ब्यूरो प्रमुख // पी.वेंकट रत्नाकर (कटनी//टाइम्स ऑफ क्राइम)
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कटनी. आदतन अपराधी न होने के बावजूद यदि मामूली विवाद के चलते कोई नवयुवक कोतवाली पहुंच जाए और उस विवाद को भुलाकर सामान्य जीवन जीने का प्रयास करे तो यह भी पुलिस को नागंवार गुजरता है। हां चढ़त्ररी में यदी मुंहमांगी रकम मिल जाये तो पुलसिया कृपा जरूर मिलती है। ऐसा ही एक कारनामा थाना प्रभारी डीएल तिवारी की छत्रछाया में कोतवाली में पदस्त दो सिपाही विश्नुदत्त शुक्ला एवं गुड्डू मेजर ने 28/03/12 को अंजाम दिया बनाये गये अपराधी प्रमोद पाण्डे से 25 आम्र्स एक्ट का केस और न बढ़ाने के लिये धमकी देते हुये 1500 सौ रूपये की मांग की गई यह स्वंय प्रमोद पाण्डे ने बताया की मुझ पर और केस लगाने की धमकी दी जा रही है और रूपयों की मांग की गई। रेल्वे कालोनी निवासी प्रमोद पाण्डे तीन माह पूर्व आटो चलाता था उस समय सवारियों को बैठाने और नंबर को लेकर उसका विवाद आटो चालक शैलेन्द्र सिंह हुआ था और पुलिस ने प्रमोद पाण्डें व उसके साथियों के विरूध मामला दर्ज कर विवेचना में ले लिया। घटना के बाद प्रमोद ने आटो चलना छोड़ दिया और कम्पूटर क्लास ज्वाइन कर ली आटो किराये पर दे दिया। 28 मार्च को जब प्रमोद कम्पूटर क्लास से वापस लौटा आटो चालक ने बताया की जुहला वायपास के समीप शैलेन्द्र ने पत्थर मारकर आटो का कांच तोड़ दिया है।
प्रमोद सीधा कोतवाली शिकायत दर्ज कराने पहूंचा। थाना प्रभारी के निर्देश पर पुलिस शैलेन्द्र को थाने ले आई लेकिन दोनों को पुलिस ने धारा 151 के तहत कार्यवाही कर दी। थाने से दोनों को एसडीएम न्यायलय में पेश करने के लिये जिन सिपाहियों को दायित्व सौंपा गया तथा सिपाहयिो ने मानवाधिकार की धज्जियां उड़ाते हुये प्रमोद पाण्ड़ें एवं शैलेन्द्र को हथकड़ी लगा कर एसडीएम न्यायलय में पेश किया जबकि यह एक प्रतिबंधात्मक कार्यवाही मानी जाती है। उसके बाद भी पुलिस प्रताडि़त करने से बाज नहीं और एसडीएम न्यायलय से जमानत मिलने के बाद सिपाहियों ने प्रमोद से हथकड़ी खोलने का पैसा मांग रहे थे जिससे इतना व्यथित हुआ की वह घर पहूंच कर आत्मघाति कदम उठाने का प्रयास किया। इस संबंध में जब एस.पी. मनोज शर्मा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अमूनन प्रतिबंधात्मक कार्यवाही में निर्देशानुसार हथकड़ी नहीं लगाई जाती है, किन्तु यदि अपराध गंभीर है तो हथकड़ी लगाई जा सकती है। अब यह तो कोतवाली थाना प्रभारी और उनके सिपाही ही बता सकते कि शिकायत दर्ज करीने कोतवाली पहुंचना कितना गंभीर अपराध है।
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