़ी पत्थरो की चटटनी क्षेत्र के है इसलिए इनके धसकने के कोई चांस नहीं है। भले ही इन सभी कुओ की बंधाई सीमेंट और लोहे से न हुई हो पर बिल तो सरकारी रिकार्ड में सभी के लगे हुये है। इस समय पूरे जिले में पहली ही रिमझीम बरसात से कुओं का धसकना जारी है साथ ही अपने कुओ पर उनके परिजनो द्घारा किये गये कार्य की मजदुरी तक उन्हे नहीं मिली। ग्रामिणो का सीधा आरोप है कि महिला अशिक्षित एवं आदिवासी होने के कारण उसका लड़का ही गांव की सरपंची करता रहता है। राष्टï्रपिता महात्मा गांधी का पंचायती राज का सपना इन गांवो में चकनाचूर होते न$जर आ रहा है क्योकि कहीं सरपंच अनपढ़ है तो कई पंच ऐसे में पूरा लेन - देन सचिवो के हाथो में रहता है। अकसर जिला मुख्यालय तक आने वाली अधिकांश शिकायतो और सरंपचो को मिलने वाले धारा 40 के नोटिसो के पीछे की कहानी पंचायती राज में फैले भ्रष्टï्राचार का वाजीब हिस्सा न मिलने के चलते ही सामने आती है।
बैतूल जिले में 545 ग्राम पंचायतो के सरपंचो और सचिव के पास पहले तो साइकिले तक नहीं थी अब तो वे नई - नई फोर व्हीलर गाडिय़ो में घुमते न$जर आ रहे है। जिले में सरपंच संघ और सचिव संघ तक बन गये है जिनके अध्यक्षो की स्थिति किसी मंत्री से कम नहीं रहती है। अकसर समाचार पत्रो में सत्ताधारी दल के नेताओं और मंत्रियो के साथ इनके छपने वाले और शहरो में लगने वाले होर्डिंगो के पीछे का खर्च कहीं न कहीं पंचायती राज के काम - काज पर ऊंगली उठाता है। बैतूल जिले में अभी तक अरबो रूपयो का अनुदान कपिलधारा के कुओ के लिए आ चुका है लेकिन रिजल्ट हर साल की बरसात में बह जाता है। अब राज्य सरकार केन्द्र सरकार से मिलने वाले अनुदानो का अगर इसी तरह हश्र होने देगी तो वह दिन दूर नहीं जब पंचायती राज न होकर पंचायती साम्राज्य बन जायेगा जिसके लिए बोली लगेगी या फिर गोली...... ।
जिले में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत 3 हजार 895 स्वसहायता समूहो के लिए वर्ष 2007 एवं 2008 में 770.72 लाख रूपये का ऋण स्वीकृत कर उन्हे रोजगार शुरू करने के लिए दिये जा चुके है लेकिन जिले में कई ऐसे फजी स्वसहायता समूह के नाम उजागर हुये जिनके नाम और काम की कथित आड लेकर सरकारी रूपयो की हेराफेरी की गई है। बैतूल जिले में 5182.739 लाख रूपये में 1हजार 481 ग्रामिण सडको का निमाण कार्य करवाया गया है उनमें से अधिकांश सडको का निमार्ण कार्य भाजपाई ठेकेदारो द्धारा करवाय जाने से अधिकंाश सडके अपने मूल स्वरूप को खो चुकी है। जिले में 3132.280 लाख रूपये से 5 हजार 590 जल संरक्षण के कार्य करवाये गये उसके बाद भी जिले का जल स्तर नहीं बढ सका है। बैतूल जिले को सुखा अभाव ग्रस्त जिला घोषित किया गया है। जिले में इन पंक्तियो के लिखे जाने तक 21 लाख पौधो का रोपण कार्य कागजा पर दिखा कर सरकारी राशी को खर्च तो कर डाला है पर जिले में इन पंक्तियो के लिखे जाने तक कथित हरियाली के दावो को जिले में बडे पैमाने पर होने वाली अवैध कटाई से न देख कर उन पौधो की ही बात की जाये तो एक कडवी सच्चाई यह सामने आ रही है कि जिले में बमुश्कील दस लाख पौधे भी जीवित स्थिति में नहीं है। जिले में नंदन फलोउद्यान योजना का यह हाल है कि जिले में इस योजना के तहत शाहपुर जनपद में बुलवाये गये हजारो पौधे रापित होने के पूर्व ही काल के गाल में समा गये।
जिन 4 हजार 226 चिन्हीत हितग्राही में से मात्र 2 हजार 630 हितग्राहियो को कुल स्वीकृत 2243.620 हेक्टर भूमि में से मात्र 353.181 हेक्टर भूमि पर 58 हजार 883 पौधो को लगाने के लिए नंदन फलोउद्यान योजना को लंदन फलोउद्यान योजना समझ कर सरपंच एवं सचिवो ने अपने आला अफसरो के साथ मिल कर खुब लूट - खसोट की। जिले में स्वीकृत राशी 1380.427 लाख रूपये में से 107. 343 लाख रूपये कथित हरियाली में खुशीयाली सिद्धांत को प्रतिपादित करने के नाम खर्च कर डाली गई। आकडो की बाजीगरी पर जरा गौर फरमाये तो पता चलाता है कि ग्रामिण यांत्रिकी विभाग के पास 167 स्वीकृत है जिसमें से उसने मात्र 19 कार्य पूर्ण तथा 78 कार्यो को प्रगति पर बता कर स्वीकृत लागत राशी 3019.581 लाख रूपये में से अभी तक 996.574 लाख रूपये खर्च कर डाले। इसी कडी में जल संसाधन विभाग ने कुल स्वीकृत 113 कार्यो में से एक भी कार्य को पूर्ण नहीं किया और कुल स्वीकृत 563.658 लाख रूपये में से कथित 23 कार्यो को प्रगति पर बता कर 166.866 लाख रूपये खर्च कर डाले। लोक निमार्ण विभाग ने अपने 8 स्वीकृत कार्यो में से एक भी कार्य को पूर्ण नही किया और 8 कार्यो को प्रगति पर बता कर कुल स्वीकृत 156.89 लाख रूपये में से 38.81 लाख रूपये खर्च कर डाले। सबसे अधिक वन विभाग ने अपनी पूरे जिले में फैली वन सुरक्षा समितियों की आड में 1027 कार्य स्वीकृत कर उनसे से मात्र 1 कार्य को पूर्ण बता कर 514 कार्यो की प्रगति के लिए स्वीकृत 2010.749 लाख रूपये में से 170.433 लाख रूपये का व्यय बता कर उक्त राशी का कथित कागजी गोलमाल करने मेें बाजीगरी दिखा डाली। सबसे आश्चर्य चकित करने वाली बात यह है कि फलोउद्यान विभाग ने मात्र एक कार्य को स्वीकृत करने में महारथ तो हासिल की पर उसे भी पूर्ण नहीं किया और उसकी प्रगति के लिए 8.33 लाख रूपये में से 6.85 लाख रूपये खर्च कर डाले।
फलोउद्यान विभाग अपने इस कार्य को न तो दिखा सका है और न उसकी प्रगति को परिभाषित कर पाया है। कृषि विभाग ने भी अपने 4 स्वीकृत कार्यो को प्रगति पर बता कर एक कार्य को भी पूर्ण होना न बता कर उक्त कथित प्रगति के लिए 44.770 लाख रूपये में अभी तक 27.067 लाख रूपयो का बिल बाऊचर पेश कर सभी रूपयो को खातो से निकाल बाहर कर उसे रफा - दफा कर डाला। बैतूल जिले में 1 हजार 582 स्वीकृत कार्यो मेें मात्र 58 कार्य पूर्ण तथा 708 कार्य अपूर्ण है। जिले की विभागवार 7 निमार्ण एजेंसी कुल स्वीकृत राशी 5928.593 लाख रूपये में से 1406.60 लाख रूपये खर्च कर चुकी है। बैतूल जिले में किसानो को एक नारा देकर बहलाने एवं फुसलाने का काम किया गया कि हर खेत की मेड और हर मेड पर एक पेड लेकिन सच्चाई कुछ और ही बयंा करती है। सतपुडा की पहाडियों से घिरे बैतूल जिले में पानी के कथित बहाव एवं बाढ के पानी से भूमि के कटाव को रोकने के लिए 893.184 हेक्टर के क्षेत्रफल की भूमि को चिन्हीत किया जिसमें से 3.38.891 मीटर की भूमि पर कथित कंटूर ट्रंच का निमार्ण कार्य किया गया तथा उबड - खाबड भूमि को समतल करने के लिए भूमि शिल्प उप योजना के तहत 1035215मीटी भूमि पर कथित मेड बंधान का कार्य पूर्ण होना बताया गया लेकिन खेतो की मेड दिखाई दे रही है और समतल भूमि जिस पर रोजगार ग्यारंटी योजना का करोडो रूपैया पानी की तरह बहा दिया गया। बैतूल जिले में दस जनपदो से अध्यक्ष एवं मुख्यकार्यपालन अधिकारियों एवं 558 ग्राम पंचायतो के सरपंचो तथा सचिवो से प्रत्येक स्वीकृत कार्य के लिए तथा पूर्ण होने के बाद कथित चौथ वसूली के कारण ही बाहर से आने वाली रोजगार ग्यारंटी योजना की सर्वेक्षण टीम को मोटी रकम एवं उनकी कथित सेवा चाकरी के बल पर चिचोली जनपद पंचायत में सडको के किनारे लगवाई गई फैसिंग के सीमेंट के पोलो में लोहे की राड के बदले बास की कमचियों के मिलने के दर्जनो मामलो को नज़र अदंाज कर भारत सरकार के ग्रामिण रोजगार ग्यारंटी विभाग की टीम ने बैतूल जिले में बडे पैमाने पर हुये इस योजना में घोटले - भ्रष्ट्राचार - लूटखसोट - घटिया निमार्ण कार्य के मामलो को नज़र अंदाज कर अपनी जेबो की जगह सूटकेस भर - भर माल ले जाकर बैतूल जिले को रोजगार ग्यारंटी योजना में प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में भी अव्वल नम्बर के जिलो की श्रेणी में ला खडा कर दिया।
आज बैतूल जैसे आदिवासी जिले में मुख्यमंत्री के कथित साले होने का फायदा उठाने में जिले के वर्तमान कलैक्टर ने कोई कसर नहीं छोडी। आज अपनी पदौन्नति के बाद बैतूल जिले में मुख्यमंत्री को लोकसभा के चुनावो में बैतूल जिले से जीत का सेहरा बंधवाने के बाद ही बैतूल जिले से उनकी बिदाई संभव है लेकिन राजनैतिक गलियारे में चर्चा जोरो पर है कि उन्हे नर्मदापूरम संभाग का कमीश्रर बनाया जा सकता है ताकि वे बैतूल से दोनो हाथो से लडडू खा सके। इस समय बैतूल जिले को चारागाह समझने वाले अफसरो में आरईएस के मेघवाल का नाम भी अव्वल दर्जे पर आता है। इस अधिकारी की बैतूल जिले में कमाई वाले विभाग में बरसो से अगंद के पांव की तरह जमें रहने के पीछे की सच्चाई के पीछे रोजगार ग्यारंटी योजना का पैसा ही दिखाई पडता है। जिले में ग्रामिणी यांत्रिकी विभाग को सबसे बडा कमाई का माध्यम मानने वाले लोगो में नेता - अभिनेता - अफसर यहाँ तक की पत्रकार भी शामिल है। बैतूल जिले में वित्तीय वर्ष 2006 एवं 2007 में जल संवर्धन एवं संरक्षण के 1 हजार 107 कार्य पूर्ण बताये गये जबकि वर्ष वित्तीय वर्ष 2007 से अप्रेल 2008 में 1957 कार्य तथा वर्तमान में वित्तीय वर्ष 2008 एवं 2009 में 526 कार्य पूर्ण बताये गये। इसी कडी में सुखे की कथित रोकथाम एवं वनीकरण के लिए पहले चरण में 754 कार्य तथा दुसरे चरण में 555 तथा तीसरे चरण में एक भी कार्य पूर्ण नहीं हो सके है। अभी तक वैसे देखा जाये तो जिले में प्रथम चरण में 8 निमार्ण एजेंसियो द्धारा 6 हजार 519 कार्य एवं 6840 कार्य प्रगति पर बताये गये। दुसरे चरण में 7052 कार्य पूर्ण तथा 11333कार्य प्रगति पर बताये गये। तीसरे चरण में 1924 कार्य पूर्ण तथा 12085 कार्य प्रगति पर बताये गये है। अभी तक कुल तीनो चरणो में 27643.249 लाख रूपये व्यय किये जा चुके है। बैतूल जिले में कमाई का जरीया बनी रोजगार ग्यारंटी योजना का सही ढंग से मूल्याकंन एवं सत्यापन हुआ तो जिले के कई अफसर और सरपंच एवं सचिव जेल के सखीचो के पीछे नज़र आयेगें लेकिन रोजगार ग्यारंटी योजना में बडे पैमाने पर भ्रष्ट्रचार करने वाले सरपंच - सचिवो से लेकर अधिकारी तक सभी राजनैतिक दलो एवं विचारो से जुडे होने के कारण सभी राजनैतिक दलो द्धारा केवल दिखावे के लिए रोजगार ग्यारंटी योजना में धांधली एवं भ्रष्ट्राचार की बाते कहीं जाती रही है। अब देखना बाकी यह है कि आखिर कब तक फर्जी वाडे के बल पर बैतूल जिला नम्बर अव्वल में आता रहेगा।

