Wednesday, January 19, 2011

हजारों की इमारती लकड़ी जब्त

रिपोर्टर// बलराम शर्मा (सिंगरौली// टाइम्स ऑफ क्राइम)
रिपोर्टर से सम्पर्क : 99263 33470
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सिंगरौली. जिले के भीतरी एवं निगाही परिक्षेत्र अन्तर्गत वन विभाग के अधिकारियों ने हजारों रूपये की इमारती लकड़ी जप्त किया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निगाही परियोजना द्वारा कराये गये वृक्षारोपण की ग्रामीणों द्वारा अंधाधुंध कटाई की शिकायत परियोजना के अधिकारियों द्वारा वन मण्डलाधिकारी कार्यालय में किया गया था।
शिकायत को गंभीरतापूर्वक लेते हुए वन मण्डलाधिकारी एस.के. सिंह ने वन परिक्षेत्राधिकारी कार्यालय को परियोजना के वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाने हेतु निर्देषित किया गया था। जिसके परिपालन में क्षेत्र के सहायक वन परिक्षेत्राधिकारी ने परियोजना के वृक्षों की हो रही अवैध कटाई पर रोक लगाते हुए लगभग 10 से 15 हजार रूपये की लकड़ी जप्त करते हुए बरगवां काष्ठागार में भेज दिया गया। इसी कड़ी में कर्थुआ वन परिक्षेत्र के सकरी वीट अंतर्गत भीतरी गांव में अनदेखी बैगा के घर से 52 नग सेधा की अवैध बल्ली सहायक वन परिक्षेत्राधिकारी व वन अमले द्वारा छापामार कार्रवाई कर जप्त कर लिया गया। गौरतलब हो कि जिले के जंगलों की आये दिन हो रही अंधाधुंध कटाई लोगों द्वारा किया जा रहा है। जिसमें वन के रक्षकों की भूमिका संदिग्ध है। जबकि जंगलों के इमारती लकडिय़ों को अवैध रूप से काटकर लोगों द्वारा क्षेत्र में संचालित फर्नीचर दुकानों के संचालकों के पास औने-पौने दामों पर बिक्री कर दिया जाता है। जिसकी छानबीन विभाग द्वारा नहीं किया जाता।

एनसीएल के कई अधिकारी कोर्ट तलब

रिपोर्टर// बलराम शर्मा (सिंगरौली// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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सिंगरौली. एनसीएल के विभिन्न परियोजनाओं में पदस्थ अधिकारियों द्वारा फर्जी अनुभव पत्र के आधार पर निविदा ठेका देने के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी बैढऩ न्यायालय ने परिवादी दयाषंकर चौबे के परिवाद पत्र पर पूर्व सीएमडी एनसीएल वगैरह के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध कर तलब किया है। फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर टेण्डर ठेका दिये जाने की जानकारी के तहत परिवादी दया शंकर चौबे ने बैढऩ न्यायालय में परिवाद दायर किया था। अवैध रूप से सांठ-गांठ कर फर्जी तरीके से व कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर टेण्डर के माध्यम से ठेकेदारी के मामले में प्रथम सुनवाई पश्चात आरोपी ठेकेदार द्वय निर्मल चक्रवर्ती, मृणाल चक्रवर्ती जो मेसर्स पार्टनर द्वारा हाउस इंटरप्राइजेज के पार्टनर द्वारा फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र जिसे बीसीसीएल धनबाद द्वारा जारी होना बताकर एनसीएल सिंगरौली के विभिन्न परियोजनाओं में टेण्डर पर वर्क आर्डर लेकर कार्य किया गया। निगाही परियोजना में उपरोक्त संविदा एजेंसी द्वारा कम्पोजिट बिल्डिंग के संचालन एवं रख-रखाव कथित ठेकेदारों द्वारा किये जाने का आरोप है। इस संदर्भ में एनसीएल के सर्तकता अधिकारी विश्वजीत प्रधान व लल्लू सिंह महाप्रबंधक एनसीएल सिंगरौली को साक्षी के रूप में पेष होने व न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी बैढऩ ने अपना कथन दिया, जिस पर माननीय न्यायालय ने संतुष्ट होकर आरोपीगण के विरूद्ध अपराध अन्तर्गत धारा 420, 465, 120बी भादस के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण क्रमांक 1941/10 के तहत पॉंच-पॉंच हजार के जमानती वारंट जारी कर न्यायालय में हाजिर होने का आदेष पारित किया गया था। परिवाद की ओर से एम.के. सिन्हा एडवोकेट ने पैरवी की।

इलेक्ट्रिकल की दुकान में सेल्स टैक्स का छापा


रिपोर्टर// बलराम शर्मा (सिंगरौली// टाइम्स ऑफ क्राइम)
रिपोर्टर से सम्पर्क : 99263 33470

सिंगरौली. जिला मुख्यालय बैढऩ के बिलौंजी मुख्य बाजार में स्थित ए.क.े इलेक्ट्रिल्स दुकान पर वाणिज्यिक कर विभाग के एन्टी इवेजन ब्यूरो टीम ने छापामार की कार्रवाई की। जिसमें दुकानदार द्वारा करीब एक करोड़ से ऊपर कर अपवंचित बिक्री किया जाना पाया गया। दुकान संचालक से मौके पर ही 15 लाख रूपये कर चोरी पेटें चेक जमा करा लिया गया है। टीम ने दुकान से भारी मात्रा में खरीदी-बिक्री के कागजात भी जब्त किए है।
जिनकी जॉंच के बाद ही वास्तविक कर चोरी पकड़ में आएगी। ज्ञात हो कि उक्त प्रतिष्ठान संचालक के खिलाफ अन्य प्रदेशों से सामग्री खरीदी करके प्रदेश में बिक्री करने व कर की चोरी किये जाने की सूचना पर वाणिज्यिक कर विभाग के एन्टी इवेजन ब्यूरो सतना की टीम ने ब्यूरो प्रमुख उपायुक्त एम. कुम्हार के नेतृत्व में छापामार कार्रवाई की है। बताया गया है कि ए. के. इलेक्ट्रिकल के संचालक अरविन्द कुमार शाह के खिलाफ अन्य प्रदेशों से सामग्री खरीदी कर प्रदेष में वाणिज्यिक कर की चोरी की जा रही थी। जिसकी शिकायत मिलने पर वाणिज्यिक कर विभाग की नौ सदस्यीय टीम ने छापामार कार्रवाई की। जिसमें प्रतिष्ठान स्थल पर पाये गये आवश्यक दस्तावेजों की जांच की गई। साथ ही साथ दुकान में मौजूद बिल, व्हाउचर, रजिस्टर, खाता-बही एवं अन्य लूज कागजों की भी जॉंच की गई।
टीम ने दुकान में मौजूद इलेक्ट्रिकल स्टाक की जांच की। इसके अलावा दुकान में मिले उक्त आवष्यक दस्तावेजों को वाणिज्यिक कर की टीम ने अपने कब्जे में ले लिया। उपायुक्त एम. कुम्हार ने बताया कि दुकान संचालक द्वारा अन्य प्रदेषों से सामान की खरीदी की जा रही थी। जिसकी जानकारी वाणिज्यिक कर विभाग से छुपाई जाती थी।
जिस पर की गई कार्रवाई में एक करोड़ से अधिक अपवंचित बिक्री पाई है। साथ ही दुकानदार से 15 लाख रूपये कर का अग्रिम चेक भी दुकानदार से लिया गया है। क्योंकि, खरीदी की गई सामग्रियों की जानकारी खातों में नहीं दर्शाई गई है। इस कार्यवाही में ऐन्टी ऐविजन ब्यूरो सतना के एच.एल. रामटेके, आर.के. भट्ट, पी.के. शर्मा, प्रशांत बेन्द्रे, सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी सतना रवि मोहन पटेल, वाणिज्यिक कर अधिकारी बैढऩ जे.एन. शर्मा, सहायक वाणिज्यक कर अधिकारी बैढऩ सम्मिलित रहे।

कट्टा अड़ाकर छात्राओं के अपरहण का प्रयास

बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल. नगर से लगे हुए एक इंजीनियरिंग कॉलेज की छात्राओं को लेकर लौट रही वेन का अपहरण नेशनल हाइवे 69 पर शाम को करने का प्रयास किया गया। इस मामले में कोतवाली पुलिस ने 7-8 युवकों को गिरफ्तार भी किया है। घटना के संबंध में बताया गया कि नगर से आठ किलोमीटर दूर आठवां मिल पर स्थित बालाजी टेक्नीकल इंस्टीटयूट की छात्राएं कॉलेज की मारूति ओमनी वेन से शाम पांच बजे शारदा नगर स्थित हास्टल के लिए लौट रही थी। रास्ते में जामठी स्थित ऋतुराज ढाबे से के पास मोटरसाइकिल पर सवार दो युवकों ने इनकी वेन का पीछा किया और जामठी की पुलिया के समीप उक्त दोनों युवकों ने चालक को डराना-धमकाना और गाली-गलौज करना शुरू कर दी। उनका कहना था कि ये लड़कियां उन्हें पसंद आ गई हैं और अपने साथ लेकर जाएंगे। वहीं एक एक युवक ने फोन किया तो पांच मिनट के अंदर 8-10 लड़के और बाइक से मौका स्थल पहुंच गए। इन्होंने भी वेन के कांच तोडऩे के प्रयास किए और वेन को खींचने लगे। यह स्थिति देखकर वेन चालक ने वेन आगे बढ़ाने की कोशिश की तो एक युवक ने रिवाल्वर निकालकर उसकी कनपटी पर अड़ा दी। पूरे घटनाक्रम के दौरान छात्राओं ने भी मोबाइल पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसके श्रीवास्तव को घटना की जानकारी दी तो उन्होंने भी तत्काल पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही पुलिस भी मौका स्थल पहुंची तो अपहरण का प्रयास कर रहे युवकों में हड़कम मच गया। कुछ भाग गए और बाकी को पकड़कर पुलिस ले आई। इस मामले में बैतूल टीआई पीएस ठाकुर का कहना है कि कालेज प्रबंधन की रिपोर्ट पर मामला दर्ज किया गया है।
और पकड़े गए युवकों से पूछताछ की जा रही है। वहीं कालेज प्राचार्य डॉ.एसके श्रीवास्तव ने वेन के अपहरण के प्रयास करने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें छात्राओं से मोबाइल पर सूचना मिली।

बैतूल: पहले कमीशन फिर चैक

बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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बैतूल. भाजपा विधायक ने आदिम जाति कल्याण विभाग के दो लिपिकों द्वारा पंचायतों से चैक सहित एग्रीमेंट की कापी के लिए कमीशन मांगने के मामले का खुलासा किया। खुलासा होने के बाद जिम्मेदार अधिकारी ने पूरे मामले में ठोस कार्रवाई करने की जगह महज चेतावनी दे कर मामले को दस मिनट मे ही रफा-दफा कर दिया। विधायक चैतराम मानेकर, सरपंच सुखराम भोदेकर, सचिव गणपति अलोने सहित अन्य ग्रामीण सहायक आयुक्त आरके श्रोती के कक्ष में पहुंचे। वहां पर विधायक ने वस्तुस्थिति की जानकारी दी और वह चैक भी दिखाया जो कि दस दिसंबर को कट जाने के बाद भी सरपंच सचिव को नहीं दिया जा रहा था। इसके साथ ही यह भी बताया कि स्टीमेट और एग्रीमेंट की कापी भी नही दी जा रही है जबकि वे स्वंय दो तीन बार इस मामलें में व्यक्तिगत रूप से संबंधित लिपिक को कह चुके है। मगर स्थिति यह सामने आ रही है। इस पर सहायक आयुक्त ने सरपंच से पूछा तो उसने कहा कि बाबू लोग उससे पैसे मांग रहे थे।
इस पर संबंधित शाखा के लिपिक एस के मराहवी को बुलवाया गया तो उन्हें देखकर सरपंच ने कहा कि ये एग्रीमेंट की कापी नहीं दे रहे और पैसे मांग रहे थे तो मराहवी ने बताया कि उसने चैक लेखापाल अशोक गायकी को दे दिया था। अशोक गायकी को तलब किया गया तो सरपंच ने चैक के बदले पांच प्रतिशत मांगने की बात दोहरा दी। इस पर अशोक गायकी ने कहा कि उसने चैक देने के पहले पंचायत की रसीद मांगी थी। सरपंच ने कहा कि वह आज रसीद लेकर आया फिर भी चैक नहीं दे रहे थे। विधायक के आने पर चैक दिया। वहीं एग्रीमेंट की कापी को लेकर मराहवी से सहायक आयुक्त ने यह कहा कि तुमने डाक से कापी पंचायत को क्यों नहीं भेजी। इस पर मराहवी ने ठोस जवाब नहीं दिया। इसके बाद सहायक आयुक्त ने दोनों लिपिक को विधायक सहित अन्य लोगों की मौजूदगी में यह कह कर छोड़ दिया कि भविष्य में इस तरह की पुनर्रावृत्ति नहीं होनी चाहिए। आमला जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली पंचायत परसोडा में 2.75 लाख रूपए की लागत से आदिम जाति कल्याण विभाग की बस्ती विकास योजना में 186 मीटर लंबी एक सीसी रोड स्वीकृत की गई। सड़क के स्वीकृत होने केे बाद जनपद पंचायत आमला से स्टीमेट और टीएस भी जारी हो गया। टीएस जारी होने के बाद वर्कआर्डर और और चैक के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग से ग्राम सरपंच और सचिव ने संपर्क किया तो लगातार उन्हें गुमराह किया जाता रहा है। इसी मामले को लेकर आमला विधायक चैतराम मानेकर ने भी दो तीन बार आदिम जाति कल्याण विभाग के संबंधित अधिकारियों और लिपिक को जल्द से जल्द वर्कआर्डर और चैक काटने के लिए कहा। चैक तो काट दिया गया मगर सरपंच और सचिव को दिया नहीं जा रहा था।
सरपंच सुखराम भोदेकर और सचिव गणपति अलोने ने विधायक चैतराम मानेकर को मोबाईल पर बताया कि आदिम जाति कल्याण विभाग के बाबू उनसे पांच प्रतिशत कमीशन मांग रहे है। इसके बाद विधायक पहुंचे तो यह सामने आया कि गत् 10 दिसंबर से चैक बनाकर रखा हुआ है मगर सरपंच सचिव को नहीं दिया जा रहा है। मैंने इस पूरे मामले में स्वंय दो तीन बार कहा और इसके बाद भी पैसे की मांग की जा रही है इससे मुझे भी बेहद ताज्जुब हो रहा है। मेरे पहुंचने पर ही चैक और एग्रीमेंट की कापी दी और सहायक आयुक्त का यह तरीका मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। मुझसे यहां के बाबूओं ने एग्रीमेंट और चैक के लिए कमीशन की मांग की जब मैंने कहा कि कहां से पैसे दूंगा, कही से पैसे बहकर तो आ नहीं रहा तो उन्होंने परेशान करना शुरू कर दिया फिर मैंने विधायक जी को फोन किया। विधायक महोदय से वस्तुस्थिति जानने के बाद और पूरी परिस्थिति को समझने के बाद फिलहाल दोनों कर्मचारियों को कड़ी चेतावनी दी गई है। यदि दोबारा इस तरह का मामला सामने आता है तो कार्रवाई की जाएगी।

शिवराज सरकार को आदिवासियों के मान सम्मान का कितना ख्याल है...?

बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
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एक ओर मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह आदिवासी के मान सम्मान के लिए टंटया भील के परिवार के पास जाकर उसके त्याग और बलिदान का यशगान करके स्वंय को आदिवासी समाज का सच्चा हितैषी बताते है वहीं दुसरी ओर प्रदेश सरकार के अधिकारी आदिवासी समाज का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। कितनी शर्मसार घटना है कि बैतूल जिले में बीते साल के आखरी सप्ताह में सत्ता पक्ष एवं व पक्ष के एक नहीं बल्कि दो आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले आदिवासी विधायको को एक अपमानित किये जाने की घटना घटित हुई। नेशनल हाइवे 69 पर आयोजित देश के पहले बहुउददेशीय आर टी ओ बेरियर के सरकारी कार्यक्रम के आमंत्रण कार्ड में दोनो आदिवासी समाज के नेता एवं विधायको में भाजपा की श्रीमति गीता रामजी लाल उइके घोडाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र एवं कांग्रेस के धरमू सिंह सिरसाम भैसदेही विधानसभा क्षेत्र का नाम न छाप कर उन्हे अपमानित करने का घृणित कृत्य किया गया। अभी इस शर्मनाक प्रकरण की स्याही सुख भी नहीं पाई थी कि साल के प्रथम सप्ताह में जिले के जन सम्पर्क अधिकारी गुलाबसिंह मर्सकोले को जिला कलैक्टर बैतूल द्वारा कथित एवं व्यथित कर देने वाले अपशब्दो का प्रयोग करके उसे अपमानित करने का निदंनीय कार्य किया गया । इस साल के प्रथम मंगलवाल को जिला कलैक्टर कार्यालय परिसर में आयोजित जिला स्तरीय जनसुनवाई में जिला कलैक्टर बैतूल विजय आनंद कुरूील ने अपनी दंबगता दिखाते राज्य सरकार के सूचना प्रचार तंत्र प्रमुख आधार बिन्दु कहे जाने वाले जिम्मेदार अधिकारी एवं आदिवासी समाज से आये अधिकारी को सरेआम अपमानित करते हुये उसका सर्विस रिकार्ड से लेकर उसके तबादले तक करवाने डालने की धमकी दे डाली।
पूरे जिले भर के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बीच कलैक्टर बैतूल आप खो गये और उन्होने एक आदिवासी प्रथम श्रेणी अधिकारी के मान सम्मान को अपने पैरो तले कुचल डाला। अपशब्दों के साथ कलैक्टर द्वारा अपमानित अधिकारी को उसका सर्विस रिकार्ड तथा उसके तबादले तक करवा देने की धमकी देकर उसे मानसिक आघात पहुंचाने का कृत्य किया जिसकी सर्वत्र निंदा की जा रही है। बैतूल आये विजय आनंद कुरील अपनी पदस्थाापना के पूर्व से ही विवादो में अकसर घिरे रहते चले आ रहे है। बैतूल के भूमाफिया के दबाव में आकर उक्त अधिकारी द्वारा चिटनीस बंगला जिसमें जिला जन सम्पर्क कार्यालय चल रहा है उसे खाली करने के लिए जिला जन सम्पर्क अधिकारी बैतूल पर दबाव बनाया जा रहा था।
बताया जाता है कि पूर्व कलैक्टर अरूण भटट् के समय भी करोड़ो की बहुमूल्य कीमत वाले चिटनीस बंगले को खाली करवाने के लिए भूमाफिया द्वारा पच्चीस लाख रूपये की सुपारी दिये जाने की अटकलो के बीच दुसरे कलैक्टर द्वारा जब बार - बार उक्त कार्यालय में बरसों से संचालित जन सम्पर्क कार्यालय को खाली करवाने के लिए अनाधिकृत रूप से जन सम्पर्क अधिकारी बैतूल पर दबाव डाला गया लेकिन जन सम्पर्क अधिकारी ने पत्रकारो के बीच विवाद का केन्द्र बने सासंद निधि से बने मीडिया सेंटर में अपना कार्यालय को स्थानातरित करने से मना किये जाने तथा अपने बड़े अधिकारियों से मार्गदर्शन लेने के लिए पत्राचार किया गया तो अपना कथित आपा खो गये जिला कलैक्टर द्वारा जिला जन सम्पर्क अधिकारी को डराने - धमकाने एवं अपमानित किये जाने का घृणित कार्य किया गया। सारे मामले के पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार की बताई जाती है कि जिले के पूर्व सासंद असलम शेर खान द्वारा दी गई सासंद निधि से बनवाये गये मीडिया सेंटर का पूर्व सासंद स्वर्गीय विजय कुमार खण्डेलवाल ने शुभारंभ किया था लेकिन पत्रकारों के बीच स्वामीत्व की लड़ाई के चलते विवादों का केन्द्र रहे मीडिया सेंटर में कलैक्टर द्वारा कथित भूमाफिया को लाभ पहुंचाने की मंशा से उक्त किराये का भवन खाली करवा कर उसे मीडिया सेंटर में लाने के लिए अनाधिकृत रूप से दबाव बनाया गया।
इस कार्य को लेकर जन सम्पर्क अधिकारी द्वारा आयुक्त जन सम्पर्क कार्यालय भोपाल को अवगत करवाया गया लेकिन जब उनकी ओर से कोई लिखित आदेश न आने पर साल के आखरी सप्ताह में चिटनीस बंगला खाली नहीं हो सका जिसको लेकर भूमाफिया के दबाव में आकर जिला कलैक्टर द्वारा आदिवासी अधिकारी के साथ वह सब कुछ कर डाला गया जो कि प्रदेश सरकार के मुखिया एवं सरकार की मंशा के विरूद्ध है। अपने अपमान से दुखी जन सम्पर्क अधिकारी ने आयुक्त अनुसूचित जन जाति आयोग से लेकर सभी आला अफसरो को पत्र लिख कर न्याय की मांग की है। इधर घटना की जानकारी मिलते ही जिले भर के पत्रकारों ंने इस घटना की निंदा करते हुये जिला कलैक्टर के तबादले एवं उनके विरूद्ध कार्यवाही की मांग प्रदेश सरकार से की है। जिले भर के पत्रकारो ने सर्व सम्मति से निर्णय लिया है कि इस मामले पर कार्यवाही न होने की स्थिति में शासकीय योजनाओं के एवं कार्यक्रमों का पत्रकार समाज बहिष्कार करेगा।

कालेधन की सूची में मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह शामिल



कालाधन वापस लाओ: आडवाणी की चिंघाड़

विनय जी. डेविड // भोपाल (टाइम्स ऑफ क्राइम)


काला धन... काला धन... काला धन...वापस लाओ... वो भी थोड़ा बहुत नहीं 300 लाख करोड़ से ज्यादा का वादा। बड़ी तेज तर्रार लहजे में वकालत करने का मौका एक बार फिर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रैली के आखिरी दिन गुवाहटी में मिल गया। आडवाणी ने कहा कि विदेशी बैंकों में जमा कालाधन वापस देश में नहीं ला पाने के लिए केन्द्र सरकार दोषी है वहीं केन्द्र सरकार के कुछ लोगों के शामिल होने का बड़ा कारण बताया। आडवाणी ने कहा की आजादी के बाद से 300 लाख करोड़ से ज्यादा कालाधन विदेशी बैंकों मे जमा कराया जा चुका हैं। उन्होंनें प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर काले धन को वापस लाकर देश के विकास में लगाने की बात कहीं है। परन्तु दर्द इस बात का है कि इस आवाज के साथ भाजपा के नेताओं का साथ न मिला ये आवाज आडवाणी की पहले भी अकेली थी और अब 9 जनवरी को निकली तो अकेली थी। भाजपा प्रदेश शासित राज्यों ने भी इस कालाधन वापस लाने की कोई वकालत नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा लगता है यह मुहिम मात्र आडवाणी वाणी रह जायेंगी। ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ आडवाणी बोल की कद्र करता है और इस मुहिम में प्राप्त जानकारी के अनुसार एवं गुजरात के अंकलेश्वर के रहने वाले श्री ए.के. बकानी ने संस्था ''हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेनाÓÓ (इंडिया) द्वारा इस कालेधन की सूची को जारी सूची के आधार पर कालाधन की सूची में शामिल कुछ राजनेताओं की जानकारी प्रकाशित कर रहा है जिस पर कहीं न कहीं विचार करने की आवश्यकता है, इस बार इस सूची में समाजवादी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का नाम है जिसमें नेपाल जापान कोड क्र. डी. एफ. एल.है जिसमें सोना 350 किलो, हीरे 100 किलो और भारतीय रूपये 38 करोड़ रूपये बताये गये है। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जो अभी अभी नई जनक्रांती पार्टी बनाने की जद्दोजहद में लगें हैं के पास नेपाल कोड क्र.पी.ओ.एस. पर सोना 127 किलो, चांदी 119 किलो, हीरे 113 और 7 करोड़ रूपये की जानकारी हैं। आखिर इस कालाधन मुद्दे पर चुप्पी कहां तक जायज है। काले धन वापसी में बकायदा भाजपा के संगठित होकर देश के विकास में हाथ बटाना चाहियें क्योंकि अभी मामला गर्म है वहीं केन्द्रीय सरकार कांग्रेस की हैं मुद्ददा लाभ का हो सकता है परन्तु संस्थान द्वारा जारी सूची अवलोकन करने पर ऐसा लगता हैं कि बातों बातों में सफर कट जायेंगा और सभी एक थाली के बेगन कहलायेंगे। पिछले सप्ताहों में हमनें कालाधन की सूची में शामिल श्रीमति इंदिरा गांधी, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, म.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री श्री सुन्दर लाल पटवा, श्री बाबू लाल गौर सहित कांग्रेस महासचिव श्री दिग्विजय सिंह, श्री कमल नाथ, सुभाष यादव सहित देश के प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह की प्राप्त जानकारी से अवगत कराया। अब हम कुछ और देश के नेताओं की जानकारी जनता को सौंपते है कि श्री आडवाणी की कालाधन वापसी मामले की मुहिम में शामिल होकर देश के विकास में सहयोग करें। च



Monday, January 17, 2011

बैतूल कलैक्टर के खिलाफ दर्ज हो शासकीय राशी के गबन का मामला

उमरिया के नरेरा के मामले में खर्च अरबो की राशी की सी बी आई से जांच

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बैतूल। एक साल पूर्व रीवा संभाग के उमरिया में कलैक्टर रहे बैतूल के वर्तमान कलैक्टर विजय आनंद कुरील के खिलाफ नरेरा के तहत भेजी गई अरबो की राशी के नियम विरूद्ध उपयोग को लेकर पूर्व में चल रही सीआईडी जांच से असंतुष्ट उमरिया एवं बैतूल के कुछ जागरूक स्वंयसेवी संगठन एवं स्वतंत्र पत्रकारो के सीबीआई का दरवाजा खटखटाया है। सीबीआई को सौपी गये दस्तावेजो में इस बात की जानकारी उपलब्ध करवाई गई है कि भारत सरकार के ग्रामिण विकास मंत्रालय द्वारा नरेरा योजना के लिए भेजे गई राशी में से लगभग एक अरब रूपये की राशी को नियम विरूद्ध नानटेकनीकल अधिकारी केडी चौरसिया भू सरंक्षण अधिकारी को दी गई थी। इस नियम विरूद्ध कार्य में हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा एवं तत्कालिकन जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जेएस धुर्वे ने कमीशन पर उक्त राशी का आवंटन कर दिया। भूसंरक्षण के नाम पर हुये शासकीय राशी के गबन के मामले में उक्त दो अधिकारियों को सीआईडी जांच में दोषी सिद्ध पाया गया लेकिन राजनैतिक दबाव एवं कथित ले देकर सीआईडी जांच से बाहर निकले उमरिया कलैक्टर विजय आंनद कुरील ने अपना बैतूल तबादला करवाया लिया। सीआईडी जांच में कलैक्टर द्वारा नियम विरूद्ध दी गई नरेरा की राशी को लेकर उनके खिलाफ कोई कार्यवाही न होने के बाद अब पूरे मामले को लेकर बैतूल एवं उमरिया के कुछ जागरूक स्वंयसेवी संगठन तथा स्वतंत्र पत्रकारो ने सीबीआई का दरवाजा खटखटाया है। इस संदर्भ में जांच के दायरे में जिला पशु चिकित्सा अधिकारी आर एन शुक्ला वह शिकायती पत्र एवं शपथ पत्र भी है जिसमें शुक्ला ने आरोप लगाया कि बैतूल के वर्तमान कलैक्टर ने अपनी उमरिया पदस्थापना के समय सांड की नस्ल के लिए प्रद्धत शासकीय राशी जो कि लगभग 35 लाख रूपये बताई जाती है उसका भुगतान भी नियम विरूद्ध करवाया था जिसमें अकेले आर एन शुक्ला को ही जेल जाना पड़ा इस प्रकरण में फंसे विजय आनंद कुरील के साफ बच निकलने के बाद जिला पशु चिकित्सा आयुक्त उमरिया आरएन शुक्ला के परिजनो ने भी पूरे मामले में श्री शुक्ला को फंसाने तथा पूरी राशी का नियम विरूद्ध भुगतान करवाने में अहम भूमिका निभाने वाले विजय आनंद कुरील के विरूद्ध सीबीआई जांच की मांग की है। उमरिया में पदस्थ रहे जेएस धुर्वे की राजनैतिक पहुंच एवं उनकी काली कमाई के चलते वे इस प्रकरण में सीआईडी जांच को तो प्रभावित कर दिये लेकिन अब मामला केन्द्र सरकार के मद से प्रदान की गई नरेरा की राशी का है जिसको लेकर जबलपुर में भी एक जनहित याचिका प्रस्तुत की जा रही है। उमरिया में भव्य लाज का भूस्वामी जेएस धुर्वे तथा जबलपुर में करोड़ो की काली कमाई से खरीदी गई सम्पत्ति के तथाकथित मालिक बने विजस आनंद कुरील का इस वर्ष जून में रिटायरमेंट है इसलिए समय से पूर्व सारे मामले को लेकर की जाने वाली कार्यवाही में उमरिया - बैतूल - भोपाल - दिल्ली के कई बड़े पत्रकारो एवं संगठनो द्वारा भी सीबीआई के भोपाल एवं दिल्ली कार्यालय से सम्पर्क बनाया रखा है। पूरे मामले का कड़वा सच यह है कि दोनो शासकीय गबन के मामले में नियम विरूद्ध खर्च की गई राशी का आवंटन विजय आंनद कुरील के हस्ताक्षर से हुआ है जिसके लिए प्रथम दृष्टा वे भी अपराधी की श्रेणी में आते है। सीबीआई को भेजी गई सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सत्यापित 1335 पेजो के प्रमाणित दस्तावेजा की जानकारी के हवाले से प्राप्त चौकान्ने वाली $खबर यह है कि पूरे मामले की प्रदेश के मुख्यमंत्री को जानकारी है लेकिन वे भी राजनैतिक दबाव के आगे इस मामले में सीआईडी जांच को प्रभावित कर चुके है। चूंकि सीआईडी प्रदेश सरकार के अधिनस्थ कार्य करती है इसलिए सीआईडी जांच से विजय आंनद कुरील को बचाया गया लेकिन अब गले में फांस लगने की पूरी संभावना है क्योकि सत्यापित दस्तावेजो में यह सिद्ध हो चुका है कि किस तरह मध्यप्रदेश के रीवा संभाग के एक छोटे से जिले में केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार की शासकीय राशी का गबन किया गया है। हालाकि इन दो बहुचर्चित मामले में दो अधिकारी सीआईडी जांच में जेल की हवा खाकर हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा है लेकिन एक अधिकारी अभी उमरिया जेल में बंद है। पूरे मामले के हीरो रहे विजय आंनद कुरील के उमरिया से तबादले के बाद लगभग एक साल से पूरे मामले को पेंडिग में डाला गया ताकि उनका रिटायरमेंट हो सके। अब पूरे मामले के जिन्न के एक बआर फिर सामने आ जाने से बहुचर्चित शासकीय राशी के गबन के मामले में एक बार फिर उमरिया - बैतूल -भोपाल तथा दिल्ली में भूचाल आने की संभावना है।

