Friday, January 7, 2011

'मैक्सिम' पत्रिका में बिपाशा हुईं 'टॉपलेस'

नए साल में बॉलिवुड ऐक्ट्रेस के बीच टॉपलेस होने की होड़ लग गई है। पिछले दिनों मंदिरा बेदी फैशन मैगजीन वोग के लिए टॉपलेस हुई थीं, अब वही काम बंगाली बाला बिपाशा बसु ने ' मैक्सिम ' के लिए किया है। बंगाली ब्यूटी की यह बोल्ड तस्वीर मैक्सिम की पांचवीं सालगिरह पर निकाले गए जनवरी के इशू में कवरपेज पर छापी गई है।


मंदिरा बेदी, शर्लिन चोपड़ा, नेहा धूपिया, संभावना सेठ, कश्‍मीरा शाह और बिपाशा बसु में क्‍या समानता है? जाहिर ये, सभी हसीनाएं बॉलीवु की तारिकाए हैं। लेकिन, ये हमारे सवाल का जवाब नहीं है। जी हां, इस सवाल का जवाब बॉलीवुड से जुड़ा हुआ नहीं है। दरअसल, ये सारी अभिनेत्रियां किसी न किसी मैग्‍जीन में ‘टॉपलेस’ पोज दे चुकी हैं।सांवले सौंदर्य की मल्लिका बिपाशा ने मशहूर पत्रिका ‘मैग्जिम’ के लिए बेहद हॉट टॉपलेस पोज दिया है। बिपाशा की टॉपलेस तस्‍वीर ‘मैग्जिम’ की पांचवीं वर्षगांठ पर प्रकाशित जनवरी के अंक के कवर पर छपी है। कुछ दिनों पहले ही ग्‍लैमर वर्ल्‍ड के बाद क्रिकेट एक्‍सपर्ट के रूप में चर्चित हुई मंदिरा बेदी ने फैशन मैगजीन ‘वोग’ के लिए टॉपलेस पोज दिया था। लेकिन, बिपाशा के टॉपलेस पोज की चर्चा ज्‍यादा हो रही है। ऐसा लाजिमी भी है क्‍योंकि ग्‍लैमर वर्ल्‍ड में बिपाशा का कद मंदिरा से कहीं ज्‍यादा ऊंचा है। वैसे ये पहली बार नहीं है, जब बिपाशा अपनी टॉपलेस तस्‍वीरों की वजह से चर्चा में हैं। करीब 6-7 महीने पहले बिपाशा का एक टॉपलेस वीडियो विज्ञापन काफी चर्चा में रहा था। हालांकि, बिपाशा ने यह सफाई दी थी कि ये विज्ञापन उस समय का था, जब वह मॉडलिंग में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रही थीं।

ये वीडियो ‘यू ट्यूब’ पर काफी देखा गया था। इस वीडियो को देख कर बिपाशा के रियल लाइफ पार्टनर जॉन अब्राहम ने टिप्‍पणी की थी कि उन्‍हें ये वीडियो बहुत खूबसूरत लगा। जाहिर है, ये बिपाशा की ‘मैग्जिम’ के कवर पर छपी टॉपलेस पोज भी जॉन को खूबसूरत लगेगी। बिपाशा है हीं इतनी सेक्‍सी और खूबसूरत कि कोई भी उनकी तारीफ करने पर मजबूर हो जाएगा। और, फिर जॉन तो बिपाशा के अपने ही हैं।

Wednesday, January 5, 2011

दिग्विजय ने दिए करकरे से बातचीत के सबूत

toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को अपने उस दावे के समर्थन में मंगलवार को सबूत पेश किए जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 26 नवम्बर 2008 को मुंबई हमले से पहले उनकी महाराष्ट्र आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख हेमंत करकरे से बात हुई थी।
दिग्विजय सिंह ने पिछले महीने यह कहकर हडकंप मचा दिया था कि करकरे की मौत से चंद घंटे पहले उनकी उनसे बात हुई थी। दिग्विजय के मुताबिक करकरे ने उनसे दक्षिणपंथी संगठनों से अपनी जान को खतरा बताया था।
दिग्विजय सिंह ने हेमंत करकरे से हुई बातचीत की रिकार्डिंग का ब्योरा सार्वजनिक करते हुए कहा कि अब ऐसे लोग कम से कम उनसे माफी मांगें जिन्होंने उन्हें झूठा और देशद्रोही तक करार दिया था। उन्होंने कहा कि भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएस) ने उनके फोन कॉल की जानकारी उपलब्ध कराई है।
दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री आर.आर. पाटील के उस बयान पर भी दुख प्रकट किया, जिसमें पाटिल ने दिग्विजय सिंह के दावे पर संदेह प्रकट किया था और कहा था कि कांग्रेस नेता और करकरे के बीच किसी भी तरह की बातचीत होने के सबूत उपलब्ध नहीं हैं।
मध्यप्रदेश सरकार पर भी आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार आतंकी गतिविधियों को छिपाती है। उन्होंने कहा कि समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट की साजिश सबरी कुंड में रची गई थी।

कालेधन की सूची में दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, सुभाष यादव शामिल

भारत के दिग्गज नेताओं ने स्विश बैंक में जमा कराए 70 हजार करोड़ रुपए

विनय जी. डेविड MOB 09893221036

toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)

टाइम्स ऑफ क्राइम ने अपने पिछले अंक में कालेधन की सूची में शामिल श्रीमति इंदिरा गांधी, भा.ज.पा. के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवानी सहित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा और वर्तमान में नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर के स्विश बैंक में जमा कालेधन की खबर प्रकाशित की थी, उसी तारतम्य में इस अंक में कांग्रेस के कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, सुभाष यादव सहित देश के प्रधानमंत्री की सूची दर्शा रहे हैं। हमने पिछले अंक में प्रकाशित किया था कि इस जारी सूची में 105 राजनेताओं की लम्बी कड़ी हैं। जिसमें बकायदा कालेधन का ब्यौरा स्विश बैंक के कोड सहित सम्मिलत है।गुजरात के अंकलेश्वर के रहने वाले श्री ए.के. बकानी ने अपनी संस्था ''हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र सेनाÓÓ (इंडिया) द्वारा इस कालेधन की सूची को जारी कर प्रश्र खड़ा कर दिया है कि आखिर इतना धन राजनेताओं के पास आया कहां से। इस सूची की सत्यता की अगर जांच गम्भीरता से हो जाय तो शायद ''दूध का दूध पानी का पानीÓÓ हो सकता है। इस सूची में शामिल चार उन कांग्रेसी नेताओं की जानकारी हम आप तक पहुंचा रहे है। सूची में देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम भी है जिसका कोड पी.जी.एन. जिसमें 718 किलो सोना 182 किलो हीरें, चांदी 148 किलो और 77 करोड़ भारतीय रूपयें जमा होना प्रदर्शित हैं। वहीं कांग्रेस महासचिव बिनदास नेता दिग्विजय सिंह कोड नं. वाई जे.के.एस में उनके पास सोना 112 किलो, हीरे 18 किलों और 4 करोड़ रूपये बताये गये हैं। इस सूची में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ के पास भी स्विश बैंक के कोड क्रमांक जे.ओ.पी.ए.एन. में सोना 310 किलो, हीरें 120 किलो, चांदी 117 किलो और भारतीय रूपये 1 करोड़ 68 लाख हंै। वहीं कांग्रेस उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव के कोड क्रमांक ए.सी.सी.पी. में 170 किलोग्राम सोना, 10 किलो हीरें, 190 किलो चांदी सहित 7 करोड़ 5 लाख भारतीय रूपयें बताए गये हैं। इस तरह भारत के सभी दलों के राजनितिज्ञों के स्विश बैंक में खाता होने की जानकारी दी गई है। कालेधन की वापसी को लेकर भा.ज.पा. के लालकृष्ण आडवानी की कोशिशे भी नाकाम नजर आई वहीं सूची दृष्टिगत ऐसा प्रतीत नहीं होता कि कांग्रेस भी कालाधन की वापसी के लिए कोई ठोस कदम उठायेंगी।

अब नहीं छिपेगी काली कमाई, दोषी लोक सेवकों की अनाधिकृत संपत्ति जब्त होगी

मध्य प्रदेश न्यायालय विधेयक-2011 को मंजूरी दे दी गई है

भोपाल // toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)


भोपाल मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों के शीघ्र निराकरण के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना की जाएगी और दोषी पाए गए लोक सेवकों की अनधिकृत सम्पत्ति जब्त कर ली जाएगी. राज्य मंत्रिपरिषद ने इस व्यवस्था को लागू करने के लिए मध्य प्रदेश न्यायालय विधेयक-2011 को अपनी मंजूरी दे दी है.मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए.सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि मध्य प्रदेश न्यायालय विधेयक-2011 को मंजूरी दे दी गई है और इसे विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा.विधेयक के प्रावधानों की जानकारी देते हुए मिश्रा ने बताया कि भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और उसके निर्मूलन के लिए विशेष न्यायालय गठित किए जाएंगे. इन न्यायालयों में जिला व सत्र तथा अपर जिला व सत्र स्तर के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाएगी. इन न्यायालयों के फैसलों को उच्च न्यायालय में ही चुनौती दी जा सकेगी.विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक लोक सेवकों द्वारा आय से अधिक अर्जित की गई अनधिकृत सम्पत्ति को जब्त कर उसे राज्य की सम्पत्ति में मिला लिया जाएगा.इसके अलावा पूर्व व वर्तमान लोक सेवकों के खिलाफ चल रहे मामलों को तथा अन्य न्यायालयों में चल रहे भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों को भी विशेष न्यायालय को सौंपने का विधेयक में प्रावधान है.

अधूरा काम छोड़ने वाले ठेकेदारों से वसूली में सख्ती

निर्माण कार्यों की जानकारी वेबसाइट पर प्रदर्शित होगी,
लोक निर्माण मंत्री श्री नागेन्द्र सिंह के निर्देश

लोक निर्माण विभाग के कार्यों को अधूरा छोड़ने पर जोखिम पर काम कराने पर होने वाली अतिरिक्त लागत की वसूली मूल ठेकेदारों से सख्ती से की जायेगी। लोक निर्माण मंत्री श्री नागेन्द्र सिंह द्वारा विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार तथा अधिक पारदर्शिता लाने के लिये दिये गये निर्देशों के अनुरूप यह आदेश सभी संबंधित अधिकारियों को हाल में ही जारी किये गये हैं। इनमें मुख्य अभियंता, अधीक्षण यंत्री तथा कार्यपालन यंत्री शामिल हैं। इसके साथ ही प्रदेश में ठेकेदारों द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारी संकलित कर उसे वेबसाइट पर प्रदर्शित करने के भी निर्देश दिए हैं।


लोक निर्माण मंत्री द्वारा हाल ही में की गयी समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई कि ऐसी राशि वसूलने की कार्यवाही के प्रावधान को वांछित रूप से लागू नहीं किया जा रहा है। इसके कारण शासन के वित्तीय हित प्रभावित हो रहे हैं।
यह तथ्य भी प्रकाश में आया है कि विभिन्न संभागों में कतिपय ठेकेदारों के विरुद्ध कार्य प्रारंभ न करने या धीमी गति से काम करने के कारण उनके विरुद्ध कार्यवाही की गयी है तथा मूल ठेकेदार की लागत एवं जोखिम पर शेष कार्य की निविदा आमंत्रित की गयी है। इससे मूल ठेकेदार के विरुद्ध वसूली निकलती है जिसे संबंधित जिले के कार्यपालन यंत्री आर.आर.सी. के माध्यम से वसूली की कार्यवाही कर रहे हैं। लेकिन ये वसूलियां केवल पुस्तकों में दर्ज हैं। व्यवहारिक रूप से वसूलियां नहीं हो पा रही हैं। लोक निर्माण मंत्री ने निर्देश दिये कि सभी संभागों के कार्यपालन यंत्रियों द्वारा कार्यवाही उपरांत छोड़े गये कार्यों के परिप्रेक्ष्य में वसूली योग्य राशि का मासिक विवरण रिटर्न के रूप में अनिवार्य रुप से अधीक्षण यंत्री को भेजा जाये। इस आदेश का तत्काल प्रभाव से सख्ती से पालन करने को भी कहा गया है।
यह भी जानकारी में आया है कि कतिपय ठेकेदारों द्वारा प्रदेश में अधिक संख्या में कार्य कराये जा रहे हैं। वे क्षमता से अधिक होने से उनकी गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है। इसलिए ऐसे ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे क्षमता से अधिक कार्यों की जानकारी विभागीय वेबसाइट पर प्रदर्शित करें जिसमें पारदर्शिता बनी रहे।

Tuesday, January 4, 2011

सुशील के असली हत्‍यारों की गिरफ्तारी के लिए 10 को महाधरना

बिलासपुर के वरिष्ठ पत्रकार सुशील पाठक की हत्या के एक पखवारा बीत जाने के बाद भी असली हत्‍यारों की गिरफ्तारी न होने से पत्रकार तथा स्‍थानीय लोग नाराज हैं. हत्‍यारों की गिरफ्तारी और पुलिस पर दबाव बनाने के लिए लोग सर्वदलीय नागरिक मंच के बैनर तले धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. नागरिक मंच तथा प्रेस क्‍लब के लोगों ने बैठक कर सुशील के असली हत्‍यारों की गिरफ्तारी नहीं होने पर 10 को नेहरू चौक पर महाधरना देने का फैसला किया है.
दैनिक भास्‍कर के पत्रकार सुशील की हत्‍या के बाद बिलासपुर के एसपी का तबादला कर दिया गया था. उनकी जगह अजय यादव को नया एसपी बनाया गया है. इसके बाद भी पुलिस अब तक इस हत्‍या के तह तक नहीं पहुंच सकी है. पुलिस ने सुशील की हत्‍या के मामले में बादल नाम के एक व्‍यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिनसे उनका जमीन संबंधी विवाद चल रहा था. पर पुलिस अब तक हत्‍या में प्रयुक्‍त पिस्‍टल और सुशील का मोबाइल बरामद नहीं कर पाई है. इसे लेकर लोग नाराज हैं. उनका कहना है कि पुलिस अभी असली हत्‍यारों को नहीं पकड़ सकी है.
नागरिक मंच और प्रेस क्‍लब ने चेतावनी दी है कि अगर पिस्‍टल और मोबाइल पुलिस नहीं बरामद कर पाती है और असली हत्‍यारों को नहीं खोज पाती है तो वे 10 को महाधरना देंगे. जिसमें पूरे संभाग से पत्रकार, स्‍थानीय लोग, समाजिक संगठन एवं राजनीतिक दल शामिल होंगे. इसके बाद रायपुर में भी धरना दिया जाएगा. गौरतलब है कि सुशील की उस समय हत्‍या कर दी गई थी, जब वे रात में ऑफिस से काम करके घर लौट रहे थे.
बैठक में प्रेस क्‍लब के अध्‍यक्ष शशिकांत कोन्‍हेर, पूर्व विधायक चंद्र प्रकाश वाजपेयी, अजरून भोजवानी, सुरेंद्र दीवान, महेश दुबे, अकबर खान, राजेश पाण्‍डेय, सत्‍यभामा अवस्‍थी, शहजादी कुरैशी, निरुपमा वाजपेयी, सुनील झा, अटल श्रीवास्‍तव समेत कई लोग शामिल रहे.