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पकड़ी गई बहरी राज्यों से लड़कियां लाकर बेचने वाली महिला

मानसा: यहाँ की सिटी पुलिस ने बहारी राज्यों से लडकिया ला कर मनसा में बेचने के आरोप में एक महिला को हुनमानगड से ग्रिफ्तार कर लिया है. यह महिला 2002 से फरार बताई जाती है. पकड़ी गयी महिला एक बार 2002 में इसी मामले में पकडे जाने के बाद पुलिस को चकमा दे कर फरार हो गयी थी. मिलिजनकारी के अनुसार थाना सिटी पुलिस ने 13 अप्रैल 2002 को कोर्ट का टिबा में छापा मार के सूरज सिंह बजेवाला, गुरजंट सिंह लल्लुअना,व पमी करू नमक औरत को ग्रिफ्तार किया था और उस वक़्त इन के पास से बेचने के लिए लाई गयी पूजा कौर को भी मुक्त करवाया था और मामला दर्ज कर अदालत में भी पेश किया गया था पर उस वक़्त पमी कौर पुलिस को चकमा दे कार भाग गयी थी. जिस को बाद में अदालत ने भगौड़ा करार दे दिया था. पमी कौर को थाना सिटी पुलिस ने अदालत में पेश कर उसे जेल भिजवा दिया है.