Sunday, January 16, 2011

महानतम किताब ’कलिनायक’ 100 रुपए में

सफल, मस्तीभरा जीवन जीने व 2 करोड़ के ईनाम जीतने के लिए, इक्कीसवीं सदी की महानतम किताब ’कलिनायक’ को 100 रुपए में खरीदें या http://www.rajasthankalinayak.net/ से मुफ्त डाउनलोड करें।
प्रकाशक- राजस्थान कलिनायक प्रकाशन, बीकानेर।

फोन
.0151-22000269, 09636003115,

Wednesday, January 12, 2011

कलिनायक में खलनायक निकले रमेश अग्रवाल

मात्र 24700 रुपये में भास्कर प्रबंधन ने किया अपने चेयरमेन रमेश को बेआबरु





विनय जी. डेविड // मोबाईल :-9893221036


(भोपाल // टाइम्स ऑफ क्राइम)


मामला बड़ा रोचक है और शुरूआत भी एक सुबह दैनिक भास्कर में छपे इस विज्ञापन से हो गई जिसने भी विज्ञापन को पढ़ा लगा करोड़पति बनना कोई चिरागी नुस्खा होगा। परन्तु जब इस विज्ञापन पर दी गई जानकारी अनुसार बताई गई बेवसाइट का अवलोकन किया तो पता चला की पूरा का पूरा काला chittha भारत का सबसे बड़ा समाचार पत्र समूह दैनिक भास्कर के चेयरमेन रमेश अग्रवाल का है जो एक किताब के प्रकाशन के साथ ही खुल गया। वहीं इस प्रकाशन राजस्थान कलिनायक प्रकाशन, राजस्थान का है जो एक सोची समझी साजिश की तरह तय किया गया हैं। परन्तु यहां मजे की बात यह है कि भास्कर प्रबन्धक जो कमाई की हवस में अन्धा हो गया है उसे अपनी कमाई की हवस मिटाने के लिए यह भी नहीं सुझा कि ये विज्ञापन पहली नजर में ही संदेहास्पद दिखाई देता है। प्रबंधक रूपये की लालच का आवरण ऐसा चढ़ा कि जिसने यहां सोचने का अवसर ही नहीं दिया की, जो विज्ञापन स्वयं के अखबार में प्रकाशित किया जा रहा है वहीं कल अपने मुखिया का काला chittha खोल कर रख देगा इसी को तो कहते है, ''घर का भेदी लंका ढाये''दैनिक भास्कर सहित देश की जनता भी अब यह जान गई है कि आखिर यह शान-ओ-शौकत जो दिखाई देती है। वो कितनी मेहनत से मिलती है कितना कहां कहां प्रयास किया गया है इसकी तो इसमें एक झलकही नजर आती है इसके पीछे की कहानी बहुत लम्बी है।


कलिनायक प्रकाशन की इस किताब को दो लेखकों ने लिखा है जिसका प्रयास वाकई क्रांतिकारी है जो इनके हौंसले की दाद देनी पड़ेगी। क्योंकि इन्होंने इसे किताब के तथ्यों को समेटने में आधी जिन्दगी लगा दी होगी। वहीं इसका पेश करने के लिए बड़ा व्यवस्थित खेल खेला। जिसको निपटाना उसी के हाथ कमान थमा दी, कि ले अपनी औकात जनता को बता दें और हुआ भी यहीं कि चाणक्य नीति का शिकार होता नजर आया भास्कर प्रबन्धन। यहां कई लोगों का मानना है कि इस कहानी में दैनिक भास्कर ग्रुप के कई लोगों का हाथ है जो गोपनीयता बनाये रखे है, वर्ना देश का सबसे बड़ा समाचार पत्र का दावा करने वालों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जो सभी संस्करणों में छपने वाले विज्ञापन की सत्यता की जांच नहीं कर सके और अपने मालिक को जनता के बीच चीथने के लिए छोड़ दिया। कलिनायक किताब की खासियत यह है कि इसे डाऊनलोड करके फ्री में भी पढ़ा जा सकता है, जबकि किताब की कीमत सौ रूपये बताई गई है। वहीं प्रकाशक बड़ा चालबाज है इसने करोड़पति बनाने का भी जनता को लोभ देकर अपनी खुद की जानकारी पुराने और कुछ गोपनीय डाक्यूमेंट उपलब्ध कराने पर लाखों रूपये पुरस्कार देने के लिए प्रतियोगिता प्रायोजित की है।




शामिल प्रतियोगिता की नियमावली भी बनाई गई है जों हम अलग से प्रस्तुत कर रहे हैं। वहीं इस पुस्तक के अंश जनता के बीच छोड़ रहे है ताकि जनता ही बताये कि आखिर इस कलिनायक पेशकश में रमेश अग्र्रवाल को नायक बताया गया है या खलनायक बनाया गया है।तो ये तो था भास्कर में प्रकाशित विज्ञापन का कंटेंट. अब इस किताब के कंटेंट की बात करते हैं. किताब में रमेश चंद्र अग्रवाल के बारे में काफी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है. रमेश चंद्र अग्रवाल के कई कथित-अकथित कारनामों का विस्तार से जिक्र किया गया है. रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके क्रियाकलापों के संबंध में ही किताब में एक प्रतियोगिता का ऐलान किया गया है.


पूरी किताब http://www.rajasthankalinayak.net/ पर उपलब्ध है. इस साइट पर जाकर कलिनायक किताब डाउनलोड कर सकते हैं. (आप लिंक पर कर्सर ले जाकर माउस को राइट क्लिक करें, 'सेव लिंक ऐज' आप्शन आएगा जिस पर क्लिक कर देंगे तो कलिनायक किताब पीडीएफ फार्मेट में आपके कंप्यूटर / लैपटाप पर डाउनलोड होने लगेगी) कलिनायक की वेबसाइट को देखकर लगता है कि यह किताब जल्द ही अंग्रेजी में भी प्रकाशित होने जा रही है.


विनय जी. डेविड साप्ताहिक ''टाइम्स ऑफ क्राइम'' http://www.tocnewsindia.blogspot.com/ के संपादक एवं ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स ऐशोसिएशन मध्यप्रदेश के प्रान्तीय महासचिव है।
नोट:- इस द्वंद युद्ध के पीछे की जानकारी का भी हम शीघ्र खुलासा करेंगे। इस खबर पर कमेन्टस हमारी बेबसाइट timesofcrime@gmail.com पर भेज सकते है। वहीं जानकारी साझा करने के लिए संपर्क कर सकते हंै।

कलिनायक में खलनायक निकले रमेश अग्रवाल

मात्र 24700 रुपये में भास्कर प्रबंधन ने किया अपने चेयरमेन रमेश को बेआबरु


विनय जी. डेविड // मोबाईल :- 98932 21036

(भोपाल // टाइम्स ऑफ क्राइम)

मामला बड़ा रोचक है और शुरूआत भी एक सुबह दैनिक भास्कर में छपे इस विज्ञापन से हो गई जिसने भी विज्ञापन को पढ़ा लगा करोड़पति बनना कोई चिरागी नुस्खा होगा। परन्तु जब इस विज्ञापन पर दी गई जानकारी अनुसार बताई गई बेवसाइट का अवलोकन किया तो पता चला की पूरा का पूरा काला चि_ा भारत का सबसे बड़ा समाचार पत्र समूह दैनिक भास्कर के चेयरमेन रमेश अग्रवाल का है जो एक किताब के प्रकाशन के साथ ही खुल गया। वहीं इस प्रकाशन राजस्थान कलिनायक प्रकाशन, राजस्थान का है जो एक सोची समझी साजिश की तरह तय किया गया हैं। परन्तु यहां मजे की बात यह है कि भास्कर प्रबन्धक जो कमाई की हवस में अन्धा हो गया है उसे अपनी कमाई की हवस मिटाने के लिए यह भी नहीं सुझा कि ये विज्ञापन पहली नजर में ही संदेहास्पद दिखाई देता है। प्रबंधक रूपये की लालच का आवरण ऐसा चढ़ा कि जिसने यहां सोचने का अवसर ही नहीं दिया की, जो विज्ञापन स्वयं के अखबार में प्रकाशित किया जा रहा है वहीं कल अपने मुखिया का काला chittha खोल कर रख देगा इसी को तो कहते है, ''घर का भेदी लंका ढाये''
दैनिक भास्कर सहित देश की जनता भी अब यह जान गई है कि आखिर यह शान-ओ-शौकत जो दिखाई देती है। वो कितनी मेहनत से मिलती है कितना कहां कहां प्रयास किया गया है इसकी तो इसमें एक
झलक
ही नजर आती है इसके पीछे की कहानी बहुत लम्बी है।

कलिनायक प्रकाशन की इस किताब को दो लेखकों ने लिखा है जिसका प्रयास वाकई क्रांतिकारी है जो इनके हौंसले की दाद देनी पड़ेगी। क्योंकि इन्होंने इसे किताब के तथ्यों को समेटने में आधी जिन्दगी लगा दी होगी। वहीं इसका पेश करने के लिए बड़ा व्यवस्थित खेल खेला। जिसको निपटाना उसी के हाथ कमान थमा दी, कि ले अपनी औकात जनता को बता दें और हुआ भी यहीं कि चाणक्य नीति का शिकार होता नजर आया भास्कर प्रबन्धन। यहां कई लोगों का मानना है कि इस कहानी में दैनिक भास्कर ग्रुप के कई लोगों का हाथ है जो गोपनीयता बनाये रखे है, वर्ना देश का सबसे बड़ा समाचार पत्र का दावा करने वालों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जो सभी संस्करणों में छपने वाले विज्ञापन की सत्यता की जांच नहीं कर सके और अपने मालिक को जनता के बीच चीथने के लिए छोड़ दिया। कलिनायक किताब की खासियत यह है कि इसे डाऊनलोड करके फ्री में भी पढ़ा जा सकता है, जबकि किताब की कीमत सौ रूपये बताई गई है। वहीं प्रकाशक बड़ा चालबाज है इसने करोड़पति बनाने का भी जनता को लोभ देकर अपनी खुद की जानकारी पुराने और कुछ गोपनीय डाक्यूमेंट उपलब्ध कराने पर लाखों रूपये पुरस्कार देने के लिए प्रतियोगिता प्रायोजित की है। शामिल प्रतियोगिता की नियमावली भी बनाई गई है जों हम अलग से प्रस्तुत कर रहे हैं। वहीं इस पुस्तक के अंश जनता के बीच छोड़ रहे है ताकि जनता ही बताये कि आखिर इस कलिनायक पेशकश में रमेश अग्र्रवाल को नायक बताया गया है या खलनायक बनाया गया है।
तो ये तो था भास्कर में प्रकाशित विज्ञापन का कंटेंट. अब इस किताब के कंटेंट की बात करते हैं. किताब में रमेश चंद्र अग्रवाल के बारे में काफी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है. रमेश चंद्र अग्रवाल के कई कथित-अकथित कारनामों का विस्तार से जिक्र किया गया है. रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके क्रियाकलापों के संबंध में ही किताब में एक प्रतियोगिता का ऐलान किया गया है.

पूरी किताब http://www.rajasthankalinayak.net/ पर उपलब्ध है. इस साइट पर जाकर कलिनायक किताब डाउनलोड कर सकते हैं. (आप लिंक पर कर्सर ले जाकर माउस को राइट क्लिक करें, 'सेव लिंक ऐज' आप्शन आएगा जिस पर क्लिक कर देंगे तो कलिनायक किताब पीडीएफ फार्मेट में आपके कंप्यूटर / लैपटाप पर डाउनलोड होने लगेगी) कलिनायक की वेबसाइट को देखकर लगता है कि यह किताब जल्द ही अंग्रेजी में भी प्रकाशित होने जा रही है.

विनय जी. डेविड साप्ताहिक ''टाइम्स ऑफ क्राइम'' http://www.tocnewsindia.blogspot.com/ के संपादक एवं ऑल इण्डिया स्माल न्यूज पेपर्स ऐशोसिएशन मध्यप्रदेश के प्रान्तीय महासचिव है।


Sunday, January 9, 2011

12 लाख में भास्कर चेयरमैन की इज्जत का सौदा!

