TOC NEWS @ 30.10.2016
दिल्ली हाई कोर्ट की 50वीं सालगिरह के मौके पर विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि न्याय की प्रक्रिया में उपेक्षितों और दलितों की भागीदारी होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि दबे कुचले लोगों को सिस्टम में लाना ही होगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मौके पर जजों की फोन टैपिंग का मसला उठा कर विवाद खड़ा कर दिया, तो सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने भी पीएम की मौजूदगी में केंद्र पर निशाना साधते हुए जजों की नियुक्ति में हो रही देरी का मसला एक बार फिर उठाया।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि जजों का फोन टेप हो रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट के गोल्डन जुबली समारोह में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर के अलावा दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि उन्होंने दो जजों को बात करते सुना है कि फोन टैपिंग हो रही है। अगर ऐसा है तो यह न्यायपालिका पर सबसे बड़ा हमला है। मैंने जजों से कहा ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में रिक्तियां चिंता का विषय है, नियुक्ति में देरी अफवाहों को हवा देती है, जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
कॉलिजियम ने केंद्र सरकार को सूची भेजी, लेकिन केंद्र सरकार ने पद नहीं भरे। ऐसा नियम बनाया जाए कि कॉलिजियम की सिफारिश आते ही 48 घंटे में केंद्र लागू करे। अरविंद केजरीवाल के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि किसी भी जज के फोन टेप होने से मैं इनकार करता हूं। मोदी सरकार न्यायपालिका की आजादी और मजबूती के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। न्यायपालिका की आजादी हमारे लिए मूल दायित्व है। कोर्ट की ही संवैधानिक पीठ का ही जजमेंट है कि कॉलिजियम सिस्टम में सुधार होना चाहिए।
सरकार उसे लेकर काम कर रही है और सुप्रीम कोर्ट के साथ मिलकर सुधार की कोशिश कर रही है। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि न्याय का क्षेत्र अब विस्तृत हो चुका है। कोर्ट के सामने बड़ी चुनौतियां आ गई हैं। अदालतों से गरीब लोगों को न्याय मिलता है तो उसे संतोष होता है। पीएम मोदी ने माहौल को कुछ हल्का करते हुए यह भी कहा कि कोर्ट जाने का कभी सौभाग्य नहीं मिला, लेकिन सुना है वहां गंभीरता से काम होता है। यहां का माहौल देखकर समझ गया, कुछ तो मुस्कुराइए। हाईकोर्ट के 50 साल पूरे हुए, हर व्यक्ति का योगदान रहा है, परिसर में चाय वाले का भी योगदान रहा होगा। चीफ जस्टिस ठाकुर केंद्र और न्यायपालिका के बीच टकराव पर कुछ नहीं कहा।
उन्होंने कहा कि मैं जजों को कहना चाहता हूं कि ऐसे मामलों को जिनका न्याय प्रक्रिया से लेना-देना न हो, उनसे दूर रहें। सब तेजी से न्याय देने के लिए प्रयासरत रहें। किसी इंसान की जिंदगी में 50 साल बहुत होते हैं, लेकिन देश के लिए या किसी संस्थान के लिए 50 साल बहुत ज्यादा नहीं होते। चीफ जस्टिस और कॉलिजियम का हेड होने के नाते मैं सैकड़ों उम्मीदवारों को देखता हूं और सब दिल्ली हाईकोर्ट आना चाहते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट के एक चीफ जस्टिस रहे जज अब अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में हैं। मैं जजों को कहना चाहता हूं कि ऐसे मामलों को जिनका न्याय प्रक्रिया से लेना-देना न हो, उनसे दूर रहें। मैं खुश हूं कि सीएम केजरीवाल ने कहा है कि वो न्यायपालिका के लिए हर तरीके से मदद करने को तैयार हैं।
No comments:
Post a Comment