रांची। भक्त: बाबा मैं सीए बनना चाहता हूं। बाबा: किस पेन से लिखते हो? भक्त: सस्ते वाले पेन से। बाबा: ब्रांडेड पेन से लिखना शुरु कर दो सीए बन जाओगे। जी हां सही सोचा आपने हम यहां बात कर रहे हैं अजीबो गरीब नुख्सों से लोगों के दुख दूर करने वाले निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा की। निर्मल बाबा अब एक अलग तरह की मुसिबत में घिरते नजर आ रहे हैं। झारखंड के रहने वाले एक व्यक्ति ने बाबा पर भगौड़े होने का आरोप लगाया है।
झारखंड से प्रकाशित होने वाले एक हिंदी न्यूज पेपर के मुताबिक नागेंद्र नाथ राय नामक व्यक्ति ने बाबा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने करीब एक साल तक पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा में रहकर कायनाइट पत्थर के खनन का काम किया। इस दौरान निर्मल बाबा ने नागेंद्र राय के मकान में दो कमरे किराए पर लिए। उन्होंने पुलिस को बताया कि 1999 में एक साल किराए पर रहने के बाद बाबा एक दिन कमरों में ताला लगाकर अचानक गायब हो गए। उन्होंने 5 महीनों का कमरों का किराया भी नहीं चुकाया।
मकान मालिक ने बताया कि निर्मल बाबा ने 1998 में दो कमरे किराए पर लिए थे। उस समय उनका नाम निर्मल जीत सिंह था। कमरों का किराया 300 रुपए था। शुरू में तो बाबा कमरों का किराया चुकाते रहे, लेकिन फिर किराया देना बंद कर दिया और 5 महीने बाद अचानक गायब हो गए। कमरों का ताला तोड़ने पर एक चारपाई, दो जोड़ी चप्पल, एक लोटा और थोड़ा बहुत सामान बरामद हुआ।
वहीं दूसरी तरफ निर्मल बाबा पर लगे तमाम आरोपों की वजह से हरिद्वार का संत समाज उनका विरोध कर रहा है। हरिद्वार में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरी ने कहा है कि निर्मल बाबा को ढकोसला नहीं करना चाहिए। महंत हरिगिरी का कहना है कि निर्मल बाबा जैसे लोग जनता को गुमराह करके उन्हें ठग रहे हैं। उन्होंने कहा, कभी भी कोई संत अपने कृपा के लिए पैसे नहीं लेता और इसका हंगामा नहीं करता। यह बहुत ही ग़लत है।
झारखंड से प्रकाशित होने वाले एक हिंदी न्यूज पेपर के मुताबिक नागेंद्र नाथ राय नामक व्यक्ति ने बाबा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने करीब एक साल तक पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा में रहकर कायनाइट पत्थर के खनन का काम किया। इस दौरान निर्मल बाबा ने नागेंद्र राय के मकान में दो कमरे किराए पर लिए। उन्होंने पुलिस को बताया कि 1999 में एक साल किराए पर रहने के बाद बाबा एक दिन कमरों में ताला लगाकर अचानक गायब हो गए। उन्होंने 5 महीनों का कमरों का किराया भी नहीं चुकाया।
मकान मालिक ने बताया कि निर्मल बाबा ने 1998 में दो कमरे किराए पर लिए थे। उस समय उनका नाम निर्मल जीत सिंह था। कमरों का किराया 300 रुपए था। शुरू में तो बाबा कमरों का किराया चुकाते रहे, लेकिन फिर किराया देना बंद कर दिया और 5 महीने बाद अचानक गायब हो गए। कमरों का ताला तोड़ने पर एक चारपाई, दो जोड़ी चप्पल, एक लोटा और थोड़ा बहुत सामान बरामद हुआ।
वहीं दूसरी तरफ निर्मल बाबा पर लगे तमाम आरोपों की वजह से हरिद्वार का संत समाज उनका विरोध कर रहा है। हरिद्वार में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरी ने कहा है कि निर्मल बाबा को ढकोसला नहीं करना चाहिए। महंत हरिगिरी का कहना है कि निर्मल बाबा जैसे लोग जनता को गुमराह करके उन्हें ठग रहे हैं। उन्होंने कहा, कभी भी कोई संत अपने कृपा के लिए पैसे नहीं लेता और इसका हंगामा नहीं करता। यह बहुत ही ग़लत है।
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