इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को पैसे के बल पर खरीद चुके निर्मल बाबा की पोलखोल मुहिम थर्ड मीडिया पर जारी है। उधर इस हमले से परेशान बाबा जी अपनी तीसरी आंख को खोल कर इस मुहिम को भस्म करने की बजाय वकीलों का सहारा ले रहे हैं। अब ताजा नोटिस आया है नंबर वन मीडिया पोर्टल भड़ास4मीडिया.कॉम के सीईओ यशवंत सिंह के पास। ग़ौरतलब है कि मीडियादरबार.कॉम को भी ऐसा ही एक नोटिस आ चुका है। दिलचस्प बात यह है कि मीडियादरबार को भेजे गए नोटिस में जहां निर्मल बाबा निर्मल सिंह नरुला हैं वहीं भड़ास4मीडिया को भेजे नोटिस में वो निर्मलजीत सिंह नरुला बन गए हैं।
यशवंत सिंह ने अपने पोर्टल को मिले नोटिस का जवाब भी हाथों-हाथ भेज दिया है, जो कुछ इस तरह है:
श्री कार्निका सेठ, एडवोकेट, सेठ एसोसिएट्स, विषय- आप द्वारा निर्मल बाबा की तरफ से मुझको भेजे गए लीगल नोटिस के संदर्भ में नोटिस का क्रमवार जवाब…. 1- Our client is highly revered spiritual guide, renowned worldwide for his spiritual discourses as “Nirmal Baba” and has lacs of followers in India and abroad.
जवाब- आध्यात्मिक गुरु पैसे लेकर प्रवचन नहीं देता. वो स्वेच्छा से मिलने वाले दान पर जीवन यापन करता है या फिर घूम-घूम कर अपने खाने भर मांग लेता है. यह रही है अपने देश में परंपरा. पैसे लेकर प्रवचन सुनाने वाला या कथित कृपा करने वाला व्यवसायी है और ऐसा व्यवसाय जिसमें असत्य बातें बोली जाएं, ढोंग और अंधविश्वास की श्रेणी में आता है. लाखों फालोअर होने से कोई आदमी महान या आध्यात्मिक गुरु नहीं साबित किया जा सकता. दुनिया भर में कई आतंकवादी संगठन ऐसे हैं जिनके लाखों समर्थक या प्रशंसक हैं, पर उन्हें दुनिया के नियम-कानून वैध नहीं ठहराते.
2-Our client recently learnt that you have posted extremely defamatory and illegal contents/articles against our client on your own website of Bhadas4Media.com titled “Fraud Nirmal Baba” at the following links –
2-Our client recently learnt that you have posted extremely defamatory and illegal contents/articles against our client on your own website of Bhadas4Media.com titled “Fraud Nirmal Baba” at the following links –
http://bhadas4media.com/article-comment/3127-fraud-nirmal-baba3.html,
http://bhadas4media.com/print/3611-fraud-nirmal-baba9.html,
http://bhadas4media.com/print/3665-fraud-nirmal-baba-15.html,
and various other defamatory links related to our client.
जवाब- अगर कोई व्यक्ति पैसे देकर न्यूज चैनलों पर विज्ञापन की तरह प्रोग्राम दिखवाता है और उस प्रोग्राम के जरिए असत्य बातों का प्रचार करता है, झूठी बातें के सहारे लोगों को भ्रमित करता है, कथित चमत्कार और कथित कृपा की बल पर गंभीर बीमारियों का इलाज करता है तो उस प्रोग्राम और उस व्यक्ति के बारे में बहस करना, लिखना और प्रचारित करना कैसे असत्य और मानहानि कारक हो सकता है. किसी की निजता वहीं तक निजी है जहां तक वह दूसरों के जीवन को प्रभावित नहीं करता. इस तरह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत हम ऐसे किसी प्रकरण पर अपनी बात रख कह सकते हैं.
3- The content in these articles published on your website is grossly defamatory, false, without prejudice, and offensive in nature. Please note that publishing such defamatory content or statements about any person is a criminal offence in India and attracts both civil and criminal liabilities under Section 66A of the Information Technology Act, 2000 as well as under Section 499 of the Indian Penal Code.
