हबपेजेस के खिलाफ़ हाईकोर्ट पहुंचने वाले टीम निर्मल बाबा के हौसले बुलंद हो गए हैं। बुधवार को सुबह-सुबह खुद को निर्मल दरबार का प्रतिनिधि बताने वाली एक महिला ने लेखक धीरज भारद्वाज को फोन कर धमकाया और कहा कि दो घंटे के भीतर मीडिया दरबार से बाबा जी के खिलाफ़ लिखा आलेख हटा लिया जाए वर्ना कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जब लेखक ने उनसे आपत्ति की वजह जाननी चाही तो महिला ने कहा कि सब उनका वकील बता देगा।
दोपहर तक एक कानूनी नोटिस भी मेल के जरिए आ गया। नोटिस की भाषा खासी आक्रामक और आदेशात्मक है। नोटिस में मीडिया दरबार के लेख-
एक दिन में 4 करोड़ से भी ज्यादा कमा लेते हैं निर्मल बाबा, मीडिया भी लेता है ‘चढ़ावा’
और हबपेजेस पर शुरु की गई एक ताज़ा बहस ‘Is Nirmal Baba A Fraud?‘ के कंटेंट पर आपत्ति जताई गई है।
दिल्ली की इस कानूनी फर्म ने ग्रेटर कैलाश में रहने वाले निर्मलजीत नरुला की तरफ से भेजे गए अपने नोटिस के साथ हबपेजेस से पहले से ही हटाए जा चुके एक लेख के खिलाफ़ मिले हाईकोर्ट के आदेश की प्रति भी नत्थी की है।
दिलचस्प बात यह है कि मीडिया दरबार ने हबपेजेस पर जो नई बहस शुरु की है उसका पुराने हटाए जा चुके पेज से कोई संबंध ही नहीं है। ये आलेख अभी भी हबपेजेस पर आसानी से उपलब्ध है जो खासी लोकप्रियता बटोर रहा है। यह आलेख हबपेजेस के पिछले लेख से अलग है और इसे एक स्वस्थ बहस का मंच बनाया गया है।
रहा सवाल मीडिया दरबार पर छपे लेख का तो उसमें कोई आक्षेप या आक्रामक आरोप नहीं लगाए गए हैं। उसमें कुछ तथ्य सामने लाने की कोशिश की गई है, जो कोई आम आदमी भी आसानी से समझ सकता है।
आलेख में बाबाजी के तेजी से फैलते विशाल कारोबार के बारे में बताया गया है जिसकी अधिकतर सामग्री निर्मलबाबा.कॉम से ही ली गई है। आलेख में बाबाजी की लोकप्रियता से संबंधित जो भी आंकड़े दिए गए हैं वो टैम और ऐलेक्सा के शोध पर आधारित हैं।
नोटिस में आईटी ऐक्ट 2000 का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि अगर नोटिस मिलने के 36 घंटे तक सामग्रियां नहीं हटाई गईं तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी जिसके लिए मीडिया दरबार जिम्मेदार होगा।
फिलहाल मीडिया दरबार ने अपने आलेखों को आरोपों के दायरे से बाहर मानते हुए किसी भी आलेख को न हटाने का फैसला किया है और मामले के विस्तृत अध्ययन के लिए अपने कानूनी सलाहकारों से संपर्क साधा है।
ग़ौरतलब है कि मीडिया दरबार ने अपने पिछले लेख में राजफाश किया था कि निर्मल बाबा किस तरह अपने दरबार का प्रचार टीवी चैनलों के जरिए कर रहे हैं और उसमें आने वाले श्रद्धालुओं से ऐंट्री फीस के तौर पर पैसे लेकर मोटी कमाई कर रहे हैं।
अमेरिकी वेबसाइट हबपेजेस पर भी पुराने पेज के हटने के बाद मीडिया दरबार ने एक नई बहसशुरु की है। इस पेज पर सवाल उठाए गए हैं कि आखिर निर्मल बाबा अपने भक्तों का भला करने के लिए पैसे क्यों वसूलते हैं? यह पेज अंग्रेजी में है और देश विदेश से इस पर पाठकों के कई कमेंट आ रहे हैं।
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