Monday, January 3, 2011

आरुषि हत्याकांड: CBI पर मुकदमा ठोकेंगे तीनों नौकर

नई दिल्ली। आरूषि हेमराज हत्याकांड में जिस सीबीआई ने तीनों नौकरों को गिरफ्तार किया था उसी सीबीआई की नई टीम ने जांच के बाद इन नौकरों को क्लीनचिट दे दी। सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि इस हत्याकांड में नौकरों की कोई भूमिका नहीं है। तीनों नौकर निर्दोष हैं। क्लोजर रिपोर्ट के सामने आने के बाद अब इन नौकरों के वकील सीबीआई पर मानहानि का दावा ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं।
मामले की जांच कर रही सीबीआई की पहली टीम ने एक वक्त ये खम ठोंककर दावा कि आरुषि और हेमराज की हत्या तीन नौकरों ने की है। ये तीनों कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल थे। अरुण कुमार की सीबीआई टीम ने हत्याकांड के आरोप में इन तीनों नौकरों को एक-एक कर गिरफ्तार किया। न सिर्फ इनसे कई दिनों तक पूछताछ की गई बल्कि इनका नार्कों और लाइडिटेक्टर समेत कई साइंटिफिक टेस्ट कराए गए। लेकिन आखिर में उनका हाथ सिर्फ सिफर ही आया। तीनों नौकरों को इस दोहरे हत्याकांड के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन उनके खिलाफ न तो उसे कोई सबूत मिला और न ही केस में कोई लीड। लिहाजा कोर्ट ने तीनों नौकरों को जमानत दे दी।
रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि जांच में ये पता चला कि वारदात की रात पड़ोस में काम करने वाला विजय मंडल कार गैरेज में अपने परिवार के साथ सो रहा था। इस बात के सबूत है कि वारदात की रात कृष्णा अपने घर में सो रहा था। जांच में ये भी पता चला कि तीनों नौकरों की न तो टेलीफोन पर कोई बातचीत हुई और न ही व्यक्तिगत रूप से ये आपस में मिले।
सीबीआई को नौकरों के खिलाफ कुछ नहीं मिला। अपनी क्लोजर रिपोर्ट में नौकरों पर सीबीआई ने आगे लिखा है कि नौकरों की हिम्मत नहीं थी कि तलवार दम्पत्ति की मौजूदगी में वो फ्लैट में इकट्ठा हों।
- सीबीआई के मुताबिक रात साढ़े ग्यारह बजे राजकुमार ने अपनी मालकिन अनिता दुर्रानी के लिए खाना बनाया। अनीता दुर्रानी ने व्रत की वजह से रात 12 बजे के बाद खाना खाया। खाना खाने के बाद रात साढ़े 12 बजे वो अपने अपने कमरे में सोने चले गए।
- सीबीआई के मुताबिक दुर्रानी के घर से साइकिल पर आरुषि के घर तक पहुंचने में कम से कम 20 मिनट का समय लगता है। जबकि हत्या का समय रात 12 से एक के बीच था। ऐसे में ये असंभव है कि राजकुमार कत्ल के वक्त कत्ल की जगह पहुंच पाए।
- डॉ. दुर्रानी ने घर में खुद अंदर से ताला लगाया था। ऐसे में राजकुमार के लिए चुपके से बाहर निकलना मुश्किल था।
- आरुषि की सोसायटी और दुर्रानी की सोसायटी के दरबानों ने दोनों जगहों में से कहीं भी राजकुमार को उस रात नहीं देखा था।
- राजकुमार की ना तो विजय मंडल और कृष्णा से फोन पर भी बातचीत नहीं हुई थी। इसलिए इन तीनों ने आपस में कोई साजिश नहीं रची।
- राजकुमार विजय मंडल को जानता तक नहीं था जबकि कृष्णा से उसकी मामूली मुलाकात थी।
-विजय मंडल की भी मोबाइल पर किसी से बात नहीं हुई।
-कृष्णा के पास से मिली खुखरी भोथरी थी और उसपर न तो खून के और न ही उंगलियों के निशान मिले।
सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट में इन तीनों नौकरों के बारे में कहा है कि हिरासत में लेकर लंबी पूछताछ के बाद भी इन नौकरों से कोई जानकारी नहीं मिली। सबूत ये बताते हैं कि हत्या की रात वो मौके पर मौजूद नहीं थे।

सिटी बैंक घोटाला: हीरो ग्रुप के सीएफओ संजय गुप्ता गिरफ्तार

गुड़गाँव, हीरो समूह के वरिष्ठ अधिकारी संजय गुप्ता को सिटीबैंक धोखाधड़ी मामले में सोमवार को पाँच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। उस पर समूह प्रवर्तकों के 250 करोड़ रुपए धोखाधडी में लगाने का आरोप है।हालाँकि पुलिस ने हीरो समूह की इकाई हीरो कार्पोरेट सर्विसेज के एसोसिएट उपाध्यक्ष गुप्ता को 10 दिन के लिए हिरासत में माँगा था लेकिन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सह अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डिवीजन) डीएन भारद्वाज ने केवल पाँच दिन की पुलिस हिरासत की इजाजत दी।गुप्ता को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत गिरफ्तार किया गया। 120बी का संबंध आपराधिक साजिश से है।गुड़गाँव के पुलिस आयुक्त एस.एस. देसवाल ने बताया कि गुप्ता ने हीरो समूह की विभिन्न कंपनियों के लगभग 250 करोड़ रुपए निवेश किए। इसके लिए गुप्ता ने दो वित्त कंपनियों-बीजी फिनांस और जी2एस का गठन किया और निवेश के बदले पुरी से बतौर कमीशन 20 करोड़ रुपये लिए।गुड़गाँव पुलिस ने पिछले सप्ताह ही सिटीबैंक धोखाधड़ी मामले में पूछताछ के लिए शिवराज पुरी के साथ गुप्ता को भी बुलाया था। पुरी सिटीबैंक की गुड़गाँव शाखा में अनुमानित 300 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी में मुख्य आरोपी हैं।देसवाल ने बताया‍ कि पुरी ने स्वीकार किया है कि गुप्ता को सेबी के फर्जी दस्तावेज के बारे में जानकारी थी। इसी के आधार पर धनी निवेशकों को निवेश के लिए आकर्षित किया गया। बहरहाल, गुप्ता के वकील सीएल कक्कड़ ने अदालत के समक्ष कहा कि उनका मुवक्किल आरोपी नहीं है बल्कि उन्हें शिकार बनाया गया है और जरूरत पड़ने पर वह गवाह बन सकता है।सिटीबैंक की गुड़गाँव शाखा में व्यावसायिक संपर्क प्रबंधक, पुरी, सेबी का नकली पत्र दिखाकर 18 फीसद का उच्च रिटर्न मिलने का दावा कर निवेश उत्पाद बेचता था। उसे पिछले सप्ताह ही गिरफ्तार किया गया और एक सप्ताह के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।पिछले सप्ताह बृजमोहनलाल मुंजाल के नेतृत्व वाले हीरो समूह ने स्वीकार किया था कि उसका इस धोखाधड़ी मामले में 28.75 करोड़ रुपए लगा है। हीरो समूह का कहना है कि उसके अग्रणी कंपनी हीरो होंडा का इस पूरे मामले से कोई जुड़ाव नहीं है। हालाँकि, कंपनी ने इस मामले में बीएमएल मुंजाल के नेतृत्व वाले समूह की कंपनी हीरो कार्पोरेट सर्विसेज, रॉकमैन साइकिल्स इंडस्ट्रीज, हीरो मांइडमाइन इंस्टीट्यूट, ईजी बिल और हीरो मैनेजमेंट सर्विस की लिप्तता के बारे में कुछ नहीं कहा।

Saturday, January 1, 2011

तू ऐसे नहीं तो ऐसे मरेगी लेकिन मरेगी जरूर

दुसरी शादी में रोड़ा बन रही पहली पत्नि का मृत्यु प्रमाण
बैतूल // रामकिशोर पंवार (टाइम्स ऑफ क्राइम)
बैतूल. मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज भैया की बहनो के सैया उनके साथ किस कदर मानसिक प्रताडना कर रहे है इस बात का उन्हे अंदाजा भी नहीं होगा। ग्राम जैत तहसील बुदनी जिला सीहोर निवासी शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन की एक आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले की एक दलित समाज की मुँहबोली बहन श्रीमति संगीता बाघमारे हाल मुकाम अर्जून नगर बैतूल के पति सुरेश बघमारे निवासी रामनगर बैतूल के पति ने जब उसकी पत्नि संगीता को चाह कर भी अपने रास्ते से नहीं हटा पाया तो उसकी मृत्यु का प्रमाण पत्र ही हासिल कर लिया। अब बेचारी बहन पति की बेवफाई और उसकी शादी के बाद अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र लाने के खण्डवा और बैतूल के बीच में घनचक्कर बन कर घुम रही है। मजेदार बात तो यह है कि दलित बहन का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाली प्रदेश के केबीनेट मंत्री कुंवर विजय शाह की जीवन संगनी श्रीमति भावना शाह महापौर खण्डवा के कार्यालय से जारी किया गया है। आदिवासी समाज के नेता कुंवर विजय शाह की जीवन संगनी श्रीमति भावना शाह अब उस बेचारी दलित महिला की भावना को क्या समझ पायेगी...?
मध्यप्रदेश की बहनो के मुँहबोले शिवराज भैया के सुराज में ऐसा भी कुछ हो जाता है कि भाजपा शासित महानगर निगम कार्यालय एक जीवित महिला को ही मरा साबित कर डाले और जब वह अपने जीवित होने का प्रमाण दे तो उसे नजरअदांज कर अपने पापो को छुपाने का काम कर रही है। अपनी बहन की इस दर्दनाक पीड़ा की खबर उनके कानो तक नहीं पहुंच पा रही है क्योकि बेचारी बहन तो बैतूल और खण्डवा के बीच अपने जिंदा होने का प्रमाण पाने के लिए घनचक्करी बनी हुई है। वैसे भी बहन के मायके और ससुराल से भैया की चार इमली वाली हवेली की दूरी दो सौ किलोमीटर से कम नहीं है। बैतूल की संगीता सुरेश बाघमरे कहती है कि वह अपने पति की बेवफाई से ज्यादा दुखी इस बात को लेकर है कि अब मैं अपने जीवित होने का सबूत कहां से लांऊ...?
कागजों पर अपनी पहली पत्नी की मृत्यु का प्रमाण पत्र पाने वाले संगीता के पति ने अपनी पहली पत्नि से बिना तलाक लिये दुसरा विवाह कर मजे की जिदंगी जी रहा है। बैतूल कोर्ट में दोनो पति - पत्नि के बीच चल रहे एक प्रकरण के दौरान जब सच्चाई मजिस्टे्रज के सामने आई तो उनका भी माथा चकरा गया.....? अब न्याय की कुर्सी पर बैठा मजिस्टे्रज आखिर किसकी बाते को माने.....? कागज सही है या फिर वह महिला जो चीख - चीख कर कह रही है कि वहीं संगीता है तथा जिंदा आपके समाने खडी है....? पूरे प्रकरण के बारे में संगीता बाघमारे कहती है कि पति की मानसिक प्रताडना एवं शारीरिक यातना के चलते वह पिछले कुछ वर्षो से अपने पिता के पास रह रही थी। इस बीच उसकी शिकायत पर दर्ज प्रकरण न्यायालय में चल रहा है जिसके फैसले के पूर्व ही उसके पति ने खण्डवा महानगर निगम कार्यालय से उसकी मृत्यु का फर्जी प्रमाण पत्र बनवा कर दुसरी अन्य लड़की से शादी कर ली है। अपने पति की करतूतो को लेकर पीडित दलित महिला पुलिस अधिक्षक के पास भी पहुंची लेकिन पुलिस तो सारे मामले में तब तक नहीं जागती जब तक की कोई दलित - आदिवासी महिला फुलिया बाई या उर्मिला की तरह जहर खाने के लिए मजबुर नहीं हो जाती।

बिजली की आँख मिचौली किसानों पर पड़ी भारी

बिजली विभाग की मनमानी से परेशान किसानों ने बिजली आफिस का किया घेराव आफिस मे नहीं मिले अधिकारी

तहसील प्रमुख // हरीशंकर कदम (बुदनी //टाइम्स ऑफ क्राइम)
तहसील प्रमुख से सम्पर्क 90986 76150
बुदनी । होलीपूरा पिलीकरार महुंकला पातालखोह के किसानों ने भाजपा नेता अर्जुन मालवी जी, माधोसिंह,मीना के नेतृत्व में बुदनी एस.डी.एम. महोदय को ज्ञापन सौपा एवं अपनी समस्यााओं से अवगत कराया। इससे पहले गुस्साई किसानों की भीड़ सीधे आफिस पहुंची लेकिन आफिस में कोई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद न होने पर समस्या का समाधान नहीं हो पाया। टाइम्स ऑफ क्राइम की टीम से बात करते श्री अर्जुन मालवी जी, माधोसिंह, मीना होलीपुरा, राजू महुकला, खुबचन्द गुवडिय़ा, सीताराम पाताखोह, दिलीपसिंह मीना, लालजी राम मीना, रमेश मालवीय, प्रकाश पातालखोह, आशाराम गुवाडिया, गोकुल प्रसाद महुकला, मोहन लाल दायमा महुकला, कैलाश मीना होलीपुरा, शिवनारायण मीना, नरेन्द्र दुबे, राधेश्याम, देवीरामश्यामलाल मीना, गिरजाचरण सालिगराम दायमा आदि किसानों ने बताया कि बिजली समय पर न मिलने के कारण खेतों से खड़ी फसल को पानी नहीं मिल पा रहा है। बिजली समस्या के सामधान हेतू बिजली आफिस के चक्कर काटना पड़ते है परन्तु आफिस में जब भी जाओं कनिष्ठ यंत्री आफिस नहीं मिलते। 24 घंटे मे 6 घंटे भी बिजली नहीं मिल पाती किसान अपने खेती में समय से पानी नही दे पा रहे है खेतों मे खड़ी फसल पानी के अभाव में सूख सकती है। अपनी समस्याओं को लेकर किसानों ने तहसील का रूख किया एवं बुदनी एस.डी.एम. महोदय को ज्ञापन प्रेषित कर अपनी समस्याओं से अवगत कराया बुदनी एस.डी.एम. महोदय ने किसानों की समस्या को ध्यान मे रखते हुए पर्याप्त बिजली किसानों को मिलेंगी पूर्ण आश्वासन दिया।

नरसिंहपुर : सी.ई.ओ. द्वारा फर्जी बिलों का किया भुगतान

जिला प्रतिनिधि// विपिनच्रद्र दुबे, महाकाल महाराज (नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से संपर्क:- 94246 67325
रसिंहपुर। जनपद पंचायत गोटेगांव में पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी के वित्तिय अधिकार फिर से छिन सकते है। सूत्रों के अनुसार इसके पीछे कारण बताया जा रहा फर्जी बिलों का भुगतान। मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने दो माह बाद वित्तीय अधिकार मिलने के बाद लाखों रूपए के फर्जी बिलों का भुगतान कुछ राजनैतिक नेता के इशारे पर किया है। इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों के पास गुपचुप तरीके से भेजी गई है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ माह तक एक प्रभारी प्रशिक्षित अधिकारी को जनपद पंचायत का प्रभार सौंपा गया था। उन्हें वित्तीय अधिकार भी सौंपे गए थे। तथा वर्तमान मुख्य कार्यपालन अधिकारी ओंकार सिंह ठाकुर को उनके अधीन कार्य करने के निर्देश दिये गए थे। प्रभारी कार्यपालन अधिकारी ने फर्जी बिलों का भुगतान करने से इन्कार करते हुए उनको अलग-थलग कर दिया था। उनको वर्तमान सी.ई.ओ. ने आनन-फानन में स्वीकृत कर चैक प्रदान कर दिया। करीब डेढ़ लाख रूपए ऐसे वाहन के डीजल बिल का शामिल है, जो कभी जनपद पंचायत में चला ही नहीं है। जनपद पंचायत में एक वाहन पहले से अनुबंध के आधार पर चल रहा है और इसका पूरा खर्च जनपद पंचायत से निकाला गया है। इस वाहन के होते हुए दूसरा वाहन कहां पर चला, इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है और दूसरे वाहन के नाम से लाखों रूपए का डीजल बिल स्वीकृत कर चैक काट दिया गया है।
किसने आयोजित की थी बैठक
पता चला है कि जनपद पंचायत में पदस्थ सभी उपयंत्रियों की एक गुप्त बैठक कुछ दिन पहले हुई थी। इस बैठक में प्रतिदिन होने वाले जनपद पंचायत के कार्यों से राशि एकत्र करने की बात सामने आई थी। इस बैठक में उपस्थित सभी उपयंत्रियों ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया था। इस बैठक को गुप्त स्थान पर किसने आयोजित किया था और किसको हर माह राशि देने के लिए बैठक में चर्चा हुई थी, इस पर अभी सब चुप्पी साधे हुए हैं। यह भी पता चला है कि इंदिरा आवास योजना के अन्तर्गत आने वाली राशि में से शेयर की मांग की जा रही है।

पुलिस कर्मी की पत्नी ने की आत्म हत्या

सिटी चीफ // मुकेश तिवारी (बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से सम्पर्क 9301220500

बालाघाट। स्थानीय पुलिस लाइन में निवासरत कुंजीलाल राणा पत्नी श्रीमति कौलिका बाई द्वारा अपने शासकीय निवास मे फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का कारण पत्नी की मानसिक अस्वस्थता बताया जा रहा है। घटना की जांच मे यह बात प्रकाश मे आई आरक्षक कुंजीलाल आई.जी. बंगले मे कुक का कार्य करता था वह प्रात: काल अपनी डयूटी करने बंगले आ गया था उसके दोनों बच्चें पढ़ाई करने गये थे। दोपहर जब आरक्षक अपने घर आया तो दरवाजा खटखटाया किंतु दरवाजा अंदर से बंद होने के कारण किसी ने नहीं खोला। तब धक्का देकर दरवाजा खोला गया तो पड़ोसियों को आवाज दी एवं देखा कौलिका ने फांसी लगाकर अपनी इहलीला सामप्त कर ली थी। आरक्षक पति ने बताया कि घर मे किसी प्रकार का विवाद नहीं था। सब कुछ सामान्य चल रहा था उसकी पत्नी विगत 10-12 वर्षों से अस्वस्थ चल रही थी। फिलहाल मामले की जांच थाना प्रभारी धीरज बब्बर द्वारा की जा रही है।