प्रेमी की मौत की खबर सुन प्रेमिका ने लगाई फांसी

फतेहपुर (अमरेश श्रीवास्तव)
जाफरगंज थाना क्षेत्र के समसपुर गांव में प्रेमी की मौत से बेहालप्रेमका ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया। पुलिस ने शव कोपोस्टमार्टम हेतु भेज दिया है। 9 दिसंबर को थाना क्षेत्र के समसपुर गांवका निवासी अरुण यादव गांव की ही रहने वाली अपनी प्रेमिका रश्मि यादव कोबाइक में बिठाकर फतेहपुर जा रहा था। सदर कोतवाली क्षेत्र के सनगांव मोड़के समीप हाईवे पर ट्रक ने टक्कर मार दी, जिससे अरुण गंभीर रूप से घायल होगया था, जिसको हैलट कानपुर में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उसकी मौतहो गई थी। अपने प्रेमी की मौत सुनकर प्रेमिका रश्मि बेहाल थी। घर मेंएकांत पाकर फांसी लगा ली। परिजनों को मालूम चला तो पुलिस को सूचना दी।थानाध्यक्ष आरसी दीक्षित ने कहा कि प्रेम संबंधों का मामला था, इसीलिएलड़की ने फांसी लगाकर जान दे दी। शव को पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया गया है।

Tuesday, December 21, 2010

बैंक के खाते को समय समय करते रहें चेक, दिल्ली NCR में कोई गिरोह बेंकों के ग्राहकों को बना रहा है निशाना

toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
दिल्ली। बेंकों के इस फ्रोड में अशोक विहार के दीपक नागपाल व पीतमपुरा के बुजुर्ग SC Gupta भी बने .इन दोनों को भी बेंकों में फ्रोड करने वालों ने अपना शीकार बनाया ....दीपक का चेक ड्रो बॉक्स से चोरी हुआ तो SC Gupta के ATM से निकल गये पेशे ...आप भी रहिये सावधान आप भी हो सकते हैं ऐसे फ्रोड़ों के शीकार ..आप ATM से पेशे निकालकर निकले और आपने केंसल का बटन भी दबाया उसके बाद भी ATM से आपके बाहर जाने के बाद आपके पेशे निकल सकते हैं .सुनिए ऐसी ही कहानी .ये बुजुर्ग शख्स हैं पितामुरा के DU बलोक में रहने वाले SC Gupta ...इनका अपना अकाउंट हैं जनकपुरी के AXIS बेंक में ये बीती 13 December को प्रशांत विहार के AXIS बेंक के ATM से अपनी मिनी स्टेटमेंट लाने गये ..दिन के बारह बजे थे ....ये ATM में घुसे कार्ड डाला लेकिन मशीन ने काम नही किया ..इन्होने केंसिल का बटन दबाया और मुड़े तो देखा कि एक लडका भी पीछे खडा हैं ..इन्होने कहा कि मशीन शायद खराब हो गई हैं ..गुप्ता जी एक घंटे के लिए भांजे के पास गये और एक घंटे बाद आये और फिर चेक किया ..तो पाया कि उसके अकाउंट से बीस हजार गायब हैं .वो भी ATM से इसी बीच ....गुप्ताजी चोक गये बेंक से मिले ...100 नंबर कोल कि ..मोरया इन्क्लेव थाने गये जाहा इनका घर हैं ..उन्होंने कहा कि आप प्रशांत विहार जाइए जाहाँ ATM हैं ..प्रशांत विहार ने कहा कि आप जनकपुरी जाइए आपका खता जनकपुरी कि ब्रांच में हैं ..अभी पुलिस सिर्फ बयान लेकर चक्कर कटवा रही हैं किसी भी थाने ने FIR दर्ज नही कि हैं ..अब ये बुजुर्ग गुहार लगा लगाकर परेशान हो चुका हैं ..ये दुसरे शख्स हैं दीपक नागपाल ..इनका नीता ट्रेडिंग कम्पनी के नाम से PNB अशोक विहार में अकाउंट हैं .. 21 November को इन्होने 5 लाख का एक चेक वासुदेव के नाम का अशोक विहार कि सेन्ट्रल मार्केट के बैंक ऑफ़ बडोदा के ड्रो बॉक्स में डाला ...लेकिन उसी रात इस ड्रो बॉक्स से 80 चेक चोरी होने का मामला आया ..लेकिन दीपक को इसका पता उसी दिन नही चल पाया ...24 November को दीपक के इस अकाउंट से 5 लाख निकल गये जो गाजियाबाद के बेंक ऑफ़ इंडिया से निकले ...मात्र तीन दिन में फर्जी अकाउंट खुला ..उसको ATM चेक बुक सभी दे दी मामला साफ हैं कहीं न कहीं बेंकों के लोगों कि मिलीभगत हैं ...जो गारंटर बनाया वो कम्पनी की सिर्फ वेसे साइन हैं कोई मोहर आदि नही ..बेंकों के इस डीले रवेये ने कहे या मिलीभगत ने यहाँ भी लोगों कि कमाई हडप ली ...सिर्फ जांच कि बात कह यहाँ भी बेंक पल्ला झाड रहे हैं ...Bank of Broda के अधिकारी तो बात नही कर रहेलेकिन पंजाब नॅशनल बेंक अशोक विहार में जहाँ दीपक कि कम्पनी का खाता हैं वहां के अधिकारियों का कहना हैं कि बैंक ऑफ़ इंडिया गाजियाबाद से चेक आया था नोरम पूरे थे हम क्लियर करने को बाउंड थे हमने क्लियर कर दिया ..अब वो नकली अकाउंट हैं तो जिम्मेदारी बैंक ऑफ़ इंडिया कि हैं ....राजेन्द्र गुप्ता ( बेंक अधिकारी PNB अशोक विहार )टेक्स्ट - बैंक ऑफ़ इंडिया गाजियाबाद से चेक आया था नोरम पूरे थे हम क्लियर करने को बाउंड थे हमने क्लियर कर दिया ..अब वो नकली अकाउंट हैं तो जिम्मेदारी बैंक ऑफ़ इंडिया कि हैं ....4 इन मामलों से साफ हैं कि दिल्ली व NCR में कोई गिरोह सक्रिय हैं जो बेंकों के ग्राहकों को अपना निशाना बनाता हैं ..और कहीं न कहीं बेंकों के कर्मचारी भी इन मामलों में मिले नजर आ रहे हैं ....अब जरूरत हैं हम अपने अकाउंट के प्रति सावधान रहे .

Monday, December 20, 2010

करोड़ों की रिकबरी नोटिस के बाद विजली भी कटी

रिजवान चंचल लखनऊ से 09450449753
लखनऊ के मीडिया गलियारों से आ रही खबरों के मुताबिक स्वतंत्र भारत को करोड़ो की नोटिस तो मिली ही अब अखबार दफतर का विजली कनेक्सन भी काट दिया गया है अखबार से जुड़े पत्रकारों की हालत अतिदयनीय हो गई है उन्हें पिछले लगभग 4,5 महीनों से मानदेय व वेतन ही नहीं मिल सका है ज्यादातर पत्रकार जनसंदेश व दूसरे अखबारों से जुड़ गये है कुछ अभी भी अपना बकाया पाने की आस में डटे है लेकिन अब वे भी भागने को तैयार है कुल मिलाकर यह अखबार अब नानाप्रकार के जंजालों में उलझ चुका है जब कि एक दौर ऐसा भी था कि स्वतंत्र भारत न केवल प्रसार में ही यहां आगे था बल्कि इस अखबार की खासी हनक भी कायम थी अपने चमत्कारी दौर में स्वतंत्र भारत जयपुरिया ग्रुप के पास था बाद में इसे थापर ग्रुप ने खरीदा। केके श्रीवास्तव ने ललित थापर से यह अखबार खरीदा और अभी तक इसे संचालित कर रहे हैं लेकिन इधर काफी लम्बे अरसे से यह अखबार उतार-चढ़ाव में ही रहा बीच - बीच में ऐसी स्थित भी बनी कि केवल फाइल कापी ही छपी अखबार मार्केट से नदारत रहा अब देखना यह है कि आगे क्या होता है पिछले दिनों यह भी चर्चा आई थी कि इसे प्रदेश सरकार से जुड़े एक राजनेता ले रहें है लेकिन न्यायालय सम्बन्धी तमाम उलझाओं के चलते शायद वो डील फाइनल नही हो सकी अब करोड़ों की रिकबरी नोटिस के बाद तो और भी मुश्किल है डील होना।

ये भगवान या शैतान ?