Thursday, 06 January 2011 14:00

यशवंत सिंह भड़ास4मीडिया



: ओह! लालची भास्कर वालों ने ये क्या कर डाला!! : रमेश चंद्र अग्रवाल के खिलाफ लिखी गई किताब का विज्ञापन भास्कर के कई संस्करणों में प्रकाशित : विज्ञापन छापने के लिए किताब के लेखकों व प्रकाशकों ने भास्कर समूह को 12 लाख रुपये अदा किए : सैकड़ों से ज्यादा पन्ने वाली यह किताब रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके भास्कर ग्रुप के लिए खतरे की घंटी है :
एक अदभुत वाकया घटित हुआ है. दैनिक भास्कर के कई संस्करणों में (राजस्थान को छोड़कर) लास्ट पेज पर एक बड़ा रंगीन विज्ञापन प्रकाशित हुआ है. विज्ञापन जिस किताब से संबंधित है उसका नाम है 'कलिनायक'. अब आप पूछेंगे- 'कलिनायक' बोले तो? तो जनाब, किताब में इसका विस्तार भी है, जो यूं है- 'कलियुग का नायक'. इस किताब के बारे में दैनिक भास्कर में जो विज्ञापन प्रकाशित किया गया है, उसमें लिखा है....
''जो कलियुग के माहौल में सफलता के तमाम फंडे सिखाएगी, जो आपको धोखे से बचाकर जिंदगी को मस्ती से, सही ढंग से जीना सिखाएगी, यह बदलकर रख देगी जिंदगी आपकी, यही पुस्तक आपको करोड़पति भी बना सकती है. किताब पढ़ें और निःशुल्क जीतें- 2 करोड़ रुपये के बंपर इनाम....., मकान कार हीरे का हार, 25, 10 और 5 लाख का, सोने के अंडे 75 प्रतिभागियों को, शिक्षा के लिए 500 छात्रों को 5000 रुपये की स्कालरशिप, दस्तावेज खोजी प्रतियोगिता में 50 लाख और कलिनायक के विषय में नई जानकारी देने पर 25 लाख का पुरस्कार. 1000 प्रतिभागियों को 10 लाख के सांत्वना पुरस्कार. एक अनूठी पुस्तक जिससे सपने होंगे पूरे अब. कलिनायक पढ़कर आपको यूं लगेगा कि जो कुछ पाना चाहते थे, यह सब कुछ, पा लिया, मूल्य 100 रुपये मात्र. साथ में सीडी मुफ्त. इक्कीसवीं सदी की महानतम किताब साबित न होने पर पैसे वापिस. पुस्तक वेबसाइट www.rajsthankalinayak.com से मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं. प्रकाशक- राजस्थान कलिनायक प्रकाशन, राजस्थान.''
तो ये तो था भास्कर में प्रकाशित विज्ञापन का कंटेंट. अब इस किताब के कंटेंट की बात करते हैं. किताब में रमेश चंद्र अग्रवाल के बारे में काफी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है. रमेश चंद्र अग्रवाल के कई कथित-अकथित कारनामों का विस्तार से जिक्र किया गया है. रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके क्रियाकलापों के संबंध में ही किताब में एक प्रतियोगिता का ऐलान किया गया है.
पर एक सवाल ये उठता है कि आजकल पैसे लेकर जिस तरह किसी भी चीज के विज्ञापन धड़ल्ले से छापने और चलाने का रिवाज हो गया है, उसमें कोई ऐसा चेकप्वाइंट कैसे डेवलप किया जा सकता है जिससे विज्ञापन छापने से पहले विज्ञापित की जाने वाली चीज के बारे में पता लगाया जा सके. जाहिर है, इसके लिए एक अलग टीम गठित करनी होगी और कैसा भी विज्ञापन तुरत-फुरत छापकर लाभ कमाने की लोभी-लालची मानसिकता को त्यागना होगा. लेकिन क्या हमारे कथित बड़े मीडिया हाउस ऐसा कुछ करने को तैयार होंगे. अभी तक तो जो स्थिति है, उसके हिसाब से तो बड़े मीडिया हाउसों में पैसा देकर चाहे जों छपवा लो, छप जाएगा. लेकिन भास्कर के साथ कलिनायक वाले नायकों ने जो छल किया है, उससे लगता है कि इन मीडिया हाउसों की नींद-चैन छिनेगी.
आइए, नीचे हम किताब के बारे में दैनिक भास्कर में प्रकाशित ओरीजनल विज्ञापन, ओरीजनल विज्ञापन के कंटेंट, किताब के फ्रंट और बैक पेज व किताब के अंदर के कुछ पन्नों को देखें-पढ़ें.... उसके बाद कुछ बात करते हैं....

कलिनायक किताब का पेज नंबर १४


बचपन में सभी ने पढ़ा होगा, लालच बुरी बला है. लेकिन आज बाजारू दौर में ज्यादातर लोग कथित बाजारू सफलता के लिए, पैसे बटोरने के लिए इज्जत-स्वाभिमान सब कुछ बेच-फेंक दे रहे हैं. ऐसा ही काम भास्कर समेत कई बड़े मीडिया घराने करने लगे हैं. पैसे लेकर खबर छापने का सिलसिला इसी कारण है. पैसे लेकर खबर रोकने का सिलसिला इसी कारण है. पैसे लेकर अनाप-शनाप विज्ञापन छापने का सिलसिला इसी कारण है. अब पैसे के चक्कर में खुद के खानदान की भी ऐसी-तैसी कराने में गुरेज नहीं है, बिलकुल कोठेवालियों की तरह.
कोठेवालियों तो फिर भी ईमानदार होती हैं. उनकी कथनी-करनी एक होती है. वे ईमानदारी से कहती हैं कि वे धंधा कर रही हैं, पैसे दो, तन लो. पर हम तो उनसे भी गए-गुजरे हैं. हम लोग कहते कुछ और हैं, करते कुछ और. हाथी के दांत की तरह हम लोग हैं, खाने के और, दिखाने के और. दोगले हैं हम लोग. मिशन की बात कह कर बिजनेस करने में लगे हैं. हम लोग क्यों न मान लें कि दैनिक भास्कर वालों ने किताब के कंटेंट के बारे में सब कुछ जानते-बूझते हुए भी विज्ञापन इसलिए छाप दिया क्योंकि उन्हें 12 लाख रुपये (स्रोत : किताब छापने वालों की तरफ से फोन करके भड़ास4मीडिया को दी गई जानकारी) मिल रहे थे. इसे दूसरे रूप में इस तरह कह सकते हैं कि भास्कर वालों ने अपने चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल की इज्जत का सौदा 12 लाख रुपये में कर लिया!! सच्चाई क्या है, भगवान जाने लेकिन अगर ये लालची मीडिया हाउस न सुधरे तो इन्हें इन्हीं के अंदाज में सबक सिखाने जाने कितने और कलिनायकों की गाथा लिखने के वास्ते लेखक-प्रकाशक सामने आएंगे.
वैसे, आपको क्या लगता है, भास्कर ने अपने चेयरमैन के खिलाफ किताब का विज्ञापन जानबूझकर छापा है या ये गलती पैसा कमाने की जल्दबाजी के चलते कोई चेकप्वाइंट न होने के कारण अनजाने में हो गई है? अगर मेरा जवाब पूछेंगे तो मैं तो यही कहूंगा कि जब सांडा के तेल, लिंगवर्द्धक यंत्र, शत्रुनाशक कवच के विज्ञापन धड़ल्ले से हम छाप दिखा सकते हैं तो एक किताब का विज्ञापन छापने में कौन-सी बड़ी बात है!
पूरी किताब http://www.rajasthankalinayak.net/ पर उपलब्ध है. इस साइट पर जाकर कलिनायक किताब डाउनलोड कर सकते हैं. ((आप लिंक पर कर्सर ले जाकर माउस को राइट क्लिक करें, 'सेव लिंक ऐज' आप्शन आएगा जिस पर क्लिक कर देंगे तो कलिनायक किताब पीडीएफ फार्मेट में आपके कंप्यूटर / लैपटाप पर डाउनलोड होने लगेगी)) कलिनायक की वेबसाइट को देखकर लगता है कि यह किताब जल्द ही अंग्रेजी में भी प्रकाशित होने जा रही है. तो क्या, अभी से मान लिया जाए कि कलिनायक के अंग्रेजी वर्जन का भी विज्ञापन भास्कर अखबार में इसी तरह प्रकाशित होगा?
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया

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12 लाख में भास्कर चेयरमैन की इज्जत का सौदा!

Thursday, 06 January 2011 14:00
यशवंत सिंह भड़ास4मीडिया



दैनिक भास्कर के भोपाल संस्करण का अंतिम पेज और गोलांकित दायरे में 'कलिनायक' किताब का विज्ञापन


: ओह! लालची भास्कर वालों ने ये क्या कर डाला!! : रमेश चंद्र अग्रवाल के खिलाफ लिखी गई किताब का विज्ञापन भास्कर के कई संस्करणों में प्रकाशित : विज्ञापन छापने के लिए किताब के लेखकों व प्रकाशकों ने भास्कर समूह को 12 लाख रुपये अदा किए : सैकड़ों से ज्यादा पन्ने वाली यह किताब रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके भास्कर ग्रुप के लिए खतरे की घंटी है :
एक अदभुत वाकया घटित हुआ है. दैनिक भास्कर के कई संस्करणों में (राजस्थान को छोड़कर) लास्ट पेज पर एक बड़ा रंगीन विज्ञापन प्रकाशित हुआ है. विज्ञापन जिस किताब से संबंधित है उसका नाम है 'कलिनायक'. अब आप पूछेंगे- 'कलिनायक' बोले तो? तो जनाब, किताब में इसका विस्तार भी है, जो यूं है- 'कलियुग का नायक'. इस किताब के बारे में दैनिक भास्कर में जो विज्ञापन प्रकाशित किया गया है, उसमें लिखा है....
''जो कलियुग के माहौल में सफलता के तमाम फंडे सिखाएगी, जो आपको धोखे से बचाकर जिंदगी को मस्ती से, सही ढंग से जीना सिखाएगी, यह बदलकर रख देगी जिंदगी आपकी, यही पुस्तक आपको करोड़पति भी बना सकती है. किताब पढ़ें और निःशुल्क जीतें- 2 करोड़ रुपये के बंपर इनाम....., मकान कार हीरे का हार, 25, 10 और 5 लाख का, सोने के अंडे 75 प्रतिभागियों को, शिक्षा के लिए 500 छात्रों को 5000 रुपये की स्कालरशिप, दस्तावेज खोजी प्रतियोगिता में 50 लाख और कलिनायक के विषय में नई जानकारी देने पर 25 लाख का पुरस्कार. 1000 प्रतिभागियों को 10 लाख के सांत्वना पुरस्कार. एक अनूठी पुस्तक जिससे सपने होंगे पूरे अब. कलिनायक पढ़कर आपको यूं लगेगा कि जो कुछ पाना चाहते थे, यह सब कुछ, पा लिया, मूल्य 100 रुपये मात्र. साथ में सीडी मुफ्त. इक्कीसवीं सदी की महानतम किताब साबित न होने पर पैसे वापिस. पुस्तक वेबसाइट www.rajsthankalinayak.com से मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं. प्रकाशक- राजस्थान कलिनायक प्रकाशन, राजस्थान.''
तो ये तो था भास्कर में प्रकाशित विज्ञापन का कंटेंट. अब इस किताब के कंटेंट की बात करते हैं. किताब में रमेश चंद्र अग्रवाल के बारे में काफी अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है. रमेश चंद्र अग्रवाल के कई कथित-अकथित कारनामों का विस्तार से जिक्र किया गया है. रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके क्रियाकलापों के संबंध में ही किताब में एक प्रतियोगिता का ऐलान किया गया है.
पर एक सवाल ये उठता है कि आजकल पैसे लेकर जिस तरह किसी भी चीज के विज्ञापन धड़ल्ले से छापने और चलाने का रिवाज हो गया है, उसमें कोई ऐसा चेकप्वाइंट कैसे डेवलप किया जा सकता है जिससे विज्ञापन छापने से पहले विज्ञापित की जाने वाली चीज के बारे में पता लगाया जा सके. जाहिर है, इसके लिए एक अलग टीम गठित करनी होगी और कैसा भी विज्ञापन तुरत-फुरत छापकर लाभ कमाने की लोभी-लालची मानसिकता को त्यागना होगा. लेकिन क्या हमारे कथित बड़े मीडिया हाउस ऐसा कुछ करने को तैयार होंगे. अभी तक तो जो स्थिति है, उसके हिसाब से तो बड़े मीडिया हाउसों में पैसा देकर चाहे जों छपवा लो, छप जाएगा. लेकिन भास्कर के साथ कलिनायक वाले नायकों ने जो छल किया है, उससे लगता है कि इन मीडिया हाउसों की नींद-चैन छिनेगी.

आइए, नीचे हम किताब के बारे में दैनिक भास्कर में प्रकाशित ओरीजनल विज्ञापन, ओरीजनल विज्ञापन के कंटेंट, किताब के फ्रंट और बैक पेज व किताब के अंदर के कुछ पन्नों को देखें-पढ़ें.... उसके बाद कुछ बात करते हैं....


गोलांकित दायरे में प्रकाशित विज्ञापन का वृहद रूप, ताकि पढ़ने में आ सके
कलिनायक किताब का एक पेज जिसमें किताब लेखकों-प्रकाशक के नाम, पते, नंबर दिए गए हैं.



कलिनायक किताब का पेज नंबर 14

बचपन में सभी ने पढ़ा होगा, लालच बुरी बला है. लेकिन आज बाजारू दौर में ज्यादातर लोग कथित बाजारू सफलता के लिए, पैसे बटोरने के लिए इज्जत-स्वाभिमान सब कुछ बेच-फेंक दे रहे हैं. ऐसा ही काम भास्कर समेत कई बड़े मीडिया घराने करने लगे हैं. पैसे लेकर खबर छापने का सिलसिला इसी कारण है. पैसे लेकर खबर रोकने का सिलसिला इसी कारण है. पैसे लेकर अनाप-शनाप विज्ञापन छापने का सिलसिला इसी कारण है. अब पैसे के चक्कर में खुद के खानदान की भी ऐसी-तैसी कराने में गुरेज नहीं है, बिलकुल कोठेवालियों की तरह.
कोठेवालियों तो फिर भी ईमानदार होती हैं. उनकी कथनी-करनी एक होती है. वे ईमानदारी से कहती हैं कि वे धंधा कर रही हैं, पैसे दो, तन लो. पर हम तो उनसे भी गए-गुजरे हैं. हम लोग कहते कुछ और हैं, करते कुछ और. हाथी के दांत की तरह हम लोग हैं, खाने के और, दिखाने के और. दोगले हैं हम लोग. मिशन की बात कह कर बिजनेस करने में लगे हैं. हम लोग क्यों न मान लें कि दैनिक भास्कर वालों ने किताब के कंटेंट के बारे में सब कुछ जानते-बूझते हुए भी विज्ञापन इसलिए छाप दिया क्योंकि उन्हें 12 लाख रुपये (स्रोत : किताब छापने वालों की तरफ से फोन करके भड़ास4मीडिया को दी गई जानकारी) मिल रहे थे. इसे दूसरे रूप में इस तरह कह सकते हैं कि भास्कर वालों ने अपने चेयरमैन रमेश चंद्र अग्रवाल की इज्जत का सौदा 12 लाख रुपये में कर लिया!! सच्चाई क्या है, भगवान जाने लेकिन अगर ये लालची मीडिया हाउस न सुधरे तो इन्हें इन्हीं के अंदाज में सबक सिखाने जाने कितने और कलिनायकों की गाथा लिखने के वास्ते लेखक-प्रकाशक सामने आएंगे.
वैसे, आपको क्या लगता है, भास्कर ने अपने चेयरमैन के खिलाफ किताब का विज्ञापन जानबूझकर छापा है या ये गलती पैसा कमाने की जल्दबाजी के चलते कोई चेकप्वाइंट न होने के कारण अनजाने में हो गई है? अगर मेरा जवाब पूछेंगे तो मैं तो यही कहूंगा कि जब सांडा के तेल, लिंगवर्द्धक यंत्र, शत्रुनाशक कवच के विज्ञापन धड़ल्ले से हम छाप दिखा सकते हैं तो एक किताब का विज्ञापन छापने में कौन-सी बड़ी बात है!
पूरी किताब http://www.rajasthankalinayak.net/ पर उपलब्ध है. इस साइट पर जाकर कलिनायक किताब डाउनलोड कर सकते हैं. ((आप लिंक पर कर्सर ले जाकर माउस को राइट क्लिक करें, 'सेव लिंक ऐज' आप्शन आएगा जिस पर क्लिक कर देंगे तो कलिनायक किताब पीडीएफ फार्मेट में आपके कंप्यूटर / लैपटाप पर डाउनलोड होने लगेगी)) कलिनायक की वेबसाइट को देखकर लगता है कि यह किताब जल्द ही अंग्रेजी में भी प्रकाशित होने जा रही है. तो क्या, अभी से मान लिया जाए कि कलिनायक के अंग्रेजी वर्जन का भी विज्ञापन भास्कर अखबार में इसी तरह प्रकाशित होगा?