पत्रकारों के वेतन में 65 फीसदी बढ़ोत्तरी की सिफारिश

प्रेसेंट : toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए गठित मजीठिया वेज बोर्ड ने अखबारी और एजेंसी कर्मियों के लिए 65 प्रतिशत तक वेतन वृद्धि की सिफारिश की है तथा साथ में मूल वेतन का 40 प्रतिशत तक आवास भत्ता और 20 प्रतिशत तक परिवहन भत्ता देने का सुझाव दिया है। न्यायमूर्ति जी आर मजीठिया के नेतृत्व वाले वेतन बोर्ड ने आज यह भी सिफारिश की कि नए वेतनमान जनवरी 2008 से लागू किए जाएं।बोर्ड ने पहले ही मूल वेतन का 30 प्रतिशत अंतरिम राहत राशि के रूप में देने का ऐलान कर दिया था। मजीठिया ने केन्द्रीय श्रम सचिव पी के चतुर्वेदी को रपट सौंपी। चतुर्वेदी ने आश्वासन दिया कि सरकार इस रपट की समीक्षा करने के बाद इसे जल्द से जल्द लागू कराने का प्रयास करेगी।बोर्ड ने 35 प्रतिशत वैरिएबल पे देने की सिफारिश की है। समाचार पत्र उद्योग के इतिहास में किसी वेतन बोर्ड ने इस तरह की सिफारिश पहली बार की है। मजीठिया वेतन बोर्ड ने पत्रकारों और अन्य अखबारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु बढाकर 65 साल करने, महंगाई भत्ते के मूल वेतन में शत प्रतिशत न्यूट्रलाइजेशन और विवादों के निपटारे के लिए स्थाई न्यायाधिकरण बनाने की सिफारिश की है। न्यायमूर्ति मजीठिया ने संवाददाताओं से कहा कि इस बार की रपट में सबसे निचले गे्रड के लिए भी अछ्छे वेतन की सिफारिश की गई है। उन्होंने कहा कि नए फार्मूले के अनुसार पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों का मूल वेतन उसके वर्तमान मूल वेतन और डीए में, 30 प्रतिशत अंतरिम राहत राशि और 35 प्रतिशत वैरिएबल पे को जोडकर तय किया गया है। महंगाई भत्ता मूल वेतन में शत प्रतिशत ‘ न्यूट्रलाइजेशन’ के साथ जुडेगा। ऐसा अब तक केवल सरकारी कर्मचारियों के मामले में होता आया है। वेतन बोर्ड ने 60 करोड़ रूपए या इससे अधिक के सकल राजस्व वाली समाचार एजेंसियों को शीर्ष श्रेणी वाले समाचार पत्रों के साथ रखा है।
इस प्रकार समाचार एजेंसी पीटीआई शीर्ष श्रेणी में जबकि यूएनआई दूसरी श्रेणी में रखी गई है।मजीठिया बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार आवास भत्ता एक्स श्रेणी के शहरों के लिए मूल वेतन का 40 प्रतिशत होगा, जो दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूर, हैदराबाद, चंडीगढ, अहमदाबाद, कानपुर, लखनऊ और नागपुर पर लागू होगा। वाई श्रेणी के शहरों के लिए यह मूल वेतन का 30 प्रतिशत होगा। वाई श्रेणी के शहरों में आगरा, अजमेर, अलीगढ, इलाहाबाद, अमृतसर, बरेली, बीकानेर, भोपाल, भुवनेश्वर, कोयंबटूर, दुर्गापुर, गुवाहाटी, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जालंधर, जमशेदपुर, कोच्ची, कोटा, मदुरै, मेरठ, पटना, पुणे, रायपुर, राजकोट, रांची, श्रीनगर, सूरत, तिरूवनंतपुरम, वडोदरा, वाराणसी, विशाखापटटनम, मंगलौर, पुडुचेरी, धनबाद, देहरादून, जम्मू, जामनगर आदि शामिल हैं। शेष अन्य शहरों को जेड श्रेणी में रखा गया है, जहां के कर्मचारियों को एचआरए मूल वेतन का 20 प्रतिशत मिलेगा।
By visfot news

4,000 कर्मचारियों की भर्ती करेगा केनरा बैंक

तिरुचिरापल्ली।। केनरा बैंक ने बड़े स्तर पर कर्मचारियों की भर्ती करने की योजना बनाई है। बैंक 2011 की दूसरी तिमाही में 4,000 कर्मचारियों की भर्ती करेगा। केनरा बैंक के सीएमडी एस. रमण ने बताया, हमने 4,000 नए कर्मचारियों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें से 50 प्रतिशत कर्मचारियों की भर्ती क्लर्क कैटिगरी में की जाएगी। उन्होंने कहा कि करीब 1100 लोगों की नियुक्ति सीए, एग्रीकल्चर ग्रैजुएट, आईटी और एमबीए ग्रैजुएट जैसे विशेष वर्गों में की जाएगी। भर्ती का अभियान चरणबद्ध ढंग से पूरा किया जाएगा। यह अगले साल की दूसरी तिमाही में पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस समय बैंक के कर्मचारियों की संख्या 43,000 है। इस समय बैंक के एटीएम की संख्या 2,100 है जो अगले कुछ सालों में बढ़कर 4000 पहुंचने की संभावना है।

रतलाम में पुलिस की मार से पत्रकार की हालत गंभीर

आईसीयू में चल रहा है इलाज :
खबर छापने से नाराज सिटी एसपी ने सिपाहियों से पिटवाया

रतलाम में पुलिस ने एक पत्रकार को इस कदर पीटा की उनकी हालत गंभीर हो गई है. उन्‍हें आईसीयू में भर्ती कराया गया है. मध्‍य प्रदेश में पुलिस और बदमाश दोनों का कहर पत्रकारों पर लगातार टूट रहा है. पत्रकार गोपाल सिंह कुशवाहा की गलती इतनी थी कि उन्‍होंने रतलाम के सिटी एसपी के खिलाफ एक खबर अपने अखबार में छाप दी थी.
जानकारी के अनुसार रतलाम शहर में लगभग तीन महीने पूर्व एक डीजल टैंकर कांड हुआ था. जिसमें सिटी एसपी महेन्‍द्र तारनेकर और उनके अधीनस्‍थ दो सिपाहियों ने अवैध केरोसिन छिपा कर ले जा रहे एक टैंकर को पकड़ा था. उन्‍होंने टैंकर मालिक से वाहन छोड़ने के नाम पर लगभग ढाई लाख रुपये वसूले थे. यह मामला रतलाम में काफी चर्चा में रहा था. गोपाल सिंह कुशवाहा (55 वर्ष) ने इसी से संबंधित खबर कुछ दिन पूर्व अपने साप्‍ताहिक अखबार साधना टुडे में छापी थी.
गोपाल सिंह कुशवाहा ने बताया कि कल सिटी एसपी अतिक्रमण हटवा रहे थे. मै भी वहां मौजूद था. अतिक्रमण हटाते हुए जब यह दल लोखन टाकीज चौराहा पर पहुंचा तो मुझे सिटी एसपी ने अपने दो सिपाहियों को भेजकर बुलवाया. उनके सिपाहियों ने मुझसे कहा साहब बुला रहे हैं कुछ बात करना है. मेरे पहुंचते ही उन्‍होंने कहा कि तू बहुत बड़ा पत्रकार हो गया है. मेरे खिलाफ खबर छापता है. तूझे मेरे बारे में पता नहीं है. तेरे जैसे ही एक पत्रकार की जो हालत की थी, आज तेरी हालत भी वैसी ही करूंगा. इसके बाद उन्‍होंने अपने तीन सिपाहियों को मुझे मारने के लिए निर्देशित किया.
गोपाल ने बताया कि तीनों सिपाही इसके बाद सबके सामने मुझ पर टूट पड़े. मुझे बहुत मारा-पीटा गया. इसके बाद सिटी एसपी के आदेश के बाद मुझे सिपाहियों ने गाड़ी में पटक दिया और मुझे थाने ले जाया गया. गाड़ी में भी सिपाही और सिटी एसपी मुझे मारते रहे. गाड़ी से उतार कर थाने में भी मुझे मारा-पीटा गया. इसी बीच घटना की जानकारी होने पर स्‍थानीय विधायक पारस सकलेचा ने जब सिटी एसपी को फोन किया तब मेरे साथ मारपीट बंद किया गया. इसके बाद मुझे थाने में बैठाये रखा गया.
उन्‍होंने बताया कि जब घटना की जानकारी होने पर मेरा पुत्र तथा कुछ पत्रकार पहुंचे तो सिटी एसपी ने मेरे बेटे से भी बहस की और धमकी दी. उन्‍होंने मेरे लड़के से कहा कि तूझे समझाया था ना कि अपने बाप को रोक, उसे समझा कि मेरे खिलाफ खबर ना छापे. लेकिन तब तूझे मेरी बात समझ में नहीं आई थी. गोपाल ने कहा कि मेरी हालत खराब होने पर मेरे पुत्र तथा अन्‍य लोगों ने मुझे इलाज के लिए अस्‍पताल में भर्ती करवाया. मेरी हालत ज्‍यादा खराब हो गई तो मुझे आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा.
उन्‍होंने बताया कि उस टैंकर स्‍कैंडल में लिखित कम्‍पलेन हुई थी. जिसके आधार पर मैंने यह खबर छापी थी. इन लोगों द्वारा छोड़ा गया टैंकर राजस्‍थान में पकड़ा गया. इसकी जांच चल रही है. उन्‍होंने बताया कि उस टैंकर मालिक के खिलाफ मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान तथा गुजरात में भी कई मामले चल रहे हैं. इसके बाद भी सिटी एसपी ने उसे पकड़ने के बाद पैसे लेकर छोड़ दिया था. जब मैंने तमाम सबूतों के बाद खबर लिखी तो मेरे साथ यह बर्ताव किया गया.

बालको टाउनशिप स्थित 11 स्कूलों के छात्र-छात्राओं को दी जाएगी 6,70,000 रुपए की प्रोत्साहन राशि

75 विद्यार्थियों को मिलेगी ‘बालको प्रेरणा’

बालकोनगर, 1 जनवरी। बालकोनगर टाउनशिप स्थित ग्यारह स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को शिक्षा के क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की ओर प्रेरित करने के उद्देश्य से भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) द्वारा संचालित ‘बालको प्रेरणा’ नामक योजना के तहत शैक्षणिक सत्र 2009-10 के लिए 75 विद्यार्थियों को चुना गया है। इन विद्यार्थियों को प्रोत्साहन के रूप में 6,70,000 रुपए की राशि प्रदान की जाएगी। ‘बालको प्रेरणा’ प्रोत्साहन राशि वितरण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कोरबा कलेक्टर श्री राजपाल सिंह त्यागी होंगे। समारोह बालकोनगर स्थित नेहरू गार्डन में 4 जनवरी, 2011 को दोपहर 3.00 बजे आयोजित आयोजित होगा।
‘बालको प्रेरणा’ योजना की शुरूआत शिक्षक दिवस-2006 से हुई। इसके अंतर्गत कक्षा 6 वीं से 12 वीं तक के ऐसे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है जो उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करते हैं। प्रोत्साहन राशि विद्यार्थी द्वारा उत्तीर्ण की गई कक्षा के अनुरूप उसके बढ़ते क्रम में दी जाती है। उदाहरण के लिए 6 वीं कक्षा के विद्यार्थियों को 6 हजार रुपए प्रदान किए जाते हैं वहीं 12 वीं कक्षा के विद्यार्थियों को 12,000 रुपए दिए जाते हैं। योजना के दायरे में बालकोनगर केंद्रीय विद्यालय, शासकीय आदर्श उच्चतर माध्यमिक स्कूल, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक स्कूल, बालको टाउनशिप स्कूल, एम.जी.एम., बाल सदन, अंबेडकर मेमोरियल, मिनीमाता, चंद्रोदय ज्ञान मंदिर, डी.ए.व्ही. और पुष्पराज बाल सदन स्कूल को शामिल किया गया है।

Friday, December 31, 2010

लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री ने काटे करोड़ों के चेक

सिटी चीफ // मुकेश तिवारी (बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से सम्पर्क 9301220500
पूर्व जिला पंचायत सदस्य लांजी एवं कांग्रेस के नेता श्री हीराचंद्र आसरकर ड्राप पी।डब्लू।डी. के स्थानांतरित कार्यपालन यंत्री श्री संजय डेहरिया द्वारा स्थानांतरण के पूर्व लगभग 2 करोड़ के चेक काट गये है। इन काट्र गये चेकों की जांच की मांग की है। ज्ञात हो पूर्व मे संजय डेहरिया का विधानसभा में मामला विधायक गुड्डा जैसवाल ने उठाया था। जिसमे गर्रा-खैरलांजी-मार्ग के निर्माण कार्य की गई अनियमिता का मामला उठाया था जिससे उनका स्थानांतरण मेनी पी.डब्लूडी द्वारा सिंगरौली का ट्रांसफर हो गया था। किन्तु वे अपना ट्रांसफर निरस्त कराके अपने स्वार्थ सिद्ध करने बालाघाट आ गये थे। श्री आसरकर ने अपनी शिकायत में मुख्यमंत्री को बताया कि बालाघाट संवेदनशील क्षेत्र है एवं विगत के लिए शासन द्वारा अनेक मदों से विकास कार्य के लिए धन भेजा जाता है किंतु जमीनी स्तर पर अधिकारी कागजी कार्यवाहीं कर अपनी तिजोरियां भर रहे है।
सी. ई. ओ. मिश्रा के खिलाफ
लालबर्रा जनपद के प्रभारी सी.ई.ओ. श्री मिश्रा के खिलाफ उनके व्यवहार एवं कार्यप्रणाली के चलते जनपद पंचायत लालबर्रा के ग्राम पंचायत सचिवों ने कलम बंद आंदोलन कर रहे है। सचिवों ने बताया कि श्री मिश्रा का व्यवहार खैरलांजी के सचिवो, शिक्षकों एवं अधीनस्थ कर्मचारियों के प्रति अच्छा नही है। उनके द्वारा छोटे कर्मचारियों से अपशब्द एवं अभद्र व्यवहार किया जाता है। उनके इस व्यवहार से कर्मचारियों की गरिमा धूमिल हो जाती है। उनके इस व्यवहार की शिकायत प्रभारी मंत्री श्री मोहाडे से की गई हैं। एवं उन्हें तत्काल हटाने हेतु ज्ञापन भी सौंपा गया है। चर्चा में सचिव संगठन अध्यक्ष श्री राजेन्द्र बोगरे ने जानकारी मे बताया सी.ई.ओ. ने उन्हें जनपद मे आने से मना किया हैं एवं दिखाई देने पर एक दिन का वेतन काटने की धमकी दी है। जिसके कारण यह निर्णय लिया गया कि वे अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए पहलेज्ञापन सौपा जायेगा। फिर कलमबंद हड़ताल इसके बाद भी न हटाने पर भूख हड़ताल जैसे कदम उठाये जायेंगे।

नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी 3 वर्ष की कैद

जिला प्रतिनिधि // डी। जी. चौरे (बालाघाट // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनिधि से सम्पर्क 93023 02479
नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोपी प्रदीप श्रीवास्तव को यहाँ की विद्वान अदालत के विद्वान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मा.श्री के एस जारिया ने अपने महत्वपूर्ण निर्णय में आरोपी प्रदीप श्रीवास्तव वल्द स्व. चन्द्रभूषण श्रीवास्तव निवासी वार्ड 8 मरारी मरेहल्ला बालाघाट को भादवि की धारा 420 के अन्तर्गत दोष्ी पाते हुए 3-3 चर्ष के कठोर कारावास से दण्डित किया गया। अभियोजना के अनुसार आरोपी प्रदीप श्रीवास्तव द्वारा फरियादी रविशंकर कटरे से दिनांक 17 मार्च 2004 को पर्यावरण प्रशिक्षण संस्थान जबलपुर में एन.जी.ओ. ट्रेनिंग प्रोग्राम का प्रशिक्षण प्राप्त करने एवं अपी संस्था में रोजगार उपलब्ध कराने हेतु तीन हजार रूपये लिये गये उसके बाद उसे प्रशिक्षण नहीं दिलवाया गया बल्कि बिना वेतन 2-2 महीनें कार्य करवाया गया। इसी प्रकार आरोपी द्वारा रविन्द्र खोब्रागडे से पाँच हजार रूपये, विमला सोनवाने से 2500 रूपये प्राप्त किये गयेप् फरियादी रविप्रकाश, रविन्द्र एवं विमला द्वारा थाना कोतवाली बालाघाट में रिपोर्ट की गई थी। विवेेचना पश्चात अभियोग पत्र मा. न्यायालय में पेश किया गया। जहां अभियोजना द्वारा सभी संदेहो से परे आरोपी का अपराध प्रमाणित किया गया। जिससे न्यायालय द्वारा 420 के अन्तर्गत 3-3 वर्ष के कठोर कारावास एवं 15000 रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में म.प्र्र. शासन की ओर से जिला अभियोजना अधिकारी विजय कुमार उइके एवं सहायक जिला अभियोजन अधिकारी रामेश्वर कुमरे द्वारा पैरवी की गई।

