विनय द्विवेदी
वैकल्पिक मीडिया ने पहली बार एक बहुत बड़ा और समाज के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया है-निर्मल ईंट से निर्मल बाबा बने निर्मलजीत नरूला को दुनिया के सामने निर्वस्त्र कर दिया। मैन स्ट्रीम मीडिया के लिए शर्म से डूब मरने के लिए ये घटना काफी है। इस मामले में जस्टिस काटजू की चुप्पी पर सवाल उठना स्वाभाविक है। देश के नेताओं और सरकारों का नरूला के सामने दंडवत होना शर्मसार करता है और अक्सर छापों के लिए चर्चा में रहने वाला आयकर विभाग मानो कुम्भकर्निय निद्रा में सोया हुआ है। ऐसे में इस देश के लिए अगर मीडिया के नाम पर कोई अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहा है तो वो वैकल्पिक मीडिया ही है-इसे सलाम किया जाना चाहिए।
मैं यहाँ पर निर्मल बाबा की वंशावली पर बात नहीं करूँगा क्योंकि उसके बारे में अब लोगों को पता चल गया है। इस मामले की बात हो या इससे पहले कई दूसरे ऐसे ही धंधेबाजों की बात हो, मैन स्ट्रीम मीडिया ऐसे मामलों में निर्मल बाबा जैसे धंधेबाजों के साथ धंधा करता हुआ खड़ा है। आज ख़बरों के पहरोकार बनने वाले मैन स्ट्रीम मीडिया के पास खबरें कम उसके अलाबा सबकुछ है।
सिनेमा की बातें तो खबर है लेकिन लाफ्टर शो कहाँ से खबर हो गई। लोगों को जंत्र, मंत्र और राशियाँ बेचने वालों के धंधे में उतर चुका मैन स्ट्रीम मीडिया जो अब कार्पोरेट मीडिया बन गया है, किस हैसियत से लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होने का दंभ भर रहा है। कितने बड़े बड़े नाम है इलेक्ट्रोनिक मीडिया में, जिन्हें हम रोज खबर बेचते देखते है। वे कुछ समय खबर बेचते हैं तो बाकी समय इन्हीं चैनलों पर और जाने क्या क्या बेचने वाले आ जाते है, कभी निर्मल बाबा तो कभी कोई और।
वैसे इन बड़े पत्रकारों में से कुछ के कारनामें तो देश देख और सुन ही चुका है। लाख टके का सवाल ये है की देश के वो पत्रकार जिन्हें इस देश के लोगों ने सर आँखों पर बैठाया और 'बड़ा' बनाया, क्या उन्हें देश और समाज के लिए अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं है? बिलकुल है। लेकिन सबसे पहले उन्हें उनके "मुनाफे" की जिम्मेदारी का अहसास है जो वे अपने स्वामी (जिनमें बड़े बड़े उद्योगपति शामिल हैं) की स्वामिभक्ति के लिए करते हैं। अब तो इन्हीं बड़े पत्रकारों में कई तो न्यूज़ चैनलों के मालिक या शेयर होल्डर बन गए हैं।
काटजू साहब जिन्हें कुछ मामलों में लोग सम्मान के साथ याद करते हैं वे भी निर्मल बाबा और ऐसे ही प्रपंचों के मामले में कोई गाइड लाइन देते नहीं दीखते। क्यों? इस सवाल का जबाब तो काटजू साहब ही दे सकते हैं-लेकिन जानकार अपने अपने अंदाजे तब तक तो लगाते ही रहेंगे, जब तक उनका जबाब नहीं मिल जाता।
नेताओं, सरकारों और आयकर वालों पर बात करने की कोई वजह नहीं है, वो इसलिए क्योंकि इनके लिए सबसे पहले उनके खुद के हित हैं। वैसे ये तो कहा ही जाएगा कि ये लोग ऐसे मामलों में अपनी जिम्मेदारियों के अलावा बाकी सब कर रहे हैं।
खैर, अब बात निर्मल बाबा एपिसोड की। खरीन्यूज़ से लेकर मीडिया दरबार, विस्फोट और भड़ास जैसे वैकल्पिक मीडिया के स्तंभों ने इस मामले में सराहनीय पहलकदमी की है। लेकिन कार्पोरेट मीडिया जिसके लिए सामान्य सी खबर जो अखबार के भीतर के पेज पर एक कालम की जगह पाने वाली हो उसे न्यूज़ चैनल दूसरे दिन तक ब्रेकिंग बता कर दिखाते है, इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। इसकी वजह सभी को मालूम है। अब जब वैकल्पिक मीडिया निर्मल ईंट वाले की ईंट से ईंट बाजा रहा है तो स्वाभाविक है निर्मल बाबा अपनी थर्ड आई की "थर्ड डिग्री" का इस्तेमाल भी करेंगे ही। उन्होंने मीडिया दरबार और भड़ास को लीगल नोटिस जारी करवा दिया है।
होना तो ये चाहिए था की या तो वे सार्वजनिक रूप से अपने ढोंग को स्वीकारते और देश के लोगों से माफ़ी मांगते या जिन जिन लोगों और पोर्टल्स ने उनका पर्दाफाश किया है, उन पर "कुकृपा" कर देते। लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकते, इसलिए अब क़ानून का डर दिखाकर धमकी देने पर उतर आये हैं। एक टी वी चैनल जिस पर उनकी कृपा नहीं चलती, उसे खबर रोकने की लिए करोड़ों रुपये की पेशकश की गई है लेकिन चैनल ने 'डील' से इनकार कर दिया है।
मैन स्ट्रीम मीडिया के कार्पोरेट मीडिया में तब्दील हो जाने के बाद वैकल्पिक मीडिया की जिम्मेदारी बढ़ गई है-इसका भान वैकल्पिक मीडिया को बखूबी है। इसे और अधिक मजबूत किये जाने की जरूरत से कोई इनकार नहीं कर सकता। कार्पोरेट मीडिया का चरित्र काफी हद तक "दलाल मीडिया" का हो गया है। इसलिए उनके सरोकार "मुनाफा" और टी आर पी के लिए हैं ना की देश और समाज के लिए। वैकल्पिक मीडिया आज पहले से ज्यादा मज़बूत है और उसे देश और समाज के प्रति अपने सरोकारों का अहसास है। वैकल्पिक मीडिया को कोई भी डरा धमका या खरीद कर चुप नहीं करा सकता। ये अपने ऊपर होने वाले हर हमले जिसमें ताजा हमला निर्मल दरबार का है, से और अधिक मुखर और जिम्मेदार बन कर सामने आएगा।
(इस लेख के सम्बन्ध में आप अपनी प्रतिक्रिया editor@kharinews.com पर मेल कर सकते हैं। निर्मल बाबा या ऐसे ही दूसरे ढोंगियों के बारे में आपके पास अगर कोई जानकारी है तो समाज और देश हित में उसे आप खरीन्यूज़ पर मेल कर सकते हैं-सम्पादक)
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