प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर//टाइम्स ऑफ क्राइम)
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अशोक नगर। युवास्था से वृद्ध हो चुका धन्ना आज 35 वर्षों से लगातार कलेक्टर कार्यालयों के चक्कर काट-काटकर थक चुका हैं, पर सन् 1975 के आपातकाल में तोड़ी गई उसकी दुकान के एवज में आवंटित दुकान न। 11 गुरूद्वारे के सामने पर सैय्यद अली के अवैध कब्जे को वह नहीं हटवा सका। यद्पि स्थानीय एसडीएम एवं जिला कलेक्टर ने उसके पक्ष में ही फैसले में दिए हैं। पर ये फैसले महज कागजी कार्यवाही ही दिखाई पड रहे हैं। मौके पर इनकी कोई उपयोगिता सिद्ध नहीं हो पा रही हैं। अपने आप बीती सुनाते हुए वृद्ध धन्ना जिसे न्याय के लिए चक्कर लगाते-लगाते हार्टअटैक होकर आंखों से कम दिखना भी शुरू हो गया है। उसने बताया कि 37 वर्ष की युवास्था में मुझे मेरी तोडी गई दुकान की बदले 11 नंबर दुकान मिली जिसपर रातो-रात सैय्यद अली ने अपना कब्जा कर लिया। मेरे आवेदन पर तत्कालीन तहसीलदार ने अनावेदक पर पांच सौ रूप्ए जुर्माना किया। जिसके विरूद्ध सैय्यद अली द्वारा की गइ अपील को दिनांक 24 मार्च 1983 कलेक्टर गुना द्वारा भी खारिज कर दिया। इसकी शिकायत सैय्यत अली ने कमीशनर ग्वालियर को की। प्रकरण की जांच लंबित होने से कार्यवाही भी लंबित बनी रही। तत्पश्चात प्रकरण फाइल स्थानीय एसडीएम के पास वापस आई। एसडीएम ने प्रकरण की गंभीरता को समझते हुए अनुशंसा के साथ कार्यालय कलेक्टर गुना को कार्र्यवाही हेतु भेज दिया। तत्कालीन जिलाधीश श्रीमति नीलम राव ने धन्ना के पक्ष में प्रकरण का फैसला देते हुए धन्ना से तीन हजार नौ सौ पिंचायनवे रूपए दुकान प्रीमियम जमा कराने का आदेश दिया। धन्ना ने राशि समावधि में जमा की। पर दुकान पर कब्जा न हो सका। इस फैसले से बौखलायें सैय्यद वाहिद अली ने आवेदन दिया कि उसके इस दुकान के अलावा आय का साधन नहीं हैं। जबकि धन्ना के अनुसार अनावेदक के पास अशोकनगर वायपास पर 4।998 बीघा बांसापुर में 9.772 जो लाखों की हैं। मौजूद हैं। धन्ना को जिला कलेक्टर अशोकनगर से न्याय की आशा हैं।
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