निर्मल जीत सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा ने भक्तों के पैसे से नयी दिल्ली के गेट्रर कैलाश में 30 करोड़ का होटल खरीदा है. भक्तों से समागम और दशवंद के नाम पर लिये गये पैसे से इसकी डील की है. इस होटल का नाम है, निर्मल बुटिक और होटल. वर्तमान में इसका मार्केट वैल्यू करीब 35 करोड़ है.
इस होटल के पूर्व मालिक अश्विनी कपूर के हवाले से एक समाचार चैनल का कहना है कि निर्मल बाबा होटलों की एक श्रृंखला शुरू करना चाहते थे. इसी क्रम में सितंबर 2011 के पहले सप्ताह में इस होटल की डील की. पूर्व में इसका नाम अक्षरा होटल था. अश्विनी कपूर कंपिटेंट होल्डिंग के प्रमुख हैं.
समाचार चैनल के इस खुलासे के दौरान अश्विनी कपूर कहते हैं, होटल की डिलिंग के दौरान निर्मल बाबा ने मुझसे करीब पांच बार मुलाकात की थी. खुद की निगरानी में टेकओवर का काम निबटाया. डिलिंग ब्रोकर के माध्यम से हुई थी. सारे भुगतान चेक से किये गये थे. निर्मल बाबा ने होटल के लिए निर्मल जीत सिंह नरूला के नाम के बैंक खाते (15460001 02129694) से भुगतान किया था. कुल तीन चेक दिये थे.
पहली बार 11 लाख रुपये का चेक दिया था. दूसरी बार पांच करोड़ का. पेपर क्लीयर करते समय शेष राशि का भुगतान किया था. 5 अगस्त को पहली बार मिले अश्विनी कपूर बताते हैं, निर्मल बाबा के साथ डील सिर्फ होटल की नहीं हुई थी. उन्होंने होटल के सारे सामान भी खरीदे थे. पांच अगस्त को उन्होंने पहली बार मुझसे मुलाकात की. इसके महीने भर के अंदर सारी औपचारिकताएं पूरी कर उन्हें पेपर सौंप दिया गया था. मुझे भी भुगतान मिल गया था. बाबा ने मेरे कुछ स्टॉफ भी होटल में रख लिये थे.
समाचार चैनल के इस खुलासे के दौरान अश्विनी कपूर कहते हैं, होटल की डिलिंग के दौरान निर्मल बाबा ने मुझसे करीब पांच बार मुलाकात की थी. खुद की निगरानी में टेकओवर का काम निबटाया. डिलिंग ब्रोकर के माध्यम से हुई थी. सारे भुगतान चेक से किये गये थे. निर्मल बाबा ने होटल के लिए निर्मल जीत सिंह नरूला के नाम के बैंक खाते (15460001 02129694) से भुगतान किया था. कुल तीन चेक दिये थे.
पहली बार 11 लाख रुपये का चेक दिया था. दूसरी बार पांच करोड़ का. पेपर क्लीयर करते समय शेष राशि का भुगतान किया था. 5 अगस्त को पहली बार मिले अश्विनी कपूर बताते हैं, निर्मल बाबा के साथ डील सिर्फ होटल की नहीं हुई थी. उन्होंने होटल के सारे सामान भी खरीदे थे. पांच अगस्त को उन्होंने पहली बार मुझसे मुलाकात की. इसके महीने भर के अंदर सारी औपचारिकताएं पूरी कर उन्हें पेपर सौंप दिया गया था. मुझे भी भुगतान मिल गया था. बाबा ने मेरे कुछ स्टॉफ भी होटल में रख लिये थे.
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