रामकिशोर पंवार रोढावाला // (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल। कलेक्टर बैतूल की जनसुनवाई में बार बार दस्तक दे रहा पेंशन प्रकरण ने महिला बाल विकास विभाग का नकारापन उजागर करके रख दिया हैं। परियोजना अधिकारी वंदना तिवारी की अक्षमता और नकारापन के चलतें सेवानिवृत सुपरवाईजर सुशीला सेन का पेंशन प्रकरण आज तक लटका हुआ हैं। विभाग के अधिकारी ने सालभर से ज्यादा उम्र और पदक्रम तय करने को लेकर ही बिता दिए। मामला अभी तक कोषालय में पेश नही किया गया हैं। विभाग के कार्यक्रम अधिकारी प्रदीप राय तो केवल नोटिस देना जानते हैं लेकिन उन्होने परियोजना अधिकारी को नोटिस जारी करके कभी यह जानने की कोशिश नही करी कि सेवानिवृत्ति के पूर्व पेंशन प्रकरण क्यों तैयार नही किया गया? अगर जनाब पूछेगें तो विभाग के अधिकारियों का नकारापन उजागर होगा। विभाग का बड़ा अधिकारी अगर उम्र और पदक्रम तय करने में एक साल से ज्यादा समय लगा देता हैं तो एसा अधिकारी किस काम का हैं। अभी तो प्रकरण को भ्रष्टाचार की दलदल से गुजरना बाकी हैं। विभाग के बड़े अधिकारियों की गलती की सजा पेंशनर को एक बार फिर से दिए जाने की सम्भावना बनती जा रही हैं। विभाग के अधिकारी तो लेखापाल सुन्दरलाल उईके और पेंशनर पर ही मामला डालने का मन बना चुके हैं। दोनो को हर टेबल पर भारी कीमत चुकानी पड़ सकती हैं। कोषालय से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक यह कमाई का अवसर देने वाला प्रकरण जो हैं। विभाग में जो अधिकारी सीधे पैसे नहीं लेते हैं उन्होने चपरासियों को इस काम में लगा रहा हैं। रामा ओ रामा तेरा कितना हिस्सा बनता हैं। अधिकारी तुझे इस नाजायज काम का कितना कमीशन देते हैं।
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