Thursday, December 30, 2010

बंद कमरे में नाश्ता-पानी के साथ मना विश्व उपभोक्ता दिवस

कार्यक्रम में उपभोक्ता नदारद
प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर//टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 85581
अशोक नगर। नगर में जिला खाद्य विभाग द्वारा स्थानीय माधव भवन में सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं सहकारिता से जुड़े सेल्समेनों एवं कंट्रोल संचालकों के साथ मिलकर उपभोक्ता दिवस मनाया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अशोक कुमार मांदलिया ने बताया कि उपभोक्ताओं को स्वयं जागरूक होना पडेगा। शासन स्तर पर भी उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए फोरम गठित किए गए हैं। बीस लाख रूपए तक की शिकायत के लिए जिला स्तर पर जिला उपभौक्ता फोरम कार्य करता हैं। इस फोरम में एक न्यायाधीश तथा दो सामाजिक कार्यकर्ता पदस्थ रहते हैं। अशोकनगर में अभी इस फोरम का गठन नहीं किया गया हैं। वहीं एक करोड़ तक की शिकायत के लिए राज्य स्तर पर तथा एक करोड से अधिक की शिकायत के लिए राष्ट्रीय स्तर पर फोरम कार्य कर रहा हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आर.सी. खरल ने कहा कि कॉलोनाईजर भी उपभोक्ताओं के साथ छल नहीं कर सकते हैं। अगर कॉलोनाईजर भी अपनी कॉलोनी में नल, बिजली, पानी, लाइट, रोड, नाली की व्यवस्था नहीं करता हैं तो उसके खिलाफ भी परिवाद लाया जा सकता हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नपा अध्यक्ष जजपाल ङ्क्षसह जज्जी ने कंट्रोल संचालकों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये संचालक ईश्वर से डरे और नैतिकता को नहीं भूले। इस कार्यक्रम में कांउटर के अंदर वाले लोग उपस्थित हैं न की बाहर वाल,े इन्हीं संचालकों से निवेदन किया जा सकता हैं कि वे उपभौक्ताओं के हितों का ध्यान रखें। उन्होंनेे कार्यक्रम संचालकों को समझाइश देते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम हाट-बाजारों तथा भीड़ वालें इलाकों में आयोजित किया जाना चाहिए। जिससे आम उपभोक्ता अपने अधिकारों को समझ सके तथा कार्यक्रम मात्र औपचारिकता हो कर न रह जाये। कार्यक्रम का संचालन करते हुए किशोर कुमार सक्सेना कहा कि उपभोक्ताओं को भ्रष्टचार करने वालों के खिलाफ आंदोलित होकर जनसुनवाई में प्रकरण लगाना चाहिए तथा अत्याचार व अमानवता के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए। कार्यक्रम में कंट्रोल संचालक, सेल्समेन, पेट्रोल पंप डीलर, गैस डीलर, ही मात्र उपस्थित थे।

शिक्षकों के क्रमोन्नती के आदेशों में घपला

वगैर सुविधा शुल्क के नहीं मिल रहे हैं क्रमोंन्नती के आदेश
प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर//टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 85581
जिला शिक्षा कार्यालय शिक्षा विभाग में इस बात को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ हैं क्योंकि शिक्षकों को न्यायालय के आदेश के उपरांत 24 वर्ष बाद मिलने वाली क्रमोंन्नती का आदेश भी वगैर सुविधा शुल्क के नहंी मिल रहा हैं। क्योंकि शासन के नियमों से वेपरवाह शासन के नुमांइदें अपनी जेबे गर्म करने में लगे हैं। कुछ शिक्षकों ने बताया कि हमें अपने आदेश को लेने के लिय कार्यालय से हटकर बांरेलाल गोयल शिक्षक जो शिक्षा विभाग के जिला कार्यालय के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा, के पास जाना पडता हैं। और मनचाहा सुविधा शुल्क चुकाकर आदेश प्राप्त करना पड रहा हैं। कार्यालय मेें पदस्थ एक बाबू ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिला शिक्षा के महत्वपूर्ण कार्यों को तो श्रीमानजी के द्वारा अपने निजी व्यक्तियों द्वारा पूर्ण कराये जाते हैं। हमारा काम तो सिर्फ डाक लेना व देना हैं। वैसे देखा जाये तो शिक्षा विभाग में अशोकनगर विकासखंड में पदस्थ तीन शिक्षकों के नाम मिंटूलाल व्यास, वारेलाल गोयल, धन्नालाल धाकड, जिला शिक्षा अधिकारी के खास लोगों में होने के कारण चर्चा में बने हुये हैं। क्योंकि इन शिक्षकों द्वारा अपनी पदस्थ शाला में कम तथा जिला शिक्षा अधिकारी को सेवा में अधिकतर देखा जाता हैं। शिक्षकों को मिलने वाले क्रमोंन्नती के मिलने वाले आदेश को लेकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मैडम शुक्ला से संपर्क किया गया तो उन्हेानें बताया कि इस संबंध में मुझे कुछ पता नहीं हैं। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी से बात करूंगी।

कन्याशाला के प्राचार्य सहित ट्यूशन के गोरखधंधे में शिक्षक लिप्त

प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर//टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 85581
अशोक नगर। नगर में चारों तरफ ट्यूशन बाजी के मारे दिखाई दे रहे हैं विधालय मे छात्रों को पढाने में रूचि न लेने वाले शिक्षक घर पर छात्रों को पढाकर अच्छी खासी फीस वसूल करने में लगे हुऐ हैं। कुछ शिक्षक तो छात्रों को ट्यूशन के लिए दबाब भी बनाते देखे जा सकते हैं। इन ट्यूशन की दुकानों पर ग्रामीण अंचल में पदस्थ वे शिक्षक भी हैं जो गांव में न पढाकर प्रायवेट तौर पर टयूशन करते नजर आते हैं तथा अन्य प्रायवेट विधालयों में पढाने वाले शिक्षक भी इस धंधे में लिप्त हैं। इतना ही नहीं एक मात्र कन्या विधालय जिसमें करीब दो हजार के लगभग छात्राएं पढती हैं। जिसके प्राचार्य नीरज शुक्ला अंग्रेजी के व्याख्यता भी हैं, इसी के साथ उनकी पत्नि श्रीमति संध्या शुक्ला भी पदस्थ हैं। उनका निवासी पछाडी खेडा रोड पर स्थित हैं। सुबह से शाम तक टयूशन का गोरखधंधा दोनों के द्वारा चलाया जाता हैं। क्योंकि छात्राओं के मन में यह बात रहती हैं कि सर प्राचार्य भी हैं, निश्चित ही परीक्षाओं में भी दो-पंाच नंबर पढा देंगे। इसलिए इनके द्वार पर अन्य शिक्षकों की अपेक्षा ट्यूशन का धंधा जोरों पर चलता हैं। इतना ही नहीं केवल वही छात्रा ट्यूशन से वंचित रह जाती हैं जिनके पालकों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं। ट्यूशन के इस धंधे में वह शिक्षक भी शामिल हैं जिनको शासन इमानदारी से स्कूलों मेें पढ़ाने के लिए 15 से 20 हजार रूपये तक की वेतन प्रतिमहा सरकार देती हैं। ये सरकारी शिक्षकों की वेतन व ट्यूशन से मासिक आय का आंकलन किया जाये तो प्रत्येक शिक्षक की मासिक आय लगभग हजारों रूपये तक पहुंचती हैं। आज कल प्रायवेट स्कूलो में पढाने वाले शिक्षक भी कम वेतन पर भी नौकरी के लिए तैयार हो जाते हैं। क्योंकि उन्हें उस में पढाने के ऐवज में हजारों रूपये की ट्यूशन पर्याप्त मात्रा में मिल जाती है। इस ओर प्रशासन का बिल्कुल भी ध्यान नहीं हैं कि शासकीय शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्यवाही की जावे जो इस ट्यूशन रूपी धंधे मे लिप्त हैं सरकारी स्तर पर ट्यूशन प्रथा पर रोक लगाने संबंधी ऐलान तो किये जाते हैं पर हकीकत और ही होती हैं। टयूशन बाजी के खिलाफ छात्र संघ पूर्व में भी एन।एस.यू.आई., विधार्थी परिषद अपनी आवाज बुलंद करते रहें हैं फिर भी नतीजा ढांक के तीन पात हैं।

न्याय पाने की आश में जवान से वृद्ध हो गया धन्ना, फिर भी नहीं मिला न्याय

प्रतिनिधि// सावित्री लोधी (अशोक नगर//टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख से सम्पर्क 98262 85581
अशोक नगर। युवास्था से वृद्ध हो चुका धन्ना आज 35 वर्षों से लगातार कलेक्टर कार्यालयों के चक्कर काट-काटकर थक चुका हैं, पर सन् 1975 के आपातकाल में तोड़ी गई उसकी दुकान के एवज में आवंटित दुकान न। 11 गुरूद्वारे के सामने पर सैय्यद अली के अवैध कब्जे को वह नहीं हटवा सका। यद्पि स्थानीय एसडीएम एवं जिला कलेक्टर ने उसके पक्ष में ही फैसले में दिए हैं। पर ये फैसले महज कागजी कार्यवाही ही दिखाई पड रहे हैं। मौके पर इनकी कोई उपयोगिता सिद्ध नहीं हो पा रही हैं। अपने आप बीती सुनाते हुए वृद्ध धन्ना जिसे न्याय के लिए चक्कर लगाते-लगाते हार्टअटैक होकर आंखों से कम दिखना भी शुरू हो गया है। उसने बताया कि 37 वर्ष की युवास्था में मुझे मेरी तोडी गई दुकान की बदले 11 नंबर दुकान मिली जिसपर रातो-रात सैय्यद अली ने अपना कब्जा कर लिया। मेरे आवेदन पर तत्कालीन तहसीलदार ने अनावेदक पर पांच सौ रूप्ए जुर्माना किया। जिसके विरूद्ध सैय्यद अली द्वारा की गइ अपील को दिनांक 24 मार्च 1983 कलेक्टर गुना द्वारा भी खारिज कर दिया। इसकी शिकायत सैय्यत अली ने कमीशनर ग्वालियर को की। प्रकरण की जांच लंबित होने से कार्यवाही भी लंबित बनी रही। तत्पश्चात प्रकरण फाइल स्थानीय एसडीएम के पास वापस आई। एसडीएम ने प्रकरण की गंभीरता को समझते हुए अनुशंसा के साथ कार्यालय कलेक्टर गुना को कार्र्यवाही हेतु भेज दिया। तत्कालीन जिलाधीश श्रीमति नीलम राव ने धन्ना के पक्ष में प्रकरण का फैसला देते हुए धन्ना से तीन हजार नौ सौ पिंचायनवे रूपए दुकान प्रीमियम जमा कराने का आदेश दिया। धन्ना ने राशि समावधि में जमा की। पर दुकान पर कब्जा न हो सका। इस फैसले से बौखलायें सैय्यद वाहिद अली ने आवेदन दिया कि उसके इस दुकान के अलावा आय का साधन नहीं हैं। जबकि धन्ना के अनुसार अनावेदक के पास अशोकनगर वायपास पर 4।998 बीघा बांसापुर में 9.772 जो लाखों की हैं। मौजूद हैं। धन्ना को जिला कलेक्टर अशोकनगर से न्याय की आशा हैं।

भोपाल : पुलिसिया मनमानी

रिपोर्टर// दिवाकर गुप्ता (करोंद भोपाल // टाइम्स ऑफ क्राइम)
रिपोर्टर दिवाकर गुप्ता से सम्पर्क 9755401788
भोपाल. निकिता जाबरिया जो कि शारदा नगर, नारियल खेड़ा निवासी है। वे अपने भाई अरविंद के सिंह के साथ मिलेट्री केंटीन से घरेलु वस्तुएं खरीदने गई थी। उन्होंने अपना सामान केंटीन के बाहर रखा था। जैसे ही वो खरीददारी करके वापस आई तो उन्होंने अपना सामान उठाया, जब अचानक उसकी नजर अपने पर्स पर गई तो उसका मोबाईल नहीं था। उनका मोबाईल नोकिया सी-5 काफी मंहगा था उन्होंने पूछताछ करी तो गार्ड ने बताया कि मेरे पास नहीं है। इससे पूरी केंटीन में अफरा-तफरी का माहौल हो गया उन्होंने केंटीन सुपरवाईजर से भी इसकी शिकायत की पर उनका मोबाईल तो मिलने से रहा। इस पर उन्होंने शाहजानाबाद थाने में शरण ली तो वहां पर भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। उनके भाई द्वारा शिकायत करने पर थाने वालों ने सिर्फ एक साधारण सा आवेदन लिखवाकर चलता कर दिया। उन्होंने शिकायत 7 दिसम्बर को शाहजानाबाद थाने मे दर्ज न कर सिर्फ आवेदन में सील ठप्पा लगाकर इतिश्री कर ली। जिससे उनके समझ में आए कि एफ.आई.आर दर्ज कर ली है। जब उनके भाई ने ''टाइम्स ऑफ क्राइमÓÓ के प्रतिनिधि को बताई तो रिपोर्टर ने मीडिया का दायित्व निभाते हुए उनकी समस्या को न्यूज के माध्यम से प्रसारित किया, ताकि आम जनता गुमराह न हो। उनके भाई अरविंद सिंह ने बताया कि अभी तक उनका मोबाईल उन्हें नहीं मिला है और पुलिस उदासीन रवैया अपनाए हुए है। शिकायकत्र्ता ने एस.पी. से निवेदन किया है कि वे इस मामले में हस्तक्ष्ेाप करते हुए सही तरीके से कानूनी प्रकिया करवाएं, जिससे सही एफ.आई.आर. के माध्यम से पुलिस कार्यवाही करें। च

सीधी. क्या हो पायेगा पडख़ुरी का उध्दार..?

पडख़ुरी नं. 2 गांव के गरीब निराश्रित जन भूंखे और लाचार,

इन्हें भी नहीं छोड़ रहा भ्रष्टाचार

जिला चीफ ब्यूरो // दीप नारायण (सीधी // टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरों से सम्पर्क : 98932 11126

सीधी. क्षेत्र के आश्रितों से प्राप्त जानकारी अनुसार, पडख़ुरी ग्राम नं.2 के लोगों के अनुसार यहां के निराश्रित जन जिन्हें राज्य सरकार द्वारा प्रतिमाह निराश्रित पेंशन राशि योजना का लाभ दिलाया जा रहा है लेकिन सीधी के पंचायतीराज द्वारा इसका पालन सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा, पडख़ुरी ग्राम नं.2 के हितग्राही को पिछले आठ महीनों से किसी प्रकार की राशि उपलब्ध नहीं हो सकी है। निराश्रितों से मिलने पर उन्होनें बताया कि साहब पिछले आठ महीनों से खाने को मोहताज है न ही कलेक्टर साहब हमें खाना देने तो नहीं आयेंगे और न ही सी.ओ. साहब। अब सरपंच महोदय जी तो राशि देना चाहतें हैं, लेकिन यहां के पूर्व सचिव योगेन्द्र शर्मा जो छ: महीने पूर्व ही पद से हटाये जा चुके हैं वो हम लोगेां का नाम और सारी जानकारी जो उनके पास रहती है सरकारी कागजात जिसमें हमसे हस्ताक्षर करवाते थे वो सब सरपंच को लौटाने के लिए तैयार नहीं है। इसमें हम गरीबों का क्या दोष? हमें हमारा अधिकार पाने के लिए एक मात्र गांव के मुखिया ही सहारा है। उनके द्वारा कलेक्टर को जानकारी दी गई, सी.ओ. (जनपद पंचायत) को भी अवगत कराया। सी.ओ. द्वारा सारे रिकार्ड पूर्व सचिव योगेन्द्र शर्मा को भारमुक्त करने तथा रिकार्ड सौंपने का आदेश दिया गया। लेकिन आज छ: महीने के बाद भी सरपंच और सचिव के झगड़े को सुलझाने और सारी योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने में न तो कलेक्टर महोदय द्वारा कुछ कार्यवाही हुई और न ही सी.ओ.(जनपद पंचायत सीधी) द्वारा कोई कार्यवाही की गई। कागज में कई बार आदेश कर चुके हैं मगर इसका पालन अगर पूर्व सचिव योगेन्द्र शर्मा नही कर रहा। अब तक अधिकारियों द्वारा कोई कड़ी कार्यवाही नही की जा रही। अब लोगों का कहना है कि पूर्व सचिव जो कि पिछले पंच वर्षीय में भी कार्यरत थे तो उनसे सी.ओ.साहब से पहचान है वो ले-देकर चुप-चाप कार्यवाही को वहीं पर रोक देते हैं। हम गरीब पिछले कई महीनो से निराश्रित राशि नहीं पायें हैं, अनाज लेने के दाम भी नहीं हैं अब तो इन दिनों ठण्ड भी पड़ रही है कम्बल कहां पायें? किसी तरह गुजर कर रहे हैं पर ये समझ में नहीं आ रहा कि इस गांव का काम कब खुलेगा? पिछले 18 महीने से कोई भी रोजगार का काम भी नही खुला। पानी पीने के लिए सरपंच द्वारा कुंआ भी खुदवाये गये थे पर उसका काम भी पूरा न होने से वो भी सूखने के कगार पर है। हम कहां जायेें? इन सब का कारण तो हमें नहीं पता, बस इतना ही जानते हैं कि पहले जो सचिव थे वो अब निकाल दिये गयें हैं, अब उनसे कहने पर कहते हैं सरपंच जाने और सरपंच जी से कहने पर उनका कहना है रिकार्ड ही नही है हम किस आधार पर आप लोगों को दिलवायें, हम प्रयास कर रहे हैं लेकिन और क्या करें? हम लोग कलेक्टर महोदय से अनुरोध करते हैं कि इस ओर विचार करें और न्याय दिलायें।