यशवंत
एडिटर भड़ास4मीडिया



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Saturday, January 8, 2011

बैतूल: जिला कलैक्टर ने दी अपाहिज पत्रकार को एक महिने के अंदर जिला बदर की धमकी

गवाहो का अवसर समाप्त करने एवं फरियादी के आवेदन को किया निरस्त

toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल। ''मैं इस जिले का मालिक हँू जो चाहुंगा वहीं होगा एक महिने के अंदर इसे जिले के बाहर करके ही दंभ लूंगा ...... उक्त धमकी भरी बाते बैतूल जिले के विवादास्पद जिला कलैक्टर विजय आनंद कुरूील ने विगत 28 सालो से पत्रकारिता के क्षेत्र में अग्रणी बैतूल जिले के वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्रीय हिन्दी दैनि पंजाब केसरी के बैतूल ब्यूरो रामकिशोर पंवार को दी। श्री पंवार के विरूद्ध दर्ज चौदह मामलो में ऐसे कोई भी संगीन अपराध नही है जिससे किसी को जान माल का खतरा हो तथा श्री पंवार उन मामलो में से 12 मामले में न्यायालय द्वारा बरी किये जाने के बाद भी उसके खिलाफ वैमनस्ता पूर्वक जिला बदर की कार्यवाही की जा रही है।
श्री पंवार का बीते दो वर्ष पूर्व 26 अप्रेल 2009 में एक वाहन दुर्घटना में अपंगता आ गई थी। बैतूल जिला चिकित्सालय के मेडिकल बोर्ड द्वारा 45 प्रतिशत विकलांगता प्रमाण पत्र जारी किये जाने तथा दो वर्षो तक इलाज करवाये जाने के प्रमाण पत्र के बाद भी कलैक्टर द्वारा दो वर्षो से डाक्टरो की सलाह पर बेड रेस्ट एवं इलाज करवा रहे पत्रकार श्री पंवार को परेशान करने की नीयत से उसके खिलाफ जिला बदर की कार्यवाही की जा रही है। ताजी घटना के अनुसार जब अपनी पेशी पर उपस्थित हुये पत्रकार रामकिशोर पंवार को जिला कलैक्टर - जिला मजिस्टेज द्वारा पेशी के दौरान अपामानित करते हुये धमकी दी कि वे किसी भी सूरत में इसे जिला बदर करके ही दंभ लेगें। प्रकरण में श्री पंवार के अधिवक्ता द्वारा एक आवेदन प्रस्तुत करके गवाहो को समंस जारी करके उन्हे बुलवाने का अनुरोध किया गया जिसे निरस्त करते हुये कलैक्टर ने आगामी पेशी को सभी गवाहो को एक साथ बुलवा कर एक ही दिन में पूरी गवाही सुबह से शाम तक गवाही लेकर अगली पेशी के पूर्व गवाह अवसर समाप्त करके इस माह के अंत तक जिला बदर करने की धमकी तक दे डाली। अपाहिज पत्रकार अपने पुत्र के सहारे बैसाखी लेकर पेशी तारीख पर बीते एक लगभग पौन वर्ष से आ रहा है। वह एक भी पेशी पर अनु उपस्थित नही रहा।
जबकि जिला मजिस्टेज अनेक बार अनुउपस्थित रहे पूरे पौने एक साल में मात्र छै लोगो की ही गवाही हो सकी जबकि पत्रकार रामकिशोर पंवार द्वारा अपने चाल - चरित्र एवं कार्यशैली को लेकर जिला मुख्यालय के 20 लोगो की गवाही की सूचि प्रस्तुत की गई थी। बैतूल जिला कलैक्टर एवं मजिस्टेज द्वारा पत्रकार रामकिशोर पंवार को इस तरह डराने एवं धमकाने के बाद श्री पंवार ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर प्रेस कौेंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष एवं मानव अधिकार आयोग तक शिकायत प्रस्तुत की है। पत्रकार रामकिशोर पंवार द्वारा प्रस्तुत तीन अलग - अलग जालसाज के तीन परिवादो को न्यायालय से वापस लेने के लिए दबाव डाला जा रहा था। श्री पंवार द्वारा प्रस्तुत परिवाद के खात्मा का दो बार पुलिस प्रयास कर चुकी लेकिन जालसाजी के मामले में न्यायालय द्वारा परिवाद को समाप्त करने के पुलिस के आग्रह को अस्वीकार किये जाने के बाद जालासाजी के आरोपियो द्वारा पुलिस एवं प्रशासन की मदद से पत्रकार रामकिशोर पंवार को परेशान किया जा रहा है। पत्रकार रामकिशोर पंवार द्वारा प्रस्तुत जालसाजी के मामले मेें पांच आरोपियो में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा की कथित मुंहबोली मां श्रीमति उर्मिला भार्गव , दो भाई मयंक भार्गव एवं मयूर भार्गव भी जिन्हे न्यायालय द्वारा दर्ज जालसाजी के प्रकरणो में पुलिस से बचाने के लिए राजनैतिक दबाव भी प्रशासन एवं पुलिस पर डाला जा रहा है। हाल ही में बैतूल आये प्रदेश भाजपा अध्यक्ष इन जालसाजी के तीन आरोपियो के घर पर रूके भी एवं वहां पर आयोजित कार्यक्रम में भाग भी लिया। इधर बैतूल कलैक्टर विजय आनंद कुरील द्वारा पत्रकार रामकिशोर पंवार को अपने न्यायालय में डराने एवं धमकाने तथा उन्हे हर हाल में एक माह के भीतर जिला बदर किये जाने की धमकी को लेकर पत्रकार संगठनो ने भी आवाज उठाई है। पत्रकार संगठनो का आरोप है कि बैतूल कलैक्टर के न्यायालय में बलातकार - हत्या - लूट - डकैती जैसे संगीन अपराधो के आदतन अपराधियो के जिला बदर के मामले नही चल रहे है और जो चल भी रहे है वे बरसो से ज्यों के त्यों पड़े हुये है। श्री पंवार को परेशान किये जाने एवं उसकी अपंगता के चलते पूरे परिवार को ही परेशान किये जाने की घटना को लेकर पत्रकार एवं पत्रकार संगठन बडे स्तर पर आन्दोलन की रूपरेखा तैयार करने में लग गये है।

सूचना आयोग का मीडिया पर हमला: पत्रकार दिवस पर पत्रकारों का अपमान किया जा रहा है।

सूचना आयोग का मीडिया पर हमला

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भोपाल। “राज्य सूचना आयोग के पास ऐसे कोई अधिकार नहीं है जिसका वह पालन करा सके। अगर आपको सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेना हो तो आप हाइकोर्ट जायें“ यह कहना था प्रदेष के राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त पùमणि तिवारी का। उन्होने यह बात आज सूचना के अधिकार के तहत अपीलकर्ता राघेष्याम अग्रवाल द्वारा प्रदेष के राजनैतिक लोगों के अपराधिक प्रकरण के मामले में न्यायालयों से वापिस लिये गये प्रकरणों की जानकारी मांगें जाने पर निर्णय के दौरान कहीं। मुख्य सूचना आयुक्त श्री तिवारी तो इतने खफा हो गये कि उन्होैने लोकायुक्त के मामले में किये गये फैसले पर उनको मीडिया द्वारा लपेटे जाने पर मीडिया को भला बुरा कहा। मुख्य सूचना आयुक्त के कक्ष में राधेष्याम अग्रवाल अपीलकर्ता के रुप में उपस्थित हुये दूसरी और से गृह विभाग के चन्द्रहास दुबे (लोक सूचना अधिकारी) उपस्थित थे।श्री तिवारी ने अपीलकर्ता की अपील पढ़ते हुये कहा कि हम कैसे यह जानकारी दिलाये तभी प्रदेष सरकार के गृह विभाग के प्रतिनिधि लोक सूचना अधिकारी श्री दुबे ने सामान्य प्रशसन के परिपत्र का हवाला देते हुये कहा कि यह गोपनीय मामला है जिसको उजागर नहीं कर सकते हैं।श्री तिवारी ने उस परिपत्र को मानते हुये अपीलकर्ता राधेष्याम अग्रवाल के द्वारा उठाये गये मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया और यहॉं तक कह दिया कि उनका तो अब एक वर्ष का कार्यकाल बचा है। फेैसले करने के बाद लोग उन्हें गालियॉं देतेे हैं। आपको न्याय लेना हो तो हाइकोर्ट जाकर अपनी गुहार करें हम आदेषों का पालन कराने के लिये बाध्य नहीं है। यह तो थोड़ी बहुत जानकारी आयोग के गठन के बाद लोगों को मिल रही है। फिलहाल राधेष्याम अग्रवाल ने उपरोक्त जानकारी विधि मंत्रालय से भी मांगी थी किन्तु विधि मंत्रालय ने गृह विभाग को पत्र भेज दिया पिछले एक वर्ष से सरकार के दरवाजे पर दस्तक दे रहे राधेष्याम अग्रवाल को जानकारी न देने से शासन की मनसा पर प्रष्नचिन्ह लग गया है। आखिर नौकरषाहों की चलेगी या राजनैताओं की।उल्लेखनीय है कि राधेष्याम अग्रवाल लोक सूचना अधिकार के तहत कई जानकारी प्राप्त कर चुके हैं। अभी एक जानकारी भारतीय प्रषासनिक सेवा के अधिकारियों की विदेष यात्रा का है। आयोग के आदेष पारित होने के बाद भी राधेष्याम अग्रवाल को विदेष यात्रा की जानकारी नहीं मिली है। मुख्यमंत्री षिवराज सिंह सरकार ने हाल ही में भ्रष्टाचार को रोकने के लिये विषेष न्यायालयों की स्थापना करने की घोषणा की है। किन्तु कथनी करनी के अंतर को जनता सदैव जानती है। विष्व पत्रकार दिवस पर पत्रकारों का अपमान किया जा रहा है।

Schweizer Illustrierte ने किया सोनिया के स्वीस खाते का खुलासा

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सोनिया गाँधी के बारे में यह जबरदस्त खुलासा स्विट्ज़रलैंड से हीं आया है, जहाँ दुनिया भर के बेईमान अपने हिस्से का धन रखते हैं. November 19, 1991, Schweizer Illustrierte , जो स्विट्ज़रलैंड की एक प्रसिद्ध पत्रिका है , ने एक खुलासा करते हुए तीसरी दुनिया के कुछ नमी -गिरामी नेताओं की सूचि जरी की थी, जिनके नाम अकूत धन स्विस बैंक के खाते में जमा था. इस सूची में राजीव गाँधी का भी नाम था. यह पत्रिका कोई आम पत्रिका नहीं है. इस पत्रिका की लगभग 2,15,000 प्रतियाँ छपती हैं और इसके पाठकों की संख्या लगभग 9,17,000 है जो पूरे स्विट्ज़रलैंड की व्यस्क आबादी के छठा हिस्सा है. नए के जी बी रिकार्ड के खुलासे को मानें तो ” ये खाता स्वर्गीय राजीव गाँधी की विधवा सोनिया गाँधी अपने अवयस्क लड़के के बदले संचालित करती हैं. इस खाते में 2.5 बिलियन स्विस फ्रैंक हैं जो लगभग 2 .2 बिलियन डॉलर हुए. यह 2.2मिलियन डॉलर का खाता तब भी सक्रिय था, जब राहुल गाँधी जून 1998 में वयस्क हुए थे. यह कला धन, भारतीय रुपये में लगभग 10 ,000करोड़ हुआ. स्विस बैंक अपने यहाँ जमा राशि को इन्वेस्ट करता है और जमाकर्ता की राशी बढती रहती है. अगर इस धन को सुरक्षित लम्बी अविधि की प्रतिभुतिओन में निवेश किया गया होता तो आज यह रकम 2 .2 बिलियन डॉलर से बढ़कर 7.41 डॉलर हुई होती , जो लगभग 42,,345 करोड़ रुपये के बराबर है . अगर इसे अमेरिकी शेयर बाज़ार में लगाया गया होगा तो आज यह रकम , लगभग 12,71 बिलियन डॉलर हुई होगी यानि 48,365 करोड़ रुपये. अधिक संभावना तो ये है कि इसे लम्बे समय तक शेयरों में 50-50 में लगाया गया हो , तब भी यह राशी 11.21 बिलियन डॉलर बनेगी., यानि 50,355 करोड़ रुपये. किसी भी हालत में , वैश्विक आर्थिक मंदी ( सन २००८ ) के पहले यह राशी लगभग 18.66 बिलियन डॉलर बनेगी ( लगभग 83,700 करोड़ रुपये ).आज यह राशी 43,000 से ज्यादा और 84,000 करोड़ के बीच में कुछ भी हो सकती है.स्वीस बैंक में जमा भारतीय धन की वापसी पर सोनिया-राहुल का मौन क्यों ? “कर चोरी, भ्रष्टाचार, रिश्वत और दलाली, और आपराधिक गतिविधियों ‘के माध्यम से” 1948 2008 के मध्य से भारत के लगभग 213 अरब डॉलर का अवैध वित्तीय प्रवाह में (or illegal capital flight) नुकसान हुआ है. अब यह तो बीस साल पहले के आंकड़े को केंद्र में रख कर किया गया दस्तावेज है. कांग्रेस के हालिया कार्यकालों में हुए घोटाले पर नज़र डाली जाये तो आंकड़ा दिल दहला देगा.” काला धन ” इतना कि नोटों को जला कर अगर हर रोज खाना भी पकाया जाये , तो गाँधी परिवार 20 सालों तक रसोई गैस न ख़रीदे. अब देश के प्रत्यक्ष सत्ताधारी , स्वयं इतने बड़ी जवाबदेही रखता हो , तो भला ऐसे सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है ? निष्कर्ष है कि स्विस खातों में सोनिया परिवार की संदिग्ध अरबों डॉलर की बात सामने आई है जिस पर कांग्रेस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं है बहरहाल , कोई भी जांच प्रणाली स्वतंत्र रूप से 462 अरब डॉलर लूट की जांच नहीं कर सकती जब स्वयं गाँधी परिवार की हिस्सेदारी इतनी बड़ी हो

Friday, January 7, 2011

'मैक्सिम' पत्रिका में बिपाशा हुईं 'टॉपलेस'

