रिजवान चंचल लखनऊ से 09450449753
लखनऊ के मीडिया गलियारों से आ रही खबरों के मुताबिक स्वतंत्र भारत को करोड़ो की नोटिस तो मिली ही अब अखबार दफतर का विजली कनेक्सन भी काट दिया गया है अखबार से जुड़े पत्रकारों की हालत अतिदयनीय हो गई है उन्हें पिछले लगभग 4,5 महीनों से मानदेय व वेतन ही नहीं मिल सका है ज्यादातर पत्रकार जनसंदेश व दूसरे अखबारों से जुड़ गये है कुछ अभी भी अपना बकाया पाने की आस में डटे है लेकिन अब वे भी भागने को तैयार है कुल मिलाकर यह अखबार अब नानाप्रकार के जंजालों में उलझ चुका है जब कि एक दौर ऐसा भी था कि स्वतंत्र भारत न केवल प्रसार में ही यहां आगे था बल्कि इस अखबार की खासी हनक भी कायम थी अपने चमत्कारी दौर में स्वतंत्र भारत जयपुरिया ग्रुप के पास था बाद में इसे थापर ग्रुप ने खरीदा। केके श्रीवास्तव ने ललित थापर से यह अखबार खरीदा और अभी तक इसे संचालित कर रहे हैं लेकिन इधर काफी लम्बे अरसे से यह अखबार उतार-चढ़ाव में ही रहा बीच - बीच में ऐसी स्थित भी बनी कि केवल फाइल कापी ही छपी अखबार मार्केट से नदारत रहा अब देखना यह है कि आगे क्या होता है पिछले दिनों यह भी चर्चा आई थी कि इसे प्रदेश सरकार से जुड़े एक राजनेता ले रहें है लेकिन न्यायालय सम्बन्धी तमाम उलझाओं के चलते शायद वो डील फाइनल नही हो सकी अब करोड़ों की रिकबरी नोटिस के बाद तो और भी मुश्किल है डील होना।
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