एफ.आई.आर. दर्ज करने हाईकोर्ट के निर्देश

प्रतिनिधि// उदय सिंह पटेल (सिहोरा // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनधि से संपर्क:- 9329848072
जबलपुर हाईकोर्ट ने कटनी के अधिवक्ता तसलीम खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए एस. पी. कटनी को मारपीट व लूट के आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने के निर्देश जारी किये हैं। उल्लेखनीय है कि जस्टिस आर.एस. झा की एकलपीठ के समक्ष याचिकाकत्र्ता का पक्ष सौरभ शर्मा ने रखा और कोर्ट को अवगत कराया कि कटनी के कोतवाली थाने के एस.आई. उपमा सिंह के साथ प्रधान आरक्षक बुंदेलधर द्विवेदी, गोपाल विश्वकर्मा, विनोद सिंह, कप्तान सिंह एवं विनोद पांडे आवेदक के घर पहुंच कर पुलिस टीम ने आवेदक के भाई बाबर खान के विषय में पूछताछ की और बाद में रूपयों की मांग करने लगे। किन्तु पुलिस की मांग पूरी नहीं करने के कारण पुलिस टीम माारपीट पर उतारू हो गई और टेबल पर रखे 10,000/- दस हजार रूपये लूटकर चले गये। गौरतलब है कि इस घटना के संदर्भ में थाने मे शिकायत करने के बाद आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज नहीं की गई, जिस कारण मजबूरन आवेदक ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की शरण ली और याचिका पेश करने करने के बाद सुप्रीमकोर्ट के न्यायादृष्टांत सकोरी बनाम स्टेट ऑफ यू.पी.की रोशनी में इस तरह के मामलों में सी.आर.पी.सी.1973 की धारा 154 के तहत एफ.आई.आर दर्ज कराने का प्रावधान है।अत: कोर्ट इस तर्क से सहमत होकर एस.पी.कटनी को आरोपी पुलिस वालों के खिलाफ एफ.आई.आर.दर्ज कराने का निर्देश देते हुए इस याचिका का निराकरण कर दिया।

कम्पनी के उच्चापद एवं अच्छे वेतन का लालच देकर युवाओं को चंगुल में फंसाया

प्रतिनिधि// उदय सिंह पटेल (सिहोरा // टाइम्स ऑफ क्राइम)
प्रतिनधि से संपर्क:- 9329848072
सिहोरा नगर में कुछ दिनों पहले एफ.एन.जी.ओ. युवक ने कृष्णा फाइनेन्स कम्पनी में उच्चपद एवं उच्छे वेतनमान पर नौकरी का लालच देकर अनेक लोगों को लाखों का चूना लगाया और फरार हो गया। उल्लेखनीय है कि कृष्णा फाइनेन्स के एम.डी. प्रतीक बंसल ने सिहोरा नगर में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम कराये और लोगों को प्रभावित किया। गौरतलब है कि पुलिस थाना सिहोरा नगर के लगभग 23 युवकों ने हस्ताक्षर शुदा एक शिकायत पेश की और आरोपी के खिलाफ सक्त कार्रवाई करने की मांग की। शिकायत के अनुसार कृष्णा फाइनेन्स कम्पनी में मैनेजर पद के 30,000/-,फील्ड आफिसर को 5000/- से 7000/- रूपया देने का वायदा किया किन्तु 3 माह बीत जाने के बाद सैकड़ों युवक युवतियों को वेतन के नाम पर एक रूपया भी नहीं दिया। शिकायत भरत विश्वकर्मा, जमाल खान, अशोक बैन, देवेन्द्र चौबे, सुरेन्द्र मिश्रा, गौरव चौबे, प्रहलाद शर्मा, विनीत मिश्रा, मंजू बर्मन, तथा मनीष बर्मन आदि युवकों ने जानकारी दी कि एन.जी.ओ. युवक द्वारा प्रत्येक आवेदन कत्र्ता से 2000/- रूपये लेकर और 10,000/-रूपये अमानत के रूप में राशि जमा कराई। उल्लेखनीय है कि आरोपी ने इतना ही नहीं बल्कि कई बी.पी.एल कार्डधारियों से शौचालय बनवाने के लिए 500/-+ 500/- रूपये अलग से जमा करा लिये। जानकारी के अनुसार एन.जी.ओ. युवक प्रतीक बंसल के घर के चक्कर लगाते-लगाते थक गये। आरोपी के परिजनों ने बताया कि आरोपी बंसल विगत सप्ताह घर से फरार हो गया है। अत: शिकायतकत्र्ताओं ने पुलिस प्रशासन से इस घटना के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

फोटो खिचाने गई युवती का जेवरात स्टूडियो से गायब

ब्यूरो प्रमुख उ।प्र. // सूर्यनारायण शुक्ला (इलाहाबाद// टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 29401
इलाहाबाद क्षेत्र के कस्बा कोरांव में स्थित एक स्टूडियों से एक छात्रा का मंगलसूत्र व कान की सोने की बाली कुछ लड़कियों ने चुरा लिया। इस संदर्भ में पुलिस ने दो लड़कियों पूछ-ताछ हेतु खजुरी से थाने ले आई। किन्तु पर्दाफाश न होने के कारण समाचार लिखे जाने तक छोड़ दिया था। बता दें कि 24 दिसम्बर को 2 बजे दिन कोरांव में स्थित एक स्टूडियों मे ग्राम सभा चांदी की दो लड़किया क्षमा शुक्ला (19 वर्ष) पुत्री रमाशंकर शुक्ल स्कूल में परीक्षा देने के बाद स्टूडियों में फोटो खिचवाने गई थी। क्षमा शुक्ला का मंगलसूत्र आधा तोला सोने का व सोने की बाली तथा पर्स में रखा 100 रूपया वहीं स्टूडियों में रख कर अपनी सहेली शिवानी की फोटो खिचवाने लगी। इतने मे वही मौजूद ग्राम खजूरी की सरोज और सुधा नामक लड़कियां व एक नीलम कुशवाहा नाम लड़की ग्राम पचेड़ा की बीच वह जेवरात चोरी चला गया। परेशान क्षमा और शिवानी वही दोनों रोने लगी और इसकी सूचना लोगों ने पुलिस को दी। पुलिस ने थाने की जीप से उन दोनों लड़कियां को खजूरी ले जाकर सरोज और सुधा नामक लड़की को पहचनवाया। पुलिस के काफी प्रयास के बावजूद थाने पर लड़कियों ने जेवरात चोरी न स्वीकार करने पर एक दिन की मोहलत पर छोड़ दिया है। भुक्तभोगी लड़कियों का कहना है कि सरोज, नीलम, सुधा के बीच ही मेरा जेवरात चोरी गया है। क्षमा शुक्ला जो नवविवाहिता है, रो-रोकर कह रही थी कि मेरा मंगलसूत्र, बाली, दिलवा दिया जाय किन्तु पुलिस और कई लोगों के कहने पर भी उक्त तीनों आरोपी लड़कियों ने अपना जुर्म नहीं स्वीकारा। देखना है कि अगले दिन बुलाई गई तीनों लड़कियां थाने पर चोरी का सामान वापस करती हैं या नहीं। अभी तक तो ऐसी वारदातों युवक ही शामिल रहे किन्तु यह पहली घटना है, जिसमें लड़कियों का नाम सामने आ रहा है।

अलाव न जलाए जाने से ग्रामीण में निराशा

ब्यूरो प्रमुख उ।प्र. // सूर्यनारायण शुक्ला (इलाहाबाद// टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 २९४०१

कोरांव, इलाहाबाद भूल से एक पखवाड़े पूर्व जब जिलाधिकारी इलाहाबाद संजय प्रसाद हवाले से यह खबर समाचारपत्रों में प्रकाशित हुई कि ठंड से मुस्तैदी पूर्वक निपटने के लिए जिला प्रशासन को अलाव जलाने के लिए जन अवमुक्त कर दिए गए है, तो एक बारगी ऐसा लगा कि कोई भी कार्य समय से न किये जाने की प्रशासनिक परम्परा शायद इस बार टूटने वाली है, किन्तु जिलाधिकारी की उक्त घोषणा के बाद अब जब ठंड ने समग्र जनपद को अपने बर्फीले आगोश मे जकड़ लिया है दूर-दूर तक अलाव के दर्शन न होने से आमजन मे खासी निराशा व्याप्त है। दिन मे तापमान का पारा जहां सामान्य से ऊपर है वहीं रात बेहद ठंड होने की वजह से ये दिन जनसामान्य के लिए काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहे है। सरकारी और निजी चिकित्सालयों में ठंड जनित बीमारियों से ग्रस्त गरीबों की संख्या सर्वाधिक है। इलाके में कई बच्चें निमोनिया जैसे घातक संक्रमण की चपेट में आकर असमय ही कालकवलित हो चुके है। पता नहीं अलाव के अलावा जनसामान्य को मिलने वाली प्रशासनिक नेमत यदि अब नहीं तो कब तक मिल पाएगी। सूरज ढलते ही बेहद ठंड पडऩे की वजह से हाट-बाजारों के चौराहे सत-आठ बजे तक बिल्कुल जनशून्य दिखाई पडऩे लगे है। क्षेत्र में इस शीतलहर से निपटने के क्रम में प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की सक्रियता न प्रदर्शित किए जाने से अनेक सामाजिक कार्यकत्र्ताओं और क्षेत्रीय कार्यकत्ताओं और क्षेत्रीय नेताओं के पेशानियों पर चिन्ता की लकीरें उभरती दिखाई पडऩे लगी है। भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री तुलसी दास राणा ने स्थानीय पदाधिकारियों की एक मीटिंग बुलाकर इस महत्वपूर्ण बिन्दु पर दर्शायी जा रही प्रशासनिक निष्क्रियता के लिए केन्द्रीय एवं प्रादेशिक सरकार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए गरीबों के लिए अविलंब अलाव व कम्बल की व्यवस्था किए जाने की मांग की है। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि एक सप्ताह के अन्दर समस्या के निदान के क्रम में सकारात्मक निर्णय न लिए गए तो अतिशीघ्र जनान्दोलन को अंजाम दिया जारएगा।

नगर पंचायत कोरांव में मतदाता सूची में व्यापक धॉंधली

ब्यूरो प्रमुख उ।प्र. // सूर्यनारायण शुक्ला (इलाहाबाद// टाइम्स ऑफ क्राइम)
ब्यूरो प्रमुख उ. प्र. से सम्पर्क 99362 २९४०१
कोरांव इलाहाबाद जमुना पार के दक्षिणाक्षेत्र में कोरांव बाजार को करीब 22 वर्ष टाउनएरिया घोषित होने को है किन्तु हर पंचवर्षीय चुनाव में मतदातासूची में व्यापक धॉंधली होती चली आ रही है। चुनाव आचार संहिता की शासन कड़ाई से पालन करने की घोषणा भी होती है। किन्तु आज तक मतदाता सूची में शासन के मतानुसार संशोधन नहीं हो पाया है जिससे मतदान के समय लोगों को बहुत ही समस्याओं से निपटना पड़ता है। नगर पंचायत में वर्तमान समय में ग्यारह वार्डो को बनाया गया है। वास्तविकता के तौर पर यदि सही ढंग से सर्वेक्षण किया जाय तो असलियत का पता चल जाय। प्राय: ज्यादातर लोग 18 वर्ष से 25 वर्ष तक के हैं किन्तु उनका नाम मतदाता सूची में अंकित नही है। कुछ ऐसे लोगों के नाम है जो कई वर्षो से मृतक है, उनका नाम मतदाता सूची मे अंकित है। उनके नाम पर सरहंग किस्म के प्रत्याशी वोट डलवा देते हैं। यह भी देखा गया कि 18 वर्ष से कम के लोगों का का नाम मतदाता सूची में है। सबसे मजे की बात यह है कि जिस व्यक्ति का नाम वार्ड संख्या एक में है उसका परिचय पत्र किसी अन्य वार्ड में बना है। अधिकांश तौर पर यह भी देखा गया कि नाम किसी पुरूष का और उसके औरत का नाम किसी दूसरे की औरत का परिचय पत्र में हैं। जिससे मतदाताओं में उहापोह मची रहती है और उसका लाभ सरहंग प्रत्याशी ले लेते है जिससे चुनाव के दौरान लड़ाई झगड़ा हो जाता है, जिससे शान्ति व्यवस्था प्रभावित हो जाती है। यहां तक कि बेगुनाह लोगों को पुलिस द्वारा सजा दी जाती है। यदि मतदाता सूची की सही ढंग से घर-घर जाकर सर्वेक्षण करा दिया जाय तो किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी। उक्त प्रकरण की सम्यक जानकारी देते हुए क्षेत्रीय लोगों तथा नगर वासियों ने जिलाधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए निस्तारण करने की जोरदार मांग की है।

भ्रष्टाचार है क्या ?