नए साल में बॉलिवुड ऐक्ट्रेस के बीच टॉपलेस होने की होड़ लग गई है। पिछले दिनों मंदिरा बेदी फैशन मैगजीन वोग के लिए टॉपलेस हुई थीं, अब वही काम बंगाली बाला बिपाशा बसु ने ' मैक्सिम ' के लिए किया है। बंगाली ब्यूटी की यह बोल्ड तस्वीर मैक्सिम की पांचवीं सालगिरह पर निकाले गए जनवरी के इशू में कवरपेज पर छापी गई है।


मंदिरा बेदी, शर्लिन चोपड़ा, नेहा धूपिया, संभावना सेठ, कश्‍मीरा शाह और बिपाशा बसु में क्‍या समानता है? जाहिर ये, सभी हसीनाएं बॉलीवु की तारिकाए हैं। लेकिन, ये हमारे सवाल का जवाब नहीं है। जी हां, इस सवाल का जवाब बॉलीवुड से जुड़ा हुआ नहीं है। दरअसल, ये सारी अभिनेत्रियां किसी न किसी मैग्‍जीन में ‘टॉपलेस’ पोज दे चुकी हैं।सांवले सौंदर्य की मल्लिका बिपाशा ने मशहूर पत्रिका ‘मैग्जिम’ के लिए बेहद हॉट टॉपलेस पोज दिया है। बिपाशा की टॉपलेस तस्‍वीर ‘मैग्जिम’ की पांचवीं वर्षगांठ पर प्रकाशित जनवरी के अंक के कवर पर छपी है। कुछ दिनों पहले ही ग्‍लैमर वर्ल्‍ड के बाद क्रिकेट एक्‍सपर्ट के रूप में चर्चित हुई मंदिरा बेदी ने फैशन मैगजीन ‘वोग’ के लिए टॉपलेस पोज दिया था। लेकिन, बिपाशा के टॉपलेस पोज की चर्चा ज्‍यादा हो रही है। ऐसा लाजिमी भी है क्‍योंकि ग्‍लैमर वर्ल्‍ड में बिपाशा का कद मंदिरा से कहीं ज्‍यादा ऊंचा है। वैसे ये पहली बार नहीं है, जब बिपाशा अपनी टॉपलेस तस्‍वीरों की वजह से चर्चा में हैं। करीब 6-7 महीने पहले बिपाशा का एक टॉपलेस वीडियो विज्ञापन काफी चर्चा में रहा था। हालांकि, बिपाशा ने यह सफाई दी थी कि ये विज्ञापन उस समय का था, जब वह मॉडलिंग में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही थीं।

ये वीडियो ‘यू ट्यूब’ पर काफी देखा गया था। इस वीडियो को देख कर बिपाशा के रियल लाइफ पार्टनर जॉन अब्राहम ने टिप्‍पणी की थी कि उन्‍हें ये वीडियो बहुत खूबसूरत लगा। जाहिर है, ये बिपाशा की ‘मैग्जिम’ के कवर पर छपी टॉपलेस पोज भी जॉन को खूबसूरत लगेगी। बिपाशा है हीं इतनी सेक्‍सी और खूबसूरत कि कोई भी उनकी तारीफ करने पर मजबूर हो जाएगा। और, फिर जॉन तो बिपाशा के अपने ही हैं।

Wednesday, January 5, 2011

दिग्विजय ने दिए करकरे से बातचीत के सबूत

toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को अपने उस दावे के समर्थन में मंगलवार को सबूत पेश किए जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 26 नवम्बर 2008 को मुंबई हमले से पहले उनकी महाराष्ट्र आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख हेमंत करकरे से बात हुई थी।
दिग्विजय सिंह ने पिछले महीने यह कहकर हडकंप मचा दिया था कि करकरे की मौत से चंद घंटे पहले उनकी उनसे बात हुई थी। दिग्विजय के मुताबिक करकरे ने उनसे दक्षिणपंथी संगठनों से अपनी जान को खतरा बताया था।
दिग्विजय सिंह ने हेमंत करकरे से हुई बातचीत की रिकार्डिंग का ब्योरा सार्वजनिक करते हुए कहा कि अब ऐसे लोग कम से कम उनसे माफी मांगें जिन्होंने उन्हें झूठा और देशद्रोही तक करार दिया था। उन्होंने कहा कि भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएस) ने उनके फोन कॉल की जानकारी उपलब्ध कराई है।
दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री आर.आर. पाटील के उस बयान पर भी दुख प्रकट किया, जिसमें पाटिल ने दिग्विजय सिंह के दावे पर संदेह प्रकट किया था और कहा था कि कांग्रेस नेता और करकरे के बीच किसी भी तरह की बातचीत होने के सबूत उपलब्ध नहीं हैं।
मध्यप्रदेश सरकार पर भी आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार आतंकी गतिविधियों को छिपाती है। उन्होंने कहा कि समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट की साजिश सबरी कुंड में रची गई थी।

कालेधन की सूची में दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, सुभाष यादव शामिल

भारत के दिग्गज नेताओं ने स्विश बैंक में जमा कराए 70 हजार करोड़ रुपए

विनय जी. डेविड MOB 09893221036

toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)

टाइम्स ऑफ क्राइम ने अपने पिछले अंक में कालेधन की सूची में शामिल श्रीमति इंदिरा गांधी, भा.ज.पा. के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी सहित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा और वर्तमान में नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर के स्विश बैंक में जमा कालेधन की खबर प्रकाशित की थी, उसी तारतम्य में इस अंक में कांग्रेस के कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, सुभाष यादव सहित देश के प्रधानमंत्री की सूची दर्शा रहे हैं। हमने पिछले अंक में प्रकाशित किया था कि इस जारी सूची में 105 राजनेताओं की लम्बी कड़ी हैं। जिसमें बकायदा कालेधन का ब्यौरा स्विश बैंक के कोड सहित सम्मिलत है।गुजरात के अंकलेश्वर के रहने वाले श्री ए.के. बकानी ने अपनी संस्था ''हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेनाÓÓ (इंडिया) द्वारा इस कालेधन की सूची को जारी कर प्रश्र खड़ा कर दिया है कि आखिर इतना धन राजनेताओं के पास आया कहां से। इस सूची की सत्यता की अगर जांच गम्भीरता से हो जाय तो शायद ''दूध का दूध पानी का पानीÓÓ हो सकता है। इस सूची में शामिल चार उन कांग्रेसी नेताओं की जानकारी हम आप तक पहुंचा रहे है। सूची में देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम भी है जिसका कोड पी.जी.एन. जिसमें 718 किलो सोना 182 किलो हीरें, चांदी 148 किलो और 77 करोड़ भारतीय रूपयें जमा होना प्रदर्शित हैं। वहीं कांग्रेस महासचिव बिनदास नेता दिग्विजय सिंह कोड नं. वाई जे.के.एस में उनके पास सोना 112 किलो, हीरे 18 किलों और 4 करोड़ रूपये बताये गये हैं। इस सूची में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ के पास भी स्विश बैंक के कोड क्रमांक जे.ओ.पी.ए.एन. में सोना 310 किलो, हीरें 120 किलो, चांदी 117 किलो और भारतीय रूपये 1 करोड़ 68 लाख हंै। वहीं कांग्रेस उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव के कोड क्रमांक ए.सी.सी.पी. में 170 किलोग्राम सोना, 10 किलो हीरें, 190 किलो चांदी सहित 7 करोड़ 5 लाख भारतीय रूपयें बताए गये हैं। इस तरह भारत के सभी दलों के राजनितिज्ञों के स्विश बैंक में खाता होने की जानकारी दी गई है। कालेधन की वापसी को लेकर भा.ज.पा. के लालकृष्ण आडवानी की कोशिशे भी नाकाम नजर आई वहीं सूची दृष्टिगत ऐसा प्रतीत नहीं होता कि कांग्रेस भी कालाधन की वापसी के लिए कोई ठोस कदम उठायेंगी।

अब नहीं छिपेगी काली कमाई, दोषी लोक सेवकों की अनाधिकृत संपत्ति जब्त होगी

मध्य प्रदेश न्यायालय विधेयक-2011 को मंजूरी दे दी गई है

भोपाल // toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)


भोपाल मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों के शीघ्र निराकरण के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना की जाएगी और दोषी पाए गए लोक सेवकों की अनधिकृत सम्पत्ति जब्त कर ली जाएगी. राज्य मंत्रिपरिषद ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए मध्य प्रदेश न्यायालय विधेयक-2011 को अपनी मंजूरी दे दी है.मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए.सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि मध्य प्रदेश न्यायालय विधेयक-2011 को मंजूरी दे दी गई है और इसे विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा.विधेयक के प्रावधानों की जानकारी देते हुए मिश्रा ने बताया कि भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और उसके निर्मूलन के लिए विशेष न्यायालय गठित किए जाएंगे. इन न्यायालयों में जिला व सत्र तथा अपर जिला व सत्र स्तर के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाएगी. इन न्यायालयों के फैसलों को उच्च न्यायालय में ही चुनौती दी जा सकेगी.विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक लोक सेवकों द्वारा आय से अधिक अर्जित की गई अनधिकृत सम्पत्ति को जब्त कर उसे राज्य की सम्पत्ति में मिला लिया जाएगा.इसके अलावा पूर्व व वर्तमान लोक सेवकों के खिलाफ चल रहे मामलों को तथा अन्य न्यायालयों में चल रहे भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों को भी विशेष न्यायालय को सौंपने का विधेयक में प्रावधान है.

अधूरा काम छोड़ने वाले ठेकेदारों से वसूली में सख्ती

निर्माण कार्यों की जानकारी वेबसाइट पर प्रदर्शित होगी,
लोक निर्माण मंत्री श्री नागेन्द्र सिंह के निर्देश

लोक निर्माण विभाग के कार्यों को अधूरा छोड़ने पर जोखिम पर काम कराने पर होने वाली अतिरिक्त लागत की वसूली मूल ठेकेदारों से सख्ती से की जायेगी। लोक निर्माण मंत्री श्री नागेन्द्र सिंह द्वारा विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार तथा अधिक पारदर्शिता लाने के लिये दिये गये निर्देशों के अनुरूप यह आदेश सभी संबंधित अधिकारियों को हाल में ही जारी किये गये हैं। इनमें मुख्य अभियंता, अधीक्षण यंत्री तथा कार्यपालन यंत्री शामिल हैं। इसके साथ ही प्रदेश में ठेकेदारों द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी संकलित कर उसे वेबसाइट पर प्रदर्शित करने के भी निर्देश दिए हैं।


लोक निर्माण मंत्री द्वारा हाल ही में की गयी समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि ऐसी राशि वसूलने की कार्यवाही के प्रावधान को वांछित रूप से लागू नहीं किया जा रहा है। इसके कारण शासन के वित्तीय हित प्रभावित हो रहे हैं।
यह तथ्य भी प्रकाश में आया है कि विभिन्न संभागों में कतिपय ठेकेदारों के विरुद्ध कार्य प्रारंभ न करने या धीमी गति से काम करने के कारण उनके विरुद्ध कार्यवाही की गयी है तथा मूल ठेकेदार की लागत एवं जोखिम पर शेष कार्य की निविदा आमंत्रित की गयी है। इससे मूल ठेकेदार के विरुद्ध वसूली निकलती है जिसे संबंधित जिले के कार्यपालन यंत्री आर.आर.सी. के माध्यम से वसूली की कार्यवाही कर रहे हैं। लेकिन ये वसूलियां केवल पुस्तकों में दर्ज हैं। व्यवहारिक रूप से वसूलियां नहीं हो पा रही हैं। लोक निर्माण मंत्री ने निर्देश दिये कि सभी संभागों के कार्यपालन यंत्रियों द्वारा कार्यवाही उपरांत छोड़े गये कार्यों के परिप्रेक्ष्य में वसूली योग्य राशि का मासिक विवरण रिटर्न के रूप में अनिवार्य रुप से अधीक्षण यंत्री को भेजा जाये। इस आदेश का तत्काल प्रभाव से सख्ती से पालन करने को भी कहा गया है।
यह भी जानकारी में आया है कि कतिपय ठेकेदारों द्वारा प्रदेश में अधिक संख्या में कार्य कराये जा रहे हैं। वे क्षमता से अधिक होने से उनकी गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है। इसलिए ऐसे ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे क्षमता से अधिक कार्यों की जानकारी विभागीय वेबसाइट पर प्रदर्शित करें जिसमें पारदर्शिता बनी रहे।

Tuesday, January 4, 2011

सुशील के असली हत्‍यारों की गिरफ्तारी के लिए 10 को महाधरना

बिलासपुर के वरिष्ठ पत्रकार सुशील पाठक की हत्या के एक पखवारा बीत जाने के बाद भी असली हत्‍यारों की गिरफ्तारी न होने से पत्रकार तथा स्‍थानीय लोग नाराज हैं. हत्‍यारों की गिरफ्तारी और पुलिस पर दबाव बनाने के लिए लोग सर्वदलीय नागरिक मंच के बैनर तले धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. नागरिक मंच तथा प्रेस क्‍लब के लोगों ने बैठक कर सुशील के असली हत्‍यारों की गिरफ्तारी नहीं होने पर 10 को नेहरू चौक पर महाधरना देने का फैसला किया है.
दैनिक भास्‍कर के पत्रकार सुशील की हत्‍या के बाद बिलासपुर के एसपी का तबादला कर दिया गया था. उनकी जगह अजय यादव को नया एसपी बनाया गया है. इसके बाद भी पुलिस अब तक इस हत्‍या के तह तक नहीं पहुंच सकी है. पुलिस ने सुशील की हत्‍या के मामले में बादल नाम के एक व्‍यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिनसे उनका जमीन संबंधी विवाद चल रहा था. पर पुलिस अब तक हत्‍या में प्रयुक्‍त पिस्‍टल और सुशील का मोबाइल बरामद नहीं कर पाई है. इसे लेकर लोग नाराज हैं. उनका कहना है कि पुलिस अभी असली हत्‍यारों को नहीं पकड़ सकी है.
नागरिक मंच और प्रेस क्‍लब ने चेतावनी दी है कि अगर पिस्‍टल और मोबाइल पुलिस नहीं बरामद कर पाती है और असली हत्‍यारों को नहीं खोज पाती है तो वे 10 को महाधरना देंगे. जिसमें पूरे संभाग से पत्रकार, स्‍थानीय लोग, समाजिक संगठन एवं राजनीतिक दल शामिल होंगे. इसके बाद रायपुर में भी धरना दिया जाएगा. गौरतलब है कि सुशील की उस समय हत्‍या कर दी गई थी, जब वे रात में ऑफिस से काम करके घर लौट रहे थे.
बैठक में प्रेस क्‍लब के अध्‍यक्ष शशिकांत कोन्‍हेर, पूर्व विधायक चंद्र प्रकाश वाजपेयी, अजरून भोजवानी, सुरेंद्र दीवान, महेश दुबे, अकबर खान, राजेश पाण्‍डेय, सत्‍यभामा अवस्‍थी, शहजादी कुरैशी, निरुपमा वाजपेयी, सुनील झा, अटल श्रीवास्‍तव समेत कई लोग शामिल रहे.

