प्रतिनिधि/ / उदय सिंह पटेल (सिहोरा// टाइम्स ऑफ क्राइम)
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सिहोरा पुलिस ने ढीमरखेड़ा जनपद पंचायत के उपयंत्री लक्ष्मी प्रसाद पटेल की हत्या के एक और फरार आरोपी को गिर तार कर लिया है। यह उल्लेखनीय है कि उपयंत्री की हत्या के लिए पंचायत सचिव महेन्द्र सिंह ने ही 3 लाख रुपये की सुपारी दी थी। इस संदर्भ में सिहोरा थाना प्रभारी भूपेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि गत वर्ष 14 अ टूबर को सिहोरा के सिविल लाइन क्षेत्र निवासी 58 वर्षीय शिव प्रसाद मिश्रा ने थाने आकर शिकायत की थी उनके मकान मे किराये से रहने वाले 35 वर्षीय लक्ष्मी प्रसाद पटेल जो कटनी जिले की ढीमरखेड़ा जनपद पंचायत में उपयंत्री के रूप में पदस्थ है, रोजाना की तरह काम पर गये थे जो घर वापस नहीं लौटे है। सूचना पर गुमइंसान कायम कर जांच में लिया गया। इस दौरान श्रीमति वंदना पटेल ने लिखित शिकायत की कि उसके पति रोजना की तरह सुबह 9 बजे आफिस जाने के लिये घर से मोटर सायकल से पान उमरिया चले गये, दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे उसने पति को फोन लगाया एवं खाना खाने की बात कही तो पति ने कहा अभी टाईम लगेगा थोड़ी देर से आता हूं। दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे फोन लगाया तो बताया अभी पान उमरिया में हूं आधा घंटे मे सिहोरा पहुंच जाउंगा, कुछ देर बाद दुबारा फोन लगाया तो फोन नहीं उठा तथा बाद मे फोन कवरेज के बाहर बताने लगा, पति से संपर्क न होने पर टाईम कीपर दया शंकर से फोन पर बात की तो दया शंकर ने बताया कि दोपहर लगभग साढ़े तीन बजे लक्ष्मी प्रसाद पटेल पान उमरिया से अपनी मोटर सायकल से रवाना हो गये है। लेकिन पति लक्ष्मी प्रसाद पटैल घर नहीं पहुंचे।
तलाशने पर पान उमरिया एवं खितौला के बीच पति की मोटर सायकल खड़ी मिली है। उसे शंका है कि किसी अज्ञात व्यति द्वारा उसके पति का अपहरण किया गया है। पतासाजी के दौरान मृतक लक्ष्मी प्रसाद पटेल का शव 24 अ टूबर को पान उमरिया रोड के किनारे लगे सरदा के जंगल मे मिला, शव काफी डिक पोज हो चुका था, पंचनामा कार्यवाही कर शव को पीएम हेतु भिजवाया गया। प्राप्त पीएम रिपोर्ट में डा टर द्वारा सिर मे किसी भारी वस्तु से चोट पहुचाने के कारण मृत्यु होना लेख किया गया। जिस पर प्रकरण मे धारा 364, 302, 201, 120बी, बढाई गयी। पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह के मार्ग दर्शन में अतिरि त पुलिस अधीक्षक टीके विद्यार्थी ने एसडीओपी सिहोरा सूर्यकांत शर्मा के निर्देशन में आरोपियो की पतासाजी हेतु टीमें लगाई गयी। इसीदौरान पतासाजी के ज्ञात हुआ कि उपयंत्री लक्ष्मी प्रसाद पटेल की मोटर सायकल में चंद्रभान लोधी बैठा हुआ दिखा था, चंदभान लोधी 46 वर्ष निवासी ग्राम खामा को सरगर्मी से तलाश कर अभिरक्षा मे लेकर सघन पूछताछ की गयी तो चंद्रभान लोधी ने बताया कि ग्राम खामा के रहने वाले महेन्द्र ंिसह जो ढीमरखेडा जनपत पंचायत मे सचिव है के द्वारा बुलाकर लाने को कहा गया था, जो लक्ष्मी प्रसाद पटैल को बुलाकर ले गया था। लक्ष्मी प्रसाद पटेल को महेन्द्र सिंह एवं सौरव मिश्रा जो कि खितौला का रहने वाला है के पास छोडक़र चला गया था। दो लोग और उनके साथ खड़े थे जो लक्ष्मी प्रसाद को एक कार मे बैठाकर कहीं ले गये थे। उसे नहीं मालूम की कहां ले गये। चंद्रभान लोधी को गिर तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था अन्य आरोपियों की तलाश जारी थी। इसी बीच गत 11 अपै्रल की रात्रि में सौरव मिश्रा उम्र 22 वर्ष निवासी खितौला को जो कि घटना दिनांक से ही फरार था, पकड़ा गया एवं सघन पूछताछ की गयी तो सौरव मिश्रा ने अपने जबलपुर निवासी साथी सुमित पाण्डे एवं पप्पू पटेल के साथ मिलकर महेन्द्र सिंह के कहने पर सिर मे पत्थर पटक कर हत्या करना स्वीकार किया।
भ्रष्टतंत्र से लडऩे की सजा मिली उपयंत्री इस मामले को लेकर जब क्षेत्र के लोगों से बात की गई तो उनका कहना था की उपयंत्री लक्ष्मी प्रसाद पटेल एक ईमानदार अधिकारी था। जिसकी ढीमरखेड़ा जनपद पंचायत में पदस्थापना के साथ ही यहां भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे अधिकारी व कर्मचारी भय खाने लगे थे। जिसमें उपयंत्री के ऊपर के ओहदों में बैठे अधिकारी भी शामिल थे। लोगों का कहना है कि उपयंत्री लक्ष्मी प्रसाद पटेल ने ढीमरखेड़ा जनपद पंचायत ज्चाइन करने के साथ ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों व कर्मचारियों को अपनी मंसा जताते हुए भ्रष्टतंत्र के खिलाफ कार्य करना शुरू कर दिया था। जिसकी सजा उसको अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। लोगों का यह भी कहना है कि उपयंत्री लक्ष्मी प्रसाद पटेल की हत्या का षडयंत्रकारी सचिव महेन्द्र सिंह व उसके साथी केवल मोहरे हैं। अगर इस पूरे मामले की सीआईडी व सीबीआई जांच कराई जाए तो ढीमरखेड़ा क्षेत्र के कई सफेदपोशों व यहां पदस्थ रहे पंचायत स्तर के कई ओहदेदार अधिकारियों के चेहरे भी बेनकाब हो सकते हैं।
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