रिजवान चंचल // लखनऊ
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)
पत्रकारों, कवियों, सचरित्र जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्ध नागरिकों को राष्ट्र व बेहतर समाज के निर्माण के लिए ''भ्रष्टाचार के खिलाफ'' आगे आना ही होगा यही समय की मांग भी है देश की प्रगति, गरीबी, और बेरोजगारी उन्मूलन और साफ सुथरी राजनीति तथा पारदर्शी प्रशासन के लिए ऊपर से नीचे तक पैर जमा चुके भ्रष्टाचार को मिटाना ही होगा तभी देश की खुशहाली सम्भव है और सही अर्थो में लोकतंत्र भी। जब तक सरकारी और जन कल्याणकारी योजनाओं का फायदा आम आदमी तक नहीं पहुंचेगा तथा आंवटित धनराशि ईमानदारी के साथ योजनाओं के अमल पर खर्च नहीं की जायेगी और बीच में ही बंदरबांट की जाती रहेगी तब तक देश में खुशहाली आना मुश्किल ही नहीं असम्भव भी है यह तभी मुमकिन है जब शासक और प्रशासक जवाब देही के साथ पारदर्शिता बनायें।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने, जनजागरण करने, नागरिक समाज को खड़ा करने से पहले जरूरी है कि हम यह तो जाने कि आखिर भ्रष्टाचार है क्या? हमारे देश मे अभी भ्रष्टाचार की परिभाषा को लेकर भी तरह-तरह की उलझने है और यह भी सच्चाई है कि जब तक भ्रष्टाचार को ठीक तरह समझा नहीं जायेगा तब तक इस पर काबू पाया जाना भी नामुनकिन है। कैग के पूर्व निदेशक वी. एन. कौल के मुताबिक भ्रष्टाचार पर काबू की जिम्मेदारी देखने वाले विजिलेंश अधिकारियों को ही अपनी ड्यूटी के बारे में पूरी तरह से यह पता नही है कि उसे किस-किस व्यवहार को भ्रष्टाचार मानना है और किस-किस को नहीं। यही नही भ्रष्टाचार को लेकर शोर शराबा भी खूब होता है किन्तु व्यक्तिगत जवाबदेही तय करने की प्रणाली दूर-दूर तक नजर नहीं आती कल तक साधारण मकान में रहने वाला विधायक व सांसद बनने के कुछ महीनों बाद अकूत सम्पदा व महल रूपी बंगले आयातित वाहनों का स्वामी कैसे हो गया इसकी जवाब देही जरूरी ही नही समझी जाती। एक साधारण अधिकारी, अनुभाग अधिकारी जो 25 से 30 हजार मात्र वेतन प्राप्त करते है राजसी संसाधनों से युक्त हैं बंगला, चार पहिया वाहन एक नही चार-चार हैं किंतु जवाबदेही कोई नहीं।
तात्पर्य यह है कि जवाबदेही प्रणाली को प्रमुखता से प्रभावी किया जाना चाहिए। आज हालात यह है कि किसी विभाग में भ्रष्टाचार का अगर खुलासा हो भी गया तो पूरे विभाग को ही जिम्मेदार मान लिया जाता है और शीर्ष पर बैठे उस भ्रष्टाचार का नायक बच निकलता है लिहाजा व्यक्तिगत जवाबदेही जांचने की प्रणाली को तैयार करना जरूरी है इसके अलावा अगर अथारटी को विकेन्द्रीकृत कर दिया जाये तब भी भ्रष्टाचार पर काफी हद तक नियंत्रण किया जाा सकता है। वर्तमान मे जगह-जगह व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए पारदर्शिता वरतना बेहद जरूरी है सूचना का अधिकार कानून इस दिशा में बेहद अच्छा कदम है अगर सरकार इसे ढ़ंग से प्रभावी करे तो इसमें कोई दो राय नहीं काफी हद तक लोगों की परेशानियां कम हो जायेंगी। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि आर टी आई के तहत सूचनायें दिखाने में कहीं अधिकारी चालाकी तो नहीं कर रहे हैं।
सच्चाई यह है कि कमजोर शासन भ्रष्टाचार की फसल को खाद देने में अहं किरदार निभा रहा है गठबंधन सरकारों की राजसत्ता को बचाये रखने के लिए मजबूरियॉ भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है स्थित यह है कि राजनैतिक अनैतिक दबाव पुलिस विभाग एवं अन्य विभागों को भी कमजोर कर रही है गैर जरूरी तबादलों ने भी सिस्टम को काफी खराब किया है अक्सर देखने में आया है कि लगन व निष्ठा से कार्य में लगे ईमानदार अधिकारी राजनेताओं की नाजायज सिफारिस न मानने के कारण चन्द महीनों में ही इधर-उधर पटक दिये गये यानी नाजायज काम में भी नेताओं का कालर ऊॅचा रहे नही तो खैर नहीं। ऐसी स्थित में ईमानदारी बरतने की जब यह सजा मिलती है तो मजबूरन उसे भी यह सोंचना पड़ जाता है कि क्यों न बह रही बयार में ही शामिल होकर चला जाये। थैली अटैची भेंट कर लाभप्रद कुर्सी पाने वाले अधिकारियों का उदाहरण दे आधुनिकता से घिरे पाश्चात्य संस्कृति को अंगीकार किये इनके बच्चे भी इन्हे घर पर जब यह कहते नजर आते है कि वो भी है बंगला गाड़ी फार्म हाउस सब कुछ कर लिया उन्होने और एक आप भी हैं उसी पद आज तककुछ नही जुटा पाये? कहने का तात्पर्य जरूरत है ईमान दार अधिकारियों को शसक्त करने की, प्रोत्साहित किये जाने की, सम्मानित किये जाने की और पदोन्नति किये जाने की।लोकायुक्त न्यायमूर्ति एस. हेगडे द्वारा दिया गया इस्तीफा, डा. किरन वेदी द्वारा वी आर एस लेना, आयकर आयुक्त द्वारा नौकरी छोंडऩा शासन प्रणाली की नीतियों का श्वयमेव खुलासा कर रहे है।
जरा सोंचे हॉ हजूरी जायज-नाजायज में बिना भेदभाव किये जो अधिकारी नेता व देश-प्रदेश के नायकों के इशारों पर कठपुतली की भांति नाचेगा वह शीर्ष कुर्सी तक पहुॅचेगा और जो नाजायज को तरजीह नही देगा तो इनका कोपभाजन बनेगा तो कैसे होगा लोकतंत्र मजबूत, कैसे आयेगी भारत में खुशहाली, और तो और सी. वी. आई. को भी अभी तक स्वतंत्र नही किया गया है, लोकायुक्त जैसी संस्थाओं के पास भी सीमित शक्तियॉ ही है और उस पर भी शासक का उल्टा दबाव तो भला कैसे हो भ्रष्टाचार पर काबू? जब भी कहीं भ्रष्टाचार का मामला उजागर होता है तो समिति बना दी जाती है। वित्तीय और आर्थिक अपराध शाखाये बैठा दी जाती है जब कि यह समस्या का हल नहीं है जरूरत तो इस बात की है कि ऐसी संस्थाओं को और मजबूत किया जाना चाहिए इनकी शक्तियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मेरा मानना यह भी है कि देश में अफसरों की संख्या भी बहुत ज्यादा है जिसे कम किया जाना चाहिए इससे न केवल पैसा बचेगा बल्कि कार्य क्षमता में भी इजाफा होगा। ओवर स्टाििफंग और संसाधनो का गलत तरीके से किया गया आवंटन भी भ्रष्टाचार को मजबूती देता है चूंकि जहां जरूरत से ज्यादा संसाधन होगें वहां भ्रष्टाचार पैदा होगा ही, हर समस्या के लिये नये कानून बनाये जाते रहे यह भी जरूरी नही है और न ही समस्या का हल है।
जरूरत तो मौजूदा कानून को ठीक ढंग से लागू करने व उसे प्रभावी बनाये जाने की है। जैसे पुलिस, विकास प्राधिकरण, कृषि, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ जो प्रमुख संस्थायें है उनमें बेइमानी के आरोपों वाले किसी भी अधिकारी को प्रमुख न बनाया जाये। ईमानदार अधिकारियों को ही महत्वपूर्ण संस्थाओं का प्रमुख बनाया जाये तो भी काफी हद तक सुधार संभव है। जय हिन्द

बैतूल: ग्राम पंचायत के सचिव से लेकर कलैक्टर तक को लगी मालामाल लाटरी

लोकायुक्त तक मैनेज, आखिर कब तक सोती रहेगी सीबीआई
बैतूल से रामकिशोर पंवार की विशेष रिर्पोट
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)