जवाब- आप के क्लाइंट कथित निर्मल बाबा जब अवैज्ञानिक और अप्राकृतिक बातों के जरिए लोगों को भ्रमित कर उनमें अंधविश्वास फैलाते हैं तो वह कानूनी रूप से कई तरह की धाराओं के योग्य दंडनीय हो जाते हैं. फिलहाल यह कार्य नहीं हो रहा है तो हम ब्लाग और वेबसाइट के लोगों का फर्ज बन जाता है कि बाबा के बारे में ज्यादा से ज्यादा बातें कर, बहस कर, सामने आ रही बातों का खुलासा कर दूसरे पक्ष को जनता तक ले जाएं ताकि जनता यह तय कर सके कि क्या गलत है और क्या सही. आपने आईडी एक्ट और आईपीसी की जिन धाराओं का उल्लेख किया है, उसके तहत हम लोग मुकदमा लड़ने के लिए तैयार हैं और माननीय न्यायालय द्वारा जो भी दंड दिया जाएगा, उसे भुगतने को भी तैयार हैं, लेकिन उससे पहले हम कोर्ट तक अपनी बात पहुंचाएंगे और यह बताने की कोशिश करेंगे कि निर्मल बाबा अवैज्ञानिक और अंधविश्वास पूर्ण बातों के जरिए लोगों से पैसे उगाहता है और वैज्ञानिक चेतना के विकास को बाधा पहुंचाता है, साथ ही चमत्कारिक इलाज के माध्यम से गैरकानूनी कृत्य करता है.
4-Please note that on 30th March, 2012 an exparte ad interim restraint order against Hubpages was passed by the Hon’ble High Court of Delhi restraining the hubpages.com from publishing defamatory articles against our client in CS(OS) 871/2012 (Order Attached).
जवाब- आपने जिस प्रकरण का उल्लेख किया है, उस प्रकरण में ऐसा प्रतीत होता है कि माननीय अदालत तक निर्मल बाबा के बारे में सही जानकारियां नहीं पहुंचाई गईं. हम लोग चाहते हैं कि एक बार फिर इस प्रकरण पर कोर्ट में बातचीत हो और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बाधित करने वाले कदम की पुनर्समीक्षा हो. साथ ही, गलत कृत्य के जरिए समाज में अंधविश्वास फैलाने वाले शख्स के खिलाफ अपराध दर्ज कर न्याय की प्रक्रिया शुरू हो.
5-We hereby call upon you to cease and desist from publishing the defamatory content published by you on the website
Bhadas4Media.com within 36 hours of receipt of this notice in compliance with the IT (Intermediaries Guidelines) Rules, 2011 and Section 79 of the IT Act, 2000, failing which my client will be constrained to take legal action against you for which you will be solely liable responsible for all acts and consequences following there from.
Bhadas4Media.com within 36 hours of receipt of this notice in compliance with the IT (Intermediaries Guidelines) Rules, 2011 and Section 79 of the IT Act, 2000, failing which my client will be constrained to take legal action against you for which you will be solely liable responsible for all acts and consequences following there from.
जवाब- हम लोग फिलहाल किसी भी खबर, रिपोर्ट या प्रकरण को वेबसाइट से नहीं हटाने जा रहे हैं. आप अपनी तरफ से कानूनी कार्यवाही करने कराने के लिए स्वतंत्र हैं.
यशवंत सिंह
एडिटर
भड़ास4मीडिया
yashwant@bhadas4media.com
एडिटर
भड़ास4मीडिया
yashwant@bhadas4media.com
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टैम के टाप 100 प्रोग्राम्स में निर्मल बाबा के थर्ड आई की धूम, टीवी संपादक भी बूम-बूम (देखें लिस्ट)
Written by यशवंत सिंह
न्यूज चैनलों के संपादक आजकल बूमबूम मूड में हैं. न रंग लगे न फिटकरी, रंग चोखा ही चोखा. न आइडिया जनरेट करने कराने की मेहनत, न प्रोग्राम बनाने की मेहनत, न एडिटिंग व प्रजेंटेशन की मुश्किल.... सब बना बनाया और रेडीमेड, और इसके बदले पैसे देने की नहीं बल्कि लेने की जरूरत पड़ती है. आप सोच रहे होंगे कि आखिर कौन सी चमत्कार की डिबिया इन टीवी संपादकों के हाथ लग गई? जी हां, निर्मल बाबा वही चमत्कारिक डिबिया हैं. ये बाबा अपने कार्यक्रम की सीडी न्यूज चैनलों को भिजवा देते हैं और चैनल आंख मूंद कर बाबा के फ्राड का प्रसारण इसलिए करने लगते हैं क्योंकि इन चैलनों के पास बाबा अलग से भरपूर पैसे भी भिजवाते हैं.