Monday, January 3, 2011

आरुषि हत्याकांड: CBI पर मुकदमा ठोकेंगे तीनों नौकर

नई दिल्ली। आरूषि हेमराज हत्याकांड में जिस सीबीआई ने तीनों नौकरों को गिरफ्तार किया था उसी सीबीआई की नई टीम ने जांच के बाद इन नौकरों को क्लीनचिट दे दी। सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि इस हत्याकांड में नौकरों की कोई भूमिका नहीं है। तीनों नौकर निर्दोष हैं। क्लोजर रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब इन नौकरों के वकील सीबीआई पर मानहानि का दावा ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं।
मामले की जांच कर रही सीबीआई की पहली टीम ने एक वक्त ये खम ठोंककर दावा कि आरुषि और हेमराज की हत्या तीन नौकरों ने की है। ये तीनों कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल थे। अरुण कुमार की सीबीआई टीम ने हत्याकांड के आरोप में इन तीनों नौकरों को एक-एक कर गिरफ्तार किया। न सिर्फ इनसे कई दिनों तक पूछताछ की गई बल्कि इनका नार्कों और लाइडिटेक्टर समेत कई साइंटिफिक टेस्ट कराए गए। लेकिन आखिर में उनका हाथ सिर्फ सिफर ही आया। तीनों नौकरों को इस दोहरे हत्याकांड के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन उनके खिलाफ न तो उसे कोई सबूत मिला और न ही केस में कोई लीड। लिहाजा कोर्ट ने तीनों नौकरों को जमानत दे दी।
रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि जांच में ये पता चला कि वारदात की रात पड़ोस में काम करने वाला विजय मंडल कार गैरेज में अपने परिवार के साथ सो रहा था। इस बात के सबूत है कि वारदात की रात कृष्णा अपने घर में सो रहा था। जांच में ये भी पता चला कि तीनों नौकरों की न तो टेलीफोन पर कोई बातचीत हुई और न ही व्यक्तिगत रूप से ये आपस में मिले।
सीबीआई को नौकरों के खिलाफ कुछ नहीं मिला। अपनी क्लोजर रिपोर्ट में नौकरों पर सीबीआई ने आगे लिखा है कि नौकरों की हिम्मत नहीं थी कि तलवार दम्पत्ति की मौजूदगी में वो फ्लैट में इकट्ठा हों।
- सीबीआई के मुताबिक रात साढ़े ग्यारह बजे राजकुमार ने अपनी मालकिन अनिता दुर्रानी के लिए खाना बनाया। अनीता दुर्रानी ने व्रत की वजह से रात 12 बजे के बाद खाना खाया। खाना खाने के बाद रात साढ़े 12 बजे वो अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
- सीबीआई के मुताबिक दुर्रानी के घर से साइकिल पर आरुषि के घर तक पहुंचने में कम से कम 20 मिनट का समय लगता है। जबकि हत्या का समय रात 12 से एक के बीच था। ऐसे में ये असंभव है कि राजकुमार कत्ल के वक्त कत्ल की जगह पहुंच पाए।
- डॉ. दुर्रानी ने घर में खुद अंदर से ताला लगाया था। ऐसे में राजकुमार के लिए चुपके से बाहर निकलना मुश्किल था।
- आरुषि की सोसायटी और दुर्रानी की सोसायटी के दरबानों ने दोनों जगहों में से कहीं भी राजकुमार को उस रात नहीं देखा था।
- राजकुमार की ना तो विजय मंडल और कृष्णा से फोन पर भी बातचीत नहीं हुई थी। इसलिए इन तीनों ने आपस में कोई साजिश नहीं रची।
- राजकुमार विजय मंडल को जानता तक नहीं था जबकि कृष्णा से उसकी मामूली मुलाकात थी।
-विजय मंडल की भी मोबाइल पर किसी से बात नहीं हुई।
-कृष्णा के पास से मिली खुखरी भोथरी थी और उसपर न तो खून के और न ही उंगलियों के निशान मिले।
सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट में इन तीनों नौकरों के बारे में कहा है कि हिरासत में लेकर लंबी पूछताछ के बाद भी इन नौकरों से कोई जानकारी नहीं मिली। सबूत ये बताते हैं कि हत्या की रात वो मौके पर मौजूद नहीं थे।

सिटी बैंक घोटाला: हीरो ग्रुप के सीएफओ संजय गुप्ता गिरफ्तार

गुड़गाँव, हीरो समूह के वरिष्ठ अधिकारी संजय गुप्ता को सिटीबैंक धोखाधड़ी मामले में सोमवार को पाँच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। उस पर समूह प्रवर्तकों के 250 करोड़ रुपए धोखाधडी में लगाने का आरोप है।हालाँकि पुलिस ने हीरो समूह की इकाई हीरो कार्पोरेट सर्विसेज के एसोसिएट उपाध्यक्ष गुप्ता को 10 दिन के लिए हिरासत में माँगा था लेकिन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सह अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डिवीजन) डीएन भारद्वाज ने केवल पाँच दिन की पुलिस हिरासत की इजाजत दी।गुप्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत गिरफ्तार किया गया। 120बी का संबंध आपराधिक साजिश से है।गुड़गाँव के पुलिस आयुक्त एस.एस. देसवाल ने बताया कि गुप्ता ने हीरो समूह की विभिन्न कंपनियों के लगभग 250 करोड़ रुपए निवेश किए। इसके लिए गुप्ता ने दो वित्त कंपनियों-बीजी फिनांस और जी2एस का गठन किया और निवेश के बदले पुरी से बतौर कमीशन 20 करोड़ रुपये लिए।गुड़गाँव पुलिस ने पिछले सप्ताह ही सिटीबैंक धोखाधड़ी मामले में पूछताछ के लिए शिवराज पुरी के साथ गुप्ता को भी बुलाया था। पुरी सिटीबैंक की गुड़गाँव शाखा में अनुमानित 300 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी में मुख्य आरोपी हैं।देसवाल ने बताया‍ कि पुरी ने स्वीकार किया है कि गुप्ता को सेबी के फर्जी दस्तावेज के बारे में जानकारी थी। इसी के आधार पर धनी निवेशकों को निवेश के लिए आकर्षित किया गया। बहरहाल, गुप्ता के वकील सीएल कक्कड़ ने अदालत के समक्ष कहा कि उनका मुवक्किल आरोपी नहीं है बल्कि उन्हें शिकार बनाया गया है और जरूरत पड़ने पर वह गवाह बन सकता है।सिटीबैंक की गुड़गाँव शाखा में व्यावसायिक संपर्क प्रबंधक, पुरी, सेबी का नकली पत्र दिखाकर 18 फीसद का उच्च रिटर्न मिलने का दावा कर निवेश उत्पाद बेचता था। उसे पिछले सप्ताह ही गिरफ्तार किया गया और एक सप्ताह के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।पिछले सप्ताह बृजमोहनलाल मुंजाल के नेतृत्व वाले हीरो समूह ने स्वीकार किया था कि उसका इस धोखाधड़ी मामले में 28.75 करोड़ रुपए लगा है। हीरो समूह का कहना है कि उसके अग्रणी कंपनी हीरो होंडा का इस पूरे मामले से कोई जुड़ाव नहीं है। हालाँकि, कंपनी ने इस मामले में बीएमएल मुंजाल के नेतृत्व वाले समूह की कंपनी हीरो कार्पोरेट सर्विसेज, रॉकमैन साइकिल्स इंडस्ट्रीज, हीरो मांइडमाइन इंस्टीट्यूट, ईजी बिल और हीरो मैनेजमेंट सर्विस की लिप्तता के बारे में कुछ नहीं कहा।

Saturday, January 1, 2011

तू ऐसे नहीं तो ऐसे मरेगी लेकिन मरेगी जरूर

दुसरी शादी में रोड़ा बन रही पहली पत्नि का मृत्यु प्रमाण
बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल. मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज भैया की बहनो के सैया उनके साथ किस कदर मानसिक प्रताडना कर रहे है इस बात का उन्हे अंदाजा भी नहीं होगा। ग्राम जैत तहसील बुदनी जिला सीहोर निवासी शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन की एक आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की एक दलित समाज की मुँहबोली बहन श्रीमति संगीता बाघमारे हाल मुकाम अर्जून नगर बैतूल के पति सुरेश बघमारे निवासी रामनगर बैतूल के पति ने जब उसकी पत्नि संगीता को चाह कर भी अपने रास्ते से नहीं हटा पाया तो उसकी मृत्यु का प्रमाण पत्र ही हासिल कर लिया। अब बेचारी बहन पति की बेवफाई और उसकी शादी के बाद अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र लाने के खण्डवा और बैतूल के बीच में घनचक्कर बन कर घुम रही है। मजेदार बात तो यह है कि दलित बहन का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाली प्रदेश के केबीनेट मंत्री कुंवर विजय शाह की जीवन संगनी श्रीमति भावना शाह महापौर खण्डवा के कार्यालय से जारी किया गया है। आदिवासी समाज के नेता कुंवर विजय शाह की जीवन संगनी श्रीमति भावना शाह अब उस बेचारी दलित महिला की भावना को क्या समझ पायेगी...?
मध्यप्रदेश की बहनो के मुँहबोले शिवराज भैया के सुराज में ऐसा भी कुछ हो जाता है कि भाजपा शासित महानगर निगम कार्यालय एक जीवित महिला को ही मरा साबित कर डाले और जब वह अपने जीवित होने का प्रमाण दे तो उसे नजरअदांज कर अपने पापो को छुपाने का काम कर रही है। अपनी बहन की इस दर्दनाक पीड़ा की खबर उनके कानो तक नहीं पहुंच पा रही है क्योकि बेचारी बहन तो बैतूल और खण्डवा के बीच अपने जिंदा होने का प्रमाण पाने के लिए घनचक्करी बनी हुई है। वैसे भी बहन के मायके और ससुराल से भैया की चार इमली वाली हवेली की दूरी दो सौ किलोमीटर से कम नहीं है। बैतूल की संगीता सुरेश बाघमरे कहती है कि वह अपने पति की बेवफाई से ज्यादा दुखी इस बात को लेकर है कि अब मैं अपने जीवित होने का सबूत कहां से लांऊ...?
कागजों पर अपनी पहली पत्नी की मृत्यु का प्रमाण पत्र पाने वाले संगीता के पति ने अपनी पहली पत्नि से बिना तलाक लिये दुसरा विवाह कर मजे की जिदंगी जी रहा है। बैतूल कोर्ट में दोनो पति - पत्नि के बीच चल रहे एक प्रकरण के दौरान जब सच्चाई मजिस्टे्रज के सामने आई तो उनका भी माथा चकरा गया.....? अब न्याय की कुर्सी पर बैठा मजिस्टे्रज आखिर किसकी बाते को माने.....? कागज सही है या फिर वह महिला जो चीख - चीख कर कह रही है कि वहीं संगीता है तथा जिंदा आपके समाने खडी है....? पूरे प्रकरण के बारे में संगीता बाघमारे कहती है कि पति की मानसिक प्रताडना एवं शारीरिक यातना के चलते वह पिछले कुछ वर्षो से अपने पिता के पास रह रही थी। इस बीच उसकी शिकायत पर दर्ज प्रकरण न्यायालय में चल रहा है जिसके फैसले के पूर्व ही उसके पति ने खण्डवा महानगर निगम कार्यालय से उसकी मृत्यु का फर्जी प्रमाण पत्र बनवा कर दुसरी अन्य लड़की से शादी कर ली है। अपने पति की करतूतो को लेकर पीडित दलित महिला पुलिस अधिक्षक के पास भी पहुंची लेकिन पुलिस तो सारे मामले में तब तक नहीं जागती जब तक की कोई दलित - आदिवासी महिला फुलिया बाई या उर्मिला की तरह जहर खाने के लिए मजबुर नहीं हो जाती।

बिजली की आँख मिचौली किसानों पर पड़ी भारी

बिजली विभाग की मनमानी से परेशान किसानों ने बिजली आफिस का किया घेराव आफिस मे नहीं मिले अधिकारी

तहसील प्रमुख // हरीशंकर कदम (बुदनी //टाइम्स ऑफ क्राइम)
तहसील प्रमुख से सम्पर्क 90986 76150
बुदनी । होलीपूरा पिलीकरार महुंकला पातालखोह के किसानों ने भाजपा नेता अर्जुन मालवी जी, माधोसिंह,मीना के नेतृत्व में बुदनी एस.डी.एम. महोदय को ज्ञापन सौपा एवं अपनी समस्यााओं से अवगत कराया। इससे पहले गुस्साई किसानों की भीड़ सीधे आफिस पहुंची लेकिन आफिस में कोई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद न होने पर समस्या का समाधान नहीं हो पाया। टाइम्स ऑफ क्राइम की टीम से बात करते श्री अर्जुन मालवी जी, माधोसिंह, मीना होलीपुरा, राजू महुकला, खुबचन्द गुवडिय़ा, सीताराम पाताखोह, दिलीपसिंह मीना, लालजी राम मीना, रमेश मालवीय, प्रकाश पातालखोह, आशाराम गुवाडिया, गोकुल प्रसाद महुकला, मोहन लाल दायमा महुकला, कैलाश मीना होलीपुरा, शिवनारायण मीना, नरेन्द्र दुबे, राधेश्याम, देवीरामश्यामलाल मीना, गिरजाचरण सालिगराम दायमा आदि किसानों ने बताया कि बिजली समय पर न मिलने के कारण खेतों से खड़ी फसल को पानी नहीं मिल पा रहा है। बिजली समस्या के सामधान हेतू बिजली आफिस के चक्कर काटना पड़ते है परन्तु आफिस में जब भी जाओं कनिष्ठ यंत्री आफिस नहीं मिलते। 24 घंटे मे 6 घंटे भी बिजली नहीं मिल पाती किसान अपने खेती में समय से पानी नही दे पा रहे है खेतों मे खड़ी फसल पानी के अभाव में सूख सकती है। अपनी समस्याओं को लेकर किसानों ने तहसील का रूख किया एवं बुदनी एस.डी.एम. महोदय को ज्ञापन प्रेषित कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया बुदनी एस.डी.एम. महोदय ने किसानों की समस्या को ध्यान मे रखते हुए पर्याप्त बिजली किसानों को मिलेंगी पूर्ण आश्वासन दिया।