बैतूल। भारत सरकार के ग्रामिण रोजगार मंत्रालय द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत बैतूल जिले में विगत बीते वर्षो में हुये कार्यो की मुल्याकंन रिर्पोट में जो तस्वीर सामने आई है वह काफी चौकान्ने वाली है। बैतूल जिले की घोडाडोंगरी जनपद में दस पंचायतो के सरपंच एवं सचिवो के खिलाफ लगभग चालिस लाख रूपयें की रिक्वरी - वसूली के आदेश जारी हुये है। जिले में दस जनपद पंचायते है जहां पर हर दुसरी - तीसरी ग्राम पंचायत के सरपंच एवं सचिव के खिलाफ रिक्वरी - वसूली के आदेश जारी हुये है। आडिट रिर्पोट से पहले कार्यो के मुल्याकंन में पाई गई जांच में जिले की 558 ग्राम पंचायतो में से 116 के खिलाफ गडबडी एवं भ्रष्ट्राचार की गंभीर शिकायते प्राप्त हुई है।
भाजपा शासन काल में बहुचर्चित इस आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले के तीन पूर्व कलैक्टरो एवं चार मुख्य कार्यपालन अधिकारी के खिलाफ लोकायुक्त की टीम चार बार बैतूल जिले मे अपनी गुपचुप छापामार कार्यवाही के बाद सचिव से लेकर कलैक्टर तक से मैनेज होकर वापस लौट गई। दरअसल में बैतूल जिले में पंचायतो में फर्जीवाडे की शुरूआत पूर्व कलैक्टर एवं मुख्यमंत्री कार्यालय में दस वर्षो तक पदस्थ रहे चन्द्रहास दुबे के समय से हुई है। उनके समय ही पोल फेंसिंग का कार्य शुरू हुआ जिसमें घटिया पोल की सप्लाई से लेकर फेंसिंग तक का उपयोग हुआ जो कि आज भी गांवो की ओर जाने वाले मार्गो से नदारत है। कुछ स्थानो पर सीमेंट के पोलो के अवशेष देखने को मिलेगें जो कि स्वंय इसमें हुये भ्रष्ट्राचार की कहानी बयां करते है। जिले में उसके बाद पूर्व जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी अरूण भटट् कलैक्टर बन कर आये।
अपने पूरे कार्यकाल में जिले की 558 ग्राम पंचायतो में इस कदर लूट मची कि जिले में फर्जीवाडे के बाद भी प्रदेश में सर्वप्रथम का तमगा लाने में अरूण भटट् ने कमाल दिखा दिया। ग्राम स्वराज में मची लूट - खसोअ का ही नतीजा था कि जिले में पंचायत चुनाव लोगो को कमाई का पांच साल का ऐसा टेण्डर मिला की उसे हर कोई पाने को टूट पडा। बैतूल जिले में किसी ने अपनी पत्नि को तो किसी ने अपने पुत्र को सरपंच का चुनाव जिताने में धनबल से लेकर बाहुबल तक का उयपोग करने में कोई कसर नही छोड़ी। तीन बार लोकायुक्त के गुपचुप छापे से डरे - सहमें पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी बाबूसिंह जामोद ने इस साल के आखरी जिले से जाने में अपनी भलाई समझी। वर्तमान कलैक्टर अपनी पूर्व कलैक्टर पद की पदस्थापना के दौरान उन जिलो में भ्रष्टाचार के नये आयाम स्थापित करने के बाद अब सेवानिवृत होने के पहले इतना सब कुछ बटोरने में लगे है कि उनकी सात पीढ़ी आराम से बैठ कर खा सके। आज यही कारण है कि धारा 40 के तहत उन्ही सरपंचो को नोटिस दिया गया या फिर हटाया गया है जो किसी भी तरह से मैनेज नहीं हो सके है।
बेतूल जिले की आधी से ज्यादा पंचायतो के सरपंच या तो अशिक्षित है या फिर आदिवासी - दलित एवं पिछडे वर्ग के जो किसी न किी के मोहरे बन कर काम कर रहे है। ऐसे लोगो की आड़ में जबरदस्त मची लूट को नजर अंदाज कर सीबीआई बैतूल जिला मुख्यालय पर एक साल से पारधी कांड की जांच के बहाने अपना कैम्प लगाने के बाद भी कुंभकरणी निंद्रा में सोई हुई है जिसके चलते अब सीबीआई का डर भी भ्रष्ट्राचारियो के दिलो - दिमाग से दूर हो गया है। बैतूल जिले में भारत सरकार के पंचायती राज्य का जो बेडागर्क हुआ है वह काफी सनसनी पैदा करने वाला है। अरबो - खरबो के केन्द्र सरकार से मिले विभिन्न योजनाओं के अनुदान ने जिले के अधिकांश सचिवो की माली हालत में काफी सुधार ला दिया है। गांव की सड़के भले ही न सुधरी हो लेकिन सरपंच एवं सचिवो के बंगले जरूर बन गये है। जिले का हर दुसरा ग्राम पंचायत का दो हजार रूपये की नौकरी करने वाला अस्थायी सचिव आज की मौजूदा परिस्थति में लखपति से लेकर करोड़पति तक बन चुका है।
कपीलधार कूप योजना की बात हो या फिर वानिकी एवं फलोउद्यान योजना हर किसी में इस सीमा तक भ्रष्ट्राचार हुआ है कि गांवो में दस प्रतिशत भी पौधे - पेड नहीं बन सके है। गांवो तक पहुंच मार्गो के दो ओर की गई फेंसिग का प्रकरण हो या फिर मेड बंधान का सबके सब भ्रष्ट्राचार की भेट चढ़ गये है। बैतूल जिले का अधिकांश सरपंच एवं सचिव सत्ताधारी दल से जुडा होने के कारण न तो उनके खिलाफ पुलिस में एफ आई आर दर्ज हो सकी है और न वसूली ऐसी स्थिति में गांव के भ्रष्ट्राचार ने पूरी की पूरी व्यवस्था को दागदार बना दिया है। वैसे बैतूल जिले को भले प्रथम पुरूस्कार मिला हो लेकिन उसके भ्रष्ट्राचार में भी नम्बर वन के मुकाम को कोई नहीं छु सकता है। एक जानकारी के अनुसार 2 फरवरी 2006 से लेकर 15 दिसम्बर 2010 तक मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत 558 ग्राम पंचायतो में कुल 1 हजार 343 ग्रामों के 2 लाख 33 हजार 707 जाबकार्ड धारको को 5 करोड 73 लाख 95 हजार 67 की संख्या में बीते चार वर्षो में काम दिया गया। प्रत्येक जाबकार्ड परिवार के एक सदस्य को पूरे साल में प्रस्तावित सौ दिना का रोजगार दिया जाना है। गांवो में लोगो के जाबकार्ड भले ही कोरे हो लेकिन आन रिकार्ड में सभी को रोजगार दिया जा चुका है। गांवो में काम मांगते लोगो के सरपंच - सचिव - कलैक्टर के दरबारो में आकर गिडगिडाने का सिलसिला आज भी बरकरार है।
शासकीय रिकार्ड के अनुसार अभी तक इस योजना के कथित सफल क्रियाव्यन के लिए बैतूल जिले को देश - प्रदेश में पहला स्थान मिल चुका है। शासन ने 30 प्रतिशत महिला कामगारो को रोजगार देने का बैतूल जिले के लिए लक्ष्य रखा था लेकिन जिले ने 40 प्रतिशत महिलाओं को काम दिया गया है लेेकिन गांवो में आज भी काम मांगती महिलाओं की स्थिति किसी भिखारी से भी कई गुजरी हो चुकी है क्योकि उसे किसी न किसी घर से भीख जरूर मिल जायेगी लेकिन जाबकार्ड लेकर गांव की चौपाल से लेकर बैतूल तक आती महिलाओं की आपबीती शर्मसार कर देने वाली है। जिन सरकारी आकडो पर बैतूल जिले ने मध्यप्रदेश में अव्वल नम्बर का स्थान पाया उस आकडो में बताया गया कि राष्ट्रीय रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत बैतूल जिले की 558 ग्राम पंचायतो के मे बसे 1 हजार 343 ग्रामों के 2 लाख 33 हजार 707 जाबकार्ड धारको को अभी तक 5 अरब 61 करोड 67 हजार 5 सौ रूपये की राशी का भुगतान किया जा चुका है। बैतूल जिले में इस योजना के तहत आज दिनांक कपीलधारा योजना के 65 हजार 495 कार्य पूर्ण होना तथा 12 हजार 85 कार्य प्रगति पर बताया गया।
मध्यप्रदेश के इस आदिवासी बाहुल्य जिले की कुल आबादी 13 लाख 95 हजार 175 है। इन आकडो की सच्चाई को जानने के लिए कपिलधारा योजना के तहत खुदवाये गये कुओ के कथित निमार्ण कार्य में बडे पैमाने पर भ्रष्ट्राचार एवं निमार्ण कार्य की गुणवत्ता के चलते बासपानी की एक युवती की जान तब चली गई जब एक बार धंस चुके कुये को पुनरू बनवाया जा रहा था। बासपुर ग्राम पंचायत द्वारा बीते वर्ष 2008 में ग्राम पंचायत के एक कपिलधारा योजना के लाभार्थी रमेश का कुआ पिछली बरसात के बाद पूरी तरह धस गया। उक्त कुये को बिना स्वीकृति के पुरानी तीथी में निमार्णधीन दर्शा कर उसका निमार्ण कार्य किया जा रहा था लेकिन ग्राम पंचायत के एक पंच तुलसीराम सहित 5 अन्य मजदुर गंभीर रूप से घायल हो गये तथा एक युवती सनिया की जान चली गई।
कुये में धंस कर जान गवा चुकी सनिया को उसके काम की मजदुरी भी पूरी नहीं मिल सकी और वह कपिलधारा योजना के तहत निमार्णधीन घटिया कार्यो की बेदी पर चढा दी गई। बैतूल जिले में जिला मुख्यालय पर जिले की किसी न किसी ग्राम पंचायत में कपिलधारा योजना के तहत निमार्णधीन कुओ के निमार्ण कार्य एवं मजदुरी का मामला लेकर दर्जनो ग्रामिणो का जमावडा आम बात रहने के बाद भी भाजपा शासनकाल में बैतूल जिला कलैक्टर को पदोन्नति के बाद भी बैतूल में अगंद के पाव की तरह जमे बैतूल कलैक्टर अरूण भटट ने आबकारी आयुक्त बनने के बाद ही बैतूल जिले से बिदाई ली। श्री भटट् को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के कथित एजेंट के रूप में देखा जा रहा था क्योकि उनके काय्रकाल में भाजपा एक नहीं बल्कि दो चुनाव जीत सकी है। स्वंय बैतूल के पूर्व कलैक्टर श्री भटट् अपने को मुख्यमंत्री के कथित सदस्य एवं मुख्यमंत्री की जीवन संगनी श्रीमति साधना सिंह के कथित भाई के रूप में प्रचारित करवा कर उनके लिए हर तरह के कार्य कर चुके है और यही कारण है कि उन्होने मुख्यमंत्री के प्रति अपने कथित विश्वास को उनकी पार्टी की लोकसभा उप चुनाव एवं विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के रूप में जीवित रखा है। बैतूल जैसे पिछडे जिले में जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में कार्य कर चुके अरूण भटट के समय के ताप्ती सरोवर आज पूरे जिले में सुखे पडे है तथा कई तो अपने मूल स्वरूप को खो चुके है।
इस जिले में रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत कम मजदुरी एवं अकुशल श्रमिको के शारीरिक - मानसिक - आर्थिक शोषण को लेकर श्रमिक आदिवासी संगठन एवं समाजवादी परिषद श्रमिक नेता मंगल सिंह के नेतृत्व में बीते वर्ष 2006 से लेकर 2 फरवरी 2010 तक हजारो धरना - प्रदर्शन कर चुके है। विधानसभा में काग्रेंस के विधायक सुखदेव पांसे भी उस योजना में व्यापत भ्रष्टाचार एवं मजदुरो के शोषण का मामला उठा चुके जिस योजना के लिए बैतूल जिले में पदस्थ रहने वाले सभी कलैक्टर राज्य एवं केन्द्र सरकार से अपनी पीठ को थपथपाने में महारथ हासील करने में कोई कसर नहीं छोड रहे है। बैतूल जिले के जिन कपिलधारा के कुओ को किसानो के लिए वरदान बताया जा रहा है उन कुओ के निमार्ण कार्य में जिन लोगो को लाभार्थी दर्शाया गया है उनमें से कई ऐसे हितग्राही है जिनके पुराने कुओ को नया बता कर कुओ के लिए स्वीकृत राशी को सरपंच - सचिव - इंजीनियर एवं सबंधित योजना के अधिकारी आपस में बाट कर खा गये। हितग्राही को सरकारी कागजो पर उसके कुये के बदले में कुल स्वीकृत राशी का दस प्रतिशत भी नहीं मिल पाया है।
बैतूल जिले के सैकडो हितग्राहियो के नाम ऊंगली पर गिनाये जा सकते है जिनके पुराने कुओ को सरकारी कागजो में नया बता कर फजी रोजगार उन जाबकार्डो में दर्शाया गया है जिन्हे साल में निर्धारित दिवस का रोजगार तक वास्तवीक रूप में नहीं मिल सका है।बैतूल जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतो के सरपंच एवं सचिव कल तक भले ही सड़क छाप थे लेकिन पंचायती राज की मालामाल लाटरी के हाथ लगते ही वे अब टाटा इंडिका में घुमने लगे है। भाजपा शासन काल में शुरू की गई कपिल धारा कूप निमार्ण योजना को हर साल बरसात में श्राप लगता है लेकिन अब तो गर्मी और कडाके ठंड में भी कूपो के धसंने की घटनाये सुनने को मिलने लगी है। केन्द्र सरकार द्वारा दिये गये रोजगार ग्यारंटी योजना के तहत दिये गये अनुदान से मध्यप्रदेश में शुरू की गई कपिल कूप योजना के तहत बैतूल जिले की दस जनपदो एवं 558 ग्राम पंचायतो में बनने वाले कुओं में ंसे अधिकांश पहली ही बरसात में धंसक चुके है।
राज्य शासन द्घारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के ग्रामिण किसानो की 5 एकड़ भूमि पर 91 हजार रूपये की लागत से खुदवाये जाने वाले कुओं के लिए बैतूल जिला पंचायत एनआरजीपी योजना के तहत मोटे तौर पर देखा जाये तो 91 हजार रूपये के हिसाब से करोड़ो रूपयो का अनुदान केन्द्र सरकार से मिला। ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच एवं सचिव को कपिल धारा कूप निमार्ण की एजेंसी नियुक्त कर जिला पंचायत ने ग्राम के सरंपचो एवं सचिवो की बदहाली को दूर कर उन्हे मालामाल कर दिया है। एक - एक ग्राम पंचायत में 20 से 25 से कपिल धारा के कुओं का निमार्ण कार्य करवाया गया। 24 हजार 75 हजार रूपये जिस भी ग्राम पंचायत को मिले है उन ग्राम पंचायतो के सरपंचो एवं सचिवो ने एनआरजीपी योजना के तहत कार्य करवाने के बजाय कई कुओं का निमार्ण कार्य जेसीबी मशीनो से ही करवाया डाला। आनन - फानन कहीं सरकारी योजना की राशी लेप्स न हो जाये इसलिए सरपंचो ने बैतूल जिले में 545 ग्राम पंचायतो में इस वर्ष 2 हजार 477 कुओं का निमार्ण कार्य पूर्ण बता कर अपने खाते में आई राशी को निकाल कर उसे खर्च कर डाली।
हर रोज जिला मुख्यालय पर कोई न कोई ग्राम पंचायत से दर्जनो मजदुर अपनी कपिल धारा योजना के तहत कुओं के निमार्ण की मजदुरी का रोना लेकर आता जा रहा है। अभी तक जिला प्रशासन के पास सरकारी रिकार्ड में दर्ज के अनुसार 337 ग्राम पंचायतो की शिकायते उन्हे अलग - अगल माध्यमो से मिली है। इन शिकायतो में मुख्यमंत्री से लेकर जिला कलैक्टर का जनता तथा सासंद का दरबार भी शामिल है। आये दिन किसी न किसी ग्राम पंचायत की कपिल भ्रष्टड्ढ्राचार धारा के बहने से प्रभावित लोगो की त्रासदी की $खबरे पढऩें को मिल रही है। अभी तक 9 हजार 411 कुओं का निमार्ण कार्य हो रहा है जिसमें से 6 हजार 934 कुओं के मालिको का कहना है कि उनके खेतो में खुदवाये गये कुएं इस बरसात में पूरी तरह धंस जायेगें। मई 2008 तक की स्थिति में जिन कुओं का निमार्ण हो रहा है उनमें से अधिकांश के मालिको ने आकर अपनी मनोव्यथा जिला कलैक्टर को व्यक्त कर चुके है। सबसे ज्यादा चौकान्ने वाली जानकारी तो यह सामने आई है कि बैतूल जिले के अधिकांश सरपंचो ने अपने नाते -रिश्तेदारो के नामों पर कपिल धारा के कुओं का निमार्ण कार्य स्वीकृत करवाने के साथ - साथ पुराने कुओं को नया बता कर उसकी निमार्ण राशी हड़प डाली।
जिले के कई गांवो में तो इन पंक्तियो के लिखे जाने तक पहली बरसात के पहले चरण मेें ही कई कुओं के धसक जाने की सूचनायें ग्रामिणो द्घारा जिला पंचायत से लेकर कलैक्टर कार्यालय तक पहँुचाई जा रही है। हाथो में आवेदन लेकर कुओं के धसक जाने , कुओं के निमार्ण एवं स्वीकृति में पक्षपात पूर्ण तरीका बरतने तथा कुओं के निमार्ण कार्य लगे मजदुरो को समय पर मजदुरी नहीं मिलने की शिकायते लेकर रोज किसी न किसी गांव का समुह नेताओं और अधिकारियों के आगे पीछे घुमता दिखाई पड़ ही जाता है। ग्रामिण क्षेत्रो में खुदवाये गये कपिल धारा के कुओं को डबल रींग की जुड़ाई की जाना है लेकिन कुओं की बांधने के लिए आवश्क्य फाड़ी के पत्थरो के प्रभाव नदी नालो के बोल्डरो से ही काम करवा कर इति श्री कर ली जा रही है।
कुओं की बंधाई का काम करने वाले कारीगरो की कमी के चलते भी कई कुओं का निमार्ण तो हो गया लेकिन उसकी चौड़ाई और गहराई निर्धारीत मापदण्ड पर खरी न उतरने के बाद भी सरपंच एवं सचिवो ने सारी रकम का बैंको से आहरण कर सारा का सारा माल ह$जम कर लिया। जिले में एनआरजीपी योजना का सबसे बड़ा भ्रष्टड्ढ्राचार का केन्द्र बना है कपिल धारा का कुआं निमार्ण कार्य जिसमें सरपंच और सचिव से लेकर जिला पंचायत तक के अधिकारी - कर्मचारी जमकर माल सूतने में लगे हुये है। भीमपुर जनपद के ग्राम बोरकुण्ड के सुखा वल्द लाखा जी कामडवा वल्द हीरा जी तुलसी जौजे दयाराम , रमा जौजे सोमा , नवलू वल्द जीवन , तुलसीराम की मां श्रीमति बायलो बाई जौजे बाबूलाल , चम्पालाल वल्द मन्नू के कुओं का निमार्ण कार्य तो हुआ लेकिन सभी इस बरसात में धंसक गये। बैतूल जिला मुख्यालय से लगभग 120 किलो मीटर की दूरी पर स्थित दुरस्थ आदिवासी ग्राम पंचायत बोरकुण्ड के लगभग सौ सवा सौ ग्रामिणो ने बैतूल जिला मुख्यालय पर आकर में आकर दर्जनो आवेदन पत्र जहां - तहां देकर बताया कि ग्राम पंचायत में इस सत्र में बने सभी 24 कुओं के निमार्ण कार्य की उन्हे आज दिनांक तक मजदुरी नहीं मिली।
बैतूल जिले की साई खण्डारा ग्राम पंचायत निवासी रमेश कुमरे के परतापुर ग्राम पंचायत में बनने वाले कपिलधारा के कुओं का निमार्ण बीते वर्ष में किया गया। जिस कुये का निमार्ण वर्ष 2007 में पूर्ण बताया गया जिसकी लागत 44 हजार आंकी गई उस कुये का निमार्ण पूर्ण भी नहीं हो पाया और बीते वर्ष बरसात में धंस गया। दो साल से बन रहे इस कुये का इन पंक्तियो के लिखे जाने तक बंधाई का काम चल रहा है लेकिन न तो कुआं पूर्ण से बंध पाया है और न उसकी निर्धारित मापदण्ड अनुरूप खुदाई हो पाई है। इस बार भी बरसात में इस कुये के धसकने की संभावनायें दिखाई दे रही है। रमेश कुमरे को यह तक पता नहीं कि उसके कुआ निमार्ण के लिए ग्राम पंचायत को कितनी राशी स्वीकृत की गई है तथा पंचायत ने अभी तक कितने रूपयो का बैंक से आहरण किया है। ग्राम पंचायत के कपिलधारा के कुओ के निमार्ण कार्य में किसी भी प्रकार की ठेकेदारी वर्जित रहने के बाद भी कुओं की बंधाई का काम ठेके पर चल रहा है।
ग्राम पंचायत झीटापाटी के सरपंच जौहरी वाडिया के अनुसार ग्राम पंचायत झीटापाटी में 32 कुओ का निमार्ण कार्य स्वीकृत हुआ है लेकिन सरपंच ने कुओ के निमार्ण के आई राशी का उपयोग अन्य कार्यो में कर लिया। गांव के ग्रामिणो की बात माने तो पता चलता है कि इस ग्राम पंचायत में मात्र 16 ही कुओ का निमार्ण कार्य हुआ। सरपंच जौहरी वाडिया और सचिव गुलाब राव पण्डागरे ने इन 16 कुओ के निमार्ण कार्य में मात्र 6 लाख रूपये की राशी खर्च कर शेष राशी का आपसी बटवारा कर लिया। आर्दश ग्राम पंचायत कही जाने वाली आमला जनपद की इस ग्राम पंचायत में आज भी 16 कुओ का कोई अता - पता नहीं है। पहाड़ी क्षेत्र की पत्थरो की चटटड्ढनो की खदानो का यह क्षेत्र जहां पर 16 कुओ जिस मापदण्ड पर खुदने चाहिये थे नहीं खुदे और जनपद से लेकर सरपंच तक ने 16 कुओ की खुदाई सरकारी रिकार्ड में होना बता कर पूरे पैसे खर्च कर डाले।