पैसा पाकर मैनेजमेंट खुश. और, बाबा के कार्यक्रम की वो टीआरपी आ रही है कि संपादक और मालिक दोनों आंख फाड़ें बाबा की किरपा में मगन हैं. भांड़ में जाए मीडिया का दायित्व, भांड़ में जाए अंधविश्वास को बढ़ावा देने जैसे आरोप, भांड़ में जाए सरोकार और सोच, भांड़ में जाए नैतिकता और मीडिया के मूलभूत कर्तव्य... यहां तो बबवा पैसा, टीआरपी और बना बनाया प्रोग्राम दे जा रहा है, किसी को क्या चाहिेए, देने वाला जब इस तरह छप्पड़ फाड़ के देता है तो औरों को तो जलन होगी ही, सो वही जलनशील टाइप ज्वलनशील लोग चिल्ला रहे हैं बाबा और संपादकों पर.... पर कोई बात नहीं, एक तो सेलरी में इतना पैसा हम संपादक ले लेते हैं कि वैसी नौकरी अब कहीं मिलनी नहीं, इसलिए भरपूर सेलरी देने वाला मालिक बाबा से हरा हरा भरा भरा ढेर सारा नोट ले रहा है तो क्या गुनाह कर रहा है...
....संपादकों का आपस में बतियाना-चुहलियाना जारी आहे...
कुछ दिन के लिए ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन उर्फ बीइए जैसी बातें भूल जाते हैं, ध्यान नहीं देते हैं इस पर, जब तक बाबा की दुकान जमी है, चलने दिया जाए क्योंकि हर एपीसोड का भरपूर नोट देता है, बीइए की मीटिंग तो बाद में कर लेंगे, बाबा की दुकान जब गड़बड़ा जाएगी तब बीइए की मीटिंग करके आत्ममंथन कर लेंगे और आगे के लिए आपस में एक एडवाइजरी इसलिए बांट लेंगे ताकि इस वक्त हुआं हुआं करने वाले लोग उस वक्त एडवाइजरी की बात देखकर शांत हो जाएं. चलिए, बोला जाए निर्मल बाबा की जय... थर्ड आई की जय... हरे भरे नोटों की जय.... बाबा के नोटों की जय.... अपनी भरपूर लाखों की सेलरी की जय.... ये देखिए टैम के टामियों की तरफ से जारी वीक14 के टाप101 प्रोग्राम्स की सूची.... देखिए और बोलिए... निर्मल बाबा और महान संपादकों की जय....
जिस निर्मल बाबा के शो की तुलना निरमा सर्फ के विज्ञापन से होनी चाहिए, उसकी तुलना न्यूज कैटगरी के प्रोग्राम्स से हो रही है.... लगता है टैम पर भी किरपा हो गई है, बोलिए टामियों की भी जय.... स्टार न्यूज वाले समेत कई न्यूज चैनल टीम अन्ना के सदस्यों के चोर की दाढ़ी में तिनका के बयान पर डिस्क्लेमर दिखा रहे थे कि ये हमारे विचार नहीं, हम इससे सहमत नहीं हैं, हम केवल रिपोर्ट कर रहे हैं, हम सांसदों का सम्मान करते हैं आदि आदि... बड़े नैतिक बन रहे थे, लेकिन अब चोट्टे चुप हैं, बाबा निर्मल पूरे देश को चूतिया बना रहा है, पैसे लेकर कोकाकोला पीने को कह रहा है... पर ये संपादक और चैनल वाले चुप्पी मारे हैं, कोई डिस्क्लेमर नहीं दिखा रहे कि ये प्रोग्राम विज्ञापन है, हमारा कोई इससे संबंध नहीं है टाइप का कोई डिस्क्लेमर नहीं आ रहा... ये कठपुतली सदृश्य रीढ़विहीन संपादक पूरे बौद्धिक जगत को उसी तरह अपनी बौद्धिक जुगाली से भरमाते रहते हैं जिस तरह इन दिनों निर्मल बबवा अपनी चिरकुट किस्म की बकवास से धर्मभीरू लोगों को डरा-समझा रहा है.... देखिए देखिए टाप101 प्रोग्राम की लिस्ट और बोलिए बबवा की जय, संपदकवा की जय...