नरसिंहपुर : सी.ई.ओ. द्वारा फर्जी बिलों का किया भुगतान

जिला प्रतिनिधि// विपिनच्रद्र दुबे, महाकाल महाराज (नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से संपर्क:- 94246 67325
रसिंहपुर। जनपद पंचायत गोटेगांव में पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी के वित्तिय अधिकार फिर से छिन सकते है। सूत्रों के अनुसार इसके पीछे कारण बताया जा रहा फर्जी बिलों का भुगतान। मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने दो माह बाद वित्तीय अधिकार मिलने के बाद लाखों रूपए के फर्जी बिलों का भुगतान कुछ राजनैतिक नेता के इशारे पर किया है। इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों के पास गुपचुप तरीके से भेजी गई है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ माह तक एक प्रभारी प्रशिक्षित अधिकारी को जनपद पंचायत का प्रभार सौंपा गया था। उन्हें वित्तीय अधिकार भी सौंपे गए थे। तथा वर्तमान मुख्य कार्यपालन अधिकारी ओंकार सिंह ठाकुर को उनके अधीन कार्य करने के निर्देश दिये गए थे। प्रभारी कार्यपालन अधिकारी ने फर्जी बिलों का भुगतान करने से इन्कार करते हुए उनको अलग-थलग कर दिया था। उनको वर्तमान सी.ई.ओ. ने आनन-फानन में स्वीकृत कर चैक प्रदान कर दिया। करीब डेढ़ लाख रूपए ऐसे वाहन के डीजल बिल का शामिल है, जो कभी जनपद पंचायत में चला ही नहीं है। जनपद पंचायत में एक वाहन पहले से अनुबंध के आधार पर चल रहा है और इसका पूरा खर्च जनपद पंचायत से निकाला गया है। इस वाहन के होते हुए दूसरा वाहन कहां पर चला, इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है और दूसरे वाहन के नाम से लाखों रूपए का डीजल बिल स्वीकृत कर चैक काट दिया गया है।
किसने आयोजित की थी बैठक
पता चला है कि जनपद पंचायत में पदस्थ सभी उपयंत्रियों की एक गुप्त बैठक कुछ दिन पहले हुई थी। इस बैठक में प्रतिदिन होने वाले जनपद पंचायत के कार्यों से राशि एकत्र करने की बात सामने आई थी। इस बैठक में उपस्थित सभी उपयंत्रियों ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया था। इस बैठक को गुप्त स्थान पर किसने आयोजित किया था और किसको हर माह राशि देने के लिए बैठक में चर्चा हुई थी, इस पर अभी सब चुप्पी साधे हुए हैं। यह भी पता चला है कि इंदिरा आवास योजना के अन्तर्गत आने वाली राशि में से शेयर की मांग की जा रही है।

पुलिस कर्मी की पत्नी ने की आत्म हत्या

सिटी चीफ // मुकेश तिवारी (बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से सम्पर्क 9301220500

बालाघाट। स्थानीय पुलिस लाइन में निवासरत कुंजीलाल राणा पत्नी श्रीमति कौलिका बाई द्वारा अपने शासकीय निवास मे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का कारण पत्नी की मानसिक अस्वस्थता बताया जा रहा है। घटना की जांच मे यह बात प्रकाश मे आई आरक्षक कुंजीलाल आई.जी. बंगले मे कुक का कार्य करता था वह प्रात: काल अपनी डयूटी करने बंगले आ गया था उसके दोनों बच्चें पढ़ाई करने गये थे। दोपहर जब आरक्षक अपने घर आया तो दरवाजा खटखटाया किंतु दरवाजा अंदर से बंद होने के कारण किसी ने नहीं खोला। तब धक्का देकर दरवाजा खोला गया तो पड़ोसियों को आवाज दी एवं देखा कौलिका ने फांसी लगाकर अपनी इहलीला सामप्त कर ली थी। आरक्षक पति ने बताया कि घर मे किसी प्रकार का विवाद नहीं था। सब कुछ सामान्य चल रहा था उसकी पत्नी विगत 10-12 वर्षों से अस्वस्थ चल रही थी। फिलहाल मामले की जांच थाना प्रभारी धीरज बब्बर द्वारा की जा रही है।

पत्रकारों के वेतन में 65 फीसदी बढ़ोत्तरी की सिफारिश

प्रेसेंट : toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए गठित मजीठिया वेज बोर्ड ने अखबारी और एजेंसी कर्मियों के लिए 65 प्रतिशत तक वेतन वृद्धि की सिफारिश की है तथा साथ में मूल वेतन का 40 प्रतिशत तक आवास भत्ता और 20 प्रतिशत तक परिवहन भत्ता देने का सुझाव दिया है। न्यायमूर्ति जी आर मजीठिया के नेतृत्व वाले वेतन बोर्ड ने आज यह भी सिफारिश की कि नए वेतनमान जनवरी 2008 से लागू किए जाएं।बोर्ड ने पहले ही मूल वेतन का 30 प्रतिशत अंतरिम राहत राशि के रूप में देने का ऐलान कर दिया था। मजीठिया ने केन्द्रीय श्रम सचिव पी के चतुर्वेदी को रपट सौंपी। चतुर्वेदी ने आश्वासन दिया कि सरकार इस रपट की समीक्षा करने के बाद इसे जल्द से जल्द लागू कराने का प्रयास करेगी।बोर्ड ने 35 प्रतिशत वैरिएबल पे देने की सिफारिश की है। समाचार पत्र उद्योग के इतिहास में किसी वेतन बोर्ड ने इस तरह की सिफारिश पहली बार की है। मजीठिया वेतन बोर्ड ने पत्रकारों और अन्य अखबारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु बढाकर 65 साल करने, महंगाई भत्ते के मूल वेतन में शत प्रतिशत न्यूट्रलाइजेशन और विवादों के निपटारे के लिए स्थाई न्यायाधिकरण बनाने की सिफारिश की है। न्यायमूर्ति मजीठिया ने संवाददाताओं से कहा कि इस बार की रपट में सबसे निचले गे्रड के लिए भी अछ्छे वेतन की सिफारिश की गई है। उन्होंने कहा कि नए फार्मूले के अनुसार पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों का मूल वेतन उसके वर्तमान मूल वेतन और डीए में, 30 प्रतिशत अंतरिम राहत राशि और 35 प्रतिशत वैरिएबल पे को जोडकर तय किया गया है। महंगाई भत्ता मूल वेतन में शत प्रतिशत ‘ न्यूट्रलाइजेशन’ के साथ जुडेगा। ऐसा अब तक केवल सरकारी कर्मचारियों के मामले में होता आया है। वेतन बोर्ड ने 60 करोड़ रूपए या इससे अधिक के सकल राजस्व वाली समाचार एजेंसियों को शीर्ष श्रेणी वाले समाचार पत्रों के साथ रखा है।
इस प्रकार समाचार एजेंसी पीटीआई शीर्ष श्रेणी में जबकि यूएनआई दूसरी श्रेणी में रखी गई है।मजीठिया बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार आवास भत्ता एक्स श्रेणी के शहरों के लिए मूल वेतन का 40 प्रतिशत होगा, जो दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूर, हैदराबाद, चंडीगढ, अहमदाबाद, कानपुर, लखनऊ और नागपुर पर लागू होगा। वाई श्रेणी के शहरों के लिए यह मूल वेतन का 30 प्रतिशत होगा। वाई श्रेणी के शहरों में आगरा, अजमेर, अलीगढ, इलाहाबाद, अमृतसर, बरेली, बीकानेर, भोपाल, भुवनेश्वर, कोयंबटूर, दुर्गापुर, गुवाहाटी, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जमशेदपुर, कोच्ची, कोटा, मदुरै, मेरठ, पटना, पुणे, रायपुर, राजकोट, रांची, श्रीनगर, सूरत, तिरूवनंतपुरम, वडोदरा, वाराणसी, विशाखापटटनम, मंगलौर, पुडुचेरी, धनबाद, देहरादून, जम्मू, जामनगर आदि शामिल हैं। शेष अन्य शहरों को जेड श्रेणी में रखा गया है, जहां के कर्मचारियों को एचआरए मूल वेतन का 20 प्रतिशत मिलेगा।
By visfot news

4,000 कर्मचारियों की भर्ती करेगा केनरा बैंक

तिरुचिरापल्ली।। केनरा बैंक ने बड़े स्तर पर कर्मचारियों की भर्ती करने की योजना बनाई है। बैंक 2011 की दूसरी तिमाही में 4,000 कर्मचारियों की भर्ती करेगा। केनरा बैंक के सीएमडी एस. रमण ने बताया, हमने 4,000 नए कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें से 50 प्रतिशत कर्मचारियों की भर्ती क्लर्क कैटिगरी में की जाएगी। उन्होंने कहा कि करीब 1100 लोगों की नियुक्ति सीए, एग्रीकल्चर ग्रैजुएट, आईटी और एमबीए ग्रैजुएट जैसे विशेष वर्गों में की जाएगी। भर्ती का अभियान चरणबद्ध ढंग से पूरा किया जाएगा। यह अगले साल की दूसरी तिमाही में पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस समय बैंक के कर्मचारियों की संख्या 43,000 है। इस समय बैंक के एटीएम की संख्या 2,100 है जो अगले कुछ सालों में बढ़कर 4000 पहुंचने की संभावना है।

रतलाम में पुलिस की मार से पत्रकार की हालत गंभीर

आईसीयू में चल रहा है इलाज :
खबर छापने से नाराज सिटी एसपी ने सिपाहियों से पिटवाया

रतलाम में पुलिस ने एक पत्रकार को इस कदर पीटा की उनकी हालत गंभीर हो गई है. उन्‍हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है. मध्‍य प्रदेश में पुलिस और बदमाश दोनों का कहर पत्रकारों पर लगातार टूट रहा है. पत्रकार गोपाल सिंह कुशवाहा की गलती इतनी थी कि उन्‍होंने रतलाम के सिटी एसपी के खिलाफ एक खबर अपने अखबार में छाप दी थी.
जानकारी के अनुसार रतलाम शहर में लगभग तीन महीने पूर्व एक डीजल टैंकर कांड हुआ था. जिसमें सिटी एसपी महेन्‍द्र तारनेकर और उनके अधीनस्‍थ दो सिपाहियों ने अवैध केरोसिन छिपा कर ले जा रहे एक टैंकर को पकड़ा था. उन्‍होंने टैंकर मालिक से वाहन छोड़ने के नाम पर लगभग ढाई लाख रुपये वसूले थे. यह मामला रतलाम में काफी चर्चा में रहा था. गोपाल सिंह कुशवाहा (55 वर्ष) ने इसी से संबंधित खबर कुछ दिन पूर्व अपने साप्‍ताहिक अखबार साधना टुडे में छापी थी.
गोपाल सिंह कुशवाहा ने बताया कि कल सिटी एसपी अतिक्रमण हटवा रहे थे. मै भी वहां मौजूद था. अतिक्रमण हटाते हुए जब यह दल लोखन टाकीज चौराहा पर पहुंचा तो मुझे सिटी एसपी ने अपने दो सिपाहियों को भेजकर बुलवाया. उनके सिपाहियों ने मुझसे कहा साहब बुला रहे हैं कुछ बात करना है. मेरे पहुंचते ही उन्‍होंने कहा कि तू बहुत बड़ा पत्रकार हो गया है. मेरे खिलाफ खबर छापता है. तूझे मेरे बारे में पता नहीं है. तेरे जैसे ही एक पत्रकार की जो हालत की थी, आज तेरी हालत भी वैसी ही करूंगा. इसके बाद उन्‍होंने अपने तीन सिपाहियों को मुझे मारने के लिए निर्देशित किया.
गोपाल ने बताया कि तीनों सिपाही इसके बाद सबके सामने मुझ पर टूट पड़े. मुझे बहुत मारा-पीटा गया. इसके बाद सिटी एसपी के आदेश के बाद मुझे सिपाहियों ने गाड़ी में पटक दिया और मुझे थाने ले जाया गया. गाड़ी में भी सिपाही और सिटी एसपी मुझे मारते रहे. गाड़ी से उतार कर थाने में भी मुझे मारा-पीटा गया. इसी बीच घटना की जानकारी होने पर स्‍थानीय विधायक पारस सकलेचा ने जब सिटी एसपी को फोन किया तब मेरे साथ मारपीट बंद किया गया. इसके बाद मुझे थाने में बैठाये रखा गया.
उन्‍होंने बताया कि जब घटना की जानकारी होने पर मेरा पुत्र तथा कुछ पत्रकार पहुंचे तो सिटी एसपी ने मेरे बेटे से भी बहस की और धमकी दी. उन्‍होंने मेरे लड़के से कहा कि तूझे समझाया था ना कि अपने बाप को रोक, उसे समझा कि मेरे खिलाफ खबर ना छापे. लेकिन तब तूझे मेरी बात समझ में नहीं आई थी. गोपाल ने कहा कि मेरी हालत खराब होने पर मेरे पुत्र तथा अन्‍य लोगों ने मुझे इलाज के लिए अस्‍पताल में भर्ती करवाया. मेरी हालत ज्‍यादा खराब हो गई तो मुझे आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा.
उन्‍होंने बताया कि उस टैंकर स्‍कैंडल में लिखित कम्‍पलेन हुई थी. जिसके आधार पर मैंने यह खबर छापी थी. इन लोगों द्वारा छोड़ा गया टैंकर राजस्‍थान में पकड़ा गया. इसकी जांच चल रही है. उन्‍होंने बताया कि उस टैंकर मालिक के खिलाफ मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान तथा गुजरात में भी कई मामले चल रहे हैं. इसके बाद भी सिटी एसपी ने उसे पकड़ने के बाद पैसे लेकर छोड़ दिया था. जब मैंने तमाम सबूतों के बाद खबर लिखी तो मेरे साथ यह बर्ताव किया गया.

बालको टाउनशिप स्थित 11 स्कूलों के छात्र-छात्राओं को दी जाएगी 6,70,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि

75 विद्यार्थियों को मिलेगी ‘बालको प्रेरणा’

बालकोनगर, 1 जनवरी। बालकोनगर टाउनशिप स्थित ग्यारह स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को शिक्षा के क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की ओर प्रेरित करने के उद्देश्य से भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) द्वारा संचालित ‘बालको प्रेरणा’ नामक योजना के तहत शैक्षणिक सत्र 2009-10 के लिए 75 विद्यार्थियों को चुना गया है। इन विद्यार्थियों को प्रोत्साहन के रूप में 6,70,000 रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। ‘बालको प्रेरणा’ प्रोत्साहन राशि वितरण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोरबा कलेक्टर श्री राजपाल सिंह त्यागी होंगे। समारोह बालकोनगर स्थित नेहरू गार्डन में 4 जनवरी, 2011 को दोपहर 3.00 बजे आयोजित आयोजित होगा।
‘बालको प्रेरणा’ योजना की शुरूआत शिक्षक दिवस-2006 से हुई। इसके अंतर्गत कक्षा 6 वीं से 12 वीं तक के ऐसे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है जो उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करते हैं। प्रोत्साहन राशि विद्यार्थी द्वारा उत्तीर्ण की गई कक्षा के अनुरूप उसके बढ़ते क्रम में दी जाती है। उदाहरण के लिए 6 वीं कक्षा के विद्यार्थियों को 6 हजार रुपए प्रदान किए जाते हैं वहीं 12 वीं कक्षा के विद्यार्थियों को 12,000 रुपए दिए जाते हैं। योजना के दायरे में बालकोनगर केंद्रीय विद्यालय, शासकीय आदर्श उच्चतर माध्यमिक स्कूल, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक स्कूल, बालको टाउनशिप स्कूल, एम.जी.एम., बाल सदन, अंबेडकर मेमोरियल, मिनीमाता, चंद्रोदय ज्ञान मंदिर, डी.ए.व्ही. और पुष्पराज बाल सदन स्कूल को शामिल किया गया है।

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