Written by Rizwan Chanchal
news present by.... toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
वैसे तो सारे कुओं में ही भांग पड़ी हुई है इसलिए किसी एक पेषे को क्या गरियाना मगर चिकित्सा क्षेत्र में हद तक आई गिरावट से अब ज्यादातर लोगों की आस्था दिनोदिन डाक्टरांे से उठती जा रही है अभी मेरे एक मिलने वालों के साथ डॉक्टरों द्वारा किया गया कारनामा हतप्रभ कर बैठा हुआ यूं कि चार बेटियों के बाप साथी ने पत्नी के गर्भ ठहरने पर दो जगह अलग अलग डाक्टरों से सोनोग्राफी कराई दोनो ही जगह उन्हे बेटी हीेने का संकेत दिया गया अन्ततः पत्नी को एबार्सन की सलाह दी वह नहीं राजी हुई समय गुजरा और हुआ बेटा। सारे परिवार के लोग यही कहते दिखे ये भगवान नही बल्कि शैतान है । हाल ही में एक खबर पढ़ने को मिली महाराष्ट्र के एक छाटे अस्पताल में डॉक्टर के पास एक गर्भवती स्त्री को लाया गया उसे दो बेटियों के बाद बेटा हुआ था लेकिन ससुराल वालों को विश्वास नहीं हुआ कि उसे लड़का हुआ है। वजह यह थी कि उस औरत की भी उसके पति ने सोनोग्राफी करवाई थी और उसे बताया गया था कि उसके गर्भ में बेटी है। खैर एक डॉक्टर ने माना भी तथा नाम न छापने का अनुरोध कर बताया कि औरत के गर्भ मे पल रहे बच्चे के बारे में गलत सूचना इसलिए दी जाती है ताकि गर्भपात कराने से डाक्टरों की आमदनी हो सके। हाला कि हर चिकित्सक ऐसा नही है लेकिन ज्यादातर पैसा कमाने की धुन में ब्यस्त हीे इस पवित्र पेशे को पूरी तरह बदनाम करने पर आमादा हैं न जानें कितनी मासूम जानें पैसे के चक्कर आये दिन ये भगवान कहे जाने वाले शैतान ले रहें होंगें देश में हर तरफ यही आलम है इस पर मैने एक रचना भी लिखी है इसे पढ़ें और प्रतिक्रिया भी दें -गर्भ में चीख पड़ी लाचार, देखकर खंजर की वो धाररूह भी कांप गई उसकी, रो पड़ी ले ले के सिसकी जुटा कर साहस वो बोली, न चाहूं ‘सजना’ न ‘डोली’ न हम पे खंजर ये तानो, मेरी पीड़ा को पहचानोंकरूॅगी बढ़-चढ़ कर हर काज, सभी को होगा हम पर नाजरहूंगी सदा आत्म निर्भर,करूंगी सेवा जीवन भर रोक लो हाथ बढ़ रहा है, पास खंजर आ रहा है खड़े हो हे पापा क्यों चुप, ये खंजर कहीं न जाये घुपहूॅ जीना चाहती मैं भी, हूॅ बेटों की जैसी बेटीबचा लो मुझे बचा लो तुम, मूर्छित मम्मी भी गुम सुम हुआ खंजर का तब तक वार, रक्त रंजित हुई लाचारहिचकियां लेकर वो बोली, सजा दी गर्भ में डोलीबिगाड़ा मैने किसका क्या, मिला ‘चंचल’ सिला जिसका। डॉक्टरी पेशे के पतन की यह कोई पराकाष्ठा नहीं है। दिल्ली के एक हृदय रोग अस्पताल के बारे में किस्सा सुनने में आया कि वहां मर चुके आदमी का ऑपरेशन करने के नाम पर भी उसके बेटे से पैसे वसूल किए जा रहे थे। वह तो बचपन में उसके साथ पढे़ एक युवा मित्र ने, जो वहां डॉक्टर था, ने उसे इशारे में बता दिया कि तुम्हें ऑपरेशन के नाम पर फालतू में लूटा जा रहा है तब वह और ज्यादा लुटने से बचा लेकिन इस तरह से कितने लोग लुट जाते होंगे। लखनऊ के निजी अस्पताल पैैसे वसूल करने के लिए मरीज की लाश न देने के लिए भी कई बार बदनाम हो चुके हैं और जो लखनऊ मे हो रहा है, मेरी समझ से वह सारे देश में भी हो रहा होगा। मुझे स्वयं इसी सप्ताह डंेगू बुखार की आशंका हुई मित्र की सलाह से एक बुजुर्ग डॉक्टर के पास गया। उन्होने कई टेस्ट बता दिये। एक को छोंडकर बाकी सभी टेस्ट करवा लिए इस बीच पत्नी ने देखा कि उनके नौकर- जिनके पास कंपाउंडर होने की भी योग्यता नहीं है- सभी को एक खास दुकान से न केवल दवाएं लाने को कह रहे हैं बल्कि डॉक्टर का नौकर हरेक की पर्ची के आधार पर सभी को एक जैसी ही हिदायतें दे रहा है। मैने उसकी बात नहीं मानी और बहुत अच्छा किया वर्ना हजारों के वारे न्यारे भी होते नई बीमारी अलग से आती। अभी कुछ दिनों पहले दिल्ली में कुछ नागरिक समूहों ने राष्ट्रीय स्तर पर एक चर्चा आयोजन की, जिसमें केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी तथा योजना आयोग के कुछ सदस्य भी शामिल हुये वहां बताया गया कि अस्पताल में भर्ती होने वाले 40 प्रतिशत लोग या तो उधार लेकर या अपनी जमीन-जायदाद बेचकर इलाज करवाते हैं भयानक गरीबी के कारण 23 प्रतिशत लोग तो अस्पतालों की तरफ झांकते भी नहीं क्योंकि भारत में आर्थिक उदारीकरण के जन्मदाता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की विचारधारा का क्रियान्वयन करने के लिए अब सरकारी अस्पतालों ने भी परीक्षणों का काफी पैसा मांगना शुरू कर दिया है। फिर भी लोग प्रति वर्ष 95,000 करोड़ रूपया दवाइयों-इलाज-डॉक्टरों पर खर्च करते हैं। दवाई कंपनियां 60 से लेकर 1500 गुना तक मुनाफा कमाती हैं और इसमें सभी मदद करते हैं, हमारी सरकारी अस्पतालों की चौपट व्यवस्था भी, सरकारी डॉक्टर भी, उनके कर्मचारी भी, निजी डॉक्टर भी, निजी अस्पताल भी, दवाई कंपनियां भी और न जाने कौन-कौन और हां हमारा स्वास्थ्य मंत्रालय भी। जिस देश मंे भारतीय चिकित्सा परिषद का अध्यक्ष- जो देश के स्वास्थ्य मंत्री का चहेता भी बताया जाता था- रिश्वत लेने के आरोप में गिरफतार होता है, उस देश में कहां-कहां, कितनी-कितनी तरह से, कितने-कितने स्तरांे पर साधारण जनता के स्वास्थ्य की कीमत पर कौन-कौन खा और डकार रहा है, हम तो उन सबको न जानते हैं, न जान सकते हैं और जान भी लें तो क्या बिगाड़ सकते हैं। बड़ी-बड़ी विदेशी दवा कम्पनियां हैं यहां, जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार का बजट ही इतना ज्यादा है कि प्रधानमंत्री-मंत्री अगर उनके इशारे पर नाचने को तैयार हो जाएं तो वे जहां चाहें, जितना चाहें, इन्हें भी नचा सकती हैं। दरअसल, डॉक्टरी पेशे को नियंत्रित करने की इच्छा किसी में नहीं है, न संकल्प शक्ति हैं वरना क्या यह लूट किसी को नहीं दिखती। ऐसा क्यों है कि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं पर सकल घरेलू उत्पाद का महज 0।9 प्रतिशत ही खर्च करती है और अभी कहीं पढ़ा था कि शिक्षा पर महज दो प्रतिशत तथा विकसित देश तो अपने सकल घरेलू उत्पाद का दस प्रतिशत इस पर खर्च करते हैं। हमारी सरकार चाहती तो देश में आज 90,000 तरह की ब्रांडेड दवाइयां न बिकतीं, क्यांेकि कुछ सौ जेनेटिक दवाओं से ही लोगों का काम चल सकता है और वह भी बेहद सस्ते में। लेकिन सरकार लोगों की नहीं बड़ी कंपनियांे की है।और बात सिर्फ चिकित्सा पर खर्च की ही नहीं है। अभी कुछ समय पहले क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लौर के डॉक्टर के।एस. जैकब का एक लेख पढ़ा था, जिन्होंने बताया कि डायरिया जैसे तमाम रोग मूलतः अस्वच्छ पानी तथा आसपास फैली गंदगी के कारण होते है। टी.बी. का भी मुख्य कारण घर के आसपास फैली गंदगी तथा लोगों को पोषक पदार्थ न मिलना है लेकिन शुद्ध पेयजल तो क्या अशुद्ध पेयजल तक गरीब जनता को उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर जैकब बताते हैं कि डॉक्टरांे के पास जाने वाले एक-तिहाई लोगों को दरअसल कोई बीमारी नहीं होती। वे तो जीवन की दिनोदिन बढ़ती मांगों से थके घबराए परेशान लोग होते हैं। डॉक्टर खुद व्यक्तिगत रूप से उनकी जांच करके मानवीय ढंग से उनकी चिंता दूर कर सकते हैं लेकिन नहीं, तरह-तरह के परीक्षण करवाने को लिख देते हैं। जाहिर है कि इससे डॉक्टरों की आमदनी होती है। निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की तो आमदनी उससे तय होती है कि वे कितने अधिक परीक्षण करवाते हैं और कितना अधिक कमीशन उससे खुद हासिल करते हैैं।