(नीचे के ग्राफ आंकड़े को पढ़ पाने में तभी सक्षम होंगे जब उस पर एक बार क्लिक कर देंगे, एक नए विंडो में पूरा मैटर खुल जाएगा, और वहां एक बार क्लिक कर जूम कर देंगे तो सब बड़ा बड़ा हरा भरा दिखने लगेगा, बबवा की किरपा से... :)
उपर जो शाब्दिक भड़ास निकाली गई है, उसके सृजन का कार्य यशवंत ने किया है, और उन्हें इस मुद्दे पर के जरिए गरिया-गपिया सकते हैं. भड़ास वह नहीं जो हम दूसरों के खिलाफ निकाले, असली भड़ास तो वह जो दूसरे हम लोगों के खिलाफ निकालें. पक्ष-विपक्ष-निरपेक्ष, हर तरह की भड़ास आमंत्रित है. ट्रांसपैरेंसी के इस दौर में भड़ास की कोशिश है कि हर संस्था, हर शख्स ट्रांसपैरेंट बने ताकि वह करप्शन-कुंठाओं से मुक्त होकर अपना बेस्ट खुद को, जनता को, देश को और विश्व-ब्रह्मांड को दे सके.[/B]
न्यूज चैनलों के संपादक आजकल बूमबूम मूड में हैं. न रंग लगे न फिटकरी, रंग चोखा ही चोखा. न आइडिया जनरेट करने कराने की मेहनत, न प्रोग्राम बनाने की मेहनत, न एडिटिंग व प्रजेंटेशन की मुश्किल.... सब बना बनाया और रेडीमेड, और इसके बदले पैसे देने की नहीं बल्कि लेने की जरूरत पड़ती है. आप सोच रहे होंगे कि आखिर कौन सी चमत्कार की डिबिया इन टीवी संपादकों के हाथ लग गई? जी हां, निर्मल बाबा वही चमत्कारिक डिबिया हैं. ये बाबा अपने कार्यक्रम की सीडी न्यूज चैनलों को भिजवा देते हैं और चैनल आंख मूंद कर बाबा के फ्राड का प्रसारण इसलिए करने लगते हैं क्योंकि इन चैलनों के पास बाबा अलग से भरपूर पैसे भी भिजवाते हैं.
पैसा पाकर मैनेजमेंट खुश. और, बाबा के कार्यक्रम की वो टीआरपी आ रही है कि संपादक और मालिक दोनों आंख फाड़ें बाबा की किरपा में मगन हैं. भांड़ में जाए मीडिया का दायित्व, भांड़ में जाए अंधविश्वास को बढ़ावा देने जैसे आरोप, भांड़ में जाए सरोकार और सोच, भांड़ में जाए नैतिकता और मीडिया के मूलभूत कर्तव्य... यहां तो बबवा पैसा, टीआरपी और बना बनाया प्रोग्राम दे जा रहा है, किसी को क्या चाहिेए, देने वाला जब इस तरह छप्पड़ फाड़ के देता है तो औरों को तो जलन होगी ही, सो वही जलनशील टाइप ज्वलनशील लोग चिल्ला रहे हैं बाबा और संपादकों पर.... पर कोई बात नहीं, एक तो सेलरी में इतना पैसा हम संपादक ले लेते हैं कि वैसी नौकरी अब कहीं मिलनी नहीं, इसलिए भरपूर सेलरी देने वाला मालिक बाबा से हरा हरा भरा भरा ढेर सारा नोट ले रहा है तो क्या गुनाह कर रहा है...
