नई
दिल्ली| जनता को गुमराह करने के आरोप झेल रहे निर्मल जीत सिंह नरूला उर्फ
निर्मल बाबा की अकूत संपत्ति से अब पर्दा उठने लगा है। बताया जा रहा है कि
निर्मल बाबा ने समागम में भाग लेने वाले भक्तों से ‘निबंधन’ शुल्क और
‘दसबंद’ के नाम पर करोड़ों की दौलत इकट्ठा की है।
भक्तों से लिया जाता है आय का 10वां हिस्सा
निबंधन शुल्क एक प्रकार से समागम में आने की एंट्री फीस है, जिसमें 2 साल से ऊपर के बच्चे के भी दो हजार रुपए लिए जाते हैं। वहीं दसबंद वह शुल्क है, जिसमें बाबा के भक्तों को पूर्णिमा से पहले अपनी आय का 10वां हिस्सा निर्मल दरबार को देना होता है।
तीन महीनों में 109 करोड़ जमा
एक हिंदी अखबार ने बाबा के तीन बैंक अकाउंटों का खुलासा किया है। अखबार के मुताबिक पंजाब नेशनल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और यस बैंकों में बाबा के खाते हैं, जिनमें से दो खातों को रिकॉर्ड हाथ लगा है। इनमें से एक खाते में केवल जनवरी 2012 से अप्रैल 2012 के पहले सप्ताह तक 109 करोड़ रुपए जमा किए गए हैं। यानि 1.11 करोड़ रुपए प्रतिदिन जमा किए गए।
25 करोड़ रुपए की एफडी
वहीं दूसरे बैंक खाते में 12 अप्रैल 2012 को 14.93 करोड़ रुपए जमा हुए हैं। यह रकम सुबह 9.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक जमा की गई। शाम तक इस खाते में करीब 16 करोड़ रुपए जमा किए गए। इसके अलावा एक बैंक में बाबा के नाम से 25 करोड़ रुपए का फिक्स्ड डिपोजिट भी है। बाबा का एक खाता निर्मलजीत सिंह नरूला और दूसरा खाता निर्मल दरबार के नाम से है। निर्मल दरबार में भक्तों द्वारा जमा की रकम को बाद में बाबा अपने अकाउंट में ट्रांस्फर कर लेते हैं।
जनता की भावनाओं से खेल रहा है निर्मल
उधर, बाबा के सगे बहनोई और झारखंड के सांसद इंदर सिंह नामधारी ने साफ कहा है कि वे निजी तौर पर निर्मल बाबा के किसी भी चमत्कार से कोई इत्तेफाक नहीं रखते। वह कई बार निर्मल को जनता की भावनाओं से न खेलने की सलाह दे चुके हैं। नामधारी शुरुआती दिनों में निर्मल बाबा को अपना कैरियर संवारने में खासी मदद कर चुके हैं। उनके ससुर यानि निर्मल बाबा के पिता एसएस नरूला का काफी समय पहले देहांत हो चुका है और वे बेसहारा हुए निर्मल बाबा की मदद करने के लिए उन्हें अपने पास ले आए थे। निर्मल को कई छोटे-बड़े धंधों में सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गए।
भक्तों से लिया जाता है आय का 10वां हिस्सा
निबंधन शुल्क एक प्रकार से समागम में आने की एंट्री फीस है, जिसमें 2 साल से ऊपर के बच्चे के भी दो हजार रुपए लिए जाते हैं। वहीं दसबंद वह शुल्क है, जिसमें बाबा के भक्तों को पूर्णिमा से पहले अपनी आय का 10वां हिस्सा निर्मल दरबार को देना होता है।
तीन महीनों में 109 करोड़ जमा
एक हिंदी अखबार ने बाबा के तीन बैंक अकाउंटों का खुलासा किया है। अखबार के मुताबिक पंजाब नेशनल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और यस बैंकों में बाबा के खाते हैं, जिनमें से दो खातों को रिकॉर्ड हाथ लगा है। इनमें से एक खाते में केवल जनवरी 2012 से अप्रैल 2012 के पहले सप्ताह तक 109 करोड़ रुपए जमा किए गए हैं। यानि 1.11 करोड़ रुपए प्रतिदिन जमा किए गए।
25 करोड़ रुपए की एफडी
वहीं दूसरे बैंक खाते में 12 अप्रैल 2012 को 14.93 करोड़ रुपए जमा हुए हैं। यह रकम सुबह 9.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक जमा की गई। शाम तक इस खाते में करीब 16 करोड़ रुपए जमा किए गए। इसके अलावा एक बैंक में बाबा के नाम से 25 करोड़ रुपए का फिक्स्ड डिपोजिट भी है। बाबा का एक खाता निर्मलजीत सिंह नरूला और दूसरा खाता निर्मल दरबार के नाम से है। निर्मल दरबार में भक्तों द्वारा जमा की रकम को बाद में बाबा अपने अकाउंट में ट्रांस्फर कर लेते हैं।
जनता की भावनाओं से खेल रहा है निर्मल
उधर, बाबा के सगे बहनोई और झारखंड के सांसद इंदर सिंह नामधारी ने साफ कहा है कि वे निजी तौर पर निर्मल बाबा के किसी भी चमत्कार से कोई इत्तेफाक नहीं रखते। वह कई बार निर्मल को जनता की भावनाओं से न खेलने की सलाह दे चुके हैं। नामधारी शुरुआती दिनों में निर्मल बाबा को अपना कैरियर संवारने में खासी मदद कर चुके हैं। उनके ससुर यानि निर्मल बाबा के पिता एसएस नरूला का काफी समय पहले देहांत हो चुका है और वे बेसहारा हुए निर्मल बाबा की मदद करने के लिए उन्हें अपने पास ले आए थे। निर्मल को कई छोटे-बड़े धंधों में सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गए।
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