Sunday, December 19, 2010

भोपाल में 7 डॉक्टरों को एचआईवी संक्रमण का खतरा

(टाइम्स ऑफ क्राइम)
भोपाल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में एचआईवी पीड़ित मरीज का ऑपरेशन करना सात जूनियर डॉक्टरों के लिए मुसीबत बन गया है और उनके भी एचआईवी संक्रमित होने का खतरा मंडराने लगा है। फिलहाल बचाव के लिए उनका उपचार किया जा रहा है। मंगलवार की रात गांधी मेडीकल कॉलेज के हमीदिया अस्पताल में एक मरीज का हड्डी का ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के दौरान पांच जूनियर डॉक्टरों को कुछ चोटें लगीं और उनका खून सीधे मरीज के खून के सम्पर्क में आ गया। बाद में ड्रेसिंग करते वक्त दो अन्य जूनियर डॉक्टर्स को भी नुकीला औजार लग जाने से खून निकला। इसके बाद जब मरीज के खून की रिपोर्ट आई तो उसने सभी के होश उड़ा दिए क्योंकि वह एचआईवी और हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त पाया गया। मरीज के एचआईवी संक्रमित होने का खुलासा होने के बाद सातों जूनियर डाक्टरों को एंटी र्रिटोवायरल थैरेपी (एआरटी) केंद्र ले जाया गया। इतना ही नहीं उन्हें 'प्री प्रोफिलेक्सिस डोज' (संक्रमण निरोधक दवा) भी दी गई ताकि उन्हें सम्भावित खतरे से बचाया जा सके। एआरटी केंद्र के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. हेमंत वर्मा ने बताया कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति का खून दूसरे व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर संक्रमण फैलने का पूरा खतरा रहता है, मगर एक माह तक 'प्री प्रोफिलेक्सिस डोज' देने से इससे बचा जा सकता है। लिहाजा सातों जूनियर डॉक्टरों को डोज दी जा रही है और अब उन्हें किसी तरह का खतरा नहीं है। इन सातों जूनियर डॉक्टरों के स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है।

उज्जैन संभाग में लाखों का बीज घोटाला

उज्जैन //डॉ. अरुण जैन
उज्जैन . संभाग में लाखों रुपए के बीज घोटाले के मामले में शुक्रवार को नए तथ्य सामने आए हैं। 26 जुलाई को ही बीज प्रमाणीकरण विभाग के अधिकारियों को इस बात की जानकारी मिल गई थी कि उज्जैन की संस्थाओं और निजी फर्मों ने जो बीज खरीदना बताया है वे जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय से नहीं आए हैं, विवि के दस्तावेज फर्जी हैं। इसके बावजूद 23 सितंबर यानी 3 माह तक अधिकारी बीज को प्रमाणित मानकर संस्थाओं को सर्टिफिकेट जारी करते रहे। 24 सितंबर को बीज उत्पादन सहकारी संस्थाओं और निजी फर्मों को बीज प्रमाणीकरण विभाग ने नोटिस जारी कर प्रजनक बीज को अवैध घोषित कर दिया था।संस्थाओं ने रखा अपना पक्ष - शुक्रवार को उज्जैन सीड एसोसिएशन द्वारा मीडिया के समक्ष अपना पक्ष रखा गया। एसोसिएशन अध्यक्ष बालाराम जाट, सदस्य बहादुरसिंह पटेल, प्रदीप खड़ीकर आदि ने संयुक्त रूप से बताया कि संभाग की जिन संस्थाओं और निजी फर्मों को बीज प्रमाणीकरण विभाग द्वारा ब्लैक लिस्टेड किया गया है, उन फर्मों और संस्थाओं ने बीज प्रमाणीकरण विभाग के अधिकारी सीएस सिंह, महिपालसिंह, सुरेश कुमार, राजीव सिन्हा, दिनेश शर्मा के कहने पर प्रजनक बीज क्रय किया था। इन्हीं अधिकारियों ने संस्थाओं और फर्मों को लंबे समय तक धोखे में रखा था। उक्त सभी अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है।ऐसे हुआ किसानों से धोखा - हजिले की जिन बीज उत्पादक संस्थाओं और निजी फर्मों ने करीब 500 कविन्टल बीज क्रय किया था, उन्हें जबलपुर कृषि विवि का टेग लगा हुआ बीज दिया गया। बीज के साथ प्रजनक सोयाबीन बीज के प्रमाणीकरण से संबंधित अन्य दस्तावेज भी दिए गए। हबीज प्रमाणीकरण संस्था को जबलपुर कृषि विवि से यह जानकारी 26 जुलाई को ही मिल चुकी थी कि जो बीज उज्जैन पहुंचा है, वह विवि ने भेजा ही नहीं था। इसके बावजूद चार दिन बाद तक यानी 30 जुलाई तक संस्थाओं के पंजीयन किए जाते रहे। यानी विभाग के अधिकारियों ने ही वास्तविक स्थिति सामने नहीं आने दी। हइस बीच संस्थाओं के निरीक्षण होते रहे। बीज का सत्यापन भी किया गया, लेकिन जबलपुर विवि का पत्र सार्वजनिक नहीं किया गया। इससे साफ होता है कि बीज प्रमाणीकरण विभाग के कुछ अधिकारी ही इस प्रकरण को दबाना चाहते थे।