....संपादकों का आपस में बतियाना-चुहलियाना जारी आहे...
कुछ दिन के लिए ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन उर्फ बीइए जैसी बातें भूल जाते हैं, ध्यान नहीं देते हैं इस पर, जब तक बाबा की दुकान जमी है, चलने दिया जाए क्योंकि हर एपीसोड का भरपूर नोट देता है, बीइए की मीटिंग तो बाद में कर लेंगे, बाबा की दुकान जब गड़बड़ा जाएगी तब बीइए की मीटिंग करके आत्ममंथन कर लेंगे और आगे के लिए आपस में एक एडवाइजरी इसलिए बांट लेंगे ताकि इस वक्त हुआं हुआं करने वाले लोग उस वक्त एडवाइजरी की बात देखकर शांत हो जाएं. चलिए, बोला जाए निर्मल बाबा की जय... थर्ड आई की जय... हरे भरे नोटों की जय.... बाबा के नोटों की जय.... अपनी भरपूर लाखों की सेलरी की जय.... ये देखिए टैम के टामियों की तरफ से जारी वीक14 के टाप101 प्रोग्राम्स की सूची.... देखिए और बोलिए... निर्मल बाबा और महान संपादकों की जय....
जिस निर्मल बाबा के शो की तुलना निरमा सर्फ के विज्ञापन से होनी चाहिए, उसकी तुलना न्यूज कैटगरी के प्रोग्राम्स से हो रही है.... लगता है टैम पर भी किरपा हो गई है, बोलिए टामियों की भी जय.... स्टार न्यूज वाले समेत कई न्यूज चैनल टीम अन्ना के सदस्यों के चोर की दाढ़ी में तिनका के बयान पर डिस्क्लेमर दिखा रहे थे कि ये हमारे विचार नहीं, हम इससे सहमत नहीं हैं, हम केवल रिपोर्ट कर रहे हैं, हम सांसदों का सम्मान करते हैं आदि आदि... बड़े नैतिक बन रहे थे, लेकिन अब चोट्टे चुप हैं, बाबा निर्मल पूरे देश को चूतिया बना रहा है, पैसे लेकर कोकाकोला पीने को कह रहा है... पर ये संपादक और चैनल वाले चुप्पी मारे हैं, कोई डिस्क्लेमर नहीं दिखा रहे कि ये प्रोग्राम विज्ञापन है, हमारा कोई इससे संबंध नहीं है टाइप का कोई डिस्क्लेमर नहीं आ रहा... ये कठपुतली सदृश्य रीढ़विहीन संपादक पूरे बौद्धिक जगत को उसी तरह अपनी बौद्धिक जुगाली से भरमाते रहते हैं जिस तरह इन दिनों निर्मल बबवा अपनी चिरकुट किस्म की बकवास से धर्मभीरू लोगों को डरा-समझा रहा है.... देखिए देखिए टाप101 प्रोग्राम की लिस्ट और बोलिए बबवा की जय, संपदकवा की जय...
(नीचे के ग्राफ आंकड़े को पढ़ पाने में तभी सक्षम होंगे जब उस पर एक बार क्लिक कर देंगे, एक नए विंडो में पूरा मैटर खुल जाएगा, और वहां एक बार क्लिक कर जूम कर देंगे तो सब बड़ा बड़ा हरा भरा दिखने लगेगा, बबवा की किरपा से... :)
उपर जो शाब्दिक भड़ास निकाली गई है, उसके सृजन का कार्य यशवंत ने किया है, और उन्हें इस मुद्दे पर के जरिए गरिया-गपिया सकते हैं. भड़ास वह नहीं जो हम दूसरों के खिलाफ निकाले, असली भड़ास तो वह जो दूसरे हम लोगों के खिलाफ निकालें. पक्ष-विपक्ष-निरपेक्ष, हर तरह की भड़ास आमंत्रित है. ट्रांसपैरेंसी के इस दौर में भड़ास की कोशिश है कि हर संस्था, हर शख्स ट्रांसपैरेंट बने ताकि वह करप्शन-कुंठाओं से मुक्त होकर अपना बेस्ट खुद को, जनता को, देश को और विश्व-ब्रह्मांड को दे सके.[/B]
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