ब्यूरो प्रमुख // मनीष साहू 'बन्टी' (नरसिंहपुर // टाइम्स ऑफ क्राइम)
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नरसिंहपुर. अपहरण के मामले में गवाह और गोटेगांव क्षेत्र में अवैध उत्खनन के बारे में लगातार प्रशासन को खनन माफियाओं की जानकारी देने वाले दो व्यक्तियों मनोज चौकसे और बलराम राजपूत की विगत 27 मार्च की शाम 6 बजे के करीब नरसिंहपुर से 10 किलोमीटर दूर बहोरीपार गांव के पास हत्या कर दी गई। मृतक मनोज चौकसे एवं बलराम नरसिंहपुर किसी कार्य से आये थे और वापिस गोटेगांव लौटते समय उनकी नृशंस हत्या कर दी गई। इसके पूर्व इन दोनों के द्वारा पुलिस अधीक्षक नरसिंहपुर व पुलिस महानिरीक्षक जबलपुर को आवेदन देकर सुरक्षा की मांग की गई थी और उन्होंने पुलिस अधिकारियों को यह बताया था कि उन्हें अपहरण के एक मामले में गवाही को लेकर संबंधित पक्ष के लोगों द्वारा डराया धमकाया व मारने की धमकी दी जाती है।
पुलिस द्वारा इन दोनों के बातों पर ध्यान नहीं दिया गया और अतत: उनकी हत्या सुनियोजित तरीके से कर दी। मृतकों के परिजनों का यह भी कहना है कि इनके द्वारा कुछ लोगों द्वारा अवैध खनन माफियाओं पर कार्यवाहीं किये जाने की शिकायत करने के बाद भी प्रशासन इन खनन माफियाओं पर कार्यवाहीं करने से डरता था। लोगों के अनुसार नरसिंहपुर गोटेगांव मार्ग पर जब यह घटना घटित की गई उस समय सडक़ बिल्कुल सुनसान थी और हत्यारों ने मोटर साईकिल पर जा रहे इन दोनों युवकों को वाहन आदि से ओवरटेक करके रोका और रोककर जब वे भागने लगे तो उन्हें पकडक़र वाहन से घसीटा गया मृतक बलरात राजपूत के तो बाल पकडक़र खींचे जाने से सिर के बाल तक उखड़े हुए थे।
इस दौरान पुलिस को घटनास्थल क पास से एक माऊजर रिवाल्वर की मैगजीन भी पड़ी मिली थी। जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा था कि घटना के वक्त भागते समय मृतकों के ऊपर गोली भी चलाई गई। इस मामले में पीडि़त पक्ष के लोगों का यह भी कहना है कि पुलिस पहले इस घटना को दुर्घटना बताकर मामले से पल्ला झाडऩे की कोशिश कर रही थी किंतु मृतकों के शरीर से दूर लगभग 500 फुट दूर पड़ी मोटर साईकिल और मृतकों के पास से ही मैगजीन का मिलना हत्या किये जाने की पुष्टि करता है। मृतकों के गुस्सायें परिजनों ने इस दौरान घटनास्थल पर एस.डी.ओ.पी. एम.एस. गिल की कार्यप्रणाली को लेकर भी खूब खरी खोटी सुनाई और हत्या का मामला दर्ज होने के बाद ही घटनास्थल से मृतकों के शव उठाये जाने की बात कहीं गई थी।
मृतकों में युवक मनोज चौकसे गोटेगांव युवक कांग्रेस का अध्यक्ष था और बलराम राजपूत भी कांग्रेस प्रवक्ता का पुत्र था। इस मामले में जहां दोनों कांग्रेसी युवकों की मौत से सारा जिला आतंक से भयभीत था तो इस घटना में मृतकों के पोस्टमार्टम के दौरान नरसिंहपुर के कांग्रेसी मृतकों के परिजनों को सांत्वना देने तक अस्पताल परिसर नहीं पहुंचे थे, जिसको लेकर आम जनता ऐसे कांग्रेसियों की चर्चाये और नाम गिनाती रही। नरसिंहपुर दिन दहाड़े हुई सुनियोजित तरीके से इस हत्याकांड को लेकर लोगों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी असंतोष जताया और एस.डी.ओ. गिल सहित आला अधिकारियों को बार बार बताने के बाद भी उनके द्वारा राजनैतिक दबाव के चलते कार्यवाही न करने पर आम जनता की स्थिति पर लोगों ने भयमुक्त शासन को खोखला बताया।
जिले में हुई इस हत्यााकांड की प्रतिक्रियायें भाजपा के उन लोगों के लिये भी सोचने को मजबूर कर रही है कि एक ओर जहां अवैध खनन और माफियामुक्त राज्य की बातें की जा रही है। दृसरी और लोगों को सुनियोजित तरीके से हत्याओं को अंजाम दिया जा रहा है। इसे लेकर अब जिले में विरोध की लहर भी चल रही है। आगे इस मामले में हत्यारों को पुलिस कब तक गिरफ्तार कर पाती है। इसे लेकर लोगों ने भाजपा के लोगों से मामला जुड़ा होने की वजह से संदेह व्यक्त किया है।
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