Saturday, December 18, 2010

न्याय का शासन है तो शलभ भदौरिया को जेल भेजो

भोपाल // आलोक सिंघई (पीआईसीएमपी // टाइम्स ऑफ क्राइम)
सूचना की शक्ति से डरे हुए भ्रष्ट राजनेताओं ने पत्रकारों पर लगाम लगाने के लिए जो हथकंडे अपनाए वे आज प्रगति के पथ पर तेजी से बढ़ती जा रही शिवराज सरकार के पैरों की बेडियां बन गए हैं. अमानत में खयानत करने वाला कथित जालसाज शलभ भदौरिया ऐसा ही एक नमूना है जो सरकारी नुमाईंदों के पस्त हौसलों का उद्घोष कर रहा है. पत्रकारों के इस गद्दार ने अपने बचाव के लिए पत्रकारिता का मुखौटा पहन रखा है. भ्रष्ट सत्तातंत्र यह मुखौटा नोंचना भी नहीं चाहता क्योंकि उसे लगता है कि पत्रकारों को इसी बहाने कुछ खरी खोटी सुनाई जा सकती है. जबकि हकीकत यह है कि शलभ भदौरिया पर मुकदमा चलाकर उसे जेल न भेजने से बदनामी राजनीति की होगी पत्रकारिता पर उसका कोई असर नहीं पडऩे वाला. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के अफसरों ने तमाम दबावों और प्रलोभनों को दरकिनार करते हुए अपना अभियोग पत्र पूरी मुस्तैदी के साथ तैयार किया है.इसे जिला अदालत के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाना है. लेकिन विधि विशेषज्ञ की रायशुमारी के बहाने यह अभियोग पत्र अब तक अदालत की देहरी नहीं लांघ पाया है. न्यायप्रिय शासन की आवाज बुलंद करने के लिए इस अभियोग पत्र पर अदालत में सुनवाई होना जरूरी है.
अभियोग पत्र की इबारत पढऩे के बाद भविष्य की साफ तस्वीर उभर रही है. भारतीय दंड संहिता सभी के लिए एक समान है. इसलिए पत्रकारिता की खाल ओढ़कर आपराधिक जालसाजियां करने वाले शलभ भदौरिया की गिरफ्तारी और दंड सुनिश्चित है. इसीलिए वह चाहता है कि यह मामला किसी तरह ठंडे बस्ते में पड़ा रहे. दैनिक अग्निबाण के लिए खंडवा से पत्रकारिता करने वाले रवि जायसवाल ने इस मामले की खबर अपने अखबार में प्रकाशित कर दी. इससे तिलमिलाए शलभ भदौरिया ने उसे फोन करके काफी भला बुरा कहा और देख लेने की धमकी भी दी.
इसकी शिकायत पत्रकार साथी ने जिले के पुलिस अधीक्षक आई. पी. एस. हरिनारायण चारी मिश्रा से की है. गृह विभाग ने पत्रकारों के खिलाफ शिकायत की प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस की जांच का प्रावधान किया है इसलिए यह शिकायत फिलहाल जांच में है. पुलिस अधीक्षक एच.एन.सी. मिश्रा ने खंडवा में अपराधियों पर लगाम कसने का जो अभियान चलाया हुआ है उसे नागरिक और पत्रकार सभी समर्थन दे रहे हैं. जाहिर है कि स्थानीय पत्रकार की शिकायत को भी कानून को बुलंद बनाने वाले नजरिए से ही देखा जाएगा. मामले की तह में झांकें तो आम नागरिक भी समझ सकता है कि किस तरह पत्रकारिता की आड़ लेकर जालसाजी की गई है. इस मामले की शिकायत वर्ष 2003 में भोपाल के पत्रकार राधावल्लभ शारदा ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में की थी. इस शिकायत के सत्यापन के बाद निरीक्षक इंद्रजीत सिंह चौहान ने पाया कि वर्ष 1999 से 2003 के बीच श्रमजीवी पत्रकार नाम से प्रकाशित किए जाने वाले अखबार के प्रधान संपादक शलभ भदौरिया और संपादक विष्णुवर्मा विद्रोही थे. प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम के अनुसार किसी भी समाचार पत्र के प्रकाशन से पहले उसका नाम भारत के पंजीयक के रजिस्टर में दर्ज करवाना अनिवार्य होता है.
पूंजीवाद के आगमन से पहले ट्रेड यूनियन आंदोलन बहुत प्रभावी हुआ करता था. इसी के चलते राजनेता भी पत्रकारों की तमाम मांगें आंखें मूंदकर मान लेते थे.
ऐसा ही कमोबेश पत्रकार भी किया करते थे.यही कारण था कि वर्ष 2002 में जब शलभ भदौरिया को तत्कालीन शासकों ने संगठन का मुखपत्र निकालने के लिए जनसंपर्क महकमे से धन देने का आश्वासन दिया तो उसने श्रमजीवी पत्रकार नामक अखबार का नकली पंजीयन प्रमाण पत्र बनवाया. यह जालसाजी पत्रकार भवन में ही की गई. जनसंपर्क महकमे की विज्ञापन शाखा ने इस फर्जी पंजीयन प्रमाण पत्र के आधार पर अखबार को विज्ञापन जारी करना शुरु कर दिए. मामले की शिकायत होने तक समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय के फर्जी पंजीयन प्रमाण पत्र के आधार पर भदौरिया लाखों रुपयों की ठगी कर चुका था. यह ठगी मध्यप्रदेश के पत्रकारों के लिए विज्ञापन के मद में दी जाने वाली धन राशि की भी थी और डाक विभाग से मिलने वाली छूट की भी थी. तब सूचना का अधिकार अधिनियम लागू नहीं था और जनसंपर्क महकमे के अधिकारी आज की ही तरह जनसंपर्क के बजट की राशि को उजागर नहीं होने देना चाहते थे. इसीलिए जनसंपर्क विभाग के माध्यम से मध्यप्रदेश की जनता से की गई धोखाघड़ी आज भी सामने नहीं आई है. लेकिन डाक विभाग की ओर से रियायती मूल्यों पर डाक वितरण की जो छूट दी जाती है उस छूट की राशि शिकायत होने की तारीख तक एक लाख चौहत्तर हजार नौ सौ सत्तर हो चुकी थी.
यह शिकायत पंजीयक कार्यालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर सत्य पाई गई. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सुधीर लाड़, थाना प्रभारी उमाशंकर तिवारी और विवेचना करने वाले निरीक्षक नरेन्द्र तिवारी ने अभियोग पत्र में पाया है कि आरोपियों ने भारतीय दंड संहिता की धारा-120 बी, 420, 467, 468, 471 के अंतर्गत अपराध किया है इसलिए माननीय न्यायालय के समक्ष अभियोग पत्र भेजा जा रहा है. जाहिर है कि इस मामले में कार्यपालिका ने अपना काम मुस्तैदी के साथ किया है.अब बारी विधायिका की है. माननीय मुख्यमंत्रीजी विधानसभा में उद्घोष कर चुके हैं कि अपराधी कोई भी हो,कैसा भी हो उसे छोड़ा नहीं जाएगा. इसलिए उम्मीद नजर आ रही है कि इस मामले में भी अपराधी सलाखों के पीछे अवश्य पहुंचेंगे. च

Friday, December 17, 2010

परियोजना अधिकारी ने लगा दिया सालभर अधिकारियों की गलती नही दिखती प्रशासन कों

रामकिशोर पंवार रोढावाला // (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल। कलेक्टर बैतूल की जनसुनवाई में बार बार दस्तक दे रहा पेंशन प्रकरण ने महिला बाल विकास विभाग का नकारापन उजागर करके रख दिया हैं। परियोजना अधिकारी वंदना तिवारी की अक्षमता और नकारापन के चलतें सेवानिवृत सुपरवाईजर सुशीला सेन का पेंशन प्रकरण आज तक लटका हुआ हैं। विभाग के अधिकारी ने सालभर से ज्यादा उम्र और पदक्रम तय करने को लेकर ही बिता दिए। मामला अभी तक कोषालय में पेश नही किया गया हैं। विभाग के कार्यक्रम अधिकारी प्रदीप राय तो केवल नोटिस देना जानते हैं लेकिन उन्होने परियोजना अधिकारी को नोटिस जारी करके कभी यह जानने की कोशिश नही करी कि सेवानिवृत्ति के पूर्व पेंशन प्रकरण क्यों तैयार नही किया गया? अगर जनाब पूछेगें तो विभाग के अधिकारियों का नकारापन उजागर होगा। विभाग का बड़ा अधिकारी अगर उम्र और पदक्रम तय करने में एक साल से ज्यादा समय लगा देता हैं तो एसा अधिकारी किस काम का हैं। अभी तो प्रकरण को भ्रष्टाचार की दलदल से गुजरना बाकी हैं। विभाग के बड़े अधिकारियों की गलती की सजा पेंशनर को एक बार फिर से दिए जाने की सम्भावना बनती जा रही हैं। विभाग के अधिकारी तो लेखापाल सुन्दरलाल उईके और पेंशनर पर ही मामला डालने का मन बना चुके हैं। दोनो को हर टेबल पर भारी कीमत चुकानी पड़ सकती हैं। कोषालय से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक यह कमाई का अवसर देने वाला प्रकरण जो हैं। विभाग में जो अधिकारी सीधे पैसे नहीं लेते हैं उन्होने चपरासियों को इस काम में लगा रहा हैं। रामा ओ रामा तेरा कितना हिस्सा बनता हैं। अधिकारी तुझे इस नाजायज काम का कितना कमीशन देते हैं।

पत्रकारिता विषय को नही समझते अधिकारी न्यायालय में गवाही के दौरान अधिवक्ता के कथन

रामकिशोर पंवार रोढावाला // (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल। जिला मजिस्ट्रेट विजय आनन्द कुरील के न्यायालय में राज्य सुरक्षा कानून के तहत चल रहें पत्रकार रामकिशोर पवाँर के बहुचर्चित मामलें में गवाही के दौरान अधिवक्ता भारत सेन ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारिता जैसे महत्वपूर्ण विषय को समझते ही नही हैं। अंग्रजी शासन काल की मानसिकता अधिकारी रखते हैं और पत्रकारों पर फर्जी प्रकरण दर्ज करवाकर पत्रकारिता को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं। इससे लोक तंत्र का अहित होता हैं। आरोपी रामकिशोर पवाँर को क्रांतिवीर पत्रकार बताते हुए उनकी पत्रकारिता और माँ ताप्ती अभियान की प्रशंसा की गई। पत्रकारिता के हित में अधिवक्ता भारत सेन के ब्यानों से रासुका के तहत चल रहें मामले की वैधानिकता पर एक बार फिर से विचारणीय गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
राज्य सुरक्षा कानून के तहत चल रहें पत्रकार रामकिशोर पवाँर का मामला कई कारणों से जनचर्चा में बना हुआ हैं। पहला कारण तो यह हैं कि पीयूसीएल जैसे जनसंगठन द्वारा इस कानून को असंवैधानिक, मानवअधिकारों का हनन करने वाला और संविधान में प्रदत्त जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन करने वाला ठहराया जा चुका हैं। जिस तरह टाडा और पोटा जैसे कानून गलत हैं वैसे ही रासूका का दुरूपयोग होता हैं। दूसरा कारण तो यह है कि शासन और प्रशासन में बैठे हुए लोगों के इशारें पर इस कानून का दुरूपयोग किया जाता रहा हैं। जिला दण्डाधिकारी न्यायालय के फैसले माननीय उच्च न्यायालय में ठहर नहीं पाते हैं। इससे पता चलता हैं कि कुछ ताकतवर लोगों के इशारे पर कानून का दुरूपयोग करने के लिए जिले के सबसे बड़े अधिकारी किसी भी सीमा तक चले जाते हैं। प्रशासन कानून की आड़ लेकर पत्रकारों को जख्म देता रहता हैं। पत्रकारों के लिए सबसे बड़े दुख की बात यह हैं कि कानून की शक्ति का दुरूपयोग करने वाले अधिकारी के विरूद्ध उनको मालूम ही नही हैं कि करना क्या हैं? सदस्य संख्या और वार्षिक चंदे तक सीमित रहने वाले पत्रकार संघ के अध्यक्ष चाहें तो संगठन के माध्यम से पूरी की पूरी विचारण की प्रक्रिया को माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती हैं। कानून की शक्ति का दुरूपयोग करने वाले अधिकारीयों की वैधानिक जिम्मेदारी तय करवाई जा सकती हैं।

रासुका के दायरे में जिले के वरिष्ठ पत्रकार रामकिशोर पँवार को कुछ छोटे मामलों के आधार पर उस समय लाया जा रहा हैं जबकि वह विकलांग हैं और भारत के किसी नागरिक के शरीर और संपत्ति को गंभीर नुक्सान पहँुचाने की स्थिति में बिलकुल ही नही हैं। जिला प्रशासन उसे आम आदमी के विरूद्ध गंभीर और घृणित अपराध को अंजाम देने वाला आदतन अपराधी की श्रेणी में बता कर रासुका के तहत कार्यवाही को अंजाम देता चला जा रहा हैं। अपराधी और पत्रकार एक ही सिक्के के दो पहलू नही बताए जा सकते। आखिर अपराध और पत्रकारिता का कैसा नाता? जिला प्रशासन की कार्यवाही अपने आप में पत्रकारिता के पवित्र पेशे पर गंदा कीचड़ उछालने के समान हैं। इससे इमानदार और जीवन को जोखिम में डालकर पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों की साख पर बट्टा लगता हैं और आम आदमी पत्रकार को किसी दूसरे तरह का अपराधी समझने लगते हैं। आखिर जिला प्रशासन रामकिशोर पवाँर पर मुकदमा चलाकर दूसरे पत्रकारों को भला क्या सबक देना चाहता हैं? जिला प्रशासन की पत्रकारिता को नियंत्रित करने वाली यह कार्यवाही लोकतंत्र के हित में सही नही ठहराई जा सकती? गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के टिकिट पर विधान सभा चुनाव लड़ चुके भारत सेन अधिवक्ता जिला प्रशासन को अपने ब्यानों के माध्यम से ठीक ही नसिहत दे रहें हैं। वाकई प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारिता जैसे विषय को समझते ही नही हैं।

Wednesday, December 15, 2010

होशंगाबाद जुआं पकडऩे गई पुलिस पर हमला

ब्यूरो प्रमुख// शेख अमीन कुरैशी (होशंगाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क : 99072 77862
होशंगाबाद. 21 लोगों पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज 7 गिरफ्तार सिवनीमालवा थाने के ग्राम टेमला में रविवार को जुंआ पकडने गई पुलिस टीम पर जुआं खेल रहे लोगों ने हमला कर दिया। जिसमें आरक्षक शंकरलाल मीना गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसका जिला चिकित्सालय में उपचार चल रहा है। सिवनी पुलिस ने बताया कि रविवार रात्रि को ग्राम टेमला ने पहाड़ी पर जुंआ खेलने की सूचना मिली पुलिस की गुण्डा स्काट टीम जुआं पकडने ग्राम टेमला पहुंची तो जुंआरियों ने पुलिस पर हमला कर दिया। पुलिस ने 21 नामजद लोगों पर और 6 अन्य पर धारा 307 और जुंआ एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

अवैध उत्खनन से हो रहा करोड़ों का राजस्व चोरी

ब्यूरो प्रमुख// शेख अमीन कुरैशी (होशंगाबाद // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क : 99072 77862
होशंगाबाद. सुरखी विधायक एवं कांग्रेस उपाध्यक्ष गोविन्द सिंह राजपूत ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश का खजाना लुटाने के लिये पूरी छूट दे दी है। अवैध उत्खनन के माध्यम से प्रदेश में करोड़ों के राजस्व की चोरी हो रही है हीं यहां के दुर्लभ जीव-जुंतओं का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है।प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि चंबल से लेकर होशंगाबाद, बुधनी तक खनिज संपदाओं का अवैध कारोबार जारी है, जिसके तार मुख्यमंत्री निवास और उनके संबंधियों से जुड़े हैं। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि खनिज माफिया के कारोबार के कारण चंबल के घडिय़ालों की संख्या जहां 1290 से घटकर 60-70 रह गई है, वहीं सरकार की मनमानी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाईकोर्ट की रोक के बाद भी न तो शिकार पर अंकुश लगाया गया और न ही खनिज के अवैध कारोबार पर। उन्होंने कहा कि मायनिंग कार्पारेशन में ठेकेदारों द्वारा पंजीयन न कराने से ही प्रदेश के राजस्व को लगभग 2500 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।

बैतूल लोकायुक्त ने घूस लेते धर दबोचा

बैतूल \ अपने कार्यालय के चपरासी से रिश्वत लेते कर्मचारी संघ का जिलाध्यक्ष
बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के एक बाबू को लोकायुक्त पुलिस ने मंगलवार की रात रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों धर दबोचा। बाबू द्वारा भृत्य से मेडिकल स्वीकृति के नाम पर दस हजार रूपए रिश्वत मांगी जा रही थी। भृत्य की शिकायत पर लोकायुक्त की टीम ने छापामार कार्रवाई करते हुए बाबू के पास से पांच-पांच सौ रूपए के नोट बरामद कर उसे हिरासत में ले लिया। देर रात तक कार्रवाई जारी रही। लोकायुक्त पुलिस के डीएसपी एचएन संधू ने बताया कि पंचायत एवं सामाजिक न्याय विभाग के भृत्य रामनारायण पुंड की शिकायत पर जांच के लिए टीम बैतूल आई है। इस टीम में लोकायुक्त विभाग के दस कर्मचारी शामिल थे।भृत्य रामनारायण पुंड को विभाग से मेडिकल बिल स्वीकृति का 40 हजार रूपए मिलना था, लेकिन बाबू शंकर सिंह चौहान द्वारा रूपए दिए जाने के बदले दस हजार रूपए रिश्वत की मांग की जा रही है। रिश्वत की मांग किए जाने का रिकार्डेड टेप भी भेजा था।जिस पर मंगलवार को डीएसपी संदू के नेतृत्व में देर शाम न्याय विभाग के कार्यालय पहुंची। टीम ने भृत्य को पांच-पांच सौ रूपए के दस नोट केमिकल लगाकर दिए और बाबू शंकर सिंह चौहान के पास भेजा। जहां शंकर सिंह ने भृत्य से रिश्वत के रूपए लेकर अपनी जेब में रख लिए। इसके बाद लोकायुक्त टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए शंकर सिंह को दबोच लिया। उसके पास से नोट बरामद कर लिए और हाथ धुलवाने पर उसके हाथ रंगीन हो गए। इस मामले में लोकायुक्त टीम द्वारा कार्रवाई की जा रही है। शंकर सिंह चौहान कर्मचारी संघ का जिलाध्यक्ष भी है। गिरफ्तार

शादी को घसीटते रहने के बजाय क्या तलाक ले लेना बेहतर है?

इंडियन बिजनेस मैन अरुण नायर और ब्रिटिश मॉडल-अभिनेत्री लिज हर्ले के बीच डाइवोर्स की खबरें अब आम हो चुकी हैं। कुछ समय पहले तक दोनों के बीच ऑल वेल था। दोनों बेस्ट हाफ कपल थे। लेकिन लिज के क्रिकेटर शेन वॉर्न के साथ अफेयर की बात खुलने के साथ ही लिज और अरुण की तीन साल पुरानी शादी टूटने के कगार पर है। क्या आपको लगता हैं कि लिज उनसे अलग होकर सही कर रही हैं? क्या आप मानते हैं कि शादी को घसीटने के बजाय तलाक लेना बेहतर है? अपना जवाब हां या ना में दें।

Saturday, December 11, 2010

अवैध वसूली में टोटल टीवी के दो पत्रकार गए जेल

सिवनी toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
सिवनी जिले में टीआई बनकर अवैध वसूली करते दो पत्रकारों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दोनों टोटल टीवी के पत्रकार हैं. दोनों एक ट्रक चालक को धमकाकर उससे पचास हजार रूपये की मांग कर रहे थे. शक होने पर चालक ने इसकी सूचना पुलिस को दी. जिसके बाद पुलिस ने दोनों को रंगेहाथ पकड़ लिया. अपराध पर नियंत्रण के लिए सिवनी पुलिस पिछले कई दिनों से चेकिंग अभियान चला रही थी. इसका फायदा उठाकर कुछ लोग उन सड़कों पर अवैध वसूली का काम कर रहे थे, जिन पर पुलिस नहीं रहती थी.
ऐसी घटनाओं की शिकायत ट्रक मालिकों द्वारा लगातार पुलिस के उच्‍चाधिकारियों और मीडिया वालों से की जा रही थी. कल भी कुछ लोग सड़क पर टीआई, कन्‍हीवाडा बनकर एक ट्रक, जिसका नम्‍बर- सीजी 10 बीडी 6050 था, के चालक से पचास हजार रूपये की मांग करने लगे. पैसा न देने पर ट्रक के कागजात लेने के बाद फर्जी रूप से ट्रक को चालान करने की कार्रवाई करने का नाटक करने लगे. परेशान ट्रक चालक इन लोगों के कार के पास गया तो देखा कि कार में दो युवतियां आपत्तिजनक स्थिति में दो अन्‍य युवकों के साथ मस्‍ती कर रही थी, जिसे देखकर चालक को शक हुआ.
उसने की इसकी सूचना फोन से अपने साथियों को दी. इसकी सूचना उसके साथियों ने पुलिस को भी दी. सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने दो युवकों को पकड़ लिया. जिसमें एक आरपी सिंह खुद को टोटल टीवी, महाकौशल का ब्‍यूरोचीफ बता रहा था. जबकि दूसरा रितेश सूर्यवंशी ऊर्फ गोलू सिवनी जिला संवाददाता है. इस बारे में जब भोपाल में टोटल टीवी के ब्‍यूरोचीफ राहुल सक्‍सेना से बात की गई तो उन्‍होंने कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया. सिवनी के पुलिस अधीक्षक रमन सिंह ने बताया कि टोटल टीवी के दो पत्रकारों को टीआई बनकर अवैध वसूली करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है. दोनों का चालान आईपीसी की धारा 419, 420 के तहत करके जेल भेज दिया गया.

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