सवाल यह उठता है कि जहाँ पर पत्थरो की चटटनो को तोडऩे के लिए बारूद और डिटोनेटर्स का उपयोग करना पड़ता है वहां पर कुओ का निमार्ण कार्य उसकी चौड़ाई - गहराई अनरूप कैसे संभव हो गया..? कई ग्रामवासियो का तो यहां तक कहना है कि सरपंच और सचिव ने उनके कुओ की बंधाई इसलिए नहीं करवाई क्योकि पहाड़ी पत्थरो की चटटनी क्षेत्र के है इसलिए इनके धसकने के कोई चांस नहीं है। भले ही इन सभी कुओ की बंधाई सीमेंट और लोहे से न हुई हो पर बिल तो सरकारी रिकार्ड में सभी के लगे हुये है। इस समय पूरे जिले में पहली ही रिमझीम बरसात से कुओं का धसकना जारी है साथ ही अपने कुओ पर उनके परिजनो द्घारा किये गये कार्य की मजदुरी तक उन्हे नहीं मिली। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार की अति महत्वाकांक्षी कपिलधारा कूप योजना का एक कडवा सच भी सामने आया है कि प्रत्येक कूपो में उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री का उपयोग अब सी बी आई के लिए अनुसंधान का केन्द्र बना हुआ है। जिले की 558 ग्र्राम पंचायतो में से आधे से अधिक ग्राम पंचायतो द्वारा कूपो के निमार्ण के लिए जिस विस्फोटक सामग्री उपयोगकत्र्ता एवं सप्लायर को भुगतान किया गया है वह राजस्थान का मूल निवासी है तथा वर्तमान समय में उसका बैतूल जिले के खोमई गांव में मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र की सीमा पर बारूद संग्रहण भंडार भी है।
जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायतो ने औसतन 20 कपिलधारा योजना के कूपो के लिए पांच हजार रूपये प्रति कूप के हिसाब से जिस शेखावत परिवार को भुगतान किया गया है उसने स्वंय को बचाने एवं राजनैतिक संरक्षण आने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। कभी वह अपने आप को भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरोसिंह शेखावत का तो कभी वर्तमान महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभादेवी सिंह शेखावत के करीबी बता कर बैतूल जिले में बडे पैमाने पर फर्जी एवं अवैध रूप से बारूद - जिलेटीन - डिटोनेटर्स - अन्य विस्फोटक सामग्री गोरखधंधा कर रहा है। बैतूल जिले के भैसदेही - आठनेर - भीमपुर - मुलताई - बैतूल के भाजपा नेताओं के संरक्षण में अभी तक सैकड़ो ट्रको की सप्लाई वह जिले की सैकड़ो ग्राम पंचायतो के हजारो कपिलधारा योजना के कूपो के लिए कर चुका यह सप्लायर को उतनी मात्रा में सपलाई हुई नहीं जितनी की वह खपत का ग्राम पंचायतो से भुगतान पा चुका है।
जबसे सागर से लापता हुये बारूद के ट्रको का मामला सामने आया तबसे बैतूल जिले का सबसे बड़ा विस्फोटक सप्लायर एवं उपयोगकत्र्ता खोमई का शेखावत परिवार भाजपा नेताओं के संरक्षण में है। भैसदेही क्षेत्र से जिला पंचायत के सदस्य एवं इंका नेता पंजाब राव कवड़कर एवं भैसदेही क्षेत्र के इंका विधायक धरमू सिंह ने प्रदेश की भाजपा सरकार से कपिलधारा कूपो के निमार्ण कार्य में उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री के मामले की सी बी आई से जाचं की मांग की लेकिन कुद दिनो के बाद दोनो नेताओ के सूर और ताल बदल गये। दोनो कांग्रेस के दिग्गज नेताओ ने इस संवेदनश्रील मामले को लेकर पहले तो जन आन्दोलन की भी धमकी दी थी लेकिन अब उसकी भी न जाने क्यों हवा निकल गई। बैतूल जिले में अभी तक उपयोग में लाई गई विस्फोटक सामग्री की खफत आवक से 70 गुण ज्यादा बताई जा रही है। बैतूल जिले में जिन लोगो के पास विस्फोटक सामग्री के संग्रहण एवं उपयोग के लायसेंस एवं पंजीयन प्रमाण पत्र है उनमें से मात्र दस प्रतिशत लोगो के लिए बिल ग्राम पंचायतो में लगे है शेष सभी 90 प्रतिशत से अधिक के बिल खोमई - गुदगांव के बब्बू शेखावत की कपंनी के लगे हुये है।
ग्रामिणो का सीधा आरोप है कि महिला अशिक्षित एवं आदिवासी होने के कारण उसका लड़का ही गांव की सरपंची करता रहता है। राष्टड्ढ्रपिता महात्मा गांधी का पंचायती राज का सपना इन गांवो में चकनाचूर होते न$जर आ रहा है क्योकि कहीं सरपंच अनपढ़ है तो कई पंच ऐसे में पूरा लेन - देन सचिवो के हाथो में रहता है। अकसर जिला मुख्यालय तक आने वाली अधिकांश शिकायतो और सरंपचो को मिलने वाले धारा 40 के नोटिसो के पीछे की कहानी पंचायती राज में फैले भ्रष्टड्ढ्राचार का वाजीब हिस्सा न मिलने के चलते ही सामने आती है। बैतूल जिले में 545 ग्राम पंचायतो के सरपंचो और सचिव के पास पहले तो साइकिले तक नहीं थी अब तो वे नई - नई फोर व्हीलर गाडिय़ो में घुमते न$जर आ रहे है। जिले में सरपंच संघ और सचिव संघ तक बन गये है जिनके अध्यक्षो की स्थिति किसी मंत्री से कम नहीं रहती है। अकसर समाचार पत्रो में सत्ताधारी दल के नेताओं और मंत्रियो के साथ इनके छपने वाले और शहरो में लगने वाले होर्डिंगो के पीछे का खर्च कहीं न कहीं पंचायती राज के काम - काज पर ऊंगली उठाता है। बैतूल जिले में अभी तक अरबो रूपयो का अनुदान कपिलधारा के कुओ के लिए आ चुका है लेकिन रिजल्ट हर साल की बरसात में बह जाता है।
अब राज्य सरकार केन्द्र सरकार से मिलने वाले अनुदानो का अगर इसी तरह हश्र होने देगी तो वह दिन दूर नहीं जब पंचायती राज न होकर पंचायती साम्राज्य बन जायेगा जिसके लिए बोली लगेगी या फिर गोली......जिले में स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत 3 हजार 895 स्वसहायता समूहो के लिए वर्ष 2007 एवं 2008 में 770.72 लाख रूपये का ऋण स्वीकृत कर उन्हे रोजगार शुरू करने के लिए दिये जा चुके है लेकिन जिले में कई ऐसे फजी स्वसहायता समूह के नाम उजागर हुये जिनके नाम और काम की कथित आड लेकर सरकारी रूपयो की हेराफेरी की गई है। बैतूल जिले में 5182.739 लाख रूपये में 1हजार 481 ग्रामिण सडको का निमाण कार्य करवाया गया है उनमें से अधिकांश सडको का निमार्ण कार्य भाजपाई ठेकेदारो द्धारा करवाय जाने से अधिकंाश सडके अपने मूल स्वरूप को खो चुकी है। जिले में 3132.280 लाख रूपये से 5 हजार 590 जल संरक्षण के कार्य करवाये गये उसके बाद भी जिले का जल स्तर नहीं बढ सका है। बैतूल जिले को सुखा अभाव ग्रस्त जिला घोषित किया गया है। जिले में इन पंक्तियो के लिखे जाने तक 21 लाख पौधो का रोपण कार्य कागजा पर दिखा कर सरकारी राशी को खर्च तो कर डाला है पर जिले में इन पंक्तियो के लिखे जाने तक कथित हरियाली के दावो को जिले में बडे पैमाने पर होने वाली अवैध कटाई से न देख कर उन पौधो की ही बात की जाये तो एक कडवी सच्चाई यह सामने आ रही है कि जिले में बमुश्कील दस लाख पौधे भी जीवित स्थिति में नहीं है। जिले में नंदन फलोउद्यान योजना का यह हाल है कि जिले में इस योजना के तहत शाहपुर जनपद में बुलवाये गये हजारो पौधे रापित होने के पूर्व ही काल के गाल में समा गये। जिन 4 हजार 226 चिन्हीत हितग्राही में से मात्र 2 हजार 630 हितग्राहियो को कुल स्वीकृत 2243.620 हेक्टर भूमि में से मात्र 353.181 हेक्टर भूमि पर 58 हजार 883 पौधो को लगाने के लिए नंदन फलोउद्यान योजना को लंदन फलोउद्यान योजना समझ कर सरपंच एवं सचिवो ने अपने आला अफसरो के साथ मिल कर खुब लूट - खसोट की।
जिले में स्वीकृत राशी 1380.427 लाख रूपये में से 107. 343 लाख रूपये कथित हरियाली में खुशीयाली सिद्धांत को प्रतिपादित करने के नाम खर्च कर डाली गई। आकडो की बाजीगरी पर जरा गौर फरमाये तो पता चलाता है कि ग्रामिण यांत्रिकी विभाग के पास 167 स्वीकृत है जिसमें से उसने मात्र 19 कार्य पूर्ण तथा 78 कार्यो को प्रगति पर बता कर स्वीकृत लागत राशी 3019.581 लाख रूपये में से अभी तक 996.574 लाख रूपये खर्च कर डाले। इसी कडी में जल संसाधन विभाग ने कुल स्वीकृत 113 कार्यो में से एक भी कार्य को पूर्ण नहीं किया और कुल स्वीकृत 563.658 लाख रूपये में से कथित 23 कार्यो को प्रगति पर बता कर 166.866 लाख रूपये खर्च कर डाले। लोक निमार्ण विभाग ने अपने 8 स्वीकृत कार्यो में से एक भी कार्य को पूर्ण नही किया और 8 कार्यो को प्रगति पर बता कर कुल स्वीकृत 156.89 लाख रूपये में से 38.81 लाख रूपये खर्च कर डाले।
सबसे अधिक वन विभाग ने अपनी पूरे जिले में फैली वन सुरक्षा समितियों की आड में 1027 कार्य स्वीकृत कर उनसे से मात्र 1 कार्य को पूर्ण बता कर 514 कार्यो की प्रगति के लिए स्वीकृत 2010.749 लाख रूपये में से 170.433 लाख रूपये का व्यय बता कर उक्त राशी का कथित कागजी गोलमाल करने मेें बाजीगरी दिखा डाली। सबसे आश्चर्य चकित करने वाली बात यह है कि फलोउद्यान विभाग ने मात्र एक कार्य को स्वीकृत करने में महारथ तो हासिल की पर उसे भी पूर्ण नहीं किया और उसकी प्रगति के लिए 8.33 लाख रूपये में से 6.85 लाख रूपये खर्च कर डाले। फलोउद्यान विभाग अपने इस कार्य को न तो दिखा सका है और न उसकी प्रगति को परिभाषित कर पाया है। कृषि विभाग ने भी अपने 4 स्वीकृत कार्यो को प्रगति पर बता कर एक कार्य को भी पूर्ण होना न बता कर उक्त कथित प्रगति के लिए 44.770 लाख रूपये में अभी तक 27.067 लाख रूपयो का बिल बाऊचर पेश कर सभी रूपयो को खातो से निकाल बाहर कर उसे रफा - दफा कर डाला। बैतूल जिले में 1 हजार 582 स्वीकृत कार्यो मेें मात्र 58 कार्य पूर्ण तथा 708 कार्य अपूर्ण है। जिले की विभागवार 7 निमार्ण एजेंसी कुल स्वीकृत राशी 5928.593 लाख रूपये में से 1406.60 लाख रूपये खर्च कर चुकी है। बैतूल जिले में किसानो को एक नारा देकर बहलाने एवं फुसलाने का काम किया गया कि हर खेत की मेड और हर मेड पर एक पेड लेकिन सच्चाई कुछ और ही बयंा करती है।
सतपुडा की पहाडियों से घिरे बैतूल जिले में पानी के कथित बहाव एवं बाढ के पानी से भूमि के कटाव को रोकने के लिए 893.184 हेक्टर के क्षेत्रफल की भूमि को चिन्हीत किया जिसमें से 3.38.891 मीटर की भूमि पर कथित कंटूर ट्रंच का निमार्ण कार्य किया गया तथा उबड - खाबड भूमि को समतल करने के लिए भूमि शिल्प उप योजना के तहत 1035215मीटी भूमि पर कथित मेड बंधान का कार्य पूर्ण होना बताया गया लेकिन खेतो की मेड दिखाई दे रही है और समतल भूमि जिस पर रोजगार ग्यारंटी योजना का करोडो रूपैया पानी की तरह बहा दिया गया। बैतूल जिले में दस जनपदो से अध्यक्ष एवं मुख्यकार्यपालन अधिकारियों एवं 558 ग्राम पंचायतो के सरपंचो तथा सचिवो से प्रत्येक स्वीकृत कार्य के लिए तथा पूर्ण होने के बाद कथित चौथ वसूली के कारण ही बाहर से आने वाली रोजगार ग्यारंटी योजना की सर्वेक्षण टीम को मोटी रकम एवं उनकी कथित सेवा चाकरी के बल पर चिचोली जनपद पंचायत में सडको के किनारे लगवाई गई फैसिंग के सीमेंट के पोलो में लोहे की राड के बदले बास की कमचियों के मिलने के दर्जनो मामलो को नजऱ अदंाज कर भारत सरकार के ग्रामिण रोजगार ग्यारंटी विभाग की टीम ने बैतूल जिले में बडे पैमाने पर हुये इस योजना में घोटले - भ्रष्ट्राचार - लूटखसोट - घटिया निमार्ण कार्य के मामलो को नजऱ अंदाज कर अपनी जेबो की जगह सूटकेस भर - भर माल ले जाकर बैतूल जिले को रोजगार ग्यारंटी योजना में प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में भी अव्वल नम्बर के जिलो की श्रेणी में ला खडा कर दिया।
आज बैतूल जैसे आदिवासी जिले में मुख्यमंत्री के कथित साले होने का फायदा उठाने में जिले के वर्तमान कलैक्टर ने कोई कसर नहीं छोडी। आज अपनी पदौन्नति के बाद बैतूल जिले में मुख्यमंत्री को लोकसभा के चुनावो में बैतूल जिले से जीत का सेहरा बंधवाने के बाद ही बैतूल जिले से उनकी बिदाई संभव है लेकिन राजनैतिक गलियारे में चर्चा जोरो पर है कि उन्हे नर्मदापूरम संभाग का कमीश्रर बनाया जा सकता है ताकि वे बैतूल से दोनो हाथो से लडडू खा सके। इस समय बैतूल जिले को चारागाह समझने वाले अफसरो में आरईएस के मेघवाल का नाम भी अव्वल दर्जे पर आता है। इस अधिकारी की बैतूल जिले में कमाई वाले विभाग में बरसो से अगंद के पांव की तरह जमें रहने के पीछे की सच्चाई के पीछे रोजगार ग्यारंटी योजना का पैसा ही दिखाई पडता है।
जिले में ग्रामिणी यांत्रिकी विभाग को सबसे बडा कमाई का माध्यम मानने वाले लोगो में नेता - अभिनेता - अफसर यहाँ तक की पत्रकार भी शामिल है। बैतूल जिले में वित्तीय वर्ष 2006 एवं 2007 में जल संवर्धन एवं संरक्षण के 1 हजार 107 कार्य पूर्ण बताये गये जबकि वर्ष वित्तीय वर्ष 2007 से अप्रेल 2008 में 1957 कार्य तथा वर्तमान में वित्तीय वर्ष 2008 एवं 2009 में 526 कार्य पूर्ण बताये गये। इसी कडी में सुखे की कथित रोकथाम एवं वनीकरण के लिए पहले चरण में 754 कार्य तथा दुसरे चरण में 555 तथा तीसरे चरण में एक भी कार्य पूर्ण नहीं हो सके है। अभी तक वैसे देखा जाये तो जिले में प्रथम चरण में 8 निमार्ण एजेंसियो द्धारा 6 हजार 519 कार्य एवं 6840 कार्य प्रगति पर बताये गये। दुसरे चरण में 7052 कार्य पूर्ण तथा 11333कार्य प्रगति पर बताये गये। तीसरे चरण में 1924 कार्य पूर्ण तथा 12085 कार्य प्रगति पर बताये गये है। अभी तक कुल तीनो चरणो में अरबो रूपये व्यय किये जा चुके है। ग्राम पंचायतो में भ्रष्ट्राचार की तस्वीर बयां करती एक घटना देखिये उस दिन जिला कलैक्टर की तथाकथित जन सुनवाई में उम्र लगभग 35 साल नाम चन्द्र किशोर वल्द हरिनंदन जाति विश्वकर्मा लोहार पिछड़ा वर्ग निवासी गुवाड़ी मोहल्ला ग्राम बिसलदेही ग्राम पंचायत सुखाढाना निवासी हाथ में एक कागज का टुकड़ा लेकर आता है और फरियाद करता है कि उसे ग्राम पंचायत ने उसके गरीबी रेखा के नीले कार्ड पर दर्ज पर दर्ज गरीबी रेखा सर्वे सूचि 2006 एवं बीपीएल सर्वेक्षण 2002 - 2003 पर पंजीयन क्रंमाक 51 के अनुसार उसे राज्य सरकार की कथित अपना घर योजना के लिए 35 हजार रूपये का अनुदान स्वीकृत किया जिसमें ग्राम पंचायत सुखाढाना ने उसके रोजगार ग्यारंटी के बगडोना स्थित बैंक में खाता क्रंमाक30531245626 में 17 हजार 5 सौ रूपये जमा करवा दिये एवं उसे एक चेक भी दिया कि वह उसके खाता क्रंमाक 30531245626 में जमा कर दे।
कुल 35 हजार रूपये में अपना घर का साकार करने वाले चन्द्रकिशोर से सरपंच श्रीमति शांता बाई के पति मांगीलाल एवं ग्राम पंचायत सुखाढाना के सचिव ने जबरन उसे अपने साथ ले जाकर स्वंय लिखित विडाल फार्म पर हस्ताक्षर करवा कर उसके खाते से 17 हजार 5 सौ रूपये निकाल लिये। अब चूँकि मामला कलैक्टर की जनसुनवाई के बहाने मीडिया तक पहँुचा तो सरपंच पति एवं सचिव उस पर दबाव डाल रहे है तथा लालच दे रहे है कि इस बार की योजना सिर्फ आदिवासी एवं दलित समाज के लोगो के लिए थी इसलिए चेक द्वारा जमा बाकी रूपये भी विडाल करके वापस कर दे। अगर वह ऐसा करता है तो ग्राम पंचायत की ओर से अगली बार उसे अपना घर के लिए 35 हजार रूपये का अर्थिक अनुदान मिल जायेगा। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो उसे वे किसी भी मामले में झुठा फंसा कर जेल भिजवा देगें। खबर लिखे जाने तक उस दबाव डालने की राजनीति हो रही थी। सरपंच सचिव का यह कहना है कि उनकी पार्टी के सासंद एवं विधायक है इसलिए कोई उनका बालबांका भी नहीं कर सकता। अब समस्या यह है कि इस खस्ता हाल मकान को देखने के बाद गांव के सरपंच एवं सचिव ने जब योजना पिछड़ा वर्ग के लोगो के लिए नहीं थी तो आखिर बिना किसी लोभ या लालच के उसके बैंक खाता क्रंमाक 30531245626 में 17 हजार 5 सौ रूपये कैसे डाल दिये.....? जब उसके खाते में रूपये डालने के साथ - साथ उसे 17 हजार 5 सौ रूपये का चेक भी क्यों जारी कर दिया.....? चलो एक पल के लिए मान भी लिया जायें कि ग्राम पंचायत सुखाढाना की तत्कालिन सरपंच श्रीमति शांताबाई पढ़ी - लिखी नहीं है लेकिन सचिव तो पढ़ा लिखा है। क्या उसे इतना भी पता नहीं कि कौन सी योजना किसके लिए बनी है.....? ऐसे में तो सचिव के खिलाफ यदि चन्द्रकिशोर किसी कारण वश दबाव में आ जाता है तब भी आर्थिक अपराध एवं जालसाजी का मुकदमा दर्ज करवाना जिला प्रशासन का नैतिक दायित्व है क्योकि दस्तावेजो में साफ दिखाई देता है कि उसके खाते में पैसे जमा होने के बाद उसके खाते से पैसे निकाले गये है तथा बाकी के पैसो के निकाले जाने के लिए उस पर दबाव डाला जा रहा है।
चन्द्रकिशोर से जब पत्रकार मिले और उसने अपनी पीड़ा बताई जिस पर चन्द्रकिशोर विश्वकर्मा की आपबीती पर जब ग्राम पंचायत के सरपंच एवं सचिव जो कि दोनो ही आदिवासी समाज को प्रतिनिधित्व करते है उनका साफ कहना था कि कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। सासंद से लेकर विधायक तथा भाजपा के छुटभैया नेता और सीईओ तक उनके खास है। यहाँ यह खबर छापने के पीछे एक सच्चाई को उजागर करना है कि बैतूल जिले में ग्राम पंचायती राज ठीक उसी प्रकार चल रहा है कि सरकार गर्भवति महिला को प्रसुति जननी योजना का चेक देती है लेकिन यदि गलती से किसी अविवाहित कन्या के नाम पर चेक जारी हो जायें और वह अपने खाता में पैसा जमा कर दे तो उससे यह कह कर पैसा वापस लिया जा सकता है कि जब तेरी डिलेवरी होगी तब तुझे भी पैसा दे देगें...? किसी भी गरीब का यह अपमान नहीं है कि उसे अपना घर के नाम पर रूपैया देने के बाद उसके जबरिया हस्ताक्षर से उसके खाते से रूपैया निकाल कर दुसरे के खाते में डाल दिया जाये। अब चुनावी माहौल में ऐसे कई मामले रोज उजागर होगें लेकिन सजग प्रशासन का दायित्व बनता है कि वह ऐसे मामलो पर भी गंभीरता दिखायें ताकि लोगो को लगे कि जिले का मुखिया आज भी सबका है ना कि किसी व्यक्ति या पार्टी विशेष का......? अब देखना बाकी है कि हमारी इस तीखी खबर का क्या असर होता भी है या फिर वही ढाक के तीन पात रह जायेगें....? वैसे तो बैतूल जिले में ग्राम पंचायतों में ऐसे सैकड़ो मामले मिल जायेगें लेकिन इन सारे मामलो को जब तक राजनैनिक एवं प्रशासनिक संरक्षण एवं सहयोग मिलता रहेगा तब तक चन्द्रकिशोर जैसे कई लोग यूँ ही ठगते रहेगें। बैतूल जिले में कमाई का जरीया बनी रोजगार ग्यारंटी योजना का सही ढंग से मूल्याकंन एवं सत्यापन हुआ तो जिले के कई अफसर और सरपंच एवं सचिव जेल के सखीचो के पीछे नजऱ आयेगें लेकिन रोजगार ग्यारंटी योजना में बडे पैमाने पर भ्रष्ट्रचार करने वाले सरपंच - सचिवो से लेकर अधिकारी तक सभी राजनैतिक दलो एवं विचारो से जुडे होने के कारण सभी राजनैतिक दलो द्वारा केवल दिखावे के लिए रोजगार ग्यारंटी योजना में धांधली एवं भ्रष्ट्राचार की बाते कहीं जाती रही है। अब देखना बाकी यह है कि आखिर कब तक फर्जी वाडे के बल पर बैतूल जिला नम्बर अव्वल में आता रहेगा।

Wednesday, December 29, 2010

swish bank blak money स्विश बैंक में जमा कराए 70 हजार करोड़ रुपए.

दिग्गज नेताओं ने स्विश बैंक में जमा कराए 70 हजार करोड़ रुपए

भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी तक शामिल

विनय जी. डेविड MOB 09893221036
toc news internet channel (टाइम्स ऑफ क्राइम)

टाइम्स ऑफ क्राइम में प्रकाशित

भोपाल, गुरुवार, 30 दिसम्बर 2010 से 05 जनवरी 2011




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