लखनऊ। Apr 17, 2012 आध्यात्मिक गुरू होने और
सामान्य बातों से लोगों का कष्ट दूर कर देने का दावा करने वाले निर्मल बाबा
ऊर्फ निर्मलजीत सिंह नरूला के खिलाफ सबसे पहले झंडा बुलंद करने वाले यहां
के दोनो बच्चों ने रिपोर्ट लिखाने के लिए आज अदालत का सहारा लिया।
निर्मल
बाबा के खिलाफ सबसे पहले यहां के दो बच्चों 16 वर्षीय तनया ठाकुर और उसके
13 वर्षीय भाई आदित्य ने आवाज उठाई और रिपोर्ट लिखाने के लिए पुलिस के छोटे
बड़े अधिकारियों के पास गए। पुलिस ने शिकायत को मंजूर कर ली लेकिन
प्राथमिकी दर्ज नहीं की। दोनों बच्चों ने आज इसके लिए अदालत का दरवाजा
खटखटाया और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में याचिका दी।
भाई
बहनों के विरोध शुरू करते ही निर्मल बाबा के खिलाफ पूरे देश में धरना
प्रदर्शन शुरू हो गया। कानपुर में दो दिन पहले उनका पुतला फूंका गया। कई
स्थानों पर रास्ता भी जाम किया गया। अब पूरे देश में धीरे-धीरे निर्मल बाबा
की धोखाधड़ी सामने आ रही है। तनया ठाकुर ने कहा कि उसने अपने भार्ई के साथ
रिपोर्ट लिखाने की हिम्मत दिखाई लेकिन पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने की
हिम्मत नहीं दिखा रही है।
लखनऊ
निवासी तनया ठाकुर और आदित्य ठाकुर ने सबसे पहले पिछले 10 अप्रैल की शाम
थाना गोमती नगर में प्राथमिकी के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। उनका कहना था
कि निर्मल बाबा अत्यंत सरलीकृत समाधान प्रस्तुत कर लोगों को ठगते हैं जो
भारतीय दंड विधान की धारा 417,419,420 के तहत धोखाधड़ी और धारा 508 में
ईश्वरीय नाराजगी का भय दिखा कर गलत लाभ लेना है। उन्हे यह कहा गया कि इस
मामले में जांच करने के बाद ही प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
पिछले
12 अप्रैल को उन्होंने पुलिस उपमहानिरीक्षक लखनऊ को पत्र के माध्यम से इस
घटना की जानकारी दी और प्राथमिकी दर्ज नहीं होने की बात बताई। पिछले 14
अप्रैल को उनके विराम खंड गोमतीनगर स्थित आवास पर गोमतीनगर थाने से एक
पुलिस सब इंस्पेक्टर आए और पूछताछ करके चले गए।
16
अप्रैल को तनया और आदित्य पुलिस महानिदेशक कार्यालय गए जहां वे अपर पुलिस
महानिदेशक कानून-व्यवस्था जगमोहन यादव से मिले। तनया के अनुसार यादव ने
उनकी बात सुनकर प्राथमिकी दर्ज करने से मना कर दिया और कहा कि इस तरह के
मामलों में पुलिस (एफआईआर) दर्ज नहीं करती क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो बहुत
एफआईआर दर्ज होने लगेंगे।
तनया ने बताया कि यादव ने उनसे कहा कि वह न्यायालय के आदेश से मुकदमा दर्ज कराएं।
सोलह
साल की तनया के लिए यह एकदम नया अनुभव है। उसने कहा कि एक तरफ तो पुलिस यह
कहती है कि तत्काल एफआईआर दर्ज होना चाहिए और कहां उनकी पहल करने के बाद
इतने गंभीर मामले में भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हो रही है। उन्होंनें आज
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 156 (3) सीआरपीसी के तहत याचिका
प्रस्तुत की है।
तनया
का कहना है कि पुलिस कहती है कि आप भुक्तभोगी नहीं हैं। रिपोर्ट तो कोई
भुक्तभोगी ही लिखा सकता है। उसने कटाक्ष किया कि पुलिस का यह आधार माना जाए
तो अग्रेजों के समय में समाप्त हुई सती प्रथा जैसी कुरीतियां अब भी बनी
रहती।
इन
बच्चों के विरोध के बाद पूरे देश में लोग निर्मल बाबा के खिलाफ मुखर हुए
और बाबा को खुद सामने आकर सफाई देनी पड़ी। बाबा का कहना है कि उनके ऊपर
लगाया जा रहा धोखाधड़ी का आरोप गलत है। उन्होंने अपनी आय के एक-एक पैसे पर
आयकर दिया है। वह किसी को धोखा नहीं देते। बाबा के जीजा और झारखंड से
निर्दलीय सांसद नामधारी सिंह ने भी निर्मल बाबा के खिलाफ बयानबाजी की थी।
सिंह ने कहा था कि उन्होंने निर्मल को कई बार समझाया कि टीवी पर नहीं आओ
लेकिन वह नहीं माने। नामधारी का कहना है कि वह नहीं मानते की निर्मलजीत के
पास कोई आध्यात्मिक शक्ति है।
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