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भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी संस्कृति और गौमाता की रक्षा करते हुए आजादी की लड़ी लड़ाई : मुख्यमंत्री डॉ. यादव |
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जबलपुर में आयोजित राज्य स्तरीय जनजातीय गौरव दिवस में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में जनजातीय धर्मगुरूओं के मान-सम्मान से उपस्थित सभी जनजातीय समुदाय में खुशी की लहर दिखाई दी। इस अवसर पर राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जनजातीय समुदाय के प्रकृति पूजन के प्रतीक साजा, साल व तेंदू वृक्ष की पूजा कर प्रकृति की अराधना के लिए पारंपरिक विधि से पूजन किया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में देशभर में विगत पांच सालों से भगवान बिरसा मुंडा की जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन के कानूनों, कर-वसूली और जंगल पर कब्ज़े के खिलाफ जनजातीय समाज ने अपने तरीके से स्वराज का ध्वज उठाया और मध्यप्रदेश लंबे समय तक अंग्रेजों के लिए सबसे कठिन क्षेत्र बन गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में सबसे अधिक जनजातीय आबादी मध्यप्रदेश में है। रानी दुर्गावती ने 500 वर्ष पहले मुगलों क खिलाफ सम्मान, स्वाभिमान और राष्ट्र गौरव के लिये लड़ाई लड़ी। इसके साथ ही हमारे कई जनजातीय नायकों- टंट्या मामा, खाज्या नायक, भीमा नायक, शंकर शाह, रधुनाथ शाह, छितू किराड़ ने अपनी जल, जंगल और जमीन के लिए अंग्रेजों से संघर्ष किया। भगवान बिरसा मुंडा ने अपनी संस्कृति और गौमाता की रक्षा करते हुए आजादी की लड़ाई लड़ी। मात्र 25 साल की अल्पायु में भारत माता की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष में प्रदेश के बड़वानी, आलीराजपुर और जबलपुर में जनजातीय वर्ग के लिए विशेष आयोजन हुए। इनमें केंद्र और प्रदेश के कई मंत्री शामिल हुए। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सभी देशवासियों को वर्चुअली संबोधित किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्वाधीनता का दीया सबसे पहले मध्यप्रदेश की पावन धरती से ही प्रज्ज्वलित हुआ था और इसे हमारे जनजातीय वीरों ने रौशन रखा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में नमक सत्याग्रह ने ही जंगल सत्याग्रह की नींव रखी। सिवनी के जंगलों में हुआ 'टुरिया सत्याग्रह' जनजातीय वीरों और वीरांगनाओं के शौर्य और साहस का जीवंत प्रमाण है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जबलपुर की धरती पर गोंडवाना के शहीद शंकर शाह और रघुनाथ शाह ने देशभक्ति की सबसे बड़ी मिसाल पेश की। निमाड़ की पावन धरती पर भील योद्धा भीमा नायक ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। खंडवा-बुरहानपुर के टंट्या भील ने अंग्रेजी राज की कमर तोड़ दी। झाबुआ-आलीराजपुर में खाज्या नायक ने क्रांतिवीरों को संगठित कर अंग्रेजों को खुली चुनौती दी। भोपाल की रानी कमलापति ने विदेशी ताकतों के आगे झुकने के बजाय स्वाभिमान का रास्ता चुना। मंडला-जबलपुर की अमर वीरांगना महारानी दुर्गावती विदेशी शासन के विरुद्ध जनजातीय प्रतिरोध की सबसे बड़ी प्रेरणा बनी। महारानी दुर्गावती ने अपने जीवन में अकबर और शेरशाह सूरी से कुल 52 युद्ध लड़े और इनमें से 51 युद्ध जीते।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महाकौशल की धरती को एक से बढ़कर एक जनजातीय नायकों की जन्मभूमि और कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है। महाकौशल की माटी गोंड शासकों के अदम्य शौर्य, साहस और सुशासन की साक्षी है। गोंडवाना के प्रतापी महाराजा शंकरशाह और उनके वीर पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह ने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में क्रांति की मशाल प्रज्ज्वलित की। राष्ट्रभक्ति भावपूर्ण कविता लिखने पर इन दोनों को तोप से उड़ा दिया गया था। उन्होंने कहा कि वर्ष 1923 में जब देश में राष्ट्रव्यापी स्वाधीनता आंदोलन चरम पर था, तब छिंदवाड़ा के जनजातीय नायक बादल भोई अपने साथियों के साथ स्वाधीनता संग्राम में शामिल हो गए। उनके नेतृत्व में हजारों जनजातीय वीरों ने मोर्चा संभाल लिया और स्वाधीनता संघर्ष करते हुए अमर बलिदान दिया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज प्रदेशभर के जनजातीय भाई-बहनों के सर्वांगीण विकास और कल्याण के लिए कुल 662 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाले 133 विकास कार्यों की सौगात दी गई है। इसमें 564 करोड़ रुपए से अधिक लागत के 106 विकास कार्यों का लोकार्पण और 98 करोड़ से अधिक लागत के 27 विकास कार्यों का भूमि-पूजन शामिल है। इसके साथ ही हमने शालिनी ऐप का भी लोकार्पण भी किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल विज्ञान पुरस्कार योजना के हितग्राही छात्रों को भी सम्मानित